सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2758 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 52 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Nov 2019 · 1 min read छाया यहाँ तम का कहर छाया यहाँ तम का कहर उजियारे है की आस नहीं आज बहुत गमगीन हूँ खुशी का आभास नहीं बहे आँखों से अश्रुधारा मुस्कराहट का वास नहीं यह दुनिया है बैगानों... Hindi · कविता 225 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Nov 2019 · 1 min read बढ रही है दूरियाँ नजदीकियाँँ बन गई दूरियाँँ बढ रहीं हैं यहाँ वहाँ दूरियाँ चेहरे दिखते नहीं रंगीन हैं भाव रत नहीं भावहीन हैं नित बढ रहीं हैं परेशानियाँ बढ रहीं हैं यहाँ वहाँ... Hindi · कविता 223 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Nov 2019 · 1 min read चल अकेला चल अकेला चल अकेला तू चल अकेला जीवन पथ पर तू बढ अकेला नहीं कोई तुम्हारे संग साथ है ईश का तुम्हारे सिर पर हाथ है आएंगी असंख्य बाधाएं पथ पर पर... Hindi · कविता 459 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Nov 2019 · 1 min read प्रदूषण और.स्मोग प्रदूषण और स्मोग का छाया कहर प्रदूषित है आज देश का गाँव शहर लोगों ने दीवाली पर चलाए पटाखे प्रदूषित पर्यावरण प्रदूषक थे पटाखे धान की जलती पराली, उठता धूँआ... Hindi · कविता 524 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Nov 2019 · 1 min read मधुरिम पल.बीत गए पंछी सभी हैं छूट गए नीड़ सभी हैं टूट गए कलरव था जो सुर में मधुरिम पल बीत गए घर अब मकान हो गए रिश्ते सब फ़ना हो गए मिलते... Hindi · कविता 218 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Nov 2019 · 1 min read हँसता तू क्यों है बंदे हँसता तू क्यों है बन्दे करके तू कारज मन्दे पछताना पड़ेगा बन्दे होगा तू अकेला बन्दे करता क्यों मेरा मेरा यहाँ कुछ नहीं है तेरा जगत एक रैन बसेरा दिल... Hindi · कविता 356 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Nov 2019 · 1 min read कलयुगी प्यार देखो कलयुगी प्रेम प्यार बन गया है प्रेम व्यापार प्रतीति तनिक रही नहीं जग में प्रीत हुई लाचार धोखा तो पग पग पर है कपटी छाया जग पर हैं नजरों... Hindi · कविता 341 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Nov 2019 · 1 min read बहकते कदम अंगुलियां थम गई जब देखी एक प्रोफाइल हो गई धुँधली याद फिर ताजा देख उसका सालों बाद छायाचित्र में सुंदर मनोरम हसीन मुखड़ा जो था कायनात पर चाँद का टुकड़ा... Hindi · कविता 584 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Nov 2019 · 1 min read हरियाणा हरियाणे की सरजमीं तुझको सलाम है विश्व पटल परिदृश्य में चमकता नाम है पंजाब जन्म भूमि जननी से जन्मा था 1 नवंबर 1966 को पूर्ण राज्य बना था हिंदधरा में... Hindi · कविता 202 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Nov 2019 · 1 min read हरियाणा हरियाणे की सरजमीं तुझको सलाम है विश्व पटल परिदृश्य में चमकता नाम है पंजाब जन्म भूमि जननी से जन्मा था 1 नवंबर 1966 को पूर्ण राज्य बना था हिंदधरा में... Hindi · कविता 561 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 31 Oct 2019 · 1 min read दर्पण सब जानता है यह जो दर्पण है ये सब जानता है असली नकली को पहचानता है हद बेहद जो निखरता संवरता है दर्पण पूर्णता असलियत जानता है अपनों के चेहरे धूँधले हो जाते... Hindi · दोहा 261 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 31 Oct 2019 · 1 min read हिंदी व्याकरण वर्णों से ही बनते हैं शब्द शब्द बिन जग हैं निशब्द शब्दों से बनते है वाक्य वाद संवाद कराते वाक्य व्यक्ति, वस्तु और स्थान संज्ञा का करवाते हैं ज्ञान संज्ञा... Hindi · कविता 1 325 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Oct 