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18 Mar 2020 · 1 min read

परिंदों को रिहा कर दिया मैने

वीरान दरख्तों से वफा कर दिया मैने
पिंजरे से परिंदों को रिहा कर दिया मैने

उस दिन से कुछ जियादा ही चर्चे शहर में हैं
जिस दिन से शराफत को विदा कर दिया मैने

वो शख्स किसी और का हो ही नहीं सकता
हाँ फर्ज मुहब्बत का अदा कर दिया मैने

सदियों से रही रूह मिरी कैद जिस्म में
वो मिल गया तो खुद को जुदा कर दिया मैने

इस भीड़ में जब भी कोई अपना नहीं मिला
तनहाइयों से शिकवा गिला कर दिया मैने

रुसवाइयों के तीर कलेजे में डालकर
रुसवाइयों का यार भला कर दिया मैंने

बैठे जो तलबगार मिरी मौत के ‘संजय’
उनके भी हक में आज दुआ कर दिया मैने

2 Likes · 2 Comments · 224 Views
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