Saraswati Bajpai 231 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Saraswati Bajpai 14 Nov 2022 · 1 min read ईर्ष्या कभी-कभी न चाहते हुए भी, गाहे बगाहे हमें चकमा दे, हमारे भीतर ईर्ष्या प्रवेश कर ही जाती है । यदि हम सजग है तो तुरंत इसे बाहर निकाल फेंकते है... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 4 2 383 Share Saraswati Bajpai 13 Nov 2022 · 1 min read सम्मान सम्मान, सबके प्रति आदरभाव, समतुल्य सभी का मान, हमारी भारत भूमि की संस्कृति का आधार है । हम भारतवासी प्रकृति, सूर्य, चन्द्र, वायु, जल, वृक्ष सर्व जगत के उपासक है... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · सम्मान 6 2 203 Share Saraswati Bajpai 12 Nov 2022 · 1 min read जल से सीखें गिरता हिम गिरि से झर,झर,झर किन्तु हार कर कभी न रुकता । कंकड, पत्थर सब सहता वो किन्तु मधुरता कभी न तजता । सीखो जल से जीने का ढंग कैसे... Hindi · Daily Writing Challenge · जल 6 4 456 Share Saraswati Bajpai 12 Nov 2022 · 1 min read जल जल है तो धरा है, वृक्ष है, वायु है, सब अन्न है । ये सब है तो जीव हैं सृष्टि सर्व सम्पन्न है । हमारी संस्कृति बताती जल वरुण देव... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · जल 5 1 263 Share Saraswati Bajpai 11 Nov 2022 · 1 min read कला तुम्हारी वो कलाबाजियाँ भी कमाल की थी । तुम्हारे हर खेल में, हम हक़ीकत बुन बैठे । तुम माहिर हो दिल तोड़ने की कला में बहुत । कई दफा झ्स... Hindi · Daily Writing Challenge · कला 5 2 237 Share Saraswati Bajpai 11 Nov 2022 · 1 min read कला चन्द्रकलाओं से अभिप्रेरित जग जीवन की सभी कलाएं । धर्म, अर्थ, काम, मोक्षदायिनी जीवन की ये सभी कलाएं । माया प्रेरित सब इस जग में जीवन का आधार कलाएं ।... Hindi · Daily Writing Challenge · कला 5 2 353 Share Saraswati Bajpai 10 Nov 2022 · 1 min read त्याग त्याग की पवित्र भूमि पर ही पुण्य सिद्धियों, श्रेष्ठता, सफलता की पौध फलती है । त्याग के बिना दुर्लभ है कोई भी उपलब्धि । दशरथ नंदन राम भी राज्याभिषेक त्याग... Hindi · Daily Writing Challenge · त्याग 5 2 275 Share Saraswati Bajpai 9 Nov 2022 · 1 min read आरंभ तू आदि है, आरंभ है इस सृष्टि का प्रारम्भ है । आरंभ तू नवचेतना का हर अवसान का प्रारंभ है । तुझसे ही लय है सूर्य, चन्द्र तुझसे धरा सम्पन्न... Hindi · Daily Writing Challenge · आरंभ 7 445 Share Saraswati Bajpai 8 Nov 2022 · 1 min read दिशा सूर्य उदित होता प्राची में और अस्त पश्चिम में होता। नित्य चन्द्र भी सूर्य के पथ का कर रहा अनुगमन युग-युग से । नदियाँ भी चुन एक दिशा ही कल-कल... Hindi · Daily Writing Challenge · दिशा 5 274 Share Saraswati Bajpai 7 Nov 2022 · 1 min read भूख भूख, एक छोटा सा शब्द पूरी दुनिया की गति अपने में समेटे हुए है। भूख, एक बीज है; कर्मशीलता की पौध इसी बीज से पनपती है। भूख एक अहसास है;... Hindi · Daily Writing Challenge · भूख 8 4 338 Share Saraswati Bajpai 6 Nov 2022 · 1 min read आईना तेरे मन के आईने में तेरा वजूद झलकता है । तू रोज देख इसको खुद को निखार सकता है । ******************* सब कहते है आईना झूठ नहीं बोलता; तुमने जब... Hindi · Daily Writing Challenge · आईना 5 2 348 Share Saraswati Bajpai 5 Nov 2022 · 1 min read बारिश आसमान से निरख धरा को उमड़ घुमड़ घन बरस रहे । मानो