2019 · 1 min read काल Tenseजनक के होते हैं तीन बेटे समय भाग का बोध कराते हैं बेटे Past,Present,Future वो बेटे काल को तीन भागों में बाँटते बेटे समय बीता हाथ कभी नहीं आए अंग्रेजी... Hindi · कविता 233 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Oct 2019 · 1 min read विधायिका ढांडा गौत्र में ब्याही मलिक की सुपुत्री पूर्व मन्त्री श्री नर सिंह ढांडा की पत्नी खेड़ी सिम्बल की बहू बन डोली चढी विज्ञान संकाय स्नातक तक पढाई पढी कंधे से... Hindi · कविता 228 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Oct 2019 · 1 min read भैया दूज बहन भाई रिश्ते में होता प्रेम प्यार भैया दूज त्यौहार पर दिखे आपार भाई बिन बहना बहना बिन भाई एक दूसरे बिन रहती सूनी कलाई संग साथ पले बढे झगडे... Hindi · कविता 257 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Oct 2019 · 1 min read बीत गई दीवाली बीत गई दीपावली देकर एक पैगाम खर्च,प्रदूषण बढाकर करते हो बदनाम दीवाली का नाम लेकर करते हो काम नहीं हैं सामाजिक बदनाम हो सरेआम ढेर पटाखे चलाकर बढाएं कूड़ा कबाड़... Hindi · कविता 1 658 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Oct 2019 · 1 min read विश्वकर्मा देवता जय जय जय विश्वकर्मा देव निर्माणकारी सृजनहारी देव महासृष्टि का महा वास्तुकार जय विश्व रचनाकार महादेव सूई हो या हो कोई कलपूर्जा नहीं बिन संभव शिल्पी देव कारज तुम बिन... Hindi · कविता 512 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Oct 2019 · 1 min read जो चला गया विदेश जो चला गया विदेश छोड़ कर अपना देश धार कर वहाँ का भेष भूला बैठा निज स्वदेश विदेशी भाषा को बोले देसी लफ्जों को हैं भूले बोली है चढ गई... Hindi · कविता 459 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Oct 2019 · 1 min read अब की बार दीवाली में अब की बार आई दीवाली में तुम मिट्टी के दिये जला जाना विदेशी वस्तु का तज कर के तुम देसी वस्तुएं अपना जाना जो सोते फुटपाथ पटरियों पर तनिक ध्यान... Hindi · कविता 1 223 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Oct 2019 · 1 min read हर दिन दीवाली साथ हो गर उसी का हर दिन दीवाली बिन प्रियतमा हमारी सूखी है दीवाली संग संग चले अगर दीप जीवन जलता संग छूट जाए तो है दीप जीवन बुझता कदमों... Hindi · कविता 180 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Oct 2019 · 1 min read मंगलमय हो दीवाली मंगलमय हो जन गण को दीवाली जगमग जगमग दीपशिखा दीवाली कार्तिक मास रात है अमावस वाली जलते दीयों से उजाला करे दीवाली लक्ष्मी धन देवी धन वर्षा रहे करती धनवंतरी... Hindi · कविता 236 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Oct 2019 · 1 min read दीपावली पर्व दीप शिखाओं का उत्सव हैं प्रकाशपुंज का दीपोत्सव है जन खुशियों का यह प्रतीक दीवाली का पावन है त्योहार कार्तिक मास अमावस्या में आता सर्दी की शुरुआत में उपहारों का... Hindi · कविता 204 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Oct 2019 · 1 min read मौन थी वो कौन थी वो सब कुछ जान कर भी मौन थी वो प्यार जताना भी नहीं चाहती थीं वो चाह कर भी प्रेम छिपाना नहीं जानती थी वो कसूर कातिल मयकशी... Hindi · कविता 263 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Oct 2019 · 1 min read मौन थी वो कौन थी वो सब कुछ जान कर भी मौन थी वो प्यार जताना भी नहीं चाहती थीं वो चाह कर भी प्रेम छिपाना नहीं जानती थी वो कसूर कातिल मयकशी... Hindi · कविता 190 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Oct 2019 · 1 min read चुनावी बुखार मलेरिया बुखार और चुनावी खुमार दोनों का चढे समान तीव्र ताप ज्वर पर ढले है ज्वरताप मंद मंद मद्धिम अस्त होता हो भानु मंद