Rekha Drolia Language: Hindi 201 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next Rekha Drolia 26 Oct 2020 · 1 min read सुख-दुःख का खेल सुख-दुःख का खेल जीवन में सुख-दुख के मेले मिल दोनों अतरंगी खेल खेले एक दूजे को क्षण भर न सुहाये बैरी जियूं धूप संग छाँव के साये एक आए तो... Hindi · कविता 1 496 Share Rekha Drolia 25 Oct 2020 · 1 min read नव दुर्गा नवदुर्गा शैलपुत्री वृषभ सवार कर पद्म पिनाक धारिणी दिव्य चेतना का उद्भव उद्गम शिखर गिरी नंदिनी कर कमंडल कंठ माला भव्यरूपा ब्रह्माचारिणी असीम अनंत विद्यमान् गतिमान सुरवर वर्षिणी मस्तक अर्धचंद्र... Hindi · कविता 1 405 Share Rekha Drolia 23 Oct 2020 · 1 min read वीर और विरह बँधे एक डोर..वीर और विरह! मैंने तुझसे बांधी अमर प्रेम की डोर डोर अटूट बँधी तेरी देश प्रेम की ओर तुझमें लीन मैं बेसुध प्रेम पुजारन भक्ति तेरी लहराता तिरंगा... Hindi · कविता 1 275 Share Rekha Drolia 22 Oct 2020 · 1 min read मुस्कान मुस्कान बगिया के फूल धरती की धूल पक्षियों की चहचहाहट सर्दी में गर्माहट देते अद्भुत मुस्कुराहट नवजात का क्रंदन दूध से भरे स्तन शिशु का पहला क़दम तुतलाती बातें हरदम... Hindi · कविता 1 2 418 Share Rekha Drolia 21 Oct 2020 · 1 min read कली कली कच्ची कली कचनार की कंगनी ऊपर चढ़ती जाये कमसिन कोरक इठलाती कमनीय छटा बिखराये कुसुमित सुरभित शर्मीली कोख पराग कण सजाए कवच ओढ़ मलयज पवन कुसुम कली अलि भरमाए... Hindi · कविता 478 Share Rekha Drolia 20 Oct 2020 · 1 min read दीप ज्योत दीप ज्योत कह दो अंधेरों से कहीं और जा बसे यहाँ तो रोशनी का सैलाब आया है हर खिड़की चौखट पर जलता चिराग मोहब्बत का पैग़ाम लाया है नफ़रतों को... Hindi · कविता 2 387 Share Rekha Drolia 19 Oct 2020 · 1 min read बाली उमर बाली उमर बाली उमर,सरल,सजग,बेख़बर इठलाती,मचलाती बेसुध बेफ़िकर निश्छल बहती जैसे जल की धारा चंचल मतवाली मानो ढूँढे किनारा अनछुई मासूमियत,बावरा मन मुक्त छंद सा भोला अल्हड़पन पेंगे भरती उन्मुक्त गगन... Hindi · कविता 2 2 499 Share Rekha Drolia 18 Oct 2020 · 1 min read तूफ़ाँ तूफ़ाँ तिनका तिनका जोड़ा था वो उड़ गया आशियाँ ज़िंदगी को झकझोरने आ गया एक और तूफ़ाँ गरजते बादल, उमड़ता समन्दर ज़िंदगी को कर उथल पुथल कैसा प्रलय मचा गया... Hindi · कविता 2 399 Share Rekha Drolia 17 Oct 2020 · 1 min read धात्री धात्री (माँ) अग्नि जल वायु अम्बर धरा पंच तत्व की पावन काया धात्री मलय बयार सी शीतल निर्मल निर्झर स्नेह बरसाये जन्मदात्री ललाट फैली बिंदी उलझे केश कमर खोंसती आँचल... Hindi · कविता 2 2 480 Share Rekha Drolia 15 Oct 2020 · 1 min read नववधू