इंसान भी कितना मूर्ख है कि अपने कर्मों का फल भोगता हुआ दुख औ
PANKAJ KUMAR TOMAR
మాయా లోకం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
क्षितिज पर उदित एक सहर तक, पाँवों को लेकर जाना है,
Manisha Manjari
चुप
Rajeev Dutta
Silent
Rajeev Dutta
एहसासे-दिल की है शिद्दत ही शायद,
Dr fauzia Naseem shad
उसकी मर्ज़ी का खेल सारा था
Dr fauzia Naseem shad
रावण जी होना चाहता हूं / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
Sex is not love, going on a date is not love
पूर्वार्थ
गर्दिशें वक़्त पर ही होती है
Dr fauzia Naseem shad
क्या गिला क्या शिकायत होगी,
श्याम सांवरा
उस रात .......
sushil sarna
देख कर ही सुकून मिलता है
Dr fauzia Naseem shad
तुझसे शिकवा नहीं, शिकायत हम क्या करते।
श्याम सांवरा
झूठ चाहें सजा के बोले कोई
Dr fauzia Naseem shad
कविता
Mahendra Narayan
जब हम निर्णय लेते हैं और हम जो अभी हैं उससे बेहतर बनने का प्
ललकार भारद्वाज
👌सांझ का दोहा👌
*प्रणय*
बाबा रामस्वरूप दास - भजन- रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
दो-दो कुल की मर्यादा हो...
आकाश महेशपुरी
जहाँ सुकून है,
लक्ष्मी सिंह
देश अपना है भारत महान
gurudeenverma198
मिसाल देते न थकता था,
श्याम सांवरा
[बाप बनने के बजाय]
*प्रणय*
बसंत
surenderpal vaidya
आगे बढ़ रही
surenderpal vaidya
दोहा सप्तक. .. . विरह
sushil sarna
कटु सत्य....
Awadhesh Kumar Singh
Zbet– nơi bạn khát khao chinh phục những đỉnh cao thắng lợi
zbetdoctor
देश की मौत ! (ग़ज़ल)
SURYA PRAKASH SHARMA
मैं एक आदर्श मित्र नहीं हूं, लेकिन मैंने महसूस किया है कि वा
पूर्वार्थ
चाँद की शुभ्र ज्योत्सना
हिमांशु Kulshrestha
"हम ख़िताबी नहीं,
*प्रणय*
मोह और रिश्तों का संतुलन
पूर्वार्थ
अजीब दौर का सच
पूर्वार्थ
" CHINA: FROM PACIFIC OCEAN TO INDIAN OCEAN "
DrLakshman Jha Parimal
श्री कृष्ण ने साफ कहा है कि
पूर्वार्थ
वो तशद्दुद इशारों से रोने लगे थे ,
Phool gufran
" स्वर्ग में पत्रकारों की सभा "
DrLakshman Jha Parimal
..
*प्रणय*
You are holding a cup of coffee when someone comes along and
पूर्वार्थ
अब तो जागो हिंदुओ
ललकार भारद्वाज
रोक दो जुल्म अब मन्दिर मस्जिद के नाम पर... ..
shabina. Naaz
हवन
Rajesh Kumar Kaurav
लिखने के लिए ज़रूरी था
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
, आंखों आंखों में
Surinder blackpen
[सब का है विकल्प]
*प्रणय*
पूर्ण सफलता वर्तमान में मौजूद है हमें स्वयं के रूपांतरण पर ध
Ravikesh Jha
तब और अब
manorath maharaj
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)