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18 Mar 2020 · 1 min read

याद करता है

समंदर से भी ज्यादा प्यार गहरा याद करता है
जमाना आज भी वो मेरा किस्सा याद करता है

टहलते पार्क में गुजरा महकती शाम का हर पल
तिरी आँखों के दरवाजे का कजरा याद करता है

बिताकर के जहाँ बचपन चले आए हो शहरों में
बड़े से गाँव का छोटा वो मजरा याद करता है

दिखाई दे रहे हैं हर तरफ अब सूखते रिश्ते
कभी नदियाँ बहा करती थी सहरा याद करता है

जमाने को शराफत का मुखौटा ही दिखा लेकिन
मिरी आवारगी को मेरा कमरा याद करता है

झुका करते है सर केवल मुरादें पूरी करने को
इबादत कब हुई थी आज सजदा याद करता है

खुदा की मतलबी दुनिया में बोलीं हिचकियाँ ‘संजय’
तुम्हें अब भी तुम्हारा कोई अपना याद करता है

2 Likes · 310 Views
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