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29 Aug 2017 · 1 min read

चिंतन

चिंतन पर पहरे अनेक है
पर उडने के पर है मेरे
कीमत कम है पर बहुमूल्य
सोच का बनना सदा चितेरे
बादल कल्पित भाव के आते
शब्द योजना रहती घेरे
जिंदा हूं आवाज बताती
शब्द बोलती रहते मेरे
गुरू बनने क्षमता नही
अज्ञानी हूं मुझे मानो चेरे
लिपि मे चिंतन दिया उकेर
पढ लेता कभी शाम सबेरे
विन्ध्यप्रकाश मिश्र.
नरई

Language: Hindi
323 Views
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