Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2018 · 1 min read

दर्द भी शर्मा जाए

है इतना दर्द की दर्द भी शर्मा जाए
इब्ने आदम बता हम बेटियां कहाँ जाएं
इल्जाम किरदार का मुझ पे जो तुम लगाते हो
गोद से छीन के मसली गई कहाँ ज़ाऊँ
मौत को इस तरह जो मौत आ जाएं
यकीन मानो के फिर मौत भी घबरा जाएं
इस तरह से तड़पाया गया मुझे उन सातों दिन
मिलने मुनकिर नकिर आएँ भी तो घबरा जाएं
न दे ऐ रब कभी बेटी किसी को
के माँ मर के दुनियां मे गर जो लाए मुझे
तो घर के आंगन में या जंगल तले
मुझे इस हाल मे देखे तो फिर वो मर जाए
इब्ने आदम बता हम बेटियां कहाँ जाएं
है इतना दर्द की दर्द भी शर्मा जाएं

3 Likes · 1 Comment · 408 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लोकतंत्र का महापर्व
लोकतंत्र का महापर्व
Er. Sanjay Shrivastava
रूबरू मिलने का मौका मिलता नही रोज ,
रूबरू मिलने का मौका मिलता नही रोज ,
Anuj kumar
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
आर.एस. 'प्रीतम'
सकारात्मक सोच अंधेरे में चमकते हुए जुगनू के समान है।
सकारात्मक सोच अंधेरे में चमकते हुए जुगनू के समान है।
Rj Anand Prajapati
मैंने चांद से पूछा चहरे पर ये धब्बे क्यों।
मैंने चांद से पूछा चहरे पर ये धब्बे क्यों।
सत्य कुमार प्रेमी
"सूप"
Dr. Kishan tandon kranti
जिनसे जिंदा हो,उनको कतल न करो
जिनसे जिंदा हो,उनको कतल न करो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
एकांत
एकांत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*जिंदगी के अनुभवों से एक बात सीख ली है कि ईश्वर से उम्मीद लग
*जिंदगी के अनुभवों से एक बात सीख ली है कि ईश्वर से उम्मीद लग
Shashi kala vyas
💐प्रेम कौतुक-422💐
💐प्रेम कौतुक-422💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बधाई का गणित / मुसाफ़िर बैठा
बधाई का गणित / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
दिये को रोशन बनाने में रात लग गई
दिये को रोशन बनाने में रात लग गई
कवि दीपक बवेजा
आया बसंत
आया बसंत
Seema gupta,Alwar
चतुर लोमड़ी
चतुर लोमड़ी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
पूर्वार्थ
जब सांझ ढले तुम आती हो
जब सांझ ढले तुम आती हो
Dilip Kumar
:: English :::
:: English :::
Mr.Aksharjeet
फितरत
फितरत
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
*मिठाई को भी विष समझो, अगर अपमान से आई (मुक्तक)*
*मिठाई को भी विष समझो, अगर अपमान से आई (मुक्तक)*
Ravi Prakash
*......सबको लड़ना पड़ता है.......*
*......सबको लड़ना पड़ता है.......*
Naushaba Suriya
3219.*पूर्णिका*
3219.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वट सावित्री अमावस्या
वट सावित्री अमावस्या
नवीन जोशी 'नवल'
#चालबाज़ी-
#चालबाज़ी-
*Author प्रणय प्रभात*
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
Suryakant Dwivedi
किस किस से बचाऊं तुम्हें मैं,
किस किस से बचाऊं तुम्हें मैं,
Vishal babu (vishu)
अतीत कि आवाज
अतीत कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल/नज़्म - आज़ मेरे हाथों और पैरों में ये कम्पन सा क्यूँ है
ग़ज़ल/नज़्म - आज़ मेरे हाथों और पैरों में ये कम्पन सा क्यूँ है
अनिल कुमार
तोड़ सको तो तोड़ दो ,
तोड़ सको तो तोड़ दो ,
sushil sarna
एक कहानी- पुरानी यादें
एक कहानी- पुरानी यादें
Neeraj Agarwal
पतंग
पतंग
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Loading...