Vindhya Prakash Mishra Language: Hindi 371 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next Vindhya Prakash Mishra 1 Nov 2017 · 1 min read चलो कुछ यूँ लिखे नवगीत बन जाए चलो कुछ यूं लिखे नवगीत बनजाए दुश्मनी मानते है जो हमसे नवप्रीत बनजाए साथ चलने की एक रीत बनजाए चलो कोशिश करे कुछ तो सुधरेगे हालात। नही बनेगा महल तो... Hindi · कविता 1 544 Share Vindhya Prakash Mishra 31 Oct 2017 · 1 min read अरुणोदय अरूणोदय की बेला आयी कली कली डाली मुस्काई ओस विन्दु मिट गए धरा के प्रातःकाल सुखद सुहाई काली रात दूर है दुख सी फिर सुख सी बेला आई प्राची में... Hindi · कविता 2 575 Share Vindhya Prakash Mishra 31 Oct 2017 · 1 min read दीप की प्रतिज्ञा अपनो का सहारा पाकर नया रूप ले रहा हूं हो जाय जगमग जहां मेरा खुशी से बन रहा हूं बलिदान मुझे होना है आग मे तप रहा हूं जलूंगा पहले... Hindi · कविता 1 497 Share Vindhya Prakash Mishra 30 Oct 2017 · 1 min read उनका कौन दर्द समझेगा सूखी रोटी न मिलती कभी रोज पतीली खाली है भूख नहीं छोडती मुझको हर बेरंग दिवाली है। घर कर गई गरीबी मुझमें मेरी झोली खाली है । हाल बेहाल बच्चों... Hindi · कविता 1 298 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Oct 2017 · 1 min read बेटी खुशियों का कारण है मेरी बिटिया दुख का निवारण है बिटिया घर की किलकारी बिटिया हम सबकी प्यारी है बिटिया । मा की दुलारी बिटिया सबसे ही न्यारी है बिटिया... Hindi · कविता 2 599 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Oct 2017 · 1 min read दीप खुशी से जगमग हो जीवन दीप पंक्तियां दमके चमके स्निग्ध तेल हो मन मे सबके दयाभाव हो हममे सब मे जगमग करदे नगर डगर मे दिल तक कालिमा मिटा दे... Hindi · कविता 628 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Oct 2017 · 1 min read मुझको सच ही कहना है स्वरचित (अनुभूति) हमको तो सच ही कहना है पराभव का भाव हृदय से कोसो दूर करना है हमको तो सच ही कहना है नही जानता चाटुकारी नही किया कभी बेगारी... Hindi · कविता 203 Share Vindhya Prakash Mishra 27 Oct 2017 · 1 min read दीपक दीपक है अंधकार विनाशक दीपक प्रकाश विस्तारक दीपक शिक्षक का प्रतीक है पतंगे की गहन प्रीति है दीपक प्रेम की वर्तिका प्रतीक दीपक से है ईश वंदना रीति दीपक स्वयंतप... Hindi · कविता 482 Share Vindhya Prakash Mishra 26 Oct 2017 · 1 min read सच बोला तो बवाल हो गया आज तो कुछ कमाल हो गया सच बोला तो बवाल हो गया सभी के सामने एक सवाल हो गया सब काम की मैने वाह दूसरो को मिला कुछ मन मारकर... Hindi · कविता 267 Share Vindhya Prakash Mishra 24 Oct 2017 · 1 min read दर्द दर्द दिया तो दवा क्यो दी है जलती आग को हवा क्यो दी है बात छिपाने को कहकर सबसे बता क्यो दी है किसी को चाहते मन से सही है... Hindi · कविता 572 Share Vindhya Prakash Mishra 22 Oct 2017 · 1 min read कागज की कीमत कागज की कीमत बदली है क्या लिखा है इसी बात से किसके साथ रही है संगति कीमत होती इसी बात से जीवन का महत्व बना है मित्रो की संगति साथ... Hindi · कविता 552 Share Vindhya Prakash Mishra 20 Oct 2017 · 1 min read सुखद सबेरा सुखद सबेरा हो जीवन मे ज्ञान प्रकाश विस्तार गगन मे वासित हो परिवेश हमारा मलयज सुगंध हो पवन मे कटे अंधेरा ऩभ का सारा चमक आ रही आज चमन मे... Hindi · कविता 298 Share Vindhya Prakash Mishra 17 Oct 2017 · 1 min read दिवाली शुभ होवे घर मे हो लक्ष्मी का वास खुशियां हो सबके पास अंधेरे का हो जाए नाश दिवाली शुभ होवे। जगमग