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7 May 2018 · 1 min read

प्रतीक

कण कण में ज़िसका वास
फिर क्यूँ उसका एक निवास
ये प्रतीक बस नाम मात्र है
हर हृदय में करे जो निवास
क्या वो कोई मलमल का लठ्ठ
जिस पर लग जाएगा दाग
मानव ज़िसकी अमोल कृति
क्या करेगा वो उनमें ही भेद
ये धर्म के रक्षक क्या जाने
लेकर हृदय में इतने शूल
जो होते लोगों मे भी प्रकार
वो करता उनपे ही प्रहार
जो मानव रुप में आएं हैं
और मानवता ही खाए हैं
ये बेच चुके अपनी अंतरअात्मा
बस नफरत ही फैलाए हैं
मन्दिर को ये बना के धन्धा
लोगों का चन्दा खाए हैं
स्वर्णों के पैर पखारें ये
दलितों पर लठ्ठ बरसाएं हैं

Language: Hindi
2 Likes · 511 Views
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