मंद मद्धिम मय का नशा उतरता... Hindi · कविता 223 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Oct 2019 · 1 min read चुनावी नतीजे आ गया रे भाई आ गया रे नतीजा चुनावी आ गया रे सियासी दंगल जीत गया रे कोई सियासी खेल हारा रे कोई जीता भारी बहुमत से कोई हार गया... Hindi · कविता 416 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Oct 2019 · 1 min read दोस्त दोस्ती दोस्ताना सुन लो यार हो गई शाम प्रतीक्षा में हैं मय के जाम पूरे हो गए होंगें सब काम मिलते हैं कहीं बीच मुकाम मिल कर पूरे करें अरमान सारे दिन... Hindi · कविता 1 481 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Oct 2019 · 1 min read डल गए चुनावी वोट डल गए हैं चुनावी वोट किसको मिली है सपोर्ट डंके की लगी है जो चोट किसमें कितना है खोट किसकी किस्मत बुलंद ईवीएम में हो गई है बंद जनता किस... Hindi · कविता 483 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Oct 2019 · 1 min read तेरी मेरी मेरी तेरी यादें लो फिर आ गई तेरी दर्द भरी याद जब हाथ लग गई वो प्रेमभरी चिट्ठियां हमारी चिट्ठियाँ जो समेटे हुए थी तेरा मेरा वाद-विवाद ओर मधुर-संवाद इजहार,इनकार इकरार, तकरार और... Hindi · कविता 207 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Oct 2019 · 1 min read ईश की माया अजब ईश की माया है अजब बड़ी लीला अपरंपार है परिवेश बहुत खुशनुमा कहीं हालात गमसीन है लगी है सावन की झडी़ तो कहीं सूखा अपार है मौसम है बेमौसम सा... Hindi · कविता 1 456 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Oct 2019 · 1 min read तुम बिन कैसे जिऊँ तुम बिन कैसे जिऊँ ना कुछ खाऊँ पिऊँ दूर रह सकता नहीं पास कैसे तेरे आऊँ जब से है देखा तुझे दिल चैन नहीं पाऊँ आसपास ही रहूँ तेरे तेरे... Hindi · कविता 577 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Oct 2019 · 1 min read प्रेम पीड़ा ईश्क की आँधी तुफान संग अंबर में प्रेम मेघ मंडराते हैं अनुरागी बूंदों में जब बरसेंगे चातक कब से आस लगाए हैं यह झुकी झुकी निगाहें हैं जो कुछ कहती... Hindi · कविता 1 225 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Oct 2019 · 1 min read मै तुम और हम तुम बिन मैं नहीं मैं बिन तुम नहीं मैं तुम से हम हैं हम से मैं तुम हैं जब मैं तुम हम फिर क्यों है गम हम सी से है... Hindi · कविता 337 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Oct 2019 · 1 min read करवाचौथ करवाचौथ का दिन होता हैबहुत खास भार्यां चाँद से करे भर्या दीर्घायु अरदास तारों की छाँव में खा पीकर करे तैयारी नहा धोकर सजती संवरती उस प्रभात नई पहन पोशाक... Hindi · कविता 408 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Oct 2019 · 1 min read दिल में बसा लेते हम तुम्हे दिल में ही बसा लेते अगर तुम रमणीय ख्याल होते हम कभी पीते मय को नहीं हैं नशीले नयनों में नशियाये होते तुम्हें आँखों से गुट गुट पी... Hindi · कविता 1 250 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Oct 2019 · 1 min read जीवनयापन उगता सूरज बहता पानी उड़ता पक्षी चलती पवन बढ़ता राही खिले सुमन टिमटिमाते तारे लहराती फसलें जल लाते मेघ जलता दीपक सभी कहते हैं यह बात आगे बढो रुको मत... Hindi · कविता 1 400 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Oct 2019 · 1 min read पत्नी की कल्पना प्त्नी प्रकृति की श्रेष्ठ सुंदर रचना क्या मैं ही हूँ पत्नी की कल्पना जिसको सोचा उसने ख्वाबों में सजाया होगा अपने अरमानों में रखा होगा व्रत जिसके नाम का अपने... Hindi · कविता 1 278 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Oct 2019 · 1 min read मोबाइल दैत्य मोबाइल खा गया है जीवन प्यार रिश्तों का टूट गया है पूर्ण आधार मोबाइल दैत्य