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21 Oct 2020 · 1 min read

कली

कली

कच्ची कली कचनार की
कंगनी ऊपर चढ़ती जाये
कमसिन कोरक इठलाती
कमनीय छटा बिखराये

कुसुमित सुरभित शर्मीली
कोख पराग कण सजाए
कवच ओढ़ मलयज पवन
कुसुम कली अलि भरमाए

कुसुमाकर में गुंचा बावरी
कंगन सी खनकती जाये
कलिका यौवन चटकाती
काटों माही खिलती जाये

कोंपल काँपती आहट पा
कुटिल माली नीडे़ आये
कोमल नन्ही अधखिली
कठोर झट तोड़ ले जाये

कामिनी कर धरा मुकुल
कुन्तल संग गई गुथाये
कुड्मल सोहे शीष ऊपर
क़िस्मत पर गर्वित इतराये

रेखा

Language: Hindi
408 Views
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