हो दीप प्रकाश मिल जाए कुछ खास महके कोने तक वास... Hindi · कविता 466 Share Vindhya Prakash Mishra 16 Oct 2017 · 1 min read एक एकता आइये एक होकर चले राह पर नफरतो को दिलो से मिटा दीजिए हम हिन्दू नही हम मुस्लिम नही एकता क्या है दुनिया को दिखा दीजिए बिष न घोलो सभी एक... Hindi · कविता 283 Share Vindhya Prakash Mishra 15 Oct 2017 · 1 min read फिर आया चुनावी त्योहार आया फिर चुनावी त्योहार, जनता को दिखाते लाली पाप, फिर वही पुरानी राग, बदल देगे सब हालात, बनाते पल पल नयी बात, दौडते है अब दिन रात, आया फिर चुनावी... Hindi · कविता 184 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Oct 2017 · 1 min read छोटा जीवन हमने छोटे जीवन मे बडे कर्म करके देखे हमने अपने आप से भी गलती पर लडकर देखे सही गलत का भेद बताया जो सबने वही बात अपना आगे पथपर चलकर... Hindi · कविता 297 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Oct 2017 · 1 min read सुख ले लेता है ब्याज हौसला हिम्मत को ताकत देता है घनी रात से गगन सुबह को देता है दर्द के बीतने का इंतजार है मुझको पता ईश्वर दुख के बाद सुख भी देता है... Hindi · कविता 336 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Oct 2017 · 1 min read बडे राज बडे ही राज रक्खे है दिलों मे दबा करके कभी कह दो बहाने से मौका पा करके कभी तो खोलिये कुछ राज की गठरी बहुत कुछ कह रही आंखे जरा... Hindi · कविता 248 Share Vindhya Prakash Mishra 11 Oct 2017 · 1 min read ठोकरे खाकर सम्भलता नही ठोकरे खाता रहा पर सम्भलता नहीं लोग कुछ भी कहे मुझको खलता नहीं । पाव ठहरे मेरे ठहरे ही रहे लाख कोशिश किया पर चलता नहीं । अभावों से पीड़ित... Hindi · कविता 524 Share Vindhya Prakash Mishra 11 Oct 2017 · 1 min read भूलना भी अच्छी बात है स्वरचित भूलने की आदत से परेशान हूं क्या करू मै भी एक इंसान हूं रख देता हू कही रखकर भूल जाता हूं फिर भी मै भुलक्कड नही कहलाता हू्ं भूलता... Hindi · कविता 288 Share Vindhya Prakash Mishra 11 Oct 2017 · 1 min read (@ करवा चौथ@) पति से खूब प्रीति बढै निशदिन इस हेतु ही व्रत ये धारति हैं । (@ करवा चौथ@) पति से खूब प्रीति बढै निशदिन इस हेतु ही व्रत ये धारति हैं । दीर्घ जीवी बनें नित सुहाग रहे ये प्रेम की दीपक बारति है। पति... Hindi · कविता 341 Share Vindhya Prakash Mishra 10 Oct 2017 · 1 min read पूनम का चाँद पूनम का चांद चांदनी विखराता मोती सदृश छिटक कर नभ भाता तारे छिपा छिपी कर टिमटिम करते शून्य गगन मे अपनी आभा से रंग भरते कौन प्रकाश देता है चंदा... Hindi · कविता 901 Share Vindhya Prakash Mishra 10 Oct 2017 · 1 min read मेरी लेखनी कुछ तो बोल मेरी लेखनी कभी क़िसी दिन चुपके से सबसे बचकरके मेरे मन की गांठे खोल मन की बातें खुलकर बोल मानव होकर जन्म लिया है अपने मन का कर्म किया है... Hindi · कविता 298 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Oct 2017 · 1 min read चलने का संकल्प मन में है ठाना चलने का संकल्प मन में है ठाना नही फर्क पड़ता किधर है जमाना । झोली मे कुछ तो लेकर के आना कई व्यंग्य शर है चले आ रहे पर उनसे... Hindi · कविता 1 1 252 Share Vindhya Prakash Mishra 1 Oct 2017 · 1 min read जूझकर हारने मे संतोष है । अपनी नाकामी छिपाने का बहाना है नही होगा मुझसे ये बुरा जमाना है । साध लो लडकर मरेगे डरकर नही बुजदिलो को नही वीरो को पूजता जमाना है। जूझकर हारने... Hindi · कविता 501 Share Vindhya Prakash Mishra 30 Sep 2017 · 1 min read दशहरा कितना ज्ञान