Santosh Shrivastava 757 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next Santosh Shrivastava 9 Jan 2020 · 1 min read अपराध मिलावट इन्सान है आज बेरहम करता मिलावट हरदम न चिंता जान की न चिंता बेज़ुबान की बच्चों के मुँह में डाल जहर बने है दुश्मन कर दूध में मिलावट बने ये... Hindi · कविता 1 1 580 Share Santosh Shrivastava 8 Jan 2020 · 1 min read शौक अच्छे हो जिन्दगी में शौक जिन्दगी में ऐसे ऐसे होना चाहिए न करें बुरा किसी का भला करना चाहिए मत बनों मोहताज किसी ऐसे शौक का जो हो जुआ और शराब घर द्वार बिक... Hindi · कविता 1 204 Share Santosh Shrivastava 8 Jan 2020 · 1 min read पढ़ाई का महत्व "पापा मैं पढ़ना चाहता हूँ " मयंक ने कहा । रामदास ने कहा : " बेटा जूतों पर पालिश करना और जूते चप्पल सुधारना अपना पुश्तैनी काम है इसी को... Hindi · लघु कथा 356 Share Santosh Shrivastava 8 Jan 2020 · 1 min read हुनर है तो जीवन आसान जिन्दगी में है हर काम हुनर पहुँचो मंजिल पर और बनों सुपर कलाकार का अभिनय कशीदाकार का सृजन हो ऐसा करें तारीफ हो नाम सब तरफ सिखता है इन्सान हुनर... Hindi · कविता 1 450 Share Santosh Shrivastava 6 Jan 2020 · 1 min read मत चलो भीड़ संग न करो कभी भीड़ का अनुसरण करो हमेशा सत्य का अनुकरण होती जब भीड़ बेकाबू होता जन धन का नाश हैं नहीँ वो देशभक्त बल्कि होते कई विध्वंसक चेहरे बेनक़ाब... Hindi · कविता 1 433 Share Santosh Shrivastava 4 Jan 2020 · 1 min read तलाशते हम तलाशते रहे ता-जिन्दगी हम अपनों को अर ठहर जाते मुकाम मिल जाता प्यार वो हमें बेपनाह कर गयी फिर ज़िंदगी मे हमको तनहा कर गयी चाहत थी उनके इश्क़ मे... Hindi · कविता 1 371 Share Santosh Shrivastava 3 Jan 2020 · 1 min read ठंड रखो मान अन्न का फल ये किसान की मेहनत का रात रात जागता खेत औ खलिहान जाहे गर्मी हो या सर्दी यूँ नहीँ लिखा प्रेमचंद ने पूस की रात खेत... Hindi · कविता 472 Share Santosh Shrivastava 2 Jan 2020 · 1 min read जीवन में नम्रता है नम्रता इन्सान का आभूषण नम्र बनों इज्जत पाओ चाहते सब अपने, अपनों का अपनापन नम्र बन पाते सब झूकता हर नम्र जगत फल लगे झूकते वृक्ष संस्कारी बच्चे झूकते... Hindi · कविता 1 221 Share Santosh Shrivastava 1 Jan 2020 · 1 min read नववर्ष संकल्प होता है एक साल तीन सो पैंसठ दिन का गुजरते हैं दिन कुछ अच्छे कुछ खराब करते हैं काम कुछ अच्छे कुछ बुरे मिलतीं हैं कुछ खुशियाँ कुछ गम बढ़ता... Hindi · कविता 1 299 Share Santosh Shrivastava 31 Dec 2019 · 1 min read इन्साफ होती नहीँ रात रात भर के लिए हमेशा रात के बाद आता है दिन जीवन में अंधेरा रहता नहीँ हमेशा अंधेरे ऊजाले का है साथ हमेशा मिले जीवन में कभी... Hindi · कविता 1 441 Share Santosh Shrivastava 30 Dec 2019 · 1 min read गुजरता वक़्त रफ्ता रफ्ता गुजर रहा है वक़्त यादें हैं कुछ खट्टी कुछ मिट्ठी कुछ खोने की कुछ पाने की कुछ देश की कुछ परदेश की कुछ समाज की कुछ परिवार की... Hindi · कविता 193 Share Santosh Shrivastava 30 Dec 2019 · 1 min read गुजरता वक़्त रफ्ता रफ्ता गुजर रहा है वक़्त यादें हैं कुछ खट्टी कुछ मिट्ठी कुछ खोने की कुछ पाने की कुछ देश की कुछ परदेश की कुछ समाज की कुछ परिवार की... Hindi · कविता 173 Share Santosh Shrivastava 30 Dec 2019 · 1 min read कन्फ्यूज़ पति (हास्य कविता ) पति बैठा दो घंटे से बिना शक्कर चाय बना पत्नी कर रही मेकअप अंदर कमरे अब वह डाले दो चम्मच शक्कर या एक अगर डाली दो तो कहेगी "एक डालनी... Hindi · कविता 531 Share Santosh Shrivastava 28 Dec 2019 · 1 min read सच्चाई जीवन की नश्वर काया नश्वर माया क्या कमाया क्या खोया है मन का यह भ्रम जाना नहीँ किसी ने यह मर्म रहते जब तलक दुनियां में मेरा तेरा करता इन्सान पहुँचता जब... Hindi · कविता 1 308 Share Santosh Shrivastava 27 Dec 2019 · 1 min read आदर बड़ों का हो परिवार में नेतृत्व बुजुर्गों का रहते हैं सुकुन से छोटे बड़े सब सदस्य मजबूत नेतृत्व देश का उन्नति विकास शांति है चहुंओर बने सहयोगी सभी नागरिक सिखायें कुशल नेतृत्व... Hindi · कविता 1 1 297 Share Santosh Shrivastava 26 Dec 2019 · 1 min read खुशनुमा मौसम रहें सब प्रसन्न घर में साथ बैठे हो बच्चे बुजुर्ग सब चलती रहें हँसी ठिठोली खाये भजिये पकौड़े जल रहीं हो अंगीठी पास मंद मंद हो गरमी मुँह में हो... Hindi · कविता 240 Share Santosh Shrivastava 25 Dec 2019 · 1 min read वंदना हर घर में हैं पूज्य तुलसी पूजन है पुण्य परिवार तुलसी बिन है शून्य हैं तुलसी औषधियों का भंडार आयुर्वेद में बसा है फायदों का संसार तुलसी की मातृ छाया... Hindi · कविता 1 367 Share Santosh Shrivastava 25 Dec 2019 · 1 min read हरे सपने यादों के आगोश में मिलन की आस में रात भर वो बैठी रही द्वारे था सीमा पर सपनों का सलोना अंधेरा ही था राज उसके सपनों का चलीं गोलियां बड़ी... Hindi · कविता 217 Share Santosh Shrivastava 24 Dec 2019 · 1 min read ठंड चुनौती पिरामिड 1 है ठंड मौसम मस्ती और गरम चाय शीत लहर तो सोओ ओड़ रजाई 2 है खेती चुनौती जूझे ठंड शीत लहर प्राकृति कहर रहे भूखा किसान स्वलिखित लेखक... Hindi · कविता 198 Share Santosh Shrivastava 24 Dec 2019 · 1 min read प्रहार बनों प्रचंड जीवन में लो हर चुनौतियों से लोहा सफलताएं चूमेंगी कदम अनेक रखो रफ्तार तेज जीवन में तभी जीत पाओगे प्रतिस्पर्धा के इस दौर में प्रखर बनो प्रचंड बनो... Hindi · कविता 439 Share Santosh Shrivastava 22 Dec 2019 · 1 min read स्वागत नव वर्ष हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है तुम सरस मधुर बन कर आओ मानवता भाईचारे का लाओ संदेशा सुखी समृद्ध हो हर नागरिक है यही कामना हमारी प्रतिष्ठा बड़े विश्व में... Hindi · कविता 1 201 Share Santosh Shrivastava 21 Dec 2019 · 1 min read छोड़ो स्वार्थ करते तारीफ सब नि:स्वार्थ सेवा की अपने अपनों से करते क्यों अपेक्षा व्यापार की करते माता पिता निस्वार्थ सेवा बच्चों की वही बुढ़ापे में ढूंढते स्वार्थ सेवा में सैनिक होते... Hindi · कविता 1 241 Share Santosh Shrivastava 20 Dec 2019 · 1 min read जीवन हो मधुरम् हो जीवन शैली सरल मधुर जीवन हो अपना मधुरम् मधुरम् बने सहायक जीवन में सब के फैले रिश्तों में मधुरस मधुरस होती हर एक की अपनी जीवन शैली सैनिक मुस्तैदी... Hindi · कविता 1 240 Share Santosh Shrivastava 17 Dec 2019 · 1 min read अच्छी नहीं अफवाहें यों ही नहीँ हो जाती घटना कोई कहीं विवाद कहीं संवाद कहीं घोटाले कहीं चौपाले कहीं अफवाहें कहीं नेट कहीं इन्टरनेट चल रहा है दुर्घटनाओं का दौर संवेदनशील है परिवेश... Hindi · कविता 1 386 Share Santosh Shrivastava 14 Dec 2019 · 1 min read बात में दम करो विरोध हर उस बात का जो नहीँ है पसंद चलो मत गलत राह पर सिद्धान्तविहिन अनुकरण गिरा देता चरित्र से हो सही तरीका विरोध का लाओ अपनी बात में... Hindi · कविता 