Rashmi Sanjay 220 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Rashmi Sanjay 22 Oct 2022 · 1 min read बावरी बातें प्रेम में बावरा होना भी कितना अद्भुत होता है न.. हर पल कल्पनाओं का क्षितिज आशाओं के मन को बहलाता रहता है.. मौसम इंद्रधनुषी सा.. गुनगुनाता रहता है! स्वप्नों की... Hindi · कविता 141 Share Rashmi Sanjay 22 Oct 2022 · 1 min read तुम्हारी छवि तुमने कहा मिटा दो सबकुछ.. मिटने से पहले.. मैंने मिटा दिया अपने रिश्ते का हर सबूत पर मुझे चिढ़ाती रही.. ऑंखों में धरोहर की तरह छुपी तुम्हारी छवि! रश्मि लहर Hindi · कविता 3 2 177 Share Rashmi Sanjay 19 Oct 2022 · 1 min read प्रतीक्षा की स्मित मौसम बदल रहा है.. और … मन भी भरा-भरा है। गौरैया और खेत, गंगा किनारे की रेत.. तुम्हारे आने की मुलायम आहट सुन रहे हैं.. काॅंप रहे हैं.. बाबा के... Hindi · कविता 1 2 215 Share Rashmi Sanjay 18 Oct 2022 · 1 min read ग़ज़ल वो भी कहते रहे चुप्पियां छोड़ दो शर्त मेरी भी थी तल्खियां छोड़ दो ग़ैर वाजिब भी तुम दाम लेते रहो बात ये मान लो अर्थियां छोड़ दो ठंड में... Hindi · ग़ज़ल 1 397 Share Rashmi Sanjay 18 Oct 2022 · 5 min read एक अलग सी दीवाली सपनों की उम्र हर उम्र से बड़ी होती है ....कामिनी वृद्धावस्था में कदम रख चुकी थी ..पर अब तक उसके युवा स्वप्न जीवित थे..अपनी पोती को वो हर गुण से... Hindi · कहानी 2 2 201 Share Rashmi Sanjay 17 Oct 2022 · 2 min read अस्फुट सजलता मैं बहुत उलझन में थी..रोज-रोज की मारपीट मेरे संस्कारों को बदल रही थी.. मैं कल की घटना याद करने लगी.. इन्होंने मेरी पूरी डायरी गैस पर रख दी..एक एक पन्ना... Hindi · लघु कथा 4 2 272 Share Rashmi Sanjay 17 Oct 2022 · 4 min read अपने शून्य पटल से ISBN-978-93-5552-216-0 Rs. 250.00 $15 पुस्तक का नाम – अपने शून्य पटल से (काव्य-संग्रह) रचनाकार का नाम – बाल कृष्ण लाल श्रीवास्तव प्रकाशक – निखिल पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स – आगरा मोबा:... Hindi · पुस्तक समीक्षा 2 172 Share Rashmi Sanjay 17 Oct 2022 · 1 min read एक नया इतिहास लिखो हृदय ठान लो हे वैदेही! एक नया इतिहास लिखो। जितना तुमने झेला मन में वह अपना संत्रास लिखो।। लिखो तनिक अपने पाॅंवों की, विषम वेदना का अवसर! लिखो टूटकर झरते... Hindi · गीत 2 263 Share Rashmi Sanjay 17 Oct 2022 · 1 min read अक्सर जब-जब भी सहलाने निकले चौंकन्ने हर छाले निकले जमते पाये खून के आँसू हम खुद को बहलाने निकले समय बेचारा रूका मिला था यादों भरे थे आले निकले खंजर छाती... Hindi · ग़ज़ल 4 2 163 Share Rashmi Sanjay 8 Oct 2022 · 1 min read दस्तूर झाँक पड़ीं यादें बीती-सी, खुली अचानक जब मन-खिड़की । कोलाहल, आँगन की गुनगुन, अम्मा की, पायल की रुनझुन । मिली पुरानी अपनी कापी, दौड़ पड़ीं रातें जगराती । हाँफीं दिखीं... Hindi · कविता 2 399 Share Rashmi Sanjay 6 Oct 2022 · 1 min read छुअन लम्हे भर की झुकी सी वो आँखें, छुपाती हैं क्या क्या औ मिलती निगाहें, जताती हैं क्या क्या ये रेखाएं उनकी हैं इतिहास जैसी, इन्हे देख समझो पढ़ाती हैं क्या क्या मोहब्बत थी... Hindi · ग़ज़ल 1 2 175 Share Rashmi Sanjay 29 Sep 2022 · 1 min read स्पंदित अरदास! ऑंचल के कोने बाॅंधा जो, माॅ थोड़ा बचपन रख देना। मन दीपक की लौ काॅंपे तो , प्रेम हथेली से ढक देना।। बहुत कठिन है वचन निभाना, दुर्गम पथ पर... Hindi · गीत 4 8 214 Share Rashmi Sanjay 29 Sep 2022 · 4 min read पुस्तक समीक्षा ISBN - 978-81-955701-6-4 पुस्तक - हो जाये मन बुद्ध (अनागत दोहा संग्रह) रचनाकार – डा. अजय प्रसून प्रथम संस्करण – 2022 स्वत्वाधिकार – रचनाकार मूल्य – रू. 175/- प्रकाशक –... Hindi · पुस्तक समीक्षा 252 Share Rashmi Sanjay 22 Aug 2022 · 4 min read ISBN-978-1-989656-10-S ebook ISBN-978-1-989656-10-S ebook डा. दाऊ जी गुप्ता : हिन्दी के पुरोधा डा. दाऊ जी गुप्ता (स्मृति ग्रंथ ) पृष्ठ – 125 संपादक :डा. हरिसिंह पाल, प्रकाशक सौजन्य– डा. पदमेश गुप्त (आक्सफोर्ड(यू.के.)... Hindi · पुस्तक समीक्षा 3 4 181 Share Rashmi Sanjay 3 Aug 2022 · 4 min read पुस्तक समीक्षा -'जन्मदिन' 'जन्मदिन' – लेखक – विजय कुमार सूर्यभारती प्रकाशन नई सड़क – दिल्ली – 01123266412 मूल्य – 200/ मुद्रक – निधि एंटरप्राइजेज ISBN- 978-93-83424-98-6 , पृष्ठ – 160 कुल लघुकथाएं –... Hindi · पुस्तक समीक्षा 3 317 Share Rashmi Sanjay 29 Jul 2022 · 1 min read ममता माँ तेरी सकुचाई आँखें झूठमूठ मुस्काई रे। तेरी भीगी पलकों की है व्यथा न मुझको भायी रे।। घर का ऑंगन तेरी ही पायल से गुनगुन करता था। और तुम्हारे गीतों... Hindi · कविता 4 4 208 Share Rashmi Sanjay 25 Jul 2022 · 1 min read पत्र की स्मृति में अभी तक मानस-पटल पर अंकित हैं.. वो सशक्त लम्हें! जब एक पत्र की प्रतीक्षा में.. मन उलझ पड़ता था अतीत और वर्तमान से। झाँक पड़ती थीं स्मृतियाँ प्रतीक्षा के रोशनदान... Hindi · कविता 3 4 374 Share Rashmi Sanjay 25 Jul 2022 · 1 min read अम्मा जी सूप फटकते समय ऑंचल का कोना सॅंभालती-सी अपने में मगन, कुछ गुनगुनाती-सी पसीने की बूंदों से अनुभव सॅंवारती-सी तन्मयता से गेहूं के एक एक दाने को पुचकारती-सी अम्मा! बन जाती... Hindi · कविता 2 2 396 Share Rashmi Sanjay 20 Jul 2022 · 1 min read 'तुम्हारे बिना' तुम्हारे बिना अभावों की रसोईं में उबलती रही ख्वाबों की चाय.. देर तलक! प्रतीक्षा करते रहे मूक कप..असहाय गाढ़ा होता रहा इच्छाओं का रंग ढूॅंढता रहा.. अपनों का संग उड़ती... Hindi · कविता 6 9 529 Share Rashmi Sanjay 13 Jul 2022 · 1 min read 'माॅं बहुत बीमार है' मुझे देख लेती है.. हॅंसकर भी रोती है। हाथों से चादर की.. सिलवट टटोलती है। पापा की सांसो की, व्याकुल सी यादों से, मन के हर कोने में.. उलझन बेशुमार... Hindi · कविता 4 2 182 Share Rashmi Sanjay 6 Jul 2022 · 1 min read फैल गया काजल गाती रही कोयल देर तक गीत