चिंतन
चिंतन पर पहरे अनेक है
पर उडने के पर है मेरे
कीमत कम है पर बहुमूल्य
सोच का बनना सदा चितेरे
बादल कल्पित भाव के आते
शब्द योजना रहती घेरे
जिंदा हूं आवाज बताती
शब्द बोलती रहते मेरे
गुरू बनने क्षमता नही
अज्ञानी हूं मुझे मानो चेरे
लिपि मे चिंतन दिया उकेर
पढ लेता कभी शाम सबेरे
विन्ध्यप्रकाश मिश्र.
नरई