192 Share Santosh Shrivastava 13 Dec 2019 · 1 min read है जगत के स्वामी हे जगत के पालनहार है तेरी रचना शानदार सम्पूर्ण ब्रहमांड तेरे अधीन गाऊँगा सदा तेरे गुनगान है माता पिता जगत आधार बनते बच्चों के आधार लूटाते लाड़-दुलार सम्पूर्ण है उनके... Hindi · कविता 184 Share Santosh Shrivastava 13 Dec 2019 · 1 min read बेरहम जिन्दगी उड़ रहे हो आसमां वक़्त है साथ तुम्हारे जमीं पर ही पाओगे होगा वक़्त साथ हमारे नहीं है हमें शौक उड़ने का कतर दिये जाते हैं पर परिन्दों के ले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 226 Share Santosh Shrivastava 12 Dec 2019 · 1 min read कीमत इन्सान की घटती जा रही है कीमत इन्सान की पैसा होता जा रहा है बाप इन्सान का बढते जा रहे है बे-ईमान इन्सान समाज में दरिन्दों की फौज है और इन्सानियत आज... Hindi · कविता 231 Share Santosh Shrivastava 11 Dec 2019 · 1 min read माता पिता की छाया गांव का वृक्ष देता छाया मुसाफिरों को फैलता गया शहर सिमटता गया गाँव बनने लगीं बल्डिगें बड़ी कटने लगे वृक्ष बेरहमी से छाँव को तरसने लगा इन्सान ढूंढ़ते थे छाया... Hindi · कविता 511 Share Santosh Shrivastava 11 Dec 2019 · 1 min read कहानी मूंछों की हास्य कविता छंदमुक्त कैप्टन हमिन्दर साहब को था अपनी मूंछों पर घमंड बहुत हैं नहीँ किसी की उनकी जैसी मूंछ बैठते जब स्टूल पर दूर तलक जाती उनकी मूंछे कैप्टनी... Hindi · कविता 1 258 Share Santosh Shrivastava 10 Dec 2019 · 1 min read जीवन में संतुलन है संतुलन जीवन में जरूरी कम बोलो अच्छा बोलो बना रहेगा मान समाज में तराजु सा संतुलित हो कार्य हमेशा नहीँ बिगड़ेगी बात कभी दाम्पत्य जीवन में रहे संतुलित सभी... Hindi · कविता 735 Share Santosh Shrivastava 10 Dec 2019 · 1 min read खेल किस्मत के है खेल निराले भाग्य के कहीं खुशी तो कहीं गम है नियति जन्म है तो निश्चित है मृत्यु है विधि का विधान ये है उत्पत्ति तो है अंत भी है... Hindi · कविता 1 239 Share Santosh Shrivastava 8 Dec 2019 · 2 min read दवंग बेटी " बेटी तेरी नौकरी से तो मुझे हमेशा चिंता लगी रहती है ? समय खराब है ।" रमा ने बेटी श्यामा से कहा । वह एक कम्पनी में काम करती... Hindi · लघु कथा 468 Share Santosh Shrivastava 7 Dec 2019 · 1 min read बनो सहारा जीवन सुगम बन गया जब मिला आसरा ईश का बनो सहारा जरूरमंदों के साथ उन्हें पाओगे मिलेंगी दुआएं हर कदम जीवन सफल पाओगे देते हैं माता-पिता बच्चों को खुशी खुशी... Hindi · कविता 491 Share Santosh Shrivastava 6 Dec 2019 · 1 min read जिये जिन्दगी नेक ईमान से छूए जो फूल बगीया में हाथों को सुखद एहसास हो गया छुए जो चरण बुजुर्गों के जीवन सफल हो गया की प्रार्थना देव से कामना पूरी हो गयी तपती रेत... Hindi · कविता 183 Share Santosh Shrivastava 5 Dec 2019 · 1 min read विवाह एक उत्सव आती जब परिणय की घड़ी झूम उठता मन मयूर गूंज उठती ढोल शहनाई सज जाता घर तोरण कलश विवाह है पवित्र बंधन करें सम्मान बेटी का रखे मान आये जब... Hindi · कविता 1 290 Share Santosh Shrivastava 5 Dec 2019 · 1 min read पूजा (हाइकु विधा) 1 खुश बुजुर्ग मिलता आशीर्वाद सच्ची है पूजा 2 दादी की पूजा घंटी टीका प्रसाद हैं खुश देव 3 लगाओ पेड़ फैली है हरियाली पूजा धरा की स्वलिखित लेखक संतोष... Hindi · हाइकु 333 Share Santosh Shrivastava 4 Dec 2019 · 1 min read दर्द अपनों का मत करो झूठे वादे अपनों से बड़ा दर्द