कवि संजय कौशाम्बी Tag: ग़ज़ल/गीतिका 193 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read झूठी खबर लपेट के वीआईपी बनने के तलबगार पड़े हैं संसद भवन में देखिए सरकार पड़े हैं पेंशन मिलेगी इनको रिटायर हुए बिना कलयुग में ऐसे ऐसे भी अवतार पड़े हैं जब से ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 180 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read शीशे से पत्थर को तोड़ रहे होंगे रीति, रिवाजें, रस्में छोड़ रहे होंगे पूरब-पश्चिम बाँध के जोड़ रहें होंगे काट रहे होंगे हिमखण्डों का सीना नदियों की धाराएँ मोड़ रहे होंगे अनसुलझी जीवन की अजब पहेली में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 168 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मुश्किल से ये रंग बदलना सीखा है तुमने छोड़ा हाथ तो चलना सीखा है ठोकर खाकर आज सँभलना सीखा है चाटुकारिता की अद्भुत चिकनाई में अब जाकर के यार फिसलना सीखा है पत्थरदिल की संज्ञा दी जब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 202 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम ही बाधाओं से लड़े नहीं मंजिल मिलने को आतुर थी लक्ष्य तुम्हीं ने गढ़े नहीं जीत तुम्हारी तय थी तुम ही बाधाओं से लड़े नहीं हार मानकर बैठ गए तुम शिखरों की ऊँचाई से तत्पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 407 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लकीरें देख ले पढ़कर बड़ा गुमसुम,बड़ा तन्हा,बड़ी दहशत में बैठा हूँ चले आओ कि मैं भी आजकल फुरसत में बैठा हूँ मुझे नफ़रत भरी नजरों से ऐसे देखने वाले लकीरें देख ले पढ़कर तेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 225 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read ये ही रामराज तो नहीं राहत मिलेगी सबको मगर आज तो नहीं जनता को लूटने का ये अंदाज तो नहीं कैसी ये सिसकियाँ हैं ये कैसा है शोरगुल चिड़ियों के सर पे बैठा कोई बाज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 165 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पागल भी हो सकता था हँसते तो मन बेकल भी हो सकता था ख्वाबों से इक दलदल भी हो सकता था तुमने तो की हँसी मगर क्या मालूम है सदमें से वो पागल भी हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 184 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पढोगे नाम मेरा... पढोगे नाम मेरा तुम कभी अख़बारों में मैं भी शामिल हूँ मेरे यार गुनहगारों में क्या समय आया कि अब क़त्ल यहाँ होते हैं मंदिरों, मस्जिदों में, चर्च में, गुरुद्वारों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 201 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read रोने नहीं देती जुदा दिल से तुम्हारी याद को होने नहीं देती खुली आँखों में सपनों की फसल बोने नहीं देती मुजफ्फरपुर से आई देखकर जब मौत का मंजर पलक पर नींद बैठी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 440 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मजा आ जाए आँख मैखाना बना लो तो मजा आ जाए जाम नजरों से पिला दो तो मजा आ जाए तुम उधर मैं हूँ इधर और ये गहरा सागर नाव लहरों पे चला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 205 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मेरे ईश्वर तुम ही हो सूरज,चाँद,सितारों वाला नीला अम्बर तुम ही हो गहराई को स्वयं समेटे विस्तृत सागर तुम ही हो मधु संचित करते रहते हो पुष्प हृदय में पहले तो फिर उन पर मँडराने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 189 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read माँ जैसी थी कभी जो माँ जैसी थी कभी जो बेहतरीन बेच दी थी एक मगर करके उसको तीन बेच दी पुरखों ने अपने खून से सींचा जिसे सदा प्लाटिंग करके तुमने वो जमीन बेच... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 222 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कान्हा जो रोए कान्हा जो रोए चाँद पकड़ने को हाथ में भरकर के पानी रख दिया माँ ने परात में गोकुल में नदी दूध की गउओं ने बहा दी मक्खन चुरा के खाया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 469 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पलकें बिछा दी है बरसात की बूँदों ने फिर आग लगा दी है चाहत के च़रागों को मौसम ने हवा दी है भीगी हुई अँखियों से बारिश के महीने में टूटे हुए पत्तों ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 228 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read ना तो आया गया ना बुलाया गया इश्क़ भी इस कदर कुछ निभाया गया हर कदम पर हमें आजमाया गया ख्वाहिशें थी मिलन की मगर देखिए ना तो आया गया ना बुलाया गया जब सितम की कड़ी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 290 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read भाती है तेरी खुशबू बिन डाक आए जो वो पाती है तेरी खुशबू यादों को एक झोंका लाती है तेरी खुशबू चद्दर बदल न पाया उस रोज से मैं क्योंकी बिस्तर की सिलवटों से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 281 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read संजय' अब जुआरी हो चुका है जेहन से वो भिखारी हो चुका है अमां माहौल भारी हो चुका है खिलाफत गाँठने वालों की खातिर नया फ़रमान जारी हो चुका है सियासी लब हुए खामोश लेकिन निगाहों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 247 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मुझे बदनाम रहने दो जरा ठहरो कि राह-ए-इश्क में नाकाम रहने दो अभी जीने की हसरत है अभी गुमनाम रहने दो मुझे भी गौर से देखेंगे सारे लोग महफिल में मिरे हाथों में अपनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 412 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हम पुकारते कैसे बीच रुसवाइयों के दिन गुजारते कैसे काट ली तुमने जुबाँ हम पुकारते कैसे लोग नजरें टिकाए बैठ जो गए हम पर चाँद सा मुखड़ा तेरा फिर निहारते कैसे हर जगह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 297 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कुछ भी नया नहीं होता कब हुआ कैसे हुआ कुछ पता नहीं होता इश्क़ वो आग है जिसमें धुआँ नहीं होता राह में पलकें वही..आँख में वही आँसू यार इस काम में कुछ भी नया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 188 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read फिर कोई बेटी हँसी है क्या जो बचपन में चला करती थी वो फिर से चली है क्या वही सोंधी सी इक खुशबू हवा में फिर घुली है क्या नजारा देखते गुजरा है बचपन बारिशों वाला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 167 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read इतवार सा नहीं लगता जो भी लिखता है समाचार सा नहीं लगता अब तो अखबार भी अखबार सा नहीं लगता मीडिया हो गई खामोश बिकी है जब से कोई भी चेहरा पत्रकार सा नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 335 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कैमरे को उधर भी घुमाया करो यूँ चकाचौंध में खो न जाया करो तुम हो स्तम्भ ना लड़खड़ाया करो शौक से लीडरों के कसीदे पढ़ो किंतु कदमों में न लेट जाया करो लोग सड़कों पे उतरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 204 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कोई गीत बनाते नहीं बना सच्चाई क्या है सबको बताते नहीं बना के फर्ज मीडिया से निभाते नहीं बना छलके हुए गरीब के आँसू जमीन पर अखबार के पन्नों से उठाते नहीं बना अधिकार माँगने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read रोजी रोटी हँसी रोजी रोटी हँसी हमसे घर छीनकर आँख तो दे गई पर नजर छीनकर सुबह ठहरी नहीं रात भी चल पड़ी शाम की गोद से दोपहर छीनकर अब मैं समझा कि... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 275 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मुख में रक्खा राम.... भूख पेट में जेब में कुछ मजबूरी रक्खी जिस्म रूह के बीच हमेशा दूरी रक्खी जला हौसला तपते सूरज में फिर भी हँसने को इक शाम सदा सिंदूरी रक्खी नींबू... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 362 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लौट जाएँगे मोहब्बत का दिया दिल में जगाकर लौट जाएँगे ये अपना बोरिया-बिस्तर उठाकर लौट जाएँगे यहाँ पर कौन आया है हमेशा साथ रहने को तुम्हारे साथ बस दो पल बिताकर लौट... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 208 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दुआएँ लिपटी हैं शुष्क जज़्बात से जब आँखें भरा करती हैं रोज ख्वाबों की कोशिकाएँ मरा करती हैं मुद्दतों हमने सँभाला है धड़कनों में जिन्हें मिरी साँसें उन्हीं जख्मों को हरा करती हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 214 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read क्या-क्या नहीं किया दरबार में गुरूर के सजदा नहीं किया हमने कभी ईमान का सौदा नहीं किया परवाह थी सभी की सो ख़ामोश ही रहे ख़ामोशियाँ जो टूटी तो परवा नहीं किया उनका... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 399 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अब तक भुलाया नहीं क्यों हुई शाम दीपक जलाया नहीं क्यों मुझे तुमने अब तक भुलाया नहीं क्यों सभी आ गए तेरी महफिल में लेकिन हमीं को अभी तक बुलाया नहीं क्यों मचलते हैं अरमान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 154 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तिरे दर से गुजर के देख लिया न तो जन्नत, न जहन्नुम है मर के देख लिया यहीं पे दोनों मिले प्यार करके देख लिया हवा मतलबी है इस छोर से उस छोर तलक तिरे शहर में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 199 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दिल श्मशान होता जा रहा है ये दिल नादान होता जा रहा है खुद से अंजान होता जा रहा है जो कल तक माँगता कुर्बानियाँ था वो खुद कुर्बान होता जा रहा है बिकेगा शौक से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 201 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हवा कौन करे करूँ न मैं तो भला कौन करे इत्ते किरदार अदा कौन करे पसीने से हूँ तरबतर लेकिन लगी है आग हवा कौन करे किसी का गम अजीज हो बैठा खुशी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 195 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हर कोई बेवफा नहीं होता दिल से जो आशना नहीं होता उसको खुद का पता नहीं होता आपने की है कोई गुस्ताख़ी बेवजा वो खफ़ा नहीं होता उसने शिकवा भी किया होता गर हमको कोई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 198 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कुछ तो कमी रही होगी दिल की धड़कन भी सिसक कर थमी रही होगी हिज्र की रात बड़ी मातमी रही होगी वो इमारत जो अचानक जमीं पे लेट गई उसकी बुनियाद में शायद नमी रही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 177 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read परिंदों को रिहा कर दिया मैने वीरान दरख्तों से वफा कर दिया मैने पिंजरे से परिंदों को रिहा कर दिया मैने उस दिन से कुछ जियादा ही चर्चे शहर में हैं जिस दिन से शराफत को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 230 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जीन्स वीन्स भी पहनो लड़के छुट्टे पर लड़की पर पहरा लगता है आधी खिड़की पर ही क्यों ये परदा लगता है लाख जुबाँ हो मीठी लेकिन सच की है तासीर यही तुम कह दो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 400 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लगी हैं बंदिशें... लगी हैं बंदिशें हम पर न हँसना है न रोना है हमारे हाथ में टूटे हुए दिल का खिलौना है हथेली की लकीरों से लड़ो दिल खोलकर लेकिन हकीकत तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 200 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read चलना है मुश्किल जमीं दलदली है के चलना है मुश्किल गिरे तो समझ लो सँभलना है मुश्किल छुपा लोगे सबसे मगर उस खुदा की निगाहों से बचकर निकलना है मुश्किल मुझे मंजिलों ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 337 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम्हारी यादों के अंजुमन में... तुम्हारी यादों के अंजुमन में हमारी धड़कन मचल रही है चले भी आओ कि जान मेरी ये धीरे-धीरे निकल रही है हमारी बाँहों की कैद से तुम निकल गए जब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 462 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read याद करता है समंदर से भी ज्यादा प्यार गहरा याद करता है जमाना आज भी वो मेरा किस्सा याद करता है टहलते पार्क में गुजरा महकती शाम का हर पल तिरी आँखों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 314 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लंगर उठाना पड़ेगा भँवर में सफीने को जाना पड़ेगा कभी तो ये लंगर उठाना पड़ेगा तन्हा जा रहा हूँ मगर याद रखना तुम्हें भी मिरे बाद आना पड़ेगा मुहब्बत है मंजिल मगर रास्ते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 421 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सब पैर कट गए दुख की घड़ी में बात से अपनी पलट गए खुशियों में वही जोंक के जैसे लिपट गए दो चार मंजिलों का है माकान ये मगर छोटे से एक कमरे में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 211 Share Previous Page 4