डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' Language: Hindi 578 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Mar 2019 · 1 min read कविता "मैं कौन हूँ" ********* कौन हूँ मैं और क्या हूँ मैं? प्रश्न का एक जवाब हूँ मैं। (1)ईश्वर की भेजी दुनिया में कोमल, बलशाली रचना हूँ, रिश्तों की जीती परिभाषा... Hindi · कविता 1 244 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 24 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल नहीं हो बाजुओं में दम वही कायर निकलते हैं। जिन्हें परवाज़ पर हो नाज़ वो बे-पर निकलते हैं। रहे भूखे नहीं दो जून की रोटी जुटा पाए बचा ईमान को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 318 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 23 Feb 2019 · 1 min read ग़जल नज़र के तीर से घायल यहाँ हर दिल धड़कता है। बना गिरगिट जहां में आदमी फ़ितरत बदलता है। समंदर आँख में गहरा मगर है तिश्नगी बाकी बसा शैतान को घर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 309 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Feb 2019 · 3 min read कहानी *एक बार फिर* मौसम की ठंडी फुहार और क्यारी में खिले पीले फूल आज फिर मन के दरीचों से अतीत की स्मृति ताज़ा करने पर आमादा हो गए हैं। गोधूलि... Hindi · कहानी 2 322 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Feb 2019 · 2 min read कहानी *एक बार फिर* मौसम की ठंडी फुहार और क्यारी में खिले पीले फूल आज फिर मन के दरीचों से अतीत की स्मृति ताज़ा करने पर आमादा हो गए हैं। गोधूलि... Hindi · कहानी 1 287 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Feb 2019 · 1 min read मुक्तक [2/7, 12:14] rajniagrawal60: हवा ने जिस्म की खुशबू भरा संदेश पहुँचाया। अधर पर इश्क का चुंबन लिए पैगाम जब आया। शबनमी प्रीत की सौगात भेजी तब गुलाबों में- महकती वादियों... Hindi · मुक्तक 1 362 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Feb 2019 · 1 min read विरहवेदना 'चित चोर' (मत्तगयंद सवैया छंद) ************************* श्याम सखा चित चोर लियो तुम नैंनन नेह लगा दुख पाए। भोर भई मन देखत का अब माखन ,दूध, दही न सुहाए। गोकुल, गोपिन,... Hindi · कविता 268 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Feb 2019 · 2 min read एक बार फिर *एक बार फिर* मौसम की ठंडी फुहार और क्यारी में खिले पीले फूल आज फिर मन के दरीचों से अतीत की स्मृति ताज़ा करने पर आमादा हो गए हैं। गोधूलि... Hindi · कहानी 1 322 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल "रस्म-उल्फ़त" रूँठना भी है अदा उनको मनाना चाहिए। फ़ासलों को दूर कर नज़दीक आना चाहिए। मानकर अधिकार अपना की शिकायत आपसे माफ़ कर उनकी ख़ता को मुस्कुराना चाहिए। तार वीणा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 289 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल "लाज़मी है" ज़िंदगी बोझिल हुई है गुनगुनाना लाज़मी है। रिस रहे रिश्ते यहाँ मरहम बनाना लाज़मी है। गेसुओं से अब झरे शबनम नहीं रुख़सार पर मोतियों से माँग धरती की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 241 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल 'शायरी अपनी जगह' आशिकी अपनी जगह है बेकशी अपनी जगह। मुफ़लिसी अपनी जगह है बेबसी अपनी जगह। था मुकम्मल प्यार उनका बेवफ़ाई कर गए ख़त जला यादें दफ़न कीं शायरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 275 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल "सुनाता हाले दिल अपना" सुनाता हाले दिल अपना मगर सबसे छुपाना था। तुझे मालूम है ए दिल बड़ा दिलकश फ़साना था। छिड़ी है बात उल्फ़त की दबे अहसास जागे हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 281 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल "लिखूँ ए दिल बता क्या मैं" लिखूँ ए दिल बता क्या मैं बड़ा