Dr. Bharati Varma Bourai 51 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Bharati Varma Bourai 13 May 2024 · 1 min read दहलीज़ - दहलीज़ ————- सुनो लड़कियों! जब भी कभी कोई दिल में उतर जाये कोई प्यारा सा मन को भा जाये जब भी कभी मन में बजने लगे संगीत कोई जब... Poetry Writing Challenge-3 1 77 Share Dr. Bharati Varma Bourai 13 May 2024 · 1 min read बदली परिस्थितियों में २- बदली परिस्थितियों में जब होता है प्रेम बदले-बदले लगते हैं दिन-रात संसार का कण-कण प्रेममय लगता है हर ओर बिखरी दिखाई देती हैं प्रेम कविताएँ अकारण मुस्कुराने तो कभी... Poetry Writing Challenge-3 1 63 Share Dr. Bharati Varma Bourai 13 May 2024 · 1 min read दो कुर्सियाँ दो कुर्सियाँ माँ के ड्रॉइंगरूम में सोफों के साथ मेज के दूसरी ओर दो कुर्सियाँ रहती थीं जिन पर मैं और माँ बैठ कर चाय पीते हुए दुनिया-जहान की बातें... Poetry Writing Challenge-3 1 66 Share Dr. Bharati Varma Bourai 13 May 2024 · 1 min read आयेगा कोई आयेगा कोई प्रेम में घर से भागी हुई लड़कियों के मन सूख जाते हैं नहीं मिलता विश्वास जहाँ मन का सब बेखौफ कह सकें नहीं मिलता कोई कंधा जिस पर... Poetry Writing Challenge-3 1 91 Share Dr. Bharati Varma Bourai 8 May 2024 · 1 min read सर्वोत्तम उपाय सर्वोत्तम उपाय समय के खेल निराले बहुत हैं समझ नहीं आते हर किसी को पकड़ना चाहे कोई इसे आता नहीं हाथ आसानी से किसी के भी साथ चलना है इसके... Poetry Writing Challenge-3 1 146 Share Dr. Bharati Varma Bourai 6 May 2024 · 1 min read भूख भूख •••• ये भूख कराती अपराध धर्म-अधर्म बनता दनुज है निकृष्ट मनुज। •••• है ज्ञान अथाह क्षुधापूर्ति नहीं संभव बिना परिश्रम करो मिटेंगे भ्रम। •••• ना भूख देखती दिन-रात लगती... Poetry Writing Challenge-3 1 69 Share Dr. Bharati Varma Bourai 6 May 2024 · 1 min read गुरु गुरु ——— गुरु कहो ब्रह्म कहो सदा हिय धार रहो हरि ओम् बोल कर प्रीत राग गाइये वाणी कबीर की सुनो वाणी जायसी की गुनो स्वयं समझ कर ही सबको... Poetry Writing Challenge-3 84 Share Dr. Bharati Varma Bourai 6 May 2024 · 1 min read द्वार पर द्वार पर..... ————- देहरी पर दीप बाले द्वार पर कब से खड़ी मैं पर तुम कहाँ हो साँवरे! दीप ये बुझने न पाए एक पल भी बिन गँवाए हवा से... Poetry Writing Challenge-3 63 Share Dr. Bharati Varma Bourai 4 May 2024 · 1 min read ज़िन्दगी ज़िन्दगी ————— समय कितना भी बुरा हो ज़िन्दगी हाथ थाम ही लेती है सुख-दुख धूप-छाया की तरह हैं बता कर छाया के हटते ही धूप में भी चलना सिखा ही... Poetry Writing Challenge-3 85 Share Dr. Bharati Varma Bourai 4 May 2024 · 1 min read रक्षाबंधन रक्षाबंधन ~~~~~~~ कच्चे धागों में बँधा अटूट अनमोल रिश्ता है मन की आवाज पर एकदूजे हेतु दौड़े जाते हैं, बचपन बीतता नोकझोंक छोटी लड़ाइयों में सयाने होते ही बहन-भाई रक्षाकवच... Poetry Writing Challenge-3 1 65 Share Dr. Bharati Varma Bourai 4 May 2024 · 1 min read आओ बैठो पास हमारे आओ बैठो पास हमारे रूठना कैसा साथी अब आओ बैठो पास हमारे देखेंगे हम एक दूजे को हुआ अंधेरा दीया बारें रूप यौवन चार दिनों का हम प्रेम पर दिल... Poetry Writing Challenge-3 75 Share Dr. Bharati Varma Bourai 4 May 2024 · 1 min read कोरी किताब कोरी किताब एक कोरी किताब बन कर प्रकृति के निकट जाना मौन होकर उसके संगीत को गहनता से अनुभव करना उससे एकाग्रचित्त हो देर तक संवाद करते रहना अनुभव के... Poetry Writing Challenge-3 45 Share Dr. Bharati Varma Bourai 4 May 2024 · 1 min read बिटिया बिटिया! बिटिया! सुनना सबकी सुन कर गुनना भी पर करना वही जो तुम्हें स्व विवेक से उचित लगे, किसी के भी अधूरे सपनों को पूरा करने का भार कभी अपने... Poetry Writing Challenge-3 61 Share Dr. Bharati Varma Bourai 4 May 2024 · 1 min read घर