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12 Jun 2018 · 1 min read

एकाकी

वो आता उषा के संग ,
किरण आसरा पाता ।
संध्या के संग हर दिन ,
दिनकर क्यों छुप जाता ।

तजकर पहर पहर सबको ,
वो एकाकी चलता जाता ।
हर प्रभात का दिनकर ,
संध्या दामन ढल जाता ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@…

Language: Hindi
382 Views
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