दिलकश फ़साना था। नहीं मैं भूलता उसको वही मेरा खज़ाना था। बहुत खुशियाँ मिलीं मुझको सनम मासूम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 253 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Jan 2019 · 1 min read मुक्तक मुक्तक त्रय "जश्न-ए-आज़ादी" (1) जश्न आज़ादी मनाएँ नेह वंदन भारती! देश के प्रहरी सजाएँ भाल चंदन भारती! गूँज शहनाई भरें उन्माद हिंदुस्तान में- देश के ख़ातिर समर्पित जान-तन-मन भारती! (2)... Hindi · मुक्तक 1 293 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 Jan 2019 · 1 min read कविता नाम-डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' पता-डी. 63/12 बी क.,पंचशील कॉलोनी, निअर विराट विला अपार्टमेंट, हरि सरदार की गली, महमूरगंज, वाराणसी। पिनकोड-221010 दिनांक-25.1.2019 'सिंहासन' आज लिखें इतिहास नया हम सत्ता के... Hindi · कविता 1 267 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल 'नसीहत' अजब नादान उल्फ़त ने गढ़ी अपनी कहानी है। लिखा हर हर्फ़ आँसू से ग़ज़ल ही तरजुमानी है। अभी हर ज़ख्म गहरा है यहाँ ख़ूने तमन्ना का जुनूने इश्क में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 313 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल *आप हमें भूल गए* गैर के साथ गए मेरी कमी भूल गए। जो हमें याद रहे आज वही भूल गए। घूमते आप फिरे रोज़ नई महफ़िल में दी सज़ा आपने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 262 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल 212 212 212 212 "देखते-देखते जल रहा है मकाँ देखते-देखते। मिट गया आशियाँ देखते-देखते। फ़ासले हो गए दूर हम से गए हो गया दिल धुआँ देखते-देखते। था भरोसा दगा वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 320 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल "दिलकश यौवन" 1222 1222 1222 1222 नज़ाकत शोखियों ने रूप यौवन का सँवारा है। तुम्हारी सादगी के हुस्न ने चंदा नकारा है। खिली मुस्कान अधरों पर छटा जैसे बहारों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 249 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल 212 1222 212 1222 "भूल नहीं पाते हैं" दर्द को छुपा जग से होंठ मुस्कुराते हैं। बेवफ़ा सनम हमको नींद में सताते हैं। याद जब करूँ लम्हे टूट कर बिखर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 210 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Jan 2019 · 4 min read मुक्तक आशिकों का क्या ज़माना आ गया। दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया। दे भरोसा प्यार में सौदा किया- प्यार किश्तों में चुकाना आ गया। डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' बंद मुठ्ठी... Hindi · मुक्तक 1 1 306 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Jan 2019 · 1 min read कविता *कलुषित स्पर्श* रो रही कुदरत ज़मीं पर मृत अधर भी काँपते हैं, देश की बेटी लुटी है लोग चोटें नापते हैं। लूट तन बाहें घसीटीं चींख सुन कोई न आया,... Hindi · कविता 1 622 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Jan 2019 · 1 min read कविता *कलुषित स्पर्श* रो रही कुदरत ज़मीं पर मृत अधर भी काँपते हैं, देश की बेटी लुटी है लोग चोटें नापते हैं। लूट तन बाँहें घसीटीं चींख सुन कोई न आया,... Hindi · कविता 1 2 529 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Dec 2018 · 1 min read मुक्तक प्रीत अधरों पर सजा मुस्कान बनना चाहिए। हसरतों के ख्वाब सा मेहमान बनना चाहिए। भूल कर मतभेद मजहब के जियो सब प्यार से- नेक कर्मों की सदा पहचान बनना चाहिए।... Hindi · मुक्तक 2 373 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Dec 2018 · 2 min read मुक्तक मुक्तक (1) मिला पतझड़ विरासत में हमें क्यों यार से ए दिल? मिलीं बेड़ी हिफ़ाज़त में हमें क्यों यार से ए दिल? गँवाकर दीप नैनों के किया रौशन जहाँ उसका-... Hindi · मुक्तक 1 583 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Dec 2018 · 1 min read मुक्तक मुक्तक (1) आशिकों का क्या ज़माना आ गया। दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया। दे भरोसा प्यार में सौदा किया- प्यार किश्तों में चुकाना आ गया। (2) रौद्र रूप धर नटवर... Hindi · मुक्तक 449 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 2 min read कविता "नूतन वर्ष" ********* सभी ये साल नूतन हैं सभी यादें पुरानी हैं, गुज़र जाएँ यहाँ जो पल कहें अपनी कहानी हैं। सितम हर रोज़ झेले हैं लगी हर रुत सुहानी... Hindi · कविता 3 301 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 1 min read कविता "सलामे इश्क अठरा साल" सभी ये साल सोलह हैं,सभी यादें पुरानी हैं। गुज़र जाएँ यहाँ जो पल,कहें अपनी कहानी हैं। सितम हर रोज़ झेले हैं,नहीं शिकवा शिकायत है। कहूँ क्या... Hindi · कविता 2 265 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 1 min read गीत "बेवफ़ा सनम" दिल में बसाके मुझे,हुई तू पराई रे बेवफ़ा सनम तुझसे मिली क्यों जुदाई रे? (1) वादा किया था तुमने,साथ तुम निभाओगी राह में अकेला मुझे ,छोड़के न जाओगी... Hindi · गीत 3 350 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Dec 2018 · 2 min read गीत मुखड़ा- घटा घिरी घनघोर गगन में, गीत प्रेम के गाती है। चंचल काया नर्तन करती, राग-रंग बरसाती है। अंतरा-(1) लौट शहर से जब घर आता मेला बहुत लुभाता है, लाल-हरित... Hindi · गीत 2 560 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Dec 2018 · 2 min read गीत मुखड़ा- ढोल-नगाड़े बाज रहे हैं,शाम सुहानी आई है। 'विश्व-भवन' में धूम मची है,द्वार बजी शहनाई है। अंतरा (1) पीत रंग के लहँगा-चोली धानी चूनर लहराती, कंगन, बिंदी, झुमका, पायल 'माला'... Hindi · गीत 1 269 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Nov 2018 · 1 min read ग़ज़ल 1222 1222 1222 1222 काफ़िया- आर रदीफ़- हो जाना बहुत महँगा पड़ा मुुझको सनम से प्यार हो जाना। मुहब्बत में खुला व्यापार -औ-अख़बार हो जाना। निगाहें जब मिलीं उनसे नज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 311 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Nov 2018 · 1 min read ग़ज़ल "दास्ताने इश्क" इश्क नासूर बन कर उभर जायेगा। दर्दे-ग़म आँसुओं में उतर जायेगा। दास्ताँ हाले दिल की कभी तो सुनो दर्द उठ-उठ के देखो सिहर जायेगा। आप खुदगर्ज़ निकले न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 265 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Nov 2018 · 1 min read ग़ज़ल 1222 1222 1222 1222 काफ़िया- आर रदीफ़- हो जाना बहुत महँगा पड़ा मुुझको सनम से प्यार हो जाना। मुहब्बत में खुला व्यापार -औ-अख़बार हो जाना। निगाहें जब मिलीं उनसे नज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 311 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Nov 2018 · 1 min read "माँ" "माँ" ------ बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है। तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है। तुझसे मेरा जीवन है माँ, मैं तेरी ही... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 35 794 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Nov 2018 · 1 min read कविता "माँ" ----- बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है। तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है। तुझसे मेरा जीवन है माँ, मैं तेरी ही... Hindi · कविता 3 303 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 13 Nov 2018 · 1 min read ग़ज़ल "दास्ताने इश्क" वक्त नासूर बन कर ठहर जायेगा। दर्दे-ग़म आँसुओं में उतर जायेगा। दास्ताँ हाले दिल की कभी तो सुनो दर्द उठ-उठ के देखो सिहर जायेगा। आप खुदगर्ज़ निकले न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 411 