Simmy Hasan 101 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Simmy Hasan 9 Jul 2020 · 1 min read सिपाही सुनो सिपाही कुछ सुनाओ न अच्छा सा झरबेरियों पर उगी खट्टी मीठी बेरियों पर बच्चों के पत्थर और बया के घोसलों के बारे में या उस जंगल के बारे में... Hindi · कविता 9 2 540 Share Simmy Hasan 7 Jul 2020 · 1 min read टूटे पत्थर... हथौड़े का भार , यूँ तो कम नहीं.. पर कंधे पर, जिम्मेदारियों की गठरी.. भारी है , इस लोहे के बोझ से.. जिससे तोड़ पत्थर, खरीद सकती हूं चंद निवाले..... Hindi · कविता 8 2 534 Share Simmy Hasan 6 Jul 2020 · 1 min read वो एक दिन। वो एक दिन जिसके इंतज़ार में हमने हज़ार रातें रो रो काटी हैं उससे कहना कि जिसने चाहा था उस एक दिन को हज़ार रातों में हयात ए बेसबाती लाया... Hindi · कविता 10 1 293 Share Simmy Hasan 4 Jul 2020 · 1 min read अंधेरे डूबते सूरज की तरह आकाश से दूर एक छोर पर खो रही हूं या उग रहीं हूँ नहीं पता पर थकन इतनी की अब जी चाहता है बस उतार दूं... Hindi · कविता 7 5 485 Share Simmy Hasan 1 Jul 2020 · 1 min read "तारा" वो टांक रहा था बड़ी नफासत से, आहिस्ता आहिस्ता.. आसमान के आंचल में रात के अंधेरों तले चाँद सितारे छिड़क रहा था दरियाओं पर कहकशां आज़ाद कर दिए जुगनुओं के... Hindi · कविता 5 5 465 Share Simmy Hasan 30 Jun 2020 · 1 min read अंगूठा.. दोस्त बिछड़ गए थे मन में कुछ सवाल थे झिझक और डर भी ये वही दोस्त थे जो हमसे ज़्यादा हमे जानते थे हमारे दिल से लेकर ज़हन तक जिनको... Hindi · कविता 6 5 394 Share Simmy Hasan 28 Jun 2020 · 1 min read स्त्री गावँ की कच्ची सड़क पर टहलती उस वृद्धा से अनायास ही मिली थी और ठहर गयी कुछ क्षण 70 पार मृदुल स्नेह वाली जीवन के इस ठहराव पर भी जो... Hindi · कविता 7 8 565 Share Simmy Hasan 24 Jun 2020 · 1 min read सत्ता जब निरंकुश लिप्साओं के पुजारी, मानव वेश में स्वघोषित, स्वचयनित, आसीन होते हैं, एक मर्यादित स्थान पर.. गूंज उठती हैं चीत्कारें, मासूमों की क्योंकि ये भेड़िये, अपनी लिप्साओं की पूर्ति... Hindi · कविता 8 4 337 Share Simmy Hasan 20 Jun 2020 · 1 min read वो लड़कियां वो लड़कियां जो अब भी हैं पर हमारी ज़िन्दगियों में नहीं दूर हैं एक बहन होने से या एक बेटी पर अब भी किसी की बहू किसी की बीवी हैं... Hindi · कविता 7 1 540 Share Simmy Hasan 15 Jun 2020 · 1 min read मन की गिरहें.. मन की गिरहें, यूँहीं नहीं बनती की हर गिरह का.. अपना दर्द है अपनी कहानी , और ये गिरहें इस तरह चुभती हैं , की छीन लेती हैं आंखों से... Hindi · कविता 4 2 558 Share Simmy Hasan 13 Jun 2020 · 1 min read ऐ मेरी रात... रात मेरी जान तू क्यों बेज़ार नज़र आती है सोगवार सी हर रात तू बेचैन गुज़र जाती है लग के सिरहाने से हर रात तू सिसकती है सहर शबनम लिए... Hindi · कविता 7 317 Share Simmy Hasan 30 May 2020 · 1 min read मेरे ख़्वाब.. ख़्वाब और हक़ीक़त मेरे लिए दोने एक से हैं शाम के अंधेरों के साथ जब खत्म हो जाती हैं उम्मीदें.. तो रात सितारों की छावं चाँद को निहारती सो जातीं... Hindi · कविता 6 2 267 Share Simmy Hasan 10 May 2020 · 1 min read माँ दूर जाते हुए मुड़ कर देखा था तुझे और पाया मुस्कुराते हुए वही फीकी सी मुस्कान जिसे पहचानती हूँ उन दिनों से जब तुम कह देती थी सब ठीक है... Hindi · कविता 7 2 364 Share Simmy Hasan 20 Apr 2020 · 1 min read ज़िंदगी खुद को कुछ मोहलत तो दे कर देखते, ज़िन्दगी कुछ और जी कर देखते... मौत किस मसले का हल है, ज़िन्दगी बन कर कभी तुम देखते.. ग़ुम हो गए लेकर... Hindi · कविता 5 267 Share Simmy Hasan 12 Apr 2020 · 1 min read इंसान रंजिशों नफ़रतों के दाग़ लिए सूनी आँखों में टूटे ख़्वाब लिए देखो कराहता है हिंद का दिल यकजहती की मुर्दा लाश लिए एक तो फैला है क़हर क़ुदरत का और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 2 262 Share Simmy Hasan 29 Feb 2020 · 1 min read समंदर पार हमे लगता था समंदर पार जो एक दरिया सा बहता है जहां रहतीं हैं कुछ परियाँ जहां नग़मा सा बहता है मिलोगी तुम वहीं पर ही किसी फूलों के झूले... Hindi · कविता 8 2 291 Share Simmy Hasan 23 Feb 2020 · 1 min read बाबा बस वही एक चेहरा है जाना पहचाना सा जो मेरी उम्र के साथ बदलता गया शदाबी से झुर्रियों तक पर मेरे लिए मुहब्बतों के रंग कभी मुर्झा न सके उस... Hindi · कविता 4 2 611 Share Simmy Hasan 2 Feb 2020 · 1 min read लिखती हूँ लिखती हूँ , जो लिख सकती हूं पर अक्सर जब नहीं लिखती तो पढ़ रही होती हूँ हवा की सरसराहट रात का मद्धम गीत ख़्वाबों का तिलिस्म उगते सूरज की... Hindi · कविता 9 2 274 Share Simmy Hasan 20 Jan 2020 · 1 min read भगवान मेरे हिस्से का भगवान अंधा बहरा दिल का खुरदुरा दिल की नरम रेत पर खींचता है पत्थर से लकीर फिर उन पत्थरों को एहसासों के समन्दर मे उछाल लगाता है... Hindi · कविता 3 719 Share Simmy Hasan 19 Jan 2020 · 1 min read आइन आईन के मुहाफ़िज़ सड़को पे लड़ रहें हैं तालिब मुहब्बतों के तख्ती लिए खड़े हैं हर एक का वतन ये हर एक का चमन है हिन्दोस्तां के बुलबुल मशाले लिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 334 Share Simmy Hasan 17 Jan 2020 · 1 min read कलयुगी रक्तबीज उग रहें हैं रक्तबीज की तरह एक के बाद एक संविधान के हर गिरते लहू के साथ थामते जाते एक दूसरे का कन्धा की लड़खड़ाते हाथों की पकड़ कहीं ढीली... Hindi · कविता 4 2 291 Share Simmy Hasan 5 Aug 2018 · 1 min read वजूद अक्सर ढूंढती हूँ अपना वजूद, एक बेटी की तरह.. एक बहन की तरह, बड़ी हसरत से.. बड़ी बेचैनी से, और पाती हूँ बस ; खुद को तन्हा.. बेबस यतीम सी,... Hindi · कविता 4 2 402 Share Simmy Hasan 20 Jun 2018 · 1 min read चाँद चाँद जैसे निर्जर वृक्ष का, एकलौता फल। जो ऊगा है सांझ की बेला में.. रात की शोभा बढ़ाने, की कम हो अंधेरा... ताकि न करना पड़े, जुगनुओं को मशक्कत.. राह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 619 Share Simmy Hasan 16 Jun 2018 · 1 min read ये राजनेता एक वेश्या भी धंधा करती है, पर देह का.. क्योंकि पेट का सवाल उसे स्त्री से, वेश्या बनने को करता है मजबूर .. पर ये राजनेता, देह के साथ बेच... Hindi · कविता 3 328 Share Simmy Hasan 12 Jun 2018 · 1 min read बच्चा गरीब का अचानक से हुमकते, ज़िद करते नन्हे बच्चे, बड़े हो जाते हैं। जब बाप के पैरों के छाले, उनसे लाख छुपाने पर भी, नज़र आ जाते है। खुद के पुराने कपडे,... Hindi · कविता 5 263 Share Simmy Hasan 11 Jun 2018 · 1 min read विधवा जनता.. जनता जैसे कोई जवान विधवा, सब्ज़बाग दिख