प्रभा नववधू प्रभा विस्तृत नभ ने प्रात पट खोले स्वर्णिम आभा चहूँ ओर छायी पूरब उदित रश्मिरथी प्रभाकर नववधू प्रभा ने उठ ली अंगड़ाई खोल अलसित नयनों के द्वार कनक रश्मि... Hindi · कविता 2 255 Share Rekha Drolia 13 Oct 2020 · 1 min read चेहरा चेहरा दुनिया की दुकान में चेहरों का है नुमाइना कौन सा है असली चेहरा हैरत में है आइना चेहरे की ख़ूबसूरती कहीं चाँद सी खास कहीं उसने सादगी का ओढ़... Hindi · कविता 1 2 265 Share Rekha Drolia 12 Oct 2020 · 1 min read तुम मेरे कौन तुम मेरे कौन क्यूँ पुछते तुम मेरे कौन द्रिगु बोलते तो क्या मैं मौन हृदय कब पूछता धड़कन से क्या बादल पूछते पवन से ज्योति से कब पूछता दीप क्या... Hindi · कविता 2 2 302 Share Rekha Drolia 11 Oct 2020 · 1 min read जीवन सत्य जीवन सत्य मन भटका सोच भटकी इरादे भटके नियत भटकी भटक गया इस संसार में सही या ग़लत के मझधार में ढूँढ रहा वह तिनका जिसका ले सहारा पा जाएगा... Hindi · कविता 1 314 Share Rekha Drolia 10 Oct 2020 · 1 min read फ़रिश्ता फ़रिश्ता कौन था वो कहाँ से आया था शायद फ़रिश्ता था कोई चीर चीरा निर्मम दरिंदों ने जब लाज की चादर से दामन ढक गया देह को चुभती जग की... Hindi · कविता 2 231 Share Rekha Drolia 9 Oct 2020 · 1 min read मंद बयार मंद बयार मंद मंद बयार कानों में कुछ कह गई ये तुम थे या तुम्हारी याद मुझे छू गई शीतल सौरभ हवाओं की चादर लपेटे यादों की भीनी ख़ुशबू से... Hindi · कविता 2 409 Share Rekha Drolia 9 Oct 2020 · 1 min read अनमोल अनमोल 1.न बिक सकते बाज़ार न मिल सकते ख़रीदार रिश्तों का नहीं कोई तोल रिश्ते होते है अनमोल 2.रिश्तों की क़ीमत नहीं होती ये अनमोल होते है 3.सर्वथा सोच समझ... Hindi · कविता 1 2 267 Share Rekha Drolia 8 Oct 2020 · 1 min read हे कृष्ण! हे कृष्ण! सृष्टि के तुम शिल्पकार तुझमें लय है सारा संसार जीवन तुझसे,तू ही संहार शांतिदूत तू ,तू ही हुंकार तू ही कण,तू ब्रह्माण्ड अपार धरती भी तू ,तू व्योम... Hindi · कविता 2 409 Share Rekha Drolia 7 Oct 2020 · 1 min read सावन लायो संदेस सावन लायो संदेस घिर घिर आयो बदरा लायो पिया संदेस बिजुरी भी नैनन से देवत मिलन संकेत मृदु संगीत सी छन छन बरसत जल धारा टिप टिप की ताल पर... Hindi · कविता 403 Share Rekha Drolia 7 Oct 2020 · 1 min read डोर डोर 1.तू चंदा मैं चकोर दोनों बँधे प्रेम की डोर तकता रहता तेरी ओर तुम बिन मेरा कही न ठोर 2.