जैसे अपने घर को जल्दी आने को आतुर हैं । उनके आने की आहट पा देखो तरुवर सब... Hindi · Daily Writing Challenge · बारिश 6 2 417 Share Saraswati Bajpai 3 Nov 2022 · 1 min read तुम बूंद बंदू बरसना सब शीत ताप सहते सहते तन मन कोमलता छूट गई । टकरा टकरा आघातों से केंचुल तन मन की कठोर हुई।। तुम बूंद बूंद बरसोगे जब तब जा मुझको पा... Hindi · कविता 2 215 Share Saraswati Bajpai 24 Oct 2022 · 1 min read दीपोत्सव की शुभकामनाएं ये दीप भरे नव पुञ्ज सदा तम हरे सभी के जीवन का । धन धान्य भरे हर घर आंगन सब कलुष मिटे हो समरसता ।🙏 Hindi · कविता 4 4 315 Share Saraswati Bajpai 15 Oct 2022 · 1 min read इतना काफी है अब छोड दी ये उम्मीद कि कोई समझे हमें मैं खुद को समझती हूँ इतना काफी है ॥ अब न चाहत कि कोई मेरे संग ही चले मैं मेरे रास्ते... Hindi · शेर 5 2 218 Share Saraswati Bajpai 13 Oct 2022 · 1 min read ऐ चाँद ऐ चाँद, तू रोज रात के अंधेरों को रोशनी से भरता जरूर है । समय का चक्र तुझे भी कभी पूरा कर देता है और कभी अपूर्ण पर तू बिना... Hindi · कविता 1 421 Share Saraswati Bajpai 12 Oct 2022 · 1 min read सुख और दुःख सुख गहरी नींद, विलास, विश्राम है । दुःख वैचारिक जाग्रति अवधान है। सुख हर्ष सागर में डुबकी है । दुःख तैरना सीखने का संधान है। सुख स्वप्नों आशाओं का नीड़... Hindi · कविता 2 2 185 Share Saraswati Bajpai 5 Oct 2022 · 1 min read हे माँ जानकी ! हे माँ जानकी ! आज तुम्हारे रघुवर ने तुम्हारे साथ हुए छ्ल का प्रतिकार ले लिया । तुम्हारे प्रति प्रेम व निष्ठा का उदाहरण प्रस्तुत कर दिया। आज भयानक रात्रि... Hindi · कविता 4 2 273 Share Saraswati Bajpai 3 Oct 2022 · 1 min read वरदान दो माँ मैं तेरी चौखट खड़ी वरदान दो माॅ । गिर पडूँ न लड़खड़ा,कर थाम लो माँ । अब तेरा कर थाम ही चलना मुझे है थक गई हूँ चलकर अपने पाँव... Hindi · गीत 2 272 Share Saraswati Bajpai 27 Sep 2022 · 1 min read मौन भी क्यों गलत ? इन्सान हूँ मैं, मुझे फर्क पड़ता है जब कोई मेरी भावनाओं से पुनः पुनः खेल जाता है । या फिर स्वयं को सिद्ध करने में अनर्गल मिथ्यारोप मढ़ जाता है... Hindi · कविता 4 368 Share Saraswati Bajpai 24 Sep 2022 · 1 min read सेतु तुम आशाबन्ध सेतु हो मेरे प्राण व जीवन के मध्य । अथाह गहरी खाईं है इस सेतु के नीचे । जहाँ हलाहल विषजन्तु है, कालकूट आतुर है ग्रास को किन्तु... Hindi · कविता 6 6 241 Share Saraswati Bajpai 14 Sep 2022 · 1 min read हिन्दी हिन्दी, माँ है हमारी रग रग में रची बसी अस्तित्व, पहचान है हमारी । गर्भ से ही ये भाषा ध्वनियाँ कानों से होते हुए हृदय, मस्तिष्क में पैठ बना चुकी।... Hindi · कविता 5 2 323 Share Saraswati Bajpai 13 Sep 2022 · 1 min read उड़ान तुम्हें भरनी है यदि उड़ान हवाओं के रुख पर तो बेशक तुम उड़ो । मैं तो अपने पंखों को पुष्ट कर अपने हौंसलों से ही अपना आकाश नापूंगी । जो... Hindi 4 4 253 Share Saraswati Bajpai 11 Sep 2022 · 1 min read जरिया मेरी इस जिन्दगी में हवा, पानी, रोशनी का एकमात्र तुम जरिया हो । अब तुम्हीं सोंच लो तुम्हें इस जरिए को कैसे जारी रखना है । तुम दीपक नहीं सूर्य... Hindi · कविता 4 6 255 Share Saraswati Bajpai 9 Sep 2022 · 1 min read स्वप्न पखेरू कुछ सपने कैद थे कब से मेरे सीने में आज उन सबको रिहा कर दिया । समय की विभीषका में अनावृष्टि से शुष्क भूमि पोषणार्थ अन्न न उपजा सकी ।... Hindi 2 2 240 Share Saraswati Bajpai 7 Sep 2022 · 1 min read व्यथा ऐ नींद तू आती क्यों नही ? आँखें तरस गयीं तेरे आगोश को । यहां बाहर-भीतर सब तरफ बस शोर ही शोर है । मस्तिष्क की नसें खिंच रही हैं... Hindi · कविता 4 10 261 Share Saraswati Bajpai 6 Sep 2022 · 1 min read अनुभूति अजीब सी बेख्याली में उस रात बहुत देर बेचैनियों के शोरगुल में नींद दुबकी ही रही । थक गई जब आँख जगकर आवाज दी अनमने मन को और समझाया उसे... Hindi 3 235 Share Saraswati Bajpai 1 Sep 2022 · 1 min read सृजन की तैयारी अवरोध, प्रतिरोध, अन्तर्द्वन्द्ध की तीव्र होती लपटो के बीच बस चारों ओर धुआँ ही था जो जीवन में विष घोल रहा था । मन ईश्वर से पूँछ रहा था मेरे... Hindi · कविता 1 345 Share Saraswati Bajpai 23 Aug 2022 · 1 min read तुम्हारा मिलना तुमसे बिना मिले भी अनवरत तुमसे बातें मुसलसल है । तुम तसल्ली से सुन रहे ये एहसास भी कुछ कमाल का है । मेरे दुःखी होने पर तुम न होकर... Hindi 5 4 246 Share Saraswati Bajpai 20 Aug 2022 · 1 min read मन मोहन हे मुरली मनोहर ! कृष्ण कहो या कहो कन्हैया कोटि-कोटि तेरे नाम है। मन मोहन हे मुरली मनोहर ! तेरी अजब ही शान है। तू योगेश्वर, तू सर्वेश्वर पर ग्वालों में रमता फिरता ।... Hindi · गीत 2 2 529 Share Saraswati Bajpai 13 Aug 2022 · 1 min read समय का इम्तिहान ले रहा है इम्तिहान समय मेरे सब्र का आज सारे हौंसलों की आज़माइश है । पेशानियों पर शिकन के बल नहीं दिखे प्रेम की मेरे कुछ आज ऐसी पैमाइश है... Hindi 1 359 Share Saraswati Bajpai 13 Aug 2022 · 1 min read पत्ते टहनी से टूट कर पत्ते बड़े गुमान में हैं । कह रहे अब हम खुले आसमान में हैं । मदमस्त होके उड़ रहे सीमाओं से परे सोंचते वो व्यर्थ थे... Hindi · कविता 3 2 505 Share Saraswati Bajpai 8 Aug 2022 · 1 min read तुम्हारा शिखर मैं समझ सकती हूँ तुम्हे अपना शिखर चाहिए । किन्तु तुम जिस रास्ते से वहां पहुंचना चाहती थी, वो रास्ता आकर्षक तो था पर थोड़ा ऊपर जाकर फिर पुनः ढ़लान... Hindi · कविता 2 279 Share Saraswati Bajpai 4 Aug 2022 · 1 min read नियति से प्रतिकार लो जब कभी विचलित हो मन नैराश्यता भरने लगे, अशांत होकर मन ये फिर उत्साह जब तजने लगे, पूर्व के पुरुषार्थ से साहस स्वयं का आंकना । मन को थोड़ा शांत... Hindi · कविता 1 271 Share Saraswati Bajpai 2 Aug 2022 · 1 min read विसर्जन जो हाथ तत्पर थे सर्जन को अब तक आज वो विसर्जन के पथ पर खड़े है। थका है ये तन मन संवारते संवारते है छलनी हुए हाथ सब पथ बुहारते... Hindi · कविता 2 2 417 Share Saraswati Bajpai 28 Jul 2022 · 1 min read प्रतीक्षा के द्वार पर प्रतीक्षा के द्वार पर अपलक नयन से सजग हो खडे रहकर कितने रात दिन टांके हैं । कितनी अभीप्साओं को समझा शान्त किया । कभी थके कभी हारे धर धीर... Hindi · कविता 3 2 351 Share Saraswati Bajpai 26 Jul 2022 · 1 min read तुम स्वर बन आये हो प्राणों की बंजर बस्ती में स्वर बनकर संग आए हो । क्षुधा शान्त करने को मन की स्नेह बीज संग लाए हो । अपलक छवि निरख कर तेरी पूर्ण हुई... Hindi · कविता 4 4 329 Share Saraswati Bajpai 25 Jul 2022 · 1 min read हे शिव ! सृष्टि भरो शिवता से हे शिव! सृष्टि भरो शिवता से दृष्टि, वृत्ति सब शिवमय कर दो । हरो अपावन त्रिविध ताप सब पुण्य तपों की वृष्टि कर दो । प्रकृति करो सब उर्जित सत्... Hindi · कविता 