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9 Sep 2017 · 1 min read

कुछ करने की सोच

है रही सोचकुछ करने की
है यही सोच कुछ करने की
पर परबश होकर जीता हू
है यही सोच कुछ करने की
पर बरबश ही स्पृहा रही
सपनो को जो साकार करे
धन पद का जो विस्तार करे
है यही सफलता कहते है
जो अपना ही उद्धार करे।
है यही सोच इस जग की
अपना सोचे न सब की।

Language: Hindi
366 Views
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