भरा हो अंदर कितनी होवे शक्ति अपार कितनी सेना पीछे चलती कितना होवे स्वर्ण भंडार । कितनी जीत मिली हो जग मे कितना फैला हो साम्राज्य एक बात... Hindi · कविता 537 Share Vindhya Prakash Mishra 28 Sep 2017 · 1 min read नव किसलय नव किसलय स्फुटित हो चटक रही है कली कली गुंजित है हर फूल खिला है हर डाली पर अलि अलि भाष्कर आभा फैलाए खिले हुए है पुष्प डालपर महक रही... Hindi · कविता 1k Share Vindhya Prakash Mishra 28 Sep 2017 · 1 min read किसी का सदा बोलबाला कहाँ है तंगी मे काटे है जीवन सदा ही गरीबों को मिलता निवाला कहाँ है । करते क्यो अभिमान धन पर अपने किसी का सदा बोलबाला कहाँ है । बदलते गए सच... Hindi · कविता 345 Share Vindhya Prakash Mishra 25 Sep 2017 · 1 min read अब तो हमें वार करना है दुश्मन ने ललकारा है । अब तो हमें वार करना है दुश्मन ने ललकारा है । कई जवान शहीद हो गए यह आदत कायराना है । हमतो शांति के अग्र पहरुए पर अब सहन नहीं... Hindi · कविता 400 Share Vindhya Prakash Mishra 25 Sep 2017 · 1 min read अमर रहे गणतंत्र हमारा तीन लोक तक फहराये तिरंगा; मान रहा जग सारा अमर रहे गणतंत्र हमारा| सदा सजग है इसके प्रहरी; उन्नत गगन तक ध्वजा है फहरी; गणतंत्र का रखवारा अमर रहे गणतंत्र... Hindi · कविता 1 1k Share Vindhya Prakash Mishra 23 Sep 2017 · 1 min read पाक तेरा क्या होगा अंजाम क्या होगा अंजाम पाक तेरा क्या होगा अंजाम कोई तेरी औकात नही है कोई सच्ची बात नही है दंभ मे मे भरा दिन रात हो चुका आतंकी बदनाम पाक तेरा... Hindi · कविता 500 Share Vindhya Prakash Mishra 21 Sep 2017 · 1 min read सदा सुकृति ही जीवित रहती रहे सदा न नश्वर गात सदा सुकृति ही जीवित रहती रहे सदा न नश्वर गात । अभी दिखा है रंग सुनहरा अभी हुई है नूतन प्रात । जाने कब हो घटा का घेरा घेरा आ... Hindi · कविता 498 Share Vindhya Prakash Mishra 18 Sep 2017 · 1 min read शब्द वेद है शब्द कुरान् शब्द ताकत है शब्द दुआ है शब्द घातक है शब्द दवा है शब्द वेद है शब्द कुरान है शब्द बाइबिल शब्द पुरान है शब्द अल्लाह शब्द भगवान है शब्द उपदेश... Hindi · कविता 619 Share Vindhya Prakash Mishra 16 Sep 2017 · 1 min read जीवन में आया नवल बसंत जीवन मे आया नवल वसंत खुशियो की कोकिल कूंक रही हो रहा पतझड दुखो का अंत जीवन मे आया नवल वसंत गुंथी माला भ्रमर युग्म का कलियां स्मित हो हर्षायी... Hindi · कविता 530 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Sep 2017 · 1 min read हिंदी की गौरव गाथा (हिंदी दिवस पर विशेष ) हिंदी है मेरी मातृ सदृश हिंदी की गौरव गाथा है । हिंदी में लिखना भाव प्रकट हिंदी ही हमारी भाषा है । हिंदी वैज्ञानिक लिपि वाली। नहि मूक स्वरों का... Hindi · कविता 1 1k Share Vindhya Prakash Mishra 12 Sep 2017 · 1 min read संयोग मे योग करो श्रम को संयोग मे योग करो श्रम से सारा दुख पल मे हरण होगा कोशिश बस कोशिश बार बार सफलता का इस तरह वरण होगा केवल खाकर सोने वाले जीवन है मानो... Hindi · कविता 291 Share Vindhya Prakash Mishra 12 Sep 2017 · 1 min read शिक्षा का गिरता स्तर शिक्षा के गिरते स्तर मे किसका दोष निकाल रहे। देखे अब शतप्रतिशत अंक लेकर जो बेकार रहे जबतक अंको के जोड मे प्रतिस्पर्धा होगी अंक बढाने को को लोगों मे... Hindi · कविता 1 1k Share Vindhya Prakash Mishra 10 Sep 2017 · 1 min read मेरे दृगो से दूर ही रहो अश्रु विन्दु की धारा मेरे दृगो से दूर रहो हे अश्रु विन्दु की धारा पता चल चुका बाधाओ को भी थककर हारा बढ रहे कदम नित पथ पर मिल रहा इच्छित सारा कभी मिलेगा... Hindi · कविता 1 260 Share Vindhya Prakash Mishra 9 Sep 2017 · 1 min read कुछ करने की सोच है रही सोचकुछ करने की है यही सोच कुछ करने की पर परबश होकर जीता हू है यही सोच कुछ करने की पर बरबश ही स्पृहा रही सपनो को जो... Hindi · कविता 397 Share Vindhya Prakash Mishra 9 Sep 2017 · 1 min read अपने को सक्षम मान चलो कद मत देखो पद मत देखो कौशल देखो सम्बल देखो यदि समझ रहे खुद को बढचढ हिम्मत देखो गौरव देखो मानवता सज्जनता देखो। अच्छा बेहतर खुद को समझो पर किसी... Hindi · कविता 568 Share Vindhya Prakash Mishra 8 Sep 2017 · 1 min read मेरी लेखनी कुछ तो बोल मेरी लेखनी कभी क़िसी दिन चुपके से सबसे बचकरके मेरे मन की गांठे खोल मन की बातें खुलकर बोल मानव होकर जन्म लिया है अपने मन का कर्म किया है... Hindi · कविता 510 Share Vindhya Prakash Mishra 8 Sep 2017 · 1 min read प्रात की बात निराली प्रात की बात निराली बहती है हवा मतवाली खिलती कलियां हर डाली निकल रहा अंशुमाली चहकी चिडियो का दल प्राची मे दिखी है लाली प्राणवायु बहती है कलियां चुनता है... Hindi · कविता 284 Share Vindhya Prakash Mishra 7 Sep 2017 · 1 min read कह दो रात चली अब जाए कह दो रात चली अब जाए! सूरज निकला नही अभी तक अरूण तथापि गगन में छाए आहट है ये परिवर्तन की चिड़िया जोर जोर से गाए कह दो रात चली... Hindi · कविता 338 Share Vindhya Prakash Mishra 6 Sep 2017 · 1 min read तलाश मानव की तलाश मे हर नगर ढूंढता है अमरता की प्यास मे गंगाजल ढूंढता हूं ज्ञान की भूख मे गुरु शरण ढूढता हूं सफलता की आस मे हर डगर ढूंढता... Hindi · कविता 420 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Sep 2017 · 1 min read हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले है हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले है एक नही सौ सौ गुंडे पाले है बाहर से है श्वेतवसन है पर मेरे कारनामे काले है हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले... Hindi · कविता 521 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Sep 2017 · 1 min read दीपावली घने अंधेरा को काटेगे अमा निशा मे प्रकाश बांटेगे दीपो ने यह ठाना है दीपावली मनाना है नही अंधेरा राज चलेगा तम का जोर अब नही चलेगा दीप पंक्ति जलाना... Hindi · कविता 709 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Sep 2017 · 1 min read बेटियाँ बेटियां हर्ष का कारण है बेटियो से हर्षित आंगन है बेटियां जन्म जब लेती है हो जाता घर ये पावन है जब घर छोडकर विदा हुई आंखे मे आता सावन... Hindi · कविता 1 1 336 Share Vindhya Prakash Mishra 2 Sep 2017 · 1 min read शिक्षक दिवस पर अध्यापक अध्येता है बचपन संवार शिक्षा देता है सही राह सद्गगुरू बताता बच्चो का भविष्य बनाता शिक्षक सीख प्रदाता है सही राह दिखलाता है गुरु अंधकार निवारक ज्योतिर्मय जीवन का... Hindi · कविता 440 Share Vindhya Prakash Mishra 30 Aug 2017 · 1 min read मरकर भी सह रही गरीबी देख दुर्दशा दीन दुखी की जिसने जीवन साथी खोया शायद ही अन्तिम साथी था चार कांध भी न पाया शर्मसार मानवता हो गयी ईश्वर ने यह दुख ढाया साथी था... Hindi · कविता 1 1 482 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Aug 2017 · 1 min read हमको तो सच ही कहना है स्वरचित (अनुभूति) हमको तो सच ही कहना है पराभव का भाव हृदय से कोसो दूर करना है हमको तो सच ही कहना है नही जानता चाटुकारी नही किया कभी बेगारी... Hindi · कविता 544 Share Previous Page 6 Next