शोरगुल से दूर.. वाह वाह करती रहीं किरणें.. बदलते रहे तरूवर अपनी चाल, मलय भी दाद देता रहा बार-बार रंग बदलते रहे चेहरे के... Hindi · कविता 3 2 360 Share Rashmi Sanjay 1 Jul 2022 · 1 min read मायके की धूप रे आज ऑंगन द्वार ताके देहरी को कौन लीपे है बहुत मजबूर अपनी कल्पना के रूप रे। मन उचक कर फिर बुलाता मायके की धूप रे।। कौड़ियों–गुट्टों के ऊपर छा सा... Hindi · गीत 2 2 227 Share Rashmi Sanjay 29 Jun 2022 · 1 min read सास-बहू बहुत कुछ साझा था उनके बीच ! इच्छाओं के ... टुकड़ों के दर्द... उम्मीदों की मुस्कराहट चलचित्र सा चलते रहने वाला... चिड़चिड़ा अतीत दिव्यांग मन के अनमने भाव उन दोनों... Hindi · कविता 1 665 Share Rashmi Sanjay 29 Jun 2022 · 3 min read 'स्मृतियों की ओट से' जब मेरी सबसे 'पुरानी' और 'पहली' सखी 'भावना' ने (कक्षा ग्यारहवीं से मित्रता थी) मैसेज किया, "आजकल कहां गुम हो रश्मि?" तो मन छ्लछला उठा। 50 वर्ष की उम्र में... Hindi · संस्मरण 2 4 217 Share Rashmi Sanjay 29 Jun 2022 · 3 min read पुस्तक -कैवल्य की परिचयात्मक समीक्षा कैवल्य (कविता-संग्रह) – डा. अंजना टंडन प्रथम संस्करण : 14 सितम्बर 2019 बोधि प्रकाशन सी-46, सुदर्शनपुरा इंडस्ट्रियल एरिया एक्सटेंशन, नाला रोड, 22 गोदाम, जयपुर -302006 दूरभाष -0141-4041794 ईमेल:bodhiprakashan@gmail.com मुद्रक :... Hindi · पुस्तक समीक्षा 2 787 Share Rashmi Sanjay 22 Jun 2022 · 3 min read शैशव की लयबद्ध तरंगे मेरी याददाश्त बचपन से बहुत तेज थी। चार-पाॅंच वर्ष की अवस्था में मैं बहुत खबूस थी। अबोध और विस्मय से भरी खाने पीने की दुनिया मुझे सदैव आकर्षित करती रहती... Hindi · संस्मरण 1 322 Share Rashmi Sanjay 21 Jun 2022 · 1 min read दुनिया वो बेरोजगारी के ख्वाबों की दुनिया लरजते सिसकते इरादों की दुनिया वो सांसे थी अंतिम ये जीवन शुरू था धुएं से भरी थी बुरादों की दुनिया ना पूछो कि किससे... Hindi · ग़ज़ल 3 2 382 Share Rashmi Sanjay 16 Jun 2022 · 3 min read पुस्तक समीक्षा उड़ मन पाखी – कविता संग्रह कवयित्री – विजया गुप्ता सहज प्रकाशन 113- लालबाग गांधी कालोनी, मुजफ्फरनगर प्रथम संस्करण – 2019 मुद्रक : पब्लिश प्वाइंट – मुजफ्फरनगर मूल्य : 300... Hindi · Book Review 2 875 Share Rashmi Sanjay 11 Jun 2022 · 1 min read इतना न कर प्यार बावरी खूब प्रणय ने आज जताया अंर्तमन अधिकार साॅंवरी। समझाते प्रियतम यह कहकर इतना मत कर प्यार बावरी।। सजल प्रतीक्षित नयन मिले हैं राहें ऑंख बिछाये हैं। अनुभव से ज़ख्मी ऑंखों... Hindi · गीत 3 2 463 Share Rashmi Sanjay 6 Jun 2022 · 1 min read मन की बात 'मन की बात ' आजकल के माहौल को देखते हुए मेरे मन में यह विचार आया तो अभिव्यक्ति की इच्छा बलवती हो गई। आजकल इतनी अच्छी पुस्तकें छप रही हैं,... Hindi · लेख 2 411 Share Rashmi Sanjay 27 May 2022 · 1 min read 'बेटियाॅं! किस दुनिया से आती हैं' ममता के सदन में किलकारियाॅं भर जाती हैं। अपनी नव-चेतना से दुश्वारियाॅं हर जाती हैं। रौनक से घर को भर, हॅंसती-खिलखिलाती हैं। बेटियाॅं भी जाने किस दुनिया से आती हैं।।... Hindi · कविता 4 8 365 Share Rashmi Sanjay 25 May 2022 · 1 min read आज फिर रात को देकर चले हैं, चंद सपने आज फिर। कुछ महकते याद आये, मुझको अपने आज फिर। मैं अकेले क्या चलूँगी, रुक गई इक मोड़ पर। लौट कर आओ कहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 3 273 Share Rashmi Sanjay 25 May 2022 · 1 min read प्रेम बहुत सहजता से तुम्हारे थरथराते हाथों को थाम लेना.. तुम्हारी नज़दीकियों से अपने सपने रच देना! और तुम्हारी हर आहट पर.. अपनी असंयत धड़कनों को सॅंभालना! कितना अद्भुत है न... Hindi · मुक्तक 1 409 Share Rashmi Sanjay 25 May 2022 · 1 min read मूक प्रेम वो मेरी हथेली पर.. अपनी उंगलियों से.. अपना नाम लिखता रहा! छलकती रहीं छिपी ऑंखें.. और मूक प्रेम.. दृढ़ता के साथ.. सॅंवरता रहा! स्वरचित रश्मि लहर Hindi · मुक्तक 4 2 310 Share Rashmi Sanjay 24 May 2022 · 1 min read साथ तुम्हारा थोड़ी देर का साथ तुम्हारा वो आतुर नज़रों का पहला परिचय.. एक अन्जानी सी खुशबू का अंर्तमन पर छा जाना! अधरों का चुपके से.. अपरिमित प्रेम का कोना पकड़कर, शुकराना... Hindi · मुक्तक 4 357 Share Rashmi Sanjay 24 May 2022 · 1 min read विरह का सिरा उत्खनन कर बैठी मैं नि:शेष खोजे अनगिन अवशेष पर लुप्त रहा हर सिरा अपने विरह का स्वरचित रश्मि लहर Hindi · मुक्तक 2 436 Share Rashmi Sanjay 24 May 2022 · 1 min read चौंक पड़ती हैं सदियाॅं.. रोज आती है गौरैया तुम्हारा संदेश लेकर और खिलखिला पड़ते हैं प्रसून.. वक्त बेवक्त.. रोज मुस्करा देती है प्रतीक्षा.. मुझे देखकर! यूं ही रोज गा उठती है सरगम बेवजह कोयल... Hindi · कविता 4 4 338 Share Rashmi Sanjay 23 May 2022 · 1 min read एक प्रेम पत्र यर्थाथ के चमकते पन्ने पर.. उड़ेल देना अनकहे.. सारे हालात! कुछ अपनी चिंताएं कुछ मुझसे जुड़े सवालात.. तनिक मीठी.. थरथराती.. लजाती सी कल्पना.. और ठहाके लगाता हुआ.. अपने रिश्ते का... Hindi · कविता 4 2 380 Share Rashmi Sanjay 22 May 2022 · 5 min read पुस्तक समीक्षा -एक थी महुआ पुस्तक -‘एक थी महुआ’ लेखिका-सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’ ISBN978-93-80835-74-0 प्रकाशक -आरती प्रकाशन साहित्य सदन, इन्दिरा नगर-2, लालकुऑं, जिला नैनीताल -262402 email-asha.shaili@gmail.com पुस्तक-एक थी महुआ (कहानी संग्रह) लेखक-सविता वर्मा 'ग़ज़ल' सर्वाधिकार-लेखक के... Hindi · पुस्तक समीक्षा 1 533 Share Rashmi Sanjay 13 May 2022 · 1 min read सादगी की बात करें चमक-धमक से परे सादगी की बात करें हाथों में हाथ डाल, दोस्ती की बात करें उखड़ती-ठहरती साॅंसें रूक रहीं बेकल जरा लग जाओ गले तिश्नगी की बात करें ऊॅंचे भवन... Hindi · कविता 234 Share Rashmi Sanjay 12 May 2022 · 2 min read 'तुम भी ना' मैं पिछले कुछ दिनों से अजीब हरकतें करने लगी थी, कभी बार-बार चहलकदमी करने लगती तो कभी भविष्य की चिंता में फूट-फूट कर रो पड़ती। मेरे कानों में शिल्पम की... Hindi · कहानी 2 2 472 Share Rashmi Sanjay 5 May 2022 · 1 min read 'मेरी यादों में अब तक वे लम्हे बसे' मेरी यादों में अब तक वे लम्हे बसे। हिल गया था ये आंचल कभी ज़िक्र पर, जब अदब से मुझे याद तूने किया। तेरी यादों में बस मेरी तस्वीर थी,... Hindi · कविता 3 6 268 Share Rashmi Sanjay 1 May 2022 · 1 min read एक मजदूर एक कर्मठ और सृजनशील मजदूर नहीं मनाता मजदूर दिवस वो लीन रहता है अपने दैनिक कर्मों में निरंतर.. निर्मित कर देता है भवन, बगीचा, अनेक यंत्र, नहीं करता है षडयंत्र,... Hindi · कविता 3 4 477 Share Rashmi Sanjay 27 Apr 2022 · 1 min read 'माँ मुझे बहुत याद आती हैं' जब तरल सुबह, तपती बातें, मन उद्वेलित कर जाती हैं। होठों पर स्मित सजल लिये, माँ मुझे बहुत याद आती हैं।। पक्षी कलरव और पत्तों संग, सड़कें सजती-सुसताती हैं। तब... Hindi · कविता 2 4 280 Share Rashmi Sanjay 27 Apr 2022 · 1 min read मुसाफिर चलते रहना है तुम्हें बस चलते रहना है। मुसाफिर चलते रहना है।। ये मन काॅंपे या डर जाए या तूफां से सिहर जाए मिले ऑंधी भी पथ पर या अंधेरा दिन में घिर... Hindi · कविता 1 295 Share Rashmi Sanjay 27 Apr 2022 · 3 min read समीक्षा -'रचनाकार पत्रिका' संपादक 'संजीत सिंह यश' 'रचनाकार प्रकाशन' द्वारा प्रकाशित साहित्य और संस्कृति की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका (जनवरी माह, 2022), जिसके प्रधान संपादक आदरणीय 'संजीत सिंह यश' जी हैं, जब ऑंखों के सामने आई तो मन सहसा... Hindi · पुस्तक समीक्षा 4 4 1k Share Rashmi Sanjay 27 Apr 2022 · 2 min read पुस्तक समीक्षा-"तारीखों के बीच" लेखक-'मनु स्वामी' पुस्तक समीक्षा-"तारीखों के बीच" लेखक-'मनु स्वामी' मन के साथ-साथ पलकें भी सजल हो पड़ीं, जब "तारीखों के बीच" पुस्तक हाथों में आई...एक अनदिखा अपनापन अनायास ही हाथों से लिपट गया।... Hindi · पुस्तक समीक्षा 2 2 714 Share Rashmi Sanjay 24 Apr 2022 · 1 min read 'याद पापा आ गये मन ढाॅंपते से' हर पहर जीवन की सरगम साधते से, याद पापा आ गये मन ढाॅंपते से । बरस उनके बिन गये रीते सभी, मधुर लम्हें मन से ना बीते कभी, पल रूलाते... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 10 17 778 Share Rashmi Sanjay 22 Apr 2022 · 1 min read मम्मी म़ुझको दुलरा जाओ.. मम्मी म़ुझको दुलरा जाओ.. मेरी आँखों से उलझा जो.. आँसू! उसको बहला जाओ । मम्मी म़ुझको दुलरा जाओ।। जो तेरे साथ बिताए क्षण, वो आज हुए स्मृति के कण ।... Hindi · कविता 2 2 229 Share Rashmi Sanjay 12 Apr 2022 · 1 min read 'प्रिय! नैनो ने चुन लिया तुम्हें' प्रिय नैनो ने चुन लिया तुम्हें छू लिए तुम्हारे चरण रहा नहीं बाकी फिर कोई मिलन साँसों ने कर लिया भावों का सत्कार परोस दिया इच्छाओं के व्यंजन का थाल... Hindi · कविता 1 2 205 Share Previous Page 2 Next