PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) Language: Hindi 97 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 16 Aug 2024 · 1 min read तारे आसमान में कितने तारे ? आहा ! लगते कितने प्यारे । कभी लगे माँ की चूनर से , कभी लगे दीपक धूसर से । आसमान में कितने तारे ? आहा... Hindi · बाल कविता 2 70 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 31 May 2024 · 1 min read अलख क्रांति आग लगाई है कहीं तुमने अगर, खून के अश्कों से बुझानी पड़ेगी। जिंदगी जहर है या कहीं अमृत है, पीने की जहमत उठानी पड़ेगी। भस्म नहीं हो जाए जज़बात कहीं,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 4 106 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 30 May 2024 · 1 min read दिव्य अंगार कौन जिम्मेदार है? समाज की व्यथा का। रग -रग दुखाती दुखान्त कथा का। विद्रूपता, विद्रोह बन गए हैं अंग। सिमटी है जीवन की उल्लासित तरंग। हर मोड़ हर डगर पर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 5 100 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 27 May 2024 · 1 min read कली मुझे तोड़कर भी तुम मुझे मिटा नहीं सकते, फूल हूॅं जिसे कुचल खुशबू उडा नहीं सकते। कुचले अगर हथेली महक रह ही जाएगी, मिटेगा नहीं स्वर मेरी चहक रह जाएगी।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 88 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 23 May 2024 · 1 min read कृषक-किशोरी होठों पर तो शतदल खिलते, नयनों में नव्य रंग सजते, इंद्रधनुषी नव स्वपनों के घिर -घिर आते कारे बादल। अल्प वस्त्रों में है आवृत्ता, कसी और तपी नव यौवना, ढल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 47 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 23 May 2024 · 1 min read विवश लड़की वह लड़की कर रही है अंतहीन संघर्ष। पथरीली डगर तपती दुपहर नंगे पैरों ही तय कर रही सफर। हर कदम पर घूरती नजरे देख-देख कर सिहरता अंतर। दर्द का सागर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 51 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 23 May 2024 · 1 min read जलधर धरती तपती जलता अंबर, कहाॅं खोए हो बोलो जलधर? पलक बिछाए कृषक निहारे, क्यूं ना अब तक आप पधारे? सारी आस टिकी है तुम पर, कहाॅं खोए हो बोलो जलधर?... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 76 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 22 May 2024 · 1 min read नई पीढ़ी आज नई पीढ़ी के बहुत से युवा फॅंसते जा रहे हैं, एक ऐसे जाल में जिसे सुलझाना तो दूर सुलझने के प्रयास में उलझना हीं उलझना है। उन्होंने पकड़ लिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 53 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 22 May 2024 · 2 min read नव भानु देखो भटक रहा है अभी उजाला तम के ही गलियारे में, कितने दीपक बलि चढ़ गए अब तक इस गहरे अंधियारे में। तम के इस काले साये को तो अब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 4 125 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read कुंभकार मृतिका को नित गढ़ गढ़कर देते नए-नए आकार। धन्य हो तुम ओ कुंभकार ! हाथों में है जादू की लय रखे कुंभ में ठंड पेय। पीकर आह्लादित संसार धन्य हो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 85 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read समझाए काल रवि की प्रचंडता से तड़प उठे चराचर सभी। छाया भी छाया तके तरु तले थकी -थकी। कृश वदना सरिता हुई रहा ना उज्ज्वल नीर। कहाॅं समीर में सिहरन लूऍं बढ़ाती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 5 92 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read ममता तेरा हौले से माॅं कह देना, मुझे देखकर यूं हॅंस देना, तन- मन में उठाता हिलोर ममता का कोई ओर न छोर। माॅं बनकर है इतना जाना, स्नेह का अद्भुत... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 115 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read माॅंं ! तुम टूटना नहीं माॅं तुम टूटना नहीं। आज का मनुज, तुम्हारा बेटा भूल चुका है- सौंधी मिट्टी की महक, चिड़ियों की प्यारी चहक, रिश्तो की गर्माहट। अहम के खोखलेपन में अपने स्वत्व को... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 52 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 20 May 2024 · 1 min read हे कृष्ण हे व्यक्त अव्यक्त सर्वव्यापी कृष्ण। बन उद्धारक करो वेदना का शमन। जल बिन मछली जैसे तड़पे यह मन, कैसे पाऊं तुम्हें बिखरा जग -दर्पण? पूजा न जानूं ना ही सेवा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 65 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 May 2024 · 1 min read प्यारी रात सुबह का जोगी गेरुआ वस्त्र पहने लेकर अनूठा इकतारा सूर्य अराधना मे रत। प्रचंड तेजस्वी तपती दुपहरी अपने तप के तेज से करती व्याकुल इंद्रासन। सौम्य साध्वी संध्या बिखेर कर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 50 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 May 2024 · 1 min read मानी बादल हरियाली खोई बहाव में, धूसर हो गई धरती की, प्यारी-प्यारी चूनर धानी। कितने बरसे बादल मानी? पानी में डूबे गाॅंव-गाॅंव , कहाॅं जले चूल्हे औ'अलाव? चारों तरफ पानी पानी। कितने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 46 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 10 May 2024 · 1 min read शेष है - तूफान ,भूकंप, अकाल, बर्बादी , कीड़ों की तरह बढ़ती आबादी , जगह कहाॅं है रहने को ? शेष है- अभी तो बहुत कुछ कहने को। उबलती, उफनती हुई जवानी, बूढ़ी... Poetry Writing Challenge-3 3 95 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 May 2024 · 1 min read अद्भुत प्रयास जिंदगी की दौड़ में यह भीड़ ,भागती हुई उलझ चुकी है, अपने ही घेरों में। जब- जब टूटेंगे भीतर के घेरे हर और होगा उज्ज्वल उजास। भागता समय एक क्षण... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 102 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 May 2024 · 1 min read आकाश और पृथ्वी तुम आकाश हो अनंत तक फैले मगर हृदय में शून्य समेटे। यह पृथ्वी है बहुत सीमित मगर मिट्टी से संस्कारित। मैंने सुना है लोग कहते हैं क्षितिज पर मही आकाश... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 124 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read नव रूप रात की स्याही घोलकर सूरज दिन पृष्ठ पर कुछ अंकित करने लगा है। किरणों के शब्दों से छूकर हृदय सुनहरी गुलाल मुख पर मलने लगा है। पा प्रकाश का अवलंबन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 83 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read काश! तन थका- थका, मन बुझा-बुझा, नयनों से झलके सिर्फ अवसाद। जाने कहाॅं खोया जीवन का मधु स्वाद? एक सराय बना घर सुबह शाम सफर दोपहर में दफ्तर रात में तेरी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 117 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read मेरा वजूद तुम कहते हो मैं सोचना बंद कर दूं तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। मगर तुम नहीं जानते इस तरह तो सृजन का अंत हो जाएगा। मेरा दर्द होगा नहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 125 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read तुम आओ एक बार तुम आओ एक बार। अनवरत प्रतीक्षारत ऑंखें अश्रु भीगी पलकों की पाॅंखें चित्रित-सी एकटक पथ रही है निहार। तुम आओ एक बार। तुम्हारे आने का अटूट विश्वास आतुर हृदय हर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 125 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read मेरी प्रतिभा मेरी प्रतिभा तू मेरे ऑंगन की दीपशिखा बन जा। मुझे तू उन्मत्त बना इस जीवन की मदिरा बन जा।। उर क्रन्दन करता है मेरा विश्वासों की टूटन से, विलग नहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 171 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 3 May 2024 · 1 min read सृष्टि का रहस्य नारी जीती रही है , अपनी अंतर्विरोधों के बीच वह नहीं जानती थी कि वह क्या है? कितनी ही चरित्र अभिनीत कर चुकी है और निरंतर कर रही है। मगर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 56 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 2 May 2024 · 1 min read वह नारी व्यस्तताओं के मकड़ जाल में उलझा हुआ जीवन का दामन। फिर भी काव्य-सृजन हित कैसे चुन लेती अमर क्षण मनभावन। लपक झपक कर काम-काज विद्यादान हेतु बने शारदा। हो जाती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 4 2 155 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 1 May 2024 · 1 min read संवेदना जब हृदय अभिभूत हो जाए , किसी प्राणी की वेदना से। तन में घनीभूत प्राण यूं, विचलित हो उठे वेदना से। संतृप्त भावों की धरा पर, संवेदना की शीतल बूंदें।... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 179 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 24 Mar 2024 · 1 min read सत्य का अन्वेषक वह तो सत्य का अन्वेषक है, पथरीली राहों का राही। पूरा सच कब लिख पाती है, यहाॅं स्वार्थ की काली स्याही। पर्वत-पर्वत ढूंढी थी बूटी, संजीवन मिली ना सपनों को।... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 12 6 703 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 24 Mar 2024 · 1 min read अंतिम सत्य सत्य की खोज सृष्टि के आरंभ से आज तक जारी है। सत्य की खोज ने कितने ही लोगों को बना दिया महात्मा बुद्ध। कुछ लीक से हटकर चले, कुछ बनी... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 13 3 553 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 18 Feb 2024 · 1 min read नया इतिहास सृष्टि के भीतर जब सन्नाटा घिरता है, भावों का ज्वार धीमे से उतरता है। मानव मस्तिष्क मन का दिक् दर्शक बन, आत्म प्रलय का स्वयं प्रणेता बनता है। उस आत्मयज्ञ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 4 4 385 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 Feb 2024 · 1 min read उड़ चल पंछी उड़ चल पंछी तू अब उड़ चल। दे रहा चुनौती नील गगन, टकराने दे तू आज पवन। अपने डैनों का ले संबल, कर देना नभ में तू हल चल। उड़... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 4 2 396 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 Feb 2024 · 1 min read भटके नौजवानों से तुम क्यों भटक गए? तुम्हें भी तो उन्ही ने संस्कार दिए हैं, जिससे ये पावन संस्कार सबको है मिले। संबंधों की ऊर्जा क्यों नहीं समझी जबकि उन्होंने सिखाया संबंधों को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 316 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 16 Feb 2024 · 1 min read भला लगता है परिंदों का चहचहाना भला लगता है। फसलों का लहलहाना भला लगता है। तुतली बोली में पूछे मासूम सवालों को सुलझाना भला लगता है। एकांत में बैठकर चुपके-चुपके गुनगुनाना भला लगता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 364 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 16 Feb 2024 · 1 min read आओ उर के द्वार असह्य हुआ है अब वेदना का ज्वार चाहता है तोड़ बहना सशक्त बांध दीवार। ढूॅंढता है टूटा मन एक ऐसा संबल सिर रख कर रो ले जहाॅं पर पल दो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 296 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 16 Feb 2024 · 1 min read शलभ से भोले शलभ! अब तुम मचलना छोड़ दो। दीप पर क्या असर अब जलना छोड़ दो। क्यूं विवश हो पहुॅंच जाते उसके द्वार ? क्या दबा सकते नहीं मन की मनुहार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 439 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 15 Feb 2024 · 1 min read वासंती बयार बहकी- बहकी सी लगे, ये वासंती बयार। सरसों से आंचल सजा, बैठी घर के द्वार।। धरा ने ओढ़ी चूनर ,किया नव श्रृंगार। पात- पात खिल उठा ,पा मधु मादक प्यार।।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · दोहा 4 2 329 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 14 Feb 2024 · 1 min read माँ शारदे माॅं शारदे यह वरदान दे, दिव्य वाणी व दिव्य दान दे। मिटा दे मन के ये अंधेरे, लगा दे फिर ज्योति के डेरे। हर दिशा में खुशियाॅं बिखेरे, नव प्रकाश... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 2 272 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 10 Feb 2024 · 1 min read नई दृष्टि सब कुछ दुविधाग्रस्त हर तरफ सिर्फ़ उलझाव ही उलझाव। बहुत मुश्किल है मिल जाए हॅंसने को दो चार उन्मुक्त पल। ऊपरी चमक ने मानव आंखों को चुंधिया दिया है। वे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 520 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 10 Feb 2024 · 1 min read मेरा जीवन अभावों में जन्म मिला है अभावों ने ही पाला है, दुख है मेरी संचित पूंजी दुख ने मुझको ढाला है। कांटों के कंटकित वैभव में यह जीवन प्रसून खिला, अश्रु... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 317 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 9 Feb 2024 · 1 min read कल का सूरज अशिक्षा,भुखमरी,बेकारी , ये सभी एक सपना होगा। आओ मिलकर हाथ बटाॅंओ, कल का सूरज अपना होगा। श्रम के बेधक बाणों से तो, अंधियारे को हटना होगा। मेहनत से जी ना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 478 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 9 Feb 2024 · 1 min read तरुणाई इस देश की ले अंगड़ाई जाग उठी है तरुणाई इस देश की, वसुंधरा पर बच ना सकेगी अब लंका लंकेश की। घावों का दर्द छिपा कर गाए थे जो प्रणय तराने, उसी कंठ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 334 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 Feb 2024 · 1 min read माँ माँ, पृथ्वी होती है सुबह से शाम तक परिवार को बाॅंधे धुरी पर घूमती है। प्यार से भोजन बना स्नेह ममता उडेल सभी सदस्यों को खाना परोसती है। माँ! कपड़ों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 361 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 Feb 2024 · 1 min read श्रम-यज्ञ हम तो अविरल बहने वाले, हमको बस चलते जाना है। प्रेम-दीप का एक शलभ बन, बस तिल- तिल जलते जाना है। जिस दिवस भी कंटकित पथ पे, पग रुकेंगे परवश... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 3 544 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 Feb 2024 · 1 min read मृग-मरीचिका प्रकृति का अद्भुत ढंग जीवन में मिटते-भरते रंग। जीवन-सागर भी कुछ ऐसा ही है— सपनों को समेटे मिटती कामनाऍं। विवशता के घेरों में घुटती इच्छाऍं। मिटने के भय से भयाक्रांत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 3 358 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 Feb 2024 · 1 min read विडम्बना युगो -युगो से पूछ रही अपनी आंख पसार, किसे करे समर्पित अपना निश्छल प्यार। कोमलता की कली किए नव श्रृंगार, नव दीपित यौवन लेकर मृदुल उपहार। अल्हड़ता से वह झूमा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 319 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 Feb 2024 · 1 min read नई सुबह नए वर्ष की नई सुबह से, जीवन में यह उपहार मिले। जय हो जीवन रूपी रण में, स्वागत करता हर द्वार मिले। सत्य हो हर स्वप्न तुम्हारा, ह्रदय-सीप में जो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 455 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 2 Feb 2024 · 1 min read सुकून अंधेरे में दिया जला दो, वहाॅं उजाला खिल जाएगा। किसी रोते लब को हॅंसा दो, सुकून तुमको मिल जाएगा। मौन रहकर आवाज दो तुम, कि हर लब सुर गुनगुनाएगा। गिरते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 292 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 28 Jan 2024 · 1 min read नेता मौसम के ढंग ज्यों बदलने लगे हैं, वे भी अपना तेवर बदलने लगे हैं। जाना है उन्हें जनता की अदालत में, मुखौटो पर फिर से रंग चढ़ने लगे है। कुर्सी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 256 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 28 Jan 2024 · 1 min read जिंदगी में - कुछ पढ़ी कुछ अनपढ़ी ही रह गई, जिंदगी में कितनी कथाऍं मिली। गूॅंजती है आज भी सुधि -गली में, कसमसाती दिलों में व्यथाऍं मिली। जलती रही जो कि मौन रह... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 376 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 26 Jan 2024 · 1 min read नववर्ष में नववर्ष में दिशाओं में किरणें ही फैले न कि अंधेरे छितराऍं। संध्या का रूपहला यौवन अभिशाप नहीं बन पाए। नववर्ष में जर्जर न हो सभ्यता चरण हरगिज न डगमगाए। आहत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 416 Share Page 1 Next