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6 Oct 2020 · 1 min read

अश्रु कण

अश्रु कण

आँसुओं के ये लघु कण
स्निग्ध करूणा के दर्पण

शीतल करते अवसाद का आभास
तपती साँसों के ये तरल उच्छ्वास

अश्रु सागर से सिक्त होता आँचल
उमड़े व्यथा वेदना, बन खारा जल

आस बन,कभी टिके द्रिग पुलिनों पर
कभी बरसे अविरल सावन झर झर

मन अनंत पुलकित,आँखें है रोती
मिश्री से घुल जाते ममता के मोती

रेखा

Language: Hindi
2 Comments · 427 Views
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