जब से है आया रिश्तों का निगल गया प्रेमप्यार जो थे पार समुद्र हो गए... Hindi · कविता 2 312 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Oct 2019 · 1 min read सती प्रथा भारतीयता की है पहचान भारतीय संस्कृति संस्कार होता परस्पर आदान प्रदान पीढी को पीढी से संस्कार भारतीय संस्कृति है समृद्ध विभिन्न प्रथाएं भिन्न प्रभार कुछ थी ऐसी हमारी प्रथाएँ जिन... Hindi · कविता 326 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Oct 2019 · 1 min read करवा चौथ करवा चौथ पर्व उड़ाता हैं नोट पति बेचारे के उड़ाता यह होश साल में आए यदि यह बार बार पति की नही ना बच पाए पगार भरतार दीर्घायु का होता... Hindi · कविता 418 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Oct 2019 · 1 min read जी आप पहले.जैसे नहीं रहे पत्नी ने पति से कहा जी जरा सुनिए पति सहमा हुआ बोला हाँजी!फरमाइए जी !आप पहले जैसे नहीं रहे पति ने प्रतिउत्तर में कहा जी बदला भी आपने ही है... Hindi · कविता 217 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Oct 2019 · 1 min read सती प्रथा भारतीयता की है पहचान भारतीय संस्कृति संस्कार होता परस्पर आदान प्रदान पीढी को पीढी से संस्कार भारतीय संस्कृति है समृद्ध विभिन्न प्रथाएं भिन्न प्रभार कुछ थी ऐसी हमारी प्रथाएँ जिन... Hindi · कविता 809 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Oct 2019 · 1 min read जीवन रंग ये जीवन रंग बहुत रंग दिखाता हैं कभी हँसाता तो कभी रूलाता हैं प्यार रंग तो बहुत ही जज्बाती है जज्बातों का दरिया सा बहाता है संयोग रंग बहुत आनंदविभोर... Hindi · कविता 201 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Oct 2019 · 1 min read माता की भेंट सब तो उच्चा सिहांसन मैया शेरावाली दा सब तो सोहणा दरबार मैया शेरावाली दा माँ बिना बच्चयाँ दा जग ते रखवाली ना भगतां दा तेरे बिना जग ते कोतवाली ना... Hindi · कविता 211 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Oct 2019 · 1 min read वक्त स्वतंत्र परिंदा वक्त है स्वतंत्र परिंदा गुलाम मोहताज नहीं जो जाए वक्त निकल आता कभी हाथ नहीं तीव्रता से गुजर जाता कभी ठहरता ही नहीं जो नहीं समझे कीमत हो कभी आबाद... Hindi · कविता 241 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 1 min read दो चार यार.पुराने मिलते जब दो चार यार पुराने याद करें पुरानी बातें अफसाने करते हैं वो याद बीती घटनाएं जो घटित हुई थी जाने अंजाने आ जाती सब स्मृति पटल पर बातें... Hindi · कविता 315 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 2 min read वो पुराने दिन याद करो वो दिन जब घर थे हमारे कच्चे दिल थे हमारे पक्के मन थे पावन सच्चे बेशक एक थी छत उसी छत के नीचे ही फलता फूलता था संयुक्त... Hindi · कविता 242 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 1 min read दास्तानें दर्द जिन्दगी मिले गम हम को हँस के सह लेते हैं दर्द जब हद से बढता है तो रो लेते हैं जिन्दगी सुख दुख का घना सागर है दिल हो जब रुखा... Hindi · कविता 1 165 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 1 min read भारतीय स्वच्छता सम्मान उखड़ गई जिन्दगी की सांसें ठहर गया रुधिरवाहिनियों में लाल लहू का बहाव हुआ कोमल हृदय प्रस्पंदन तीव्रता से धडकी हत्कंपन लकवाग्रस्त हुई जिह्वा तमतमाहट से तमतमा उठा मुख देखकर... Hindi · कविता 376 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Oct 2019 · 1 min read मुबारक हो तुमको मोहब्बत तुम्हारी मुबारक हो तुमको मोहब्बत तुम्हारी मुबारक हो तुमको खुशियाँ तुम्हारी कट जाएगी जिन्दगी यादों के सहारे विरासत हैं मेरी यादें हमारी तुम्हारी किस्सा है बन गई तेरी मेरी मोहब्बत तुम... Hindi · कविता 1 268 Share Previous Page 52 Next