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Nov 2018 · 4 min read ग़ज़ल ग़ज़ल काफ़िया-आर रदीफ़-बिकते हैं अजब मालिक की दुनिया है यहाँ किरदार बिकते हैं। कहीं सत्ता कहीं ईमान औ व्यापार बिकते हैं। पड़ी हैं बेचनी सांसें कभी खुशियाँ नहीं देखीं निवाले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 307 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक "तिरंगे की कसम" ************** #तिरंगे की कसम खाकर महकती छोड़ आया मैं। पहन #राखी हथेली में चहकती छोड़ आया मैं। लगा #सिंदूर माथे पर दिए आँसू चला आया- कलेजा चीरती... Hindi · मुक्तक 3 1 420 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Nov 2018 · 2 min read मुक्तक मुक्तक इश्क में इश्क ने हम पर रुआब रक्खा है। हरेक सवाल का हमने जवाब रक्खा है। जुबाँ ख़ामोश है लब मुस्कुरा रहे अपने- ढहाए जुल्मो सितम का हिसाब रक्खा... Hindi · मुक्तक 2 307 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक 'बेवफाई' गैर के साथ चले राह कई भूल गए। आशिकी को न समझ पाए कभी भूल गए। है अजब इश्क जुदाई न सही जाए सनम- जो हमें याद रहे आज... Hindi · मुक्तक 2 2 385 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Nov 2018 · 1 min read ग़जल "आप गली भूल गए" --------------------------- गैर के साथ चले राह कई भूल गए। जो हमें याद रहे आज वही भूल गए। आपकी याद उदासी बनी इन आँखों की प्रेम का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 450 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक मुक्तक इश्क में इश्क ने हम पर रुआब रक्खा है। हरेक सवाल का हमने जवाब रक्खा है। जुबाँ ख़ामोश है लब मुस्कुरा रहे अपने- ढहाए जुल्मो सितम का हिसाब रक्खा... Hindi · मुक्तक 1 316 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Nov 2018 · 1 min read ग़ज़ल "आज़मा कर देखना" याद में मेरी कभी ख़ुद को भुलाकर देखना। ख़्वाब आँखों ने बुने उनको चुराकर देखना। गीत होठों के सभी क्यों आज बेगाने हुए रख भरम में आप... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 412 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक दीपावली मुक्तक नेह की बाती जले सद्भभाव की हो धारणा। जगमगाते दीप में उत्सर्ग की हो भावना। दीप माटी के जला रौशन करें हर द्वार को- द्वेष अंतस का जले... Hindi · मुक्तक 2 321 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक चला जाऊँ अगर तन्हा नहीं कोई गिला होगा। तुम्हारे रूँठ जाने का नहीं फिर सिलसिला होगा। हज़ारों महफ़िलें होंगी मगर मुझसा नहीं होगा- वफ़ा चाहूँ अगर तुमसे कहो क्या फ़ैसला... Hindi · मुक्तक 1 335 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 Nov 2018 · 1 min read कविता *बूढ़ा बरगद* ------------------- बूढ़ा बरगद ठूँठ बना अब याद करे बीता कल अपना, कहाँ खो गई भोर सुहानी बेबस मन अब देखे सपना। कभी घनी थीं शाखा मेरी बैठ परिंदे... Hindi · कविता 1 400 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 Oct 2018 · 1 min read ग़ज़ल *ज़माने बीत जाते हैं* कभी उल्फ़त निभाने में ज़माने बीत जाते हैं। कभी मिलने मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं। कभी वो दर्द देते हैं कभी नासूर बनते हैं कभी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 296 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 Oct 2018 · 1 min read मुक्तक मुक्तक जूझके हालात से कर हादसों का सामना। वज्र सा पाषाण बन कर बादलों का सामना। बुझदिलों की जीत होती है नहीं संसार में- तू बढ़ाले हर कदम कर फ़ासलों... Hindi · मुक्तक 290 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 18 Oct 2018 · 1 min read लघुकथा "अनुभव बोलता है" ------------------------ नौकरी के लिए विदेश जा रहे रौनक की तैयारी में सारा घर लगा हुआ है। माँ का वश चले तो पूरा घर रौनक के साथ कर... Hindi · लघु कथा 510 Share Previous Page 5 Next