विवेक दुबे "निश्चल" Language: Hindi 178 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next विवेक दुबे "निश्चल" 26 Jun 2018 · 1 min read आज आज इंसान ग़ुम हो रहा है । इतना मज़लूम हो रहा है । खा रहे वो कसमें ईमान की , यूँ ईमान का खूं हो रहा है । ..... विवेक... Hindi · मुक्तक 466 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 Jun 2018 · 1 min read अहसास वक़्त बदलते रहे अहसास के । ज़िस्म चलते रहे संग सांस के । थमती रहीं निगाहें बार बार , कोरों में अपनी अश्क़ लाद के । रूठे रहे किनारे भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 528 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Jun 2018 · 1 min read सूखे पत्ते वो सूखे पत्ते *पलाश* के । टूटे सितारे आकाश से । खोजते रहे जमीं अपनी , कल तक जो थे साथ से । क्यों तरसती रहीं निगाहें , उजाले थे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 488 Share विवेक दुबे "निश्चल" 20 Jun 2018 · 1 min read आदमी विषय ... *बल* स्वयं को सँवारता आदमी । अन्य को बिसारता आदमी । थोथले दम्भ के बल पर , स्वयं को उभारता आदमी । आदमी को यूँ मारता आदमी ।... Hindi · मुक्तक 379 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Jun 2018 · 1 min read झड़ता रहा झड़ता रहा पत्तो सा । चलता रहा रस्तों सा । मिला नही कोई ठिकाना , अंजाम रहा किस्तों सा । वो टपका बून्द की मांनिद , अंजाम हुआ अश्कों सा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 465 Share विवेक दुबे "निश्चल" 17 Jun 2018 · 1 min read पिता खुशियाँ उसकी , हद नही बे-हद है । औलाद की खुशी पर , वो कितना गदगद है । औलाद से अपनी , उसे इतना ही मतलब है । सोचता है... Hindi · कविता 314 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 Jun 2018 · 1 min read एक चिंतन न तू भगवान है , न मैं हूँ खुदा । न तू कोई गैर है , न मैं हूँ जुदा । रच लिया इंसान ने , कर दिया जुदा ।... Hindi · कविता 277 Share विवेक दुबे "निश्चल" 14 Jun 2018 · 1 min read चल रात सिरहाने रखते है चल रात सिरहाने रखते है । उजियारों को हम तकते है । दूर गगन में झिलमिल तारे , चँदा से स्वप्न सुहाने बुनते है । सोई नही अभिलाषा अब भी... Hindi · कविता 218 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Jun 2018 · 1 min read एकाकी वो आता उषा के संग , किरण आसरा पाता । संध्या के संग हर दिन , दिनकर क्यों छुप जाता । तजकर पहर पहर सबको , वो एकाकी चलता जाता... Hindi · कविता 439 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Jun 2018 · 1 min read वो निग़ाह वो कोई अदावत नही थी । हुस्न से शिकायत नही थी । हुआ रुसवा जिस निगाह से , वो निगाह-ऐ-शरारत नही थी । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 297 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Jun 2018 · 1 min read खामोशी खामोशी ओढ़कर इजहार रहा । बे-इंतहां उसका कुछ प्यार रहा । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 261 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Jun 2018 · 1 min read छोड़ चले वो छोड़ चले वो रहो में । अलसाए उजियारो में । एक चँदा की ख़ातिर , सोए न हम रातों में । गिन गिन गुजरी रातें , याद सुहानी यादों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 412 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 May 2018 · 1 min read जीत का प्रसाद जीत का प्रसाद हो । हार का प्रतिकार हो । नभ के भाल पर , भानु सा श्रृंगार हो । नहीं जीतकर भी , जीत का विश्वास हो । तोड़कर... Hindi · कविता 390 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 May 2018 · 1 min read चाहत बसंत के मौसम में । झड़ते पतझड़ से । झरने वो निर्मल से । झरते जो निर्झर से । भाव जगे उर से । शून्य रहे नभ से । बहने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 558 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 May 2018 · 1 min read फ़ुर्सत आज वो फुर्सत में नजर आते है । खुशियों के निग़ाह रंग सजाते है । समेट कर यादें गुजरे वक़्त की , यूँ वक़्त को अपना फिर बनाते है ।... Hindi · मुक्तक 1 229 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 May 2018 · 1 min read जिंदगी तुझे ज़ज्बात लिखूँ अपने हालात लिखूँ । जिंदगी किस तरह तुझे साथ लिखूँ । डूबकर तन्हाइयों में अक्सर , खुशियों की मुलाक़त लिखूँ । जी रही जिंदगी ख़ातिर जिनके, सपनों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 472 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 May 2018 · 1 min read निग़ाह वक़्त ने वक़्त को समेटा था । नज्र पे नज्र का पहरा था । न थे राज निग़ाह में कोई , निग़ाह ने निग़ाह को घेरा था । .... विवेक... Hindi · मुक्तक 405 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 May 2018 · 1 min read अश्क़ आहों में अश्क़ आहों में सजते रहे । इंतज़ार निग़ाह थकते रहे । वादा था न आने का मुझसे , यूँ वादे से हम मुकरते रहे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 203 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 May 2018 · 1 min read अंकुर मन के कुछ अंकुर फूटे इस मन में । शब्दों के सृजन सघन वन में । सींच रहा हूँ भावों के लोचन से, भरता अंजुली शब्द नयन में । अस्तित्व हीन रहे... Hindi · कविता 330 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 May 2018 · 1 min read माँ खोकर अपने ख़्याल सारे । बस एक ख़्याल पाला था । हर वक़्त हाथ में उसके , औलाद के लिए निवाला था । रूठता जो कोई क़तरा , जिगर का... Hindi · कविता 472 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 May 2018 · 1 min read माँ तू ही निर्मल , तू ही पावन , तू ही गंगाजल , ऐसा माता तेरा आँचल। तेरे वक्षों से जो सुधा बहे, दुनियाँ उसको सौगन्ध कहे । तेरे पावन स्नेह... Hindi · कविता 256 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 May 2018 · 1 min read माँ जिंदगी उन्हें कभी हराती कैसे । साथ दुआएँ जो माँ की लेते । कदमों में उनके आकाश झुके । जिनके सर माँ के आशीष रुके । ..... विवेक दुबे"निश्चल"@.... Hindi · मुक्तक 503 Share विवेक दुबे "निश्चल" 11 May 2018 · 1 min read अपनी अपनी मर्जी अपनी अपनी मर्जी । अपना अपना मन । बदली के छा जाने से , आता नही सावन । धरती भींगे वर्षा बूंदों से , भींगे न फिर भी मन ।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 324 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 May 2018 · 1 min read ज़िस्म गुरुर रूह सख़्त मिज़ाज क्यूँ हूँ । ज़िस्म पेहरन लिवास क्यूँ हूँ । न रहेगा ज़िस्म तू साथ मेरे , तो ज़िस्म गुरुर आज क्यूँ हूँ । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · दोहा 216 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 May 2018 · 1 min read हल होगी हर मुश्किल हल होगी । आज नही तो कल होगी । चमकेगा दिनकर फिर वहां , निशा जहां ख़तम होगी । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 357 Share विवेक दुबे "निश्चल" 2 May 2018 · 1 min read वो मेरा हाल पूछ जाता है मैं नही कहता के मुझे, बहुत कुछ आता है । पर जितना भी आता है , दिल कह जाता है । छुपता नही मैं , जमाने की निग़ाह से ,... Hindi · कविता 208 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 May 2018 · 1 min read 1 मई श्रमिक दिवस *श्रमिक दिवस* अंतहीन सी जिसकी , एक कहानी है । जीवन में जिसके, फिर भी एक रवानी है । करता है अथक , परिश्रम निरन्तर , वसुधा भी जिसकी, सदा... Hindi · कविता 177 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Apr 2018 · 1 min read ख़्वाब न सजाओ ख़्वाब वफाओ के । ख़्वाब मुसाफ़िर नही सुबह के । ...विवेक दुबे"निश्चल"@.... Hindi · दोहा 431 Share विवेक दुबे "निश्चल" 14 Apr 2018 · 1 min read सुरक्षित कहाँ अब नारी वक़्त बड़ा परवान चढ़ा । बिकने को ईमान चला । देश भक्ति की कसमें खाता, चाल कुटिल शैतान चला । मर्यादाएँ लांघी अपनी सारी , हवस दरिंदा शैतान चला ।... Hindi · कविता 433 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Apr 2018 · 1 min read जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता । हाथों में मेरे भी मेरा कल होता । न हारता हालात से कभी , बदलता हर हालत होता । अँधेरे न समाते उजालों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 480 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Apr 2018 · 1 min read वक़्त बड़ा परवान चढ़ा वक़्त बड़ा परवान चढ़ा । बिकने को ईमान चला । देश भक्ति की कसमें खाता, चाल कुटिल शैतान चला । लांघ मर्यादाएँ अपनी सारी , हवस दरिंदा शैतान चला ।... Hindi · कविता 392 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Apr 2018 · 1 min read अब्र कहे किससे तू इतर नही मुझसे । क्यूँ बे-जिकर मुझसे । मैं धुँध है गुबार का , तू अब्र कहे किससे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 1 228 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Apr 2018 · 1 min read ज़ीवन मुड़ जाना है , बूंद बूंद उड़ जाना है । एक ठिकाना है, ज़ीवन आना जाना है । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · दोहा 220 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Apr 2018 · 1 min read मुक्तक तीन मुक्तक--- 1... अतृप्ति यह भावों की । संतृप्ति यह हालतों की । आदि अनादि की परिधि से, सृष्टि चलती विस्तारों की । .2.. जिव्हा शब्द से लद जाती ।... Hindi · मुक्तक 225 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 Apr 2018 · 1 min read कल नही होता आज सा न रहा वो जलवा चराग़ का । न रहा वो हुस्न शराब सा । था सिकन्दर कभी कोई , हुआ अब वो क़िताब का । डूब कर चाँद मगरिब में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 422 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Mar 2018 · 1 min read पहचान बिन चेहरों के कभी , पहचान नही होती । यह सरल बहुत जिंदगी , पर आसान नही होती । रवि बादल में छुपने से , कभी साँझ नही होती ।... Hindi · कविता 210 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Mar 2018 · 1 min read आईना हर चेहरा शहर में नक़ली निकला । एक आईना ही असली निकला । लिया सहारा जिस भी काँधे का , वो काँधा भी जख़्मी निकला । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 245 Share विवेक दुबे "निश्चल" 29 Mar 2018 · 1 min read तिनका तिनका तिनका तिनका सा बिखरता है । झोंका हवा पास से गुजरता है । सहता कौन सच के प्रहार को , सच आज नश्तर सा चुभता है । गुजार कर लहरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 252 Share विवेक दुबे "निश्चल" 28 Mar 2018 · 1 min read एक छोटा सा मुक्तक ==== जाते को , रोका किसने । आते को , टोका किसने । बहते रहे , लफ्ज़ हमारे , अश्कों को , सोखा किसने । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 211 Share विवेक दुबे "निश्चल" 28 Mar 2018 · 1 min read यादों में लौटता न यह मन कचोटता है । न यह दिल ममोसता है । चलता था जो उजालों सँग , साँझ सँग वो जीवन लौटता है । क्या पाया क्या खोया ,... Hindi · कविता 241 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Mar 2018 · 1 min read इश्क़ राह सिखाता रहा वो इश्क़ मुझे बार बार । गिरता रहा मैं इश्क़ राह बार बार । टूटता न था दिल उस संग की चोट से , होता रहा अपनी निग़ाह... Hindi · मुक्तक 201 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Mar 2018 · 1 min read खर्च का हिसाब खर्च का हिसाब न रहा । तेरा इतना इख़्तियार रहा । सम्हालता रहा लम्हा लम्हा , बे-इन्तेहाँ जो इंतज़ार रहा । ... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 222 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Mar 2018 · 1 min read विश्व रंग मंच दिवस यह जोकर सी ज़िंदगी । देखो कितनी संजीदगी । हँसती है हर दम हर दम, आँखों में छुपाकर नमी । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. विश्व रंग मंच दिवस पर Hindi · मुक्तक 192 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Mar 2018 · 1 min read ज़िंदगी जिंदगी-ऐ-हक़ीकत में हँसना है मना । ख़यालों में ही मुस्कुरा लूँ मैं जरा । यूँ ही चलते चलते हो जाएगी फ़ना , ज़िंदगी बस तेरी एक यही रज़ा । ........ Hindi · मुक्तक 223 Share विवेक दुबे "निश्चल" 26 Mar 2018 · 1 min read निश्चल क़दम ठहरा है जो अपने शांत भाव से , शांत सरोवर कुछ कमल लिए । अभिलाषाएँ कुछ कर पाने की , कुंठाएं नही न चल पाने की । सींच रहा अपने... Hindi · कविता 1 229 Share विवेक दुबे "निश्चल" 25 Mar 2018 · 1 min read राम तुम आओ फिर राम आए थे , तुम जब । नष्ट हुआ था , जब सब । राम आए थे , तुम जब । मिटे भय भृष्टाचार सब । पाप व्यभिचार, सब नष्ट... Hindi · कविता 216 Share विवेक दुबे "निश्चल" 24 Mar 2018 · 1 min read हे राम हे राम... आज फिर राम राज्य लाना होगा। लँका जला रावण नाभि सुखाना होगा । जन मानस की ख़ातिर , हे राम तुम्हे वापस आना होगा । अब रावण फैले... Hindi · कविता 389 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 Mar 2018 · 1 min read आदमीं जल स्वार्थ भरा आदमी । निग़ाह टारता आदमी । स्वार्थ पर ही सवार आदमी । चाहे खुदकी जयकार आदमी । निग़ाह से उतारता आदमी । करता नजर अंदाज आदमी ।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 430 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 Mar 2018 · 1 min read पानी भी होता पानी पानी सूखी गर्भ धरा अब ख़त्म होती रवानी । पहुँच रसातल पानी-पानी होता पानी । मोल नही रहा अब कोई रिश्तों का , दुनियाँ भी दुनियाँ को लगती बेगानी । रीत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 396 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 Mar 2018 · 1 min read जल दिवस vivekdubeyji.blogspot.com: हिमागिर पिघलता है । सागर भी उबलता है । तपता है दिनकर, धरा तन जलता है । पास नही देने उसके कुछ, बादल प्यासा ही चलता है । धरती... Hindi · कविता 235 Share Previous Page 2 Next