रिश्तों की डोर होती नाज़ुक जो चटकी तो जुड़ती नहीं... Hindi · कविता 237 Share Rekha Drolia 6 Oct 2020 · 1 min read अश्रु कण अश्रु कण आँसुओं के ये लघु कण स्निग्ध करूणा के दर्पण शीतल करते अवसाद का आभास तपती साँसों के ये तरल उच्छ्वास अश्रु सागर से सिक्त होता आँचल उमड़े व्यथा... Hindi · कविता 2 529 Share Rekha Drolia 5 Oct 2020 · 1 min read दर्द का पारावार नहीं .. दर्द का पारावार नहीं.. मैं तुम और वो दोस्त यार या रिश्तेदार दर्द रिश्तों में पनपता है वरना इसका अपना वजूद कहाँ कभी मीठा सा अहसास बन तो कभी पैनी... Hindi · कविता 2 3 241 Share Rekha Drolia 4 Oct 2020 · 1 min read अभय अभय इतना भय इतना डर क्यूँ मगर? इतनी चिंता इतनी फ़िकर क्यूँ मगर? बुरा वक़्त है टल जाएगा अच्छा समय कल ज़रूर आएगा समय का पहिया कभी रुकता नहीं अच्छा... Hindi · कविता 3 2 549 Share Rekha Drolia 3 Oct 2020 · 1 min read सत्य सत्य प्रत्यक्ष है पर दिखता नहीं चीखता है पर सुनता नहीं भान है पर मान नहीं निशब्द मौन हर कहीं क्यूँ है सत्य मूक क्यों नहीं कहता दो टूक क्या... Hindi · कविता 1 2 318 Share Rekha Drolia 3 Oct 2020 · 1 min read दुलार दुलार १.तेरे दुलार की वो थपकियाँ सुकून की वह नींद अरसा हो गया चैन से सोए हुए २.माँ का प्यार पिता का दुलार संपूर्ण हो जाता मेरा संसार ३.तेरे आंगन... Hindi · कविता 2 4 215 Share Rekha Drolia 2 Oct 2020 · 1 min read असि की धार असि की धार कैसा महिसासुर जन्मा सोचे जननी झरते नीर मानव कब दानव बन गया समझी न औरत की पीड़ पर तू क्या मारेगा मुझे तू मुझसे ही तो जन्मा... Hindi · कविता 2 413 Share Rekha Drolia 2 Oct 2020 · 1 min read मन #मन १.विचलित है मन तेज़ है धड़कन सूनी डगर जीवन की अगर मगर अनिश्चित काल हर पल एक सवाल समय से हारना या जीत की सम्भावना मन ही शक्की है... Hindi · कविता 3 2 345 Share Rekha Drolia 1 Oct 2020 · 1 min read प्रियतम मेरे प्रियतम मेरे.. न तोड़ना तुम मेरा विश्वास बसे तुम मेरी हर श्वास तुम बिन भाए न भोग विलास खो बैठी सुध,विरह के उच्छ्वास कैसे काटूँ एकाकी जीवन बनवास पीड़ा का... Hindi · कविता 1 4 293 Share Rekha Drolia 30 Sep 2020 · 1 min read पशुता बार बार,हर बार,लगातार.... क्यों? पशुता ये कैसी पशुता ? कैसा भेद-भाव ? धर्म का,कर्म का रंग का,जाती का ताक़त का,हैसियत का या इंसानियत का अभाव। Hindi · कविता 2 263 Share Rekha Drolia 30 Sep 2020 · 1 min read संदली पवन संदली पवन लिपटे तन संदली पवन ज्यूँ तेरा प्रणय आलिंगन म्रियमाण सी काया अंदर जीवन चेतन स्पंदन दे भर मलय समीर का मृदु चुंबन अधर कंपित धूमिल लोचन उमड़े उर... Hindi · कविता 1 2 538 Share Rekha Drolia 29 Sep 2020 · 1 min read स्त्री स्त्री ! टूटी हूँ बिखरी हूँ सहमी हूँ सिसकी हूँ पिघली हूँ ढली हूँ कटी हूँ जली हूँ फिर भी खड़ी हूँ सम्मान पे अड़ी हूँ हक़ से जुड़ी हूँ... Hindi · कविता 2 4 268 Share Rekha