कर सुहाने दिनों के.. राजनेता हर पांच साल के लिए, पटक देतें हैं लोकतंत्र के बिस्तर पर, और तब तक नोचते हैं, जब... Hindi · कविता 5 2 460 Share Simmy Hasan 10 Jun 2018 · 1 min read अरमानों की बरसी.. "बांध लेते हैं अक्सर, धड़कते दिलों के गीत.. अपनी सहर भरी , मीठी आवाज़ों में.. जिन में हल्की सी , थरथराहट के साथ.. मचलते हुए अरमानो की सरगोशियां, तुम्हारे मेरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 451 Share Simmy Hasan 8 Jun 2018 · 1 min read जनपथ .. जनपथ.. जिस पर चलते हुए, देश की जनता.. करती है तुम्हारा सम्मान, क्योंकि एक गौरवशाली.. मर्यादित स्थान, जिसपर राज कर गयीं.. न जाने कितनी, महान हस्तियां.. सँवार कर देश का... Hindi · कविता 3 493 Share Simmy Hasan 6 Jun 2018 · 1 min read अनाथ सोच रही हूं, मरने से पहले .. अपनी कब्र , फूलों से सजा दूंगी.. और कुछ पैसे पेशगी में, माली को दे कर .. वसीयत कर जाऊंगी, की मेरी कब्र... Hindi · कविता 2 561 Share Simmy Hasan 2 Jun 2018 · 1 min read एक दिन .. एक दिन जब तुम जागो, और मैं न मिलूं कहीं भी.. न मेरी कोई खबर , मत ढूंढना मुझे.. उजालों में दिन के, न दुनिया के किसी कोने में.. अपने... Hindi · कविता 2 524 Share Simmy Hasan 1 Jun 2018 · 1 min read बुरा वक्त बुरा वक्त जिसमे, छोड़ जाता है भगवान भी.. कोई मन्नत ,कोई दुआ ; काम नही आती.. ऐसे में हम उनसे, क्यों रूठे? जो हमारी खुशियों में , शामिल थे हरदम..... Hindi · कविता 2 1 365 Share Simmy Hasan 29 May 2018 · 1 min read ये मजदूर गर्मी की शिद्दत से नींद टूटी, लाइट चली गयी थी। अभी जाना था इसे भी; ऊपर से रोजा.. मन उखड़ा उखड़ा सा था कि, औरतों के हंसने की आवाज़ें आने... Hindi · कहानी 2 2 358 Share Simmy Hasan 24 May 2018 · 2 min read उपभोग की वस्तु "औरत" कला और साहित्य दोनों ने औरत को निखारने के नाम पर उसे नंगा किया, बजाए इसके की वो उनमे आत्मविश्वास भरता, उनके भीतर छिपी हुई कुशलता को निखरता, उसने उसके... Hindi · लेख 2 1 762 Share Simmy Hasan 23 May 2018 · 1 min read अबोध मन.. अबोध मन.. आज फिर ज़िद पे अड़ा है, जाने कैसी? आज फिर से कैद, मन की अंधेरी कोठरी में, आंसू बहाना चाहता है... जाने कैसा बोझ मन में? जिसको भुलाना... Hindi · कविता 2 367 Share Simmy Hasan 21 May 2018 · 1 min read तेरा ख़याल... पतझड़ की एक शाम चिनारों के साए में चलते हुए तेरा ख़याल ... यक ब यक ही आ पहुंचा.. मुस्कुराते हुए मेरी आँखों में झाँकता.. मेरा हाथ अपने हाथों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 295 Share Simmy Hasan 18 May 2018 · 1 min read मुल्क हर शख़्स यहाँ रोता हुआ मिल जाएगा, दामन अपना भिगोता हुआ मिल जाएगा.. चंद नोटों के लिए हो गयी ज़िन्दगी बर्बाद, हर शख्श ये कहते हुए मिल जाएगा.. भूख की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 523 Share Simmy Hasan 8 May 2018 · 1 min read हथियार... हथियार मिटाते हैं इंसानियत, लातें हैं भयावह तबाही .. असीम शांति की , गुंज उठती हैं चीखें .. दर्द भरी , कराहती आवाजें .. बिखर जाते हैं इंसान , बन... Hindi · कविता 2 1 442 Share Simmy Hasan 7 May 2018 · 1 min read प्रतीक कण कण में ज़िसका वास फिर क्यूँ उसका एक निवास ये प्रतीक बस नाम मात्र है हर हृदय में करे