Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2022 · 1 min read

मैं और मांझी

कितने शीत, ताप फिर वृष्टि
ये आंखों को दिखलाएगी ?
जाने विधना की गति आगे
और कहाँ ले जाएगी ?
जीवन की जलधारा में
डगमग नैया डोल रही है।
उद्विग्नता मांझी की,
मेरे मन को झकझोर रही है।
खुद बैठा पतवार छोड़ वो
हो निराश सब तजे प्रयास ।
मैं पकडूं पतवार हाथ जो
मुझ पर भी न है विश्वास ।
दोनों ही स्थितियों में,
कैसे नाव लगेगी पार ?
मुझे उतरना है इस पार
उसे उतरना है उस पार ।
साथ एक यह जिम्मेदारी
चाहे नाव लगे जिस पार
संग उतरना है दोनों को
हो इस पार या उस पार |
इसीलिए पतवार फेंक दी
हे प्रभु मेरे सिरजनहार !
अब चाहे इस पार लगाओ
या ले जाओ फिर उस पार।

Language: Hindi
1 Like · 399 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Saraswati Bajpai
View all
You may also like:
अमर शहीद स्वामी श्रद्धानंद
अमर शहीद स्वामी श्रद्धानंद
कवि रमेशराज
भोग कामना - अंतहीन एषणा
भोग कामना - अंतहीन एषणा
Atul "Krishn"
कांतिपति का चुनाव-रथ
कांतिपति का चुनाव-रथ
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
राम
राम
Suraj Mehra
एकदम सुलझे मेरे सुविचार..✍️🫡💯
एकदम सुलझे मेरे सुविचार..✍️🫡💯
Ms.Ankit Halke jha
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
कवि दीपक बवेजा
*आया संवत विक्रमी,आया नूतन वर्ष (कुंडलिया)*
*आया संवत विक्रमी,आया नूतन वर्ष (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तुम जा चुकी
तुम जा चुकी
Kunal Kanth
2458.पूर्णिका
2458.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बो रही हूं खाब
बो रही हूं खाब
Surinder blackpen
दीवारों की चुप्पी में राज हैं दर्द है
दीवारों की चुप्पी में राज हैं दर्द है
Sangeeta Beniwal
"We are a generation where alcohol is turned into cold drink
पूर्वार्थ
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
Shekhar Chandra Mitra
खाने पुराने
खाने पुराने
Sanjay ' शून्य'
अगर तेरी बसारत में सिर्फ एक खिलौना ये अवाम है
अगर तेरी बसारत में सिर्फ एक खिलौना ये अवाम है
'अशांत' शेखर
ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
SURYA PRAKASH SHARMA
ये सफर काटे से नहीं काटता
ये सफर काटे से नहीं काटता
The_dk_poetry
खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
Mukesh Kumar Sonkar
दोजख से वास्ता है हर इक आदमी का
दोजख से वास्ता है हर इक आदमी का
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दिनांक:- २४/५/२०२३
दिनांक:- २४/५/२०२३
संजीव शुक्ल 'सचिन'
इस तरह क्या दिन फिरेंगे....
इस तरह क्या दिन फिरेंगे....
डॉ.सीमा अग्रवाल
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
आज बहुत याद करता हूँ ।
आज बहुत याद करता हूँ ।
Nishant prakhar
छन-छन के आ रही है जो बर्गे-शजर से धूप
छन-छन के आ रही है जो बर्गे-शजर से धूप
Sarfaraz Ahmed Aasee
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
जोमाटो वाले अंकल
जोमाटो वाले अंकल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*सजा- ए – मोहब्बत *
*सजा- ए – मोहब्बत *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"संयम की रस्सी"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
Harinarayan Tanha
हृदय में धड़कन सा बस जाये मित्र वही है
हृदय में धड़कन सा बस जाये मित्र वही है
Er. Sanjay Shrivastava
Loading...