Drolia 28 Sep 2020 · 1 min read बदरा बदरा इंद्र का वर जलद अम्बर करे वास अवनी की तपती साँसों का उच्छ्वास समीर यान जंच विचरे व्योम विस्तार उमड़ घुमड़ गरज बरसाए जलधार मृदु स्वप्न धरा के फूटे... Hindi · कविता 1 4 526 Share Rekha Drolia 27 Sep 2020 · 1 min read प्रतीक्षा... प्रतीक्षा... निरन्तर बिन पलकें झपकाए प्यासे नयन टकटकी लगाये पथ बुहारें जहाँ तक जाती नज़र मूक, ढूँढे तुम्हें डगर-डगर तुम कब आओगे? बेसुध अधूरा सा श्रिंगार कसकता प्राणो का हर... Hindi · कविता 3 1 291 Share Rekha Drolia 26 Sep 2020 · 1 min read निर्माण निर्माण दीपक करता उजाला सर्वस्व तू क्यों बना तल का अँधेरा खोज अपनी उम्मीद की किरण निज नियति का जगा सवेरा नर्म मिट्टी में ही अंकुर फूटते रच विश्वासों का... Hindi · कविता 233 Share Rekha Drolia 26 Sep 2020 · 1 min read तक़दीर तक़दीर १.तक़दीर मेरी तूने लिख तो डाली ऐ खुदा पर मेरा जज़्बा तो देख मैं उसे बदलने चली हूँ तक़दीर अपनी ख़ुद लिखने चली २.तक़दीर तेरी मुट्ठी में है बंद... Hindi · शेर 1 2 257 Share Rekha Drolia 25 Sep 2020 · 1 min read इस पार ... इस पार ... सूने तट पर खड़ी समेटे विरह-मिलन की वेदना उत्ताल तरंगे आंक रही मेरी निस्पंद सी चेतना उमड़ती लहरों पार बसेरा बाट जोहती बेसुध इस पार नाविक निठुर,ले... Hindi · कविता 1 2 247 Share Rekha Drolia 24 Sep 2020 · 1 min read विहग विहग (पक्षी ) उड़ान भरूं विहग सी मैं मतवाली,चंचल खो जाऊँ विस्तृत नभ के सिंदूरी अंचल मेघों का आभास,सतरंगी धनक निहारूँ बूंदों के दर्पण में निज को नित सवारूँ मृदु-स्वप्न... Hindi · कविता 222 Share Rekha Drolia 24 Sep 2020 · 1 min read साथी साथी १.जो साथ दे वो साथी फ़रहात दे वो साथी ठोकर लगे,गिर जाऊँ तो हाथ दे वो साथी २.कुछ पल नहीं ,पूरी हयात साथी मेरे,निभाना मेरा साथ ३.सच्चे साथी का... Hindi · कविता 1 547 Share Rekha Drolia 22 Sep 2020 · 1 min read अलि (भँवरा) अलि (भँवरा) मधुमास रूत कुसुमित उपवन झंकृत हर कण अलि गुंजन किलकित कलियों का मन पुलकित उन्माद भरा यौवन नव पंखुड़ियों का घूँघट बेदाग मोहे भँवरा छेड़ स्नेह मृदु राग... Hindi · कविता 1 2 531 Share Rekha Drolia 22 Sep 2020 · 1 min read मैं और तुम! मैं और तुम १.इक दूजे को ढूँढते न जाने हम कहाँ खो गए मैं,मैं रह गयी तुम,तुम रह गये २.मैं और तुम जैसे रेल की पटरी साथ तो हैं मगर... Hindi · कविता 1 360 Share Rekha Drolia 21 Sep 2020 · 1 min read संघर्ष संघर्ष संघर्ष मेरा पूर्ण कहाँ अभी पंथ है शेष बिसरा उर के नीरव क्रंदन तज सारे मोह के बंधन कंटक पथ दूँ कलियाँ बिछा मस्तक लूँ स्वाभिमान सजा घोर तिमिर... Hindi · कविता 2 242 Share Rekha Drolia 21 Sep 2020 · 1 min read अंत... अंत.. १.