Saraswati Bajpai 231 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next Saraswati Bajpai 5 Jun 2022 · 1 min read पुन: विभूषित हो धरती माँ । सभ्यता के शिखर पर पहुंचे हुए हे मनुज पुत्रों तुम जरा देखो ठहर, तेरी पालना व शीर्ष तक ले जाने में और सुख समृद्धि के उपहार में, तेरी मां के... Hindi · कविता 2 4 730 Share Saraswati Bajpai 4 Jun 2022 · 1 min read मन सीख न पाया कितने जख्म मिले है अब तक, पर मन सहना सीख न पाया । चोट लगी जब भी अन्तस में, झर-झर ये आंसू झर आया । रे मन पगले ! अब... Hindi · कविता 5 6 402 Share Saraswati Bajpai 2 Jun 2022 · 1 min read वो एक तुम वो एक तुम ही बने, जीने की वजह मेरी, तुम्हें न भाये यदि सांसें बेज़ार लगती है । तपाया खुद को सदा जिनकी एक खुशी के लिए अफसोस उनकी हीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 327 Share Saraswati Bajpai 1 Jun 2022 · 1 min read जाने क्यों वो सहमी सी ? जाने क्यों वो सहमी सी, सिमटी सी है दीवारों में । कितने पहरे लगा दिए हैं, मन के सब गलियारों में ? शान्त बहुत शंकित सी है, न जाने किससे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 229 Share Saraswati Bajpai 31 May 2022 · 1 min read गज़ल मुस्कान उसके मन की उलझन बता रही है । गम को समेटे भीतर खुशियां जता रही है ।। कड़वाहटों के घूंट वो पी चुकी कुछ इतने । जो भी मिली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 359 Share Saraswati Bajpai 29 May 2022 · 1 min read क्या प्रात है ! क्या प्रात है, क्या प्रात है! सुहावना प्रभात है । निर्मल छटा आकाश की, शीतल सुखद सी वात है । संगीत सा घोले हवा में, विहग वृन्दों का ये कलरव... Hindi · कविता 292 Share Saraswati Bajpai 27 May 2022 · 1 min read रिश्ते कहीं मसरूफियत तेरी न बने रिश्ता ए तबाही रिश्ते भी चाहते है तवज्जो अदायगी । फुरसत में कभी बैठो बयां हाल-ए-दिल करो होगी तसब्वुर दिल में ख़ामख्वाह ताज़गी । इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 276 Share Saraswati Bajpai 23 May 2022 · 1 min read जब हम छोटे बच्चे थे । जब छोटी - छोटी बातों में हम खुशियां बहुत संजोते थे । उन्मुक्त हंसी होठों में थी आंखों में स्वप्न पिरोते थे । था नही ज्ञान ज्यादा कुछ भी पर... Hindi · कविता 4 4 490 Share Saraswati Bajpai 22 May 2022 · 1 min read मुझको ये जीवन जीना है रीते थे स्वप्न अभी तक जो आशाएं थी कुम्हलाई सी । अवधान हटा सब पथ के अब मुझको ये जीवन जीना है । कितने बसन्त निष्काम हुए जीवन रंगों से... Hindi · गीत 4 2 341 Share Saraswati Bajpai 21 May 2022 · 1 min read तन-मन की गिरह कोई तो मेरे मन की तन से सुलह करा दे। तन मन की जो गिरह है कोई उसे सुलझा दे। तन है विवश कि जग से है साम्यता जरूरी ।... Hindi · कविता 2 2 473 Share Saraswati Bajpai 15 May 2022 · 1 min read पिता पिता, मेरे सिर की छत, मन की सुरक्षित ढ़ाल हैं । उड़ान मेरे हौंसलों की, अस्तित्व की पहचान हैं । मन में जो दृढ़ता भरे मजबूत वो स्तम्भ हैं ।... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 12 25 741 Share Saraswati Bajpai 15 May 2022 · 1 min read नित हारती सरलता है। जगती के उदधि में विचारों की रज्जु से उर मदराचल सा मथता है तब अथक प्रयास से नवनीत कुछ निकलता है । सूर्य सिर पर तप रहा खार जल तन... Hindi · कविता 437 Share Saraswati Bajpai 15 Apr 2022 · 1 min read खींच तान यहां सबको ही अपने हिस्से में कुछ ज्यादा चाहिए, चाहे वो समाज हो, निज परिवार हो या हमसे जुड़े रिश्ते । ये कुछ ज्यादा की चाहत में जो खींच तान... Hindi · कविता 3 2 479 Share Saraswati Bajpai 12 Apr 2022 · 1 min read कहां जीवन है ? जीने के सब सामान जुटे पर इनमें कहीं न जीवन है । बीत रहे दिन काल चक्र संग रुका हुआ पर मेरा मन है । नहीं कोई बाधा है पथ... Hindi · कविता 1 442 Share Saraswati Bajpai 11 Apr 2022 · 1 min read राम ! तुम घट-घट वासी मुझे पता है राम कि तुम घट-घट वासी । किन्तु हमारी अल्पमति ये सहते जो एकान्त उदासी । माना तुमको पाकर मन सच्चिदानंद हो जाता है । किन्तु तुम्हें पाने... Hindi · कविता 4 2 360 Share Saraswati Bajpai 11 Apr 2022 · 1 min read राम राम हमारे जनमानस की धड़कन है । राम चरित ही निज संस्कृति का उद्गम है । राम हमारा दर्शन व आध्यात्म है । राम प्रेरणा और सकल सब ज्ञान हैं... Hindi · मुक्तक 4 4 362 Share Saraswati Bajpai 9 Apr 2022 · 1 min read नीड़ फिर सजाना है आज फिर से मन को मेरे हौंसला जुटाना है । सांसे अगर है साथ तो नीड़ फिर सजाना है । झंझावातों ने नीड़ की प्राचीर भेद डाली है । स्रोत... Hindi · कविता 3 6 334 Share Saraswati Bajpai 8 Apr 2022 · 1 min read मौन की पीड़ा अभिव्यक्तियों में कितने विराम सब लगे हैं । मन में बचा न संयम अब शील सब दहे हैं । नवोढा सी मूक भाषा कुछ बोलती नहीं है । पर मन... Hindi · कविता 1 370 Share Saraswati Bajpai 7 Apr 2022 · 1 min read खुशियों की रंगोली बरसो बाद सजी है मन में खुशियों की रंगोली । तन मन रंगे एक से रंग में आशाएं बनी हमजोली । फेंके ऐसे रंग किसी ने भीग गए सब गात... Hindi · कविता 2 2 701 Share Saraswati Bajpai 4 Apr 2022 · 1 min read ईश प्रार्थना जीवन की इस यात्रा में प्रभु प्रीत भरा मधुमास साथ हो । पूरित आशाओं के संग प्रभु जीवन का अब हर प्रभात हो । जीवन की यात्रा में प्रभुवर कितनी... Hindi · कविता 1 1k Share Saraswati Bajpai 2 Apr 2022 · 1 min read कल जब हम तुमसे मिलेंगे कल जब हम तुमसे मिलेंगे, रिक्तता जो है घिरी सब साथ लेकर आयेंगे । प्रीत भरकर रिक्तता में साथ लेकर जायेंगे । कल जब ...... ऐसा लगता दूर तुमसे होके... Hindi · कविता 1 461 Share Saraswati Bajpai 1 Apr 2022 · 1 min read यदि मेरी पीड़ा पढ़ पाती यदि मेरी पीड़ा पढ़ पाती तो निश्चय ये हाल न होता । मन जितना बेहाल अभी है उतना तो बेहाल न होता । तुमने अब तक मौन पढ़े सब झ्न... Hindi · कविता 282 Share Saraswati Bajpai 31 Mar 2022 · 1 min read तुम धूप छांव मेरे हिस्से की मेरे हिस्से की धूप तुम्हीं मेरे हिस्से की छांव भी । किन्तु मेरे इस हिस्से पर क्यों जग खेले दांव ही ? कब से तेरी राह तकी है तब जा... Hindi · गीत 396 Share Saraswati Bajpai 30 Mar 2022 · 1 min read जाने कैसी कैद जाने कैसी कैद में हूं ? कुसमय की पैठ में हूं । ज़द में मेरी अब नहीं कुछ फासलों की बैठ में हूं । जो वायु प्राणदायिनी मुझको छू न... Hindi · कविता 1 271 Share Saraswati Bajpai 29 Mar 2022 · 1 min read आज कुछ ऐसा लिखो आज कुछ ऐसा लिखो कल्पना को धार दे लेखनी को भी लगे सार्थक हो पाई मैं । गीत में जो विषय हो हर हृदय