जो निवास क्या वो कोई मलमल का लठ्ठ जिस पर... Hindi · कविता 2 575 Share Simmy Hasan 3 May 2018 · 1 min read दौर हर बड़े मुद्दे को एक नये मुद्दे से दबाया गया , जुल्म जब भी बढा और जुल्म ढ़ाया गया .. चीखें बेटियों की दबाने के लिए , तालिब ए इल्मों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 629 Share Simmy Hasan 1 May 2018 · 1 min read हिजड़ा हमारे समाज का एक हिस्सा जिसे समाज पता नहीं क्यूँ अपनाने में शर्माता है , तौहीन समझता है ,वो है किन्नर य़ा हिजड़ा जो जन्म तो इसी समाज में लेते... Hindi · लेख 2 549 Share Simmy Hasan 1 May 2018 · 1 min read मेहनतकश हर शब् की तारीकी उम्मीद के सूरज बुझा देती है लौट आता हूँ सब्र के साथ रात की स्याही में अपने गम आंसुओ में ढाल बहा देता हूँ मजदूर हूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 314 Share Simmy Hasan 28 Apr 2018 · 1 min read जनाज़ा ख्वाबों का ... ज़िन्दगी के कांधों पर , लेकर जनाज़ा ख्वाबों का ... उजड़े बिखरे ,टूटे फूटे चल रहे थे ..जल रहे थे ... न अश्क थे, न दर्द था .. बस खुश्क... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 560 Share Simmy Hasan 19 Apr 2018 · 1 min read इंसाफ बुझ रहीं हैं अब तो जल जल के मशालें भी यूँ आँधियों से कब तक लड़ते चराग होंगे कब तक रहेंगे फिरते इंसाफ की तलब में कब तक लूटेगी अस्मत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 695 Share Simmy Hasan 17 Apr 2018 · 1 min read असीफा ! किस किसपे रोऊं ? अब आँसू भी नहीं आते .. आती है तो बस हँसी , हर बात पे ; असीफा ! जो कुचली गई , झुलसी ,मसली गई ..... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 498 Share Simmy Hasan 14 Apr 2018 · 1 min read दर्द भी शर्मा जाए है इतना दर्द की दर्द भी शर्मा जाए इब्ने आदम बता हम बेटियां कहाँ जाएं इल्जाम किरदार का मुझ पे जो तुम लगाते हो गोद से छीन के मसली गई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 462 Share Simmy Hasan 12 Apr 2018 · 1 min read हे राम ! हे राम ! तुम्हारी सेना ने , कैसा अनर्थ कर डाला है ? जहाँ वास तुम्हारा होता है , वहाँ घोर पाप कर डाला है .. एक फूल सी बच्ची... Hindi · कविता 3 1 563 Share Simmy Hasan 7 Apr 2018 · 1 min read समाज बिंदिया दीदी ने उसकी चूड़ियाँ तोड़ डाली, काकी ने उसका सिंदूर पोछा और बाकि बचे मांग के सिंदूर को धो डाला वो अवाक थी हत्प्रभ् जिसने कभी उसे पत्नी का... Hindi · लघु कथा 3 1 503 Share Simmy Hasan 26 Mar 2018 · 1 min read "एक रूपाजीवा" एक स्त्री बिकती है, या बेच दी जाती है जिस्मफ़रोशो की मंडी में; संसार के लिए , खो देती है स्त्रीत्व, न बहन, न बेटी, न बेटी, न माँ; रह... Hindi · कविता 2 709 Share Simmy Hasan 23 Mar 2018 · 1 min read अनाम की मौत ज़िन्दगी उसे नचाती रही कठपुतली की तरह, और वो हर दिन उम्मीद तलाश करता जीने की...हर रात ख्वाब बुनता एक नये सुबह की खुद को तसल्ली देता...अपनी हर थकन हर... Hindi · लघु कथा 2 314 Share Simmy Hasan 22 Mar 2018 · 1 min read चहकार गर्मी के इस मौसम में, एक सूखे दरख्त की शाख पर. एक नन्ही सी चिड़िया बैठी; जाने क्या क्या कहती है.. कभी कूदती इस डाल पर; कभी उस दाल पर... Hindi · कविता 2 628 Share Previous Page 2 Next