होता है जब वो पूरे होते नहीँ करते हैं वादा बच्चे माता पिता से खूब पैसा कमा कर आऊंगा लौट कर विदेश... Hindi · कविता 355 Share Santosh Shrivastava 3 Dec 2019 · 1 min read व्यस्त जिन्दगी जाल है जिन्दगी का फैली है भीड़ भाड़ डर है दुर्घटनाओं का है कैसी विकटता व्यस्त है हर कोई भागती दौड़ती जिन्दगी कमाने की जद्दो-जहद भाग दौड़ मची है हर... Hindi · कविता 335 Share Santosh Shrivastava 3 Dec 2019 · 1 min read नयी उर्जा नयी उम्मीदें नयी ऊर्जा ले कर आई नव प्रभात किरण सूर्य देव का है उपहार किरणें फैला चहुंओर उजियारा हैं विटामिन डी से भरपूर किरणें उठाये लाभ हर इन्सान करो... Hindi · कविता 262 Share Santosh Shrivastava 2 Dec 2019 · 1 min read जिन्दगी का मकसद रखो जिन्दगी का मकसद देश भक्ति समाज के प्रति समर्पण और परिवार में सद्भाव सब की भलाई गरीबों की मदद अच्छी सोच बच्चों को ईमान लगन मेहनत की सीख मकसद... Hindi · कविता 407 Share Santosh Shrivastava 30 Nov 2019 · 1 min read न्याय मासूम को (समसामयिक ) न्याय मासूम को (समसामयिक ) मुझे आक्रोश है दरिन्दों पर कहाँ जाती है उनकी इन्सानियत नेक ईमान जब एक मासूम को अस्मिता को छलनी छलनी करते है वो तारीख पर... Hindi · कविता 1 185 Share Santosh Shrivastava 30 Nov 2019 · 1 min read न्याय मासूम को (समसामयिक ) न्याय मासूम को (समसामयिक ) मुझे आक्रोश है दरिन्दों पर कहाँ जाती है उनकी इन्सानियत नेक ईमान जब एक मासूम को अस्मिता को छलनी छलनी करते है वो तारीख पर... Hindi · कविता 1 179 Share Santosh Shrivastava 29 Nov 2019 · 1 min read उम्मीदें उम्मीदें भी आज बेगैरत हो गयी है दिखाती है बस सपने हो जाती है गुम जरुरत हो जब अपने भूखे को है रोटी की आस झूठन में करता तलाश आस... Hindi · कविता 347 Share Santosh Shrivastava 28 Nov 2019 · 1 min read मार मंहगाई की (हास्य व्यंग्य) आया इतवार ठंड थी सिरहन सी जरूरत थी चाय की सोचा बीवी लाती होगी चाय " लो थैला , जाओ सब्जी मंडी लाओ प्याज टमाटर भिड़ी सेव अनार चिकू संतरे... Hindi · कविता 1 408 Share Santosh Shrivastava 28 Nov 2019 · 1 min read सड़के अंतहीन अंतहीन सड़कें कहाँ आरंभ कहाँ अंत पता नहीँ आड़ी तिरछी ऊँची नीची मुकाम तलक पहुँचाती सड़कें चौराहे गुमनाम पगडंडी और गलियाँ बदनाम मिले थे किसी सड़क किनारे हम किसी दौराहे... Hindi · कविता 398 Share Santosh Shrivastava 28 Nov 2019 · 1 min read नारी जग का आधार नारी तू ही है जग का आधार कभी बेटी कभी बहन कभी माँ तो कभी पत्नी है शक्ति है तू काली है दुष्टों की संहारक लक्ष्मी है सरस्वती है जगत... Hindi · कविता 1 452 Share Santosh Shrivastava 27 Nov 2019 · 1 min read पड़ाव जिन्दगी के गुजर रही है जिन्दगी होले होले कभी रफ़्तार तो कभी धीमे धीमे कभी अपने तो कभी हुए पराये उम्र की दहलीज जिन्दगी की खत्म होती लीज है ये एक पड़ाव... Hindi · कविता 211 Share Santosh Shrivastava 26 Nov 2019 · 1 min read नादान बचपन कोमल तन निश्चल मन ऊँची उड़ान लम्बे मैदान कन्चे और गिल्ली डंडे माँ की डांट मास्साब की डंडी दोस्तों से मस्ती हर चीज सस्ती बाल दिवस की पीटी गुछिया की... Hindi · कविता 306 Share Santosh Shrivastava 26 Nov 2019 · 1 min read किस्सा कुरसी का व्यंग्य हाँ भाईसाब मैं कुरसी बेचता हूँ ये चार ही बची हैं एक , एक पैर की ये दो , तीन और ये चार पैर की भाईसाब एक पैर वाली मंहगी... Hindi · कविता 434 Share Previous Page 5 Next