3 417 Share Saraswati Bajpai 21 Jul 2022 · 1 min read तुम्हारे माता-पिता तुम्हारी नादानियों में,असावधानियों में, तुम्हारी छोटी-छोटी शरारतों में तुम्हारे दोस्त अवश्य साथ दे सकते है तुम्हारे भाई-बहन भी साथ आ सकते है किन्तु तुम्हारे माता-पिता,अभिभावक तुम्हारे साथ नहीं आ पाते।... Hindi · कविता 1 467 Share Saraswati Bajpai 19 Jul 2022 · 1 min read कोई ठांव मुझको चाहिए राह की दुश्वारियों को पार करते थक गई हूँ हो जहाँ कुछ शान्त मन वो ठांव मुझको चाहिए । घात पर प्रतिघात सहते हर एक शै को मात करते मात... Hindi · मुक्तक 2 290 Share Saraswati Bajpai 16 Jul 2022 · 1 min read प्रभु आशीष को मान दे माना बहुत से घात हैं हमने सहे और जाने कितने बिछड़े राह में, किन्तु जो बीता उसी की स्मृति में संग में जो हैं उन्हें भी क्यों भुलाएं ? खो... Hindi · कविता 1 495 Share Saraswati Bajpai 6 Jul 2022 · 1 min read कशमकश का दौर पता नहीं क्यों बस मन कुछ अजीब सा है, जैसे किसी असह्य भार तले दबा हो ऐसे हृदय थमा सा जा रहा है और प्राण कसमसा रहे है । कोई... Hindi 2 290 Share Saraswati Bajpai 5 Jul 2022 · 1 min read पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह तक कभी रिश्तों में मैं पूर्ण विराम सी थी मुझे पाकर अपूर्णता खो गई थी । किन्तु आज उन्ही रिश्तों में मैं पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह बन गई । जाने कितने... Hindi · कविता 281 Share Saraswati Bajpai 2 Jul 2022 · 1 min read गिरवी वर्तमान वो बहुत ही कठिन दौर था भविष्य नीलामी की कगार पर था। किंकर्तव्य थी मैं कैसे बचाऊँ इसे ? तो वर्तमान को गिरवी रख दिया । सोंचा कुछ दिन ये... Hindi · कविता 2 2 276 Share Saraswati Bajpai 26 Jun 2022 · 1 min read मां क्यों निष्ठुर? सच है ये मां बेटियों के साथ निष्ठुर सी दिखती है । क्योंकि वो अपनी बेटियों को मजबूत आधार देना चाहती है । वो नहीं चाहती कि जब समाज उन्हें... Hindi · कविता 398 Share Saraswati Bajpai 21 Jun 2022 · 1 min read कुछ ऐसे बिखरना चाहती हूँ। जब तय ही हो गया कि ज़िन्दगी बिखरनी है बिखर कर चरम पर फिर संवरना चाहती हूँ। मेरी हर पीड़ा, हर आंसू, मेंरे स्वप्न,मेरी उम्मीदें बिखरकर जिस धरा पर जा... Hindi · कविता 453 Share Saraswati Bajpai 17 Jun 2022 · 1 min read अटल विश्वास दो वैसे तो उपबन्ध कोई प्रेम में स्वीकृत नहीं किन्तु यदि देना ही हो तो अटल विश्वास दो। चहुँ ओर जब प्रतिरोध हो आक्षेप ही हो सर्वतः तब भी अडिग विश्वास... Hindi · कविता 1 2 277 Share Saraswati Bajpai 14 Jun 2022 · 1 min read मुस्कुराएं सदा मुस्कुराएं सदा क्योंकि,आज जीवन साथ है | सब कुटुम्बी संग में संग प्रेम व विश्वास है | मुस्कुराएं सदा क्योंकि,ज्ञान सामर्थ्य साथ है । किसी को स्वप्न में दुर्लभ साधन... Hindi · कविता 1 577 Share Saraswati Bajpai 10 Jun 2022 · 1 min read मैं और मांझी कितने शीत, ताप फिर वृष्टि ये आंखों को दिखलाएगी ? जाने विधना की गति आगे और कहाँ ले जाएगी ? जीवन की जलधारा में डगमग नैया डोल रही है। उद्विग्नता... Hindi · कविता 1 459 Share Saraswati Bajpai 6 Jun 2022 · 1 min read जैसा भी ये जीवन मेरा है। कभी मीठा सा, कभी खारा सा, उन्मुक्त कभी कभी कारा सा, जैसा भी ये जीवन मेरा है। लगे गैर कभी, कभी अपना सा, कभी सच्चा फिर कभी सपना सा, जैसा... Hindi · कविता 2 6 340 Share Previous Page 3 Next