तू आदि-अंत,तू गीता का सार मनुष्य भी तू ,तू विष्णु अवतार २.अंत का परिणाम क्या होगा युद्ध का अंजाम क्या होगा जो देख पाते तनिक तुम जीवन संग्राम न... Hindi · कविता 2 2 455 Share Rekha Drolia 20 Sep 2020 · 1 min read ख़्वाहिशें ख़्वाहिशें ख़्वाहिशें बड़ी अजीब होती है हुज़ूर बेपरवाह, ज़िद्दी,हठ से भरपूर रोज़ चली आती है,कैसा फ़ितूर नामुमकिन उतरना इनका सूरूर नए रूप लेकर आती नित कभी बिन बुलाए कभी आमंत्रित... Hindi · कविता 1 2 330 Share Rekha Drolia 19 Sep 2020 · 1 min read कानन कानन (वन,जंगल ) जंगल वन उपवन कानन धरा सुसज्जित इन आभूषण लिपटे धरती से ज्यूँ भीगी लट धारण धरणी को हरियला पट जीव जन्तु खग विहग पक्षी पखेरू औषधी लकड़ी... Hindi · कविता 2 298 Share Rekha Drolia 18 Sep 2020 · 1 min read मन रे..तू धीरज धर! मन रे .. तू धीरज धर! क्षण, प्रति़क्षण एक आस बेताब अरमानों की प्यास सब कुछ तो है पास फिर निरंतर किसकी तलाश मन रे .. तू धीरज धर बेदाग़... Hindi · कविता 2 3 638 Share Rekha Drolia 18 Sep 2020 · 1 min read वदन शब्दों के बाण,साध के तान जो छूट गए, न लौट पाएंगे तीर कब लौटी कमान बोल बिछाते निज बिसात कटु मृदु वदन की चाल संभलकर करना चयन खा जाओगे वरना... Hindi · कविता 2 307 Share Rekha Drolia 18 Sep 2020 · 1 min read मैं.. मैं.. मैं सही तुम ग़लत ज़िंदगी हार गए इस होड़ में फ़क़त मैं बेहतर तू कम कब टूटेगा तेरा ये भ्रम मैं बड़ा तुम छोटे सोच के ये सिक्के खोटे... Hindi · कविता 2 269 Share Rekha Drolia 17 Sep 2020 · 1 min read चल पड़े .. आज की मेरी रचना समर्पित है उन प्रवासी मज़दूरों को जिनकी ज़िंदगी करोना और लाक्डाउन के बीच पिस गयी। उनकी हृदय द्रवित पीड़ा और व्यथा को मैंने शब्दों में पिरोने... Hindi · कविता 1 2 276 Share Rekha Drolia 15 Sep 2020 · 1 min read मेरी कविता ... मेरी कविता.. यूँ ही नहीं लिख दिए शब्द दो चार मेरी कविता नहीं शब्दों का व्यापार शब्दों को भावनाओं में है घोला पंक्तियों में निज हृदय को टटोला लय में... Hindi · कविता 1 7 267 Share Rekha Drolia 14 Sep 2020 · 1 min read मैं औरत हूँ मैं औरत हूँ रेशम सी मुलायम कभी मोह के धागों में लिपटी मख़मल सी नरम कभी लजायी बाहों में सिमटी पानी सी सरल कभी जिधर कहो बह जाऊँगी लहरों सी... Hindi · कविता 3 4 316 Share Rekha Drolia 14 Sep 2020 · 1 min read हिंदी दिवस #हिंदी दिवस १.हिंद की भाषा हिंदी हिंद का अभिमान हिंदी हिंद का गर्व हिंदी हिंद का सम्मान हिंदी हिंद का दिल हिंदी हिंद की जान हिंदी २.हिंदी है देश का... Hindi · कविता 3 6 274 Share Previous Page 4 Next