की पीर हो । शब्द सब... Hindi · कविता 1 2 323 Share Saraswati Bajpai 28 Mar 2022 · 1 min read खोलो मन की सारी गांठे खोलो मन की सारी गांठे सब मिथ्या अभिमान तजो । जब अपने ही न समझे औरों पर क्या ध्यान धरो । नहीं बदल सकते तुम सबको इसीलिए खुद को बदलो... Hindi · कविता 2 715 Share Saraswati Bajpai 27 Mar 2022 · 1 min read आज तिलिस्म टूट गया.... मानो एक समय से थी मैं एक तिलिस्म के घेरे में । जहां सारी दुनिया मेरी थी आंखों में स्वप्न घनेरे थे । पूरा सा था मेरा जीवन रिश्तों में... Hindi · कविता 414 Share Saraswati Bajpai 26 Mar 2022 · 1 min read क्या अटल था? ये अटल या वो अटल था जिसका टलना मेरा कल था । यदि अटल था वो मिलन पुण्यों का संचित जो फल था, तपती मरू की रेत पर गिरता झरने... Hindi · कविता 1 2 452 Share Saraswati Bajpai 25 Mar 2022 · 1 min read हे विधाता शरण तेरी लो विधाता खोल दी मुट्ठी अब तेरे सामने । आ गए हैं पांव थककर शरण तेरी थामने । हाथ में अब कुछ न मेरे और शायद भाग्य में भी ।... Hindi · कविता 1 388 Share Saraswati Bajpai 24 Mar 2022 · 1 min read मुस्कुराहटों के मूल्य मुस्कुराए तो मूल्य चुकाने पड़ेंगे । जिए तो फिर दर्द संभालने पड़ेंगे । बाते सभी ये हमने सुनी थी । पर मन ने इतने न गहरे गहीं थी । जो... Hindi · कविता 2 2 389 Share Saraswati Bajpai 23 Mar 2022 · 1 min read मनस धरातल सरक गया है। अतल वितल को सुतल बनाते मनस धरातल सरक गया है । झूल रहा मन दसों दिशायें बिना सतह के भटक गया है। इस विचलन व स्पन्दन से मन में कितना... Hindi · कविता 279 Share Saraswati Bajpai 21 Mar 2022 · 1 min read कविता मेरा संसार है कविता मेरे हृदय की आवाज है अप्रकट भावों का प्रकट संसार है। मां की सी ममता व दुलार है पिता की सीख का आधार है। इसके साथ मैं रोती भी... Hindi · कविता 2 4 196 Share Saraswati Bajpai 20 Mar 2022 · 1 min read जीने की वजह तो दे ज़िन्दगी कुछ तो वजह छोड़ मेरे जीने की ये डोर मेरी चारों ओर से क्यों काट रही ? बड़ी जुगत से सजाया जो बाग खुशियों का क्यों इसके तरु पल्लव... Hindi · कविता 1 2 345 Share Saraswati Bajpai 19 Mar 2022 · 1 min read मैं मैं नहीं बेहतरीन बात ये मुझको पता है किन्तु मैं जैसी भी हूं सामने हूं मैं सदा । एक ही व्यक्तित्व मेरा बहुमुखी मैं हूं नहीं । मन, वचन, कर्म... Hindi · कविता 426 Share Saraswati Bajpai 19 Mar 2022 · 1 min read कन्दर्प की भेंट आज फिर कन्दर्प ने अपने अनङ्ग रूप का धरा पर विस्तार किया। सन्धि कर ऋतुराज से स्वर्ग का सौन्दर्य सब भूमि पर उतार दिया । आज सब वातावरण सोम रस... Hindi · कविता 199 Share Saraswati Bajpai 17 Mar 2022 · 1 min read होलिका की अग्नि में रोग, शोक, तमस वृत्ति सबका कर आह्वाहन मिलकर सब दह डालो होलिका की अग्नि में। कुवृत्तियों की होलिका के गोद जो प्रहलाद मन आनन्द से सराबोर हो सुवृत्तियों की सृष्टि... Hindi · कविता 1 244 Share Saraswati Bajpai 15 Mar 2022 · 1 min read निज कर्मों से सौभाग्य गढें खुद के भीतर मत सिमटो तुम मन को दो विस्तृत सीमाएँ । चिन्तन को आकाश दो ऊँचा जहां क्षुद्रता न टकराए । भावों का जो उदधि मचलता उस पर बांधो... Hindi · कविता 1 216 Share Saraswati Bajpai 14 Mar 2022 · 1 min read क्या ये एक प्रवास था ? आज फिर से लौट आये हम जहां से थे चले । क्या ये एक प्रवास था भाग्य से था जो मिला ? लग रहा मुझको कुछ ऐसा स्वप्न सा टूटा... Hindi · कविता 416 Share Saraswati Bajpai 14 Mar 2022 · 1 min read हूक निरंतर दुष्चिंताओं मे घिरे हुए मस्तिष्क में, दुष्चक्र तुम्हें छीन न ले, ये बात कौंध जाती है। जड़वत हो जाता सब सिहरन सी छा जाती है। इक हूक सी उठती... Hindi · कविता 455 Share Saraswati Bajpai 12 Mar 2022 · 1 min read कुछ नया इतिहास लिख दो मनाओ जश्न जीत का किन्तु याद रखना । शीर्ष पर ठहरने का संयम जरूरी गहना । उत्कर्ष है उत्सव भी है कर जाने का कुछ जोश है । पर संतुलन... Hindi · कविता 2 245 Share Saraswati Bajpai 11 Mar 2022 · 1 min read आलम्ब सबको चाहिए बात बस कुछ ही दिनों की निष्प्राण से एक शुष्क तरु पर कोई कोयल कूजी थी । सुनकर उसकी कूज कोमल शेष था कुछ तरू में जो जल फिर पुनः... Hindi · कविता 330 Share Saraswati Bajpai 10 Mar 2022 · 1 min read मन मुझको अवमुक्त करो अब मन मुझको अवमुक्त करो अब जाना है पीड़ा के पार । कुछ तो ऐसी जुगत लगाओ खोल सकें खुशियां फिर द्वार । मेरे भीतर पलती पीड़ा स्वजनों के सुख सोख... Hindi · कविता 325 Share Saraswati Bajpai 9 Mar 2022 · 1 min read घट जाने पर क्यों भारी है ? पता नहीं क्या घट गया भीतर कुछ खाली खालीपन सा है । सिमट गई शब्दों की दुनियां मन में कुछ भारीपन सा है। समझ न आता मन का कौतुक घट... Hindi · कविता 240 Share Saraswati Bajpai 8 Mar 2022 · 1 min read मैं नारी सृष्टि का श्रृंगार हूं तन सुकोमल पुष्ट भाव सृष्टि का श्रृंगार हूं । छाया आदिशक्ति की विश्व का विस्तार हूं । जन्मती हूं जब धरा पर मृदुल सी मुस्कान से सब कुटुम्बी जन उरों... Hindi · कविता 1 4 602 Share Saraswati Bajpai 7 Mar 2022 · 1 min read एक नया प्रस्थान होगा इस तिमिर के पार फिर एक नया प्रस्थान होगा। कूच होगी निशा गहरी फिर नया विहान होगा। वितान में मन के पुनः दीप्त रवि प्रकाश होगा। संयमन निश्वास का कर... Hindi · कविता 1 238 Share Saraswati Bajpai 6 Mar 2022 · 1 min read विधना की तुम पर दृष्टि है कितनी ही चाल चले ये वक्त , आज भले ही मात दे । किन्तु सभी चालों पर उसकी, निश्चित अपनी है शै होगी। कभी अधूरे न रह जाओ इसीलिए ये... Hindi · कविता 3 437 Share Saraswati Bajpai 5 Mar 2022 · 1 min read सामञ्जस्य दायित्वों की जमीन पर जाने कितनी चाहतें, अनसुलझे स्वप्न और अहसास दफन करने पड़ते हैं । इन्हीं की नींव पर हमारा व्यक्तित्व स्थिर होता है। हमारी आत्मा को ओढ़ना पड़ता... Hindi · कविता 2 1 228 Share Saraswati Bajpai 5 Mar 2022 · 1 min read बिखरते अहसास जाने कितनी तारीखों से गुजरे तब अहसास बने । तिनके तिनके हुए जमा तब छत के आसार बने । मद्धिम सी वर्षों की लौ पर सारे अहसास पकाये थे ।... Hindi · कविता 3 2 355 Share Saraswati Bajpai 4 Mar 2022 · 1 min read मां की पाती काश तुम्हें मैं समझा पाती मां तो बस मां ही होती है । तेरे संग ही वो हंसती है तेरे संग ही वो रोती है । कभी सखी बन, बन... Hindi · कविता 2 2 266 Share Saraswati Bajpai 3 Mar 2022 · 1 min read रिश्तों के ताने बाने न जाने इस मन में कितने अनसुलझे ताने बाने है। गांठ लगी जो रिश्तों में वो सभी सिरे सुलझाने है। स्नेह तन्तु जो फिर जोड़े वो युक्ति अभी न पायी... Hindi · कविता 1 204 Share Previous Page 4 Next