घर कहते रहे सब सुनती रही लड़कियाँ ये पिता का घर ये पति का घर ये बेटे का घर, नहीं दिखा कभी उन्हें किसी माँ का घर किसी पत्नी का... Poetry Writing Challenge-3 40 Share Dr. Bharati Varma Bourai 4 May 2024 · 1 min read आदमी आदमी ———- अच्छे बुरे का जाल बुन रहा है आदमी अपने बुने जाल में फँस रहा है आदमी उजले कामों से ही डर रहा है आदमी धड़ल्ले से काले तो... Poetry Writing Challenge-3 2 50 Share Dr. Bharati Varma Bourai 3 May 2024 · 1 min read जीवन संगीत अधूरा जीवन संगीत अधूरा ———————- जिस दिन तुम सरहद पर बलिदान हुए थे आतंकी गोली से प्रण लिया तभी था मैंने शेष रहे स्वप्नों में मैं स्वयं रंग भरूँगी जो काम... Poetry Writing Challenge-3 1 1 84 Share Dr. Bharati Varma Bourai 3 May 2024 · 1 min read साधना साधना करें नित सेवा हम सेवा भाव गुने हम कहें न किसी से कुछ यही तो है साधना। मन द्वेष करे नहीं मन प्रेम करे यहीं कहे न कड़वे बोल... Poetry Writing Challenge-3 2 60 Share Dr. Bharati Varma Bourai 3 May 2024 · 1 min read अच्छा लगता है अच्छा लगता है ———— बार- बार बहुत कुछ करना अच्छा लगता है अब यह मत पूछना क्या अच्छा लगता है माँ-पापा के लिखे पत्रों को पढ़ कर उनमें उनके होने... Poetry Writing Challenge-3 1 67 Share Dr. Bharati Varma Bourai 2 May 2024 · 1 min read जैसे-तैसे जैसे-तैसे ———— इन रपटीली और पथरीली कंटकाकीर्ण राहों में मैं चल लूँगा जैसे-तैसे मेरे कान्हा! जो हर पल हर पग साथ मिलेगा मुझे तुम्हारा...! लड़ जाऊँगा हर बाधा से दो-दो... Poetry Writing Challenge-3 2 48 Share Dr. Bharati Varma Bourai 2 May 2024 · 1 min read छड़ी छड़ी ——- आता है जीवन में एक समय ऐसा भी होते असमर्थ चल सकने में भी...! अच्छे भाग्य वाले पाते हैं सेवा परिवारजनों की...!! कुछ ऐसे जिन्हें न मिलते अपने... Poetry Writing Challenge-3 2 64 Share Dr. Bharati Varma Bourai 2 May 2024 · 1 min read देखो तो सही देखो तो सही सुनो! हम होकर भी तुम बुनते रहे मैं का ताना-बाना और मैं पढ़ाती रही तुम्हें हम बुनने का ताना-बाना दुनियादारी में उलझे नहीं सीखे पढ़ना ना छोड़ा... Poetry Writing Challenge-3 1 40 Share Dr. Bharati Varma Bourai 2 May 2024 · 1 min read सोच बदलें सोच बदलें झुग्गी-झोंपड़ियों के आपस में लड़ाई-झगड़ा करते खेल में समय बिताते रात को अपने शराबी पिता से पिटते-कुटते बच्चे, कूड़े के लगे ढेरों में से प्लास्टिक, पन्नी,काँच बीनते जिन्हें... Poetry Writing Challenge-3 1 42 Share Dr. Bharati Varma Bourai 2 May 2024 · 1 min read श्रमिक श्रमिक ——— १•••• हाँ बना श्रमिक अनपढ़ आज व्यथित छोड़ महानगर जाता अपने गाँव। २•••• ये दुष्ट आपदा छीन रही सुख आराम नहीं है विश्राम काम मिलता नहीं। ३•••• है... Poetry Writing Challenge-3 50 Share Dr. Bharati Varma Bourai 2 May 2024 · 1 min read जय श्री राम! जय श्री राम! चिर प्रतीक्षित आया दुर्लभ क्षण लौटे अपने धाम जय श्री राम! जय श्री राम! बलिदानियों का बलिदान हुआ सफल कठिन तप का आज मिला सुफल संघर्षों पर... Poetry Writing Challenge-3 1 37 Share Dr. Bharati Varma Bourai 2 May 2024 · 1 min read किताबें किताबें किताबों से प्रेम मुझे विरासत में मिला अपने पिता से इस प्रेम में किताबें कभी लड़ीं सखियों की तरह कभी झुँझलाई मुझ पर उन्हें जहाँ-तहाँ रख देने पर कभी... Poetry Writing Challenge-3 49 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read आग मेहनत की जलाए रखना आग मेहनत की जलाए रखना ——————————— आग मेहनत की जलाये रखना रास्ते लक्ष्य के तय होते चलेंगे निकल तो सही हाथ में दीप लेके हजारों दिये देख खुद ही जलेंगे... Poetry Writing Challenge 104 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read मेरा शहर मेरा शहर ———— मेरा शहर सेवनिवृत्तों का शहर है रोजी-रोटी कमाने कोई कहीं भी चला जाए अपