Manisha Manjari Language: Hindi 227 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Manisha Manjari 10 Jul 2022 · 1 min read काश उसने तुझे चिड़ियों जैसा पाला होता। कुछ तो थी, उन आंखों की ख्वाहिश, जिसे मूंद कर खत्म कर दी, उसने हर फरमाइश। अब ना वो तुझे बार बार बुलाएगी, घर कब आएगा, ये कह कर सताएगी।... Hindi · Life · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 1 4 302 Share Manisha Manjari 7 Jul 2022 · 1 min read क्यों करूँ नफरत मैं इस अंधेरी रात से। क्यों करूँ नफरत मैं इस अंधेरी रात से, जिसने मिलवा दिया मुझे अपने आप से। गर्दिशों में भी इसने चमकना सिखाया, और आंसुओं के साथ भी तो अपना बनाया। हाँ,... Hindi · Hindi Poem · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · Manishamanjari · कविता 4 2 650 Share Manisha Manjari 1 Jul 2022 · 1 min read कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं। कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं, जब आंखें आंसुओं से लिपट जाती हैं। भीगते तो हैं सतह मगर, चोटें आत्मा तक पहुँच जाती हैं। कहते हैं अंधकार मिटाने को वो... Hindi · Hindi Poem · Life · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 3 2 469 Share Manisha Manjari 30 Jun 2022 · 1 min read अंधेरी रातों से अपनी रौशनी पाई है। उन परिंदों की उड़ान पर कब तक पहरे लगा पाएगा कोई, जिन्होंने उड़ना भी पंख गंवाने के बाद हीं सीखा है। अंधेरी रातों से अपनी रौशनी पाई है, और खुद... Hindi · Hindi Poem · Life · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता 3 4 354 Share Manisha Manjari 17 Jun 2022 · 1 min read शाश्वत सत्य की कलम से। वैराग्य का भी अपना हीं मजा है, ना किसी के आने की सदा है, ना किसी के जाने की सज़ा है। जीवन को उस पार ले जाना भी इक अदा... Hindi · Manishamanjari · कविता 2 4 631 Share Manisha Manjari 29 May 2022 · 1 min read शब्दों के एहसास गुम से जाते हैं। शब्दों के एहसास गुम से जाते हैं, खामोशियों की चादरों में ये मुस्कुराते हैं। शोर का तो बवंडर सा उठता है, पर जाने क्यों होंठों को ये दगा दे जाते... Hindi · कविता 5 2 451 Share Manisha Manjari 16 May 2022 · 1 min read ठंडे पड़ चुके ये रिश्ते। रिश्तों को तोड़ते ये आजकल के रिश्ते, गर्माहट से मीलों दूर ठंडे पड़ चुके ये रिश्ते। कभी तूफानों में ढ़ाल सदृश हुआ करते थे जो रिश्ते, आज एक स्पर्श से... Hindi · कविता 4 5 600 Share Manisha Manjari 14 May 2022 · 1 min read क्यों ना नये अनुभवों को अब साथ करें? रास्तों की सुने या मंजिलों की फरियाद करें, बीते कल में जियें या नये कल का आगाज करें। जाती रात में अमावस की घनी परछाई है, क्या आने वाली रातों... Hindi · कविता 1 385 Share Manisha Manjari 10 May 2022 · 1 min read स्याह रात ने पंख फैलाए, घनघोर अँधेरा काफी है। शंखनाद की गुंज उठी, युद्ध तो अभी बाकी है। स्याह रात ने पंख फैलाए, घनघोर अँधेरा काफी है। प्रज्ज्वलित दरिया के समक्ष खड़ी मैं, पार उतरना बाकी है। ना नय्या... Hindi · कविता 2 687 Share Manisha Manjari 1 May 2022 · 1 min read जब वो कृष्णा मेरे मन की आवाज़ बन जाता है। जिंदगी ने नये पंख दिए, पर उड़ने को मन कतराता है। शिकारी के बिछे जाल से, दिल अब भी घबराता है। कहीं घात में बैठा, वो आज भी इतराता है।... Hindi · कविता 3 2 570 Share Manisha Manjari 26 Apr 2022 · 1 min read आज असंवेदनाओं का संसार देखा। असंवेदनाओं का नज़ारा बरकरार देखा, मानवता को, बेसहारा हर बार देखा। उन आँखों में बस तथ्य एवं तर्क की तलवार देखा, बेबसी की चीखों को कफ़न के पार देखा। उसने... Hindi · कविता 4 2 361 Share Manisha Manjari 25 Apr 2022 · 1 min read नदी सदृश जीवन ये वादा था, जीवन का, नदी सदृश बहूंगी मैं। सदैव गतिमान्, बिना थके साथ चलूँगी मैं। चंचलता और ठंडक की उदाहरण बनूँगी मैं। सीमाओं को तोड़ती हुई, अंततः सागर में... Hindi · कविता 5 2 349 Share Manisha Manjari 23 Apr 2022 · 1 min read मौन में गूंजते शब्द शब्दों की कमी तो हमेशा रही, उनके व्यक्तित्त्व में, पर भावनाओं की बारिश सदैव होती रही उस घर में। कठोर आवरण तो ज़रूर था, उस वातावरण में, परंतु करवाहट ना... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 11 12 604 Share Manisha Manjari 20 Apr 2022 · 1 min read सार्थक शब्दों के निरर्थक अर्थ सार्थक शब्दों के अर्थ निरर्थक हो जाते हैं, कर्म की प्रतिबद्धता के बिना, जब वो थिरक जाते हैं। रास्तों के बिना मंजिल अज़नबी बन के आते हैं, नये आगजों में... Hindi · कविता 4 5 440 Share Manisha Manjari 16 Apr 2022 · 1 min read पिता आँखों में कुछ स्वप्न सजाए, चल पड़ा वो नई राहों में, ख्वाहिश थी एक कली खिले और महके उसके आँगन में। हवाओं ने चुगली कर डाली, कह डाला ईश्वर के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 15 14 591 Share Manisha Manjari 14 Apr 2022 · 1 min read समय के पंखों में कितनी विचित्रता समायी है। समय के पंखों में कितनी विचित्रता समायी है। अजनबी रास्तों पर चलकर समझा, इनमें कितनी कठिनाई है। तारों के निकलने से पहले, गोधूलि शाम की बारी आई है। और सुबहों... Hindi · कविता 2 1 515 Share Manisha Manjari 10 Apr 2022 · 1 min read राम के जन्म का उत्सव राम के जन्म का उत्सव मनायेंगे, जाने कब ये राम को हृदय में बसायेंगे। वो तो अपनो से छले गये थे, परंतु ये उनके नाम पे जग को छल जायेंगे।... Hindi · कविता 1 491 Share Manisha Manjari 5 Apr 2022 · 1 min read उन्हें आज वृद्धाश्रम छोड़ आये क्षणभंगुर् सी ये जिंदगी अपनी, नित्य नवीन चलचित्र दिखाये। कल सोये थे जिस आँचल में, उसे आज वृद्धाश्रम छोड़ आये। नये कोपलों के खिलने पे, एक वक्त जो थे मुस्कुराये।... Hindi · कविता 2 5 709 Share Manisha Manjari 4 Apr 2022 · 1 min read सम्मान की निर्वस्त्रता युग परिवर्तित हो चला, पर कुंठा अभी भी वही सताये। सत्य पराजित हो रहा, और असत्य सर्वत्र जीतता जाये। प्रकाशित हो रहा जग सारा, पर अंधेरे से कोई निकल ना... Hindi · कविता 3 2 429 Share Manisha Manjari 3 Apr 2022 · 1 min read जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है। जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है, इक चेहरे को अपने साथ ले आती है। अंधेरी रातों में तन्हाईयाँ सी छा जाती हैं, और जागती सुबहों में परछाईयोँ को... Hindi · कविता 2 2 603 Share Manisha Manjari 1 Apr 2022 · 1 min read यादों की साजिशें कतरा कतरा कर वो यादें डराती हैं। जब भी ये हवाऐं वेग में गाती हैं, वो हंसी झंकार सी गूँज जाती है। कभी कभी ये हवाऐं ठहर सी जाती हैं,... Hindi · कविता 1 2 665 Share Manisha Manjari 30 Mar 2022 · 1 min read संदर्भों की आर कल एक मुसाफ़िर गुजरा, मेरी राह से। तोल रहा था खुद को कृष्णा के, नाम से। उत्सुक हो पूछा मैंने, विश्वास से। कैसे हुआ ऊँचा तु सृष्टि के, नाथ से।... Hindi · कविता 1 446 Share Manisha Manjari 28 Mar 2022 · 1 min read वाक्यों के मध्य का मौन वाक्यों के मध्य का मौन सुना है, कभी उसमें एक चीख़ सी मौजुद होती है। इक साधारण से दृश्य के पीछे, भी पूरी पटकथा ससंवाद लिखी होती है। बहते रक्त... Hindi · कविता 1 259 Share Manisha Manjari 28 Mar 2022 · 1 min read शवदाह शवदाह करने आया वो, घाट में ग्लानि नहीं थी, उसे अपने-आप में। बचपन बिताया था, जिसकी छाँव में उसी को जलाने, आया वो गाँव में। साँसे जुड़ी थी कभी, जिसकी... Hindi · कविता 5 2 299 Share Manisha Manjari 26 Mar 2022 · 1 min read मन की भ्रांतियाँ मन की भ्रांतियाँ टूट चुकीं अब, कहने को कुछ बचा ना था। शब्द मौन हो चुके थे ऐसे, साँसों का भी पता ना था। फूल हो तुम मेरी बगिया की,... Hindi · कविता 1 2 246 Share Manisha Manjari 21 Mar 2022 · 1 min read एक संवाद ये अक्स कुछ याद दिलाता है, बीते दिनों से संवाद कराता है। चेहरा तो वही है पर, आँखों में स्याह उतर आता है। लहरों पे बढ़ती नाव को, पीछे छूटे... Hindi · कविता 3 4 333 Share Manisha Manjari 16 Mar 2022 · 1 min read इन्तज़ार कभी मैं भी एक घर हुआ करता था, जहां किलकारियों का मधुर स्वर हुआ करता था। जहां गिरते पड़ते कदमों ने चलना सीखा था। जहां बसते के भरे डब्बों पे... Hindi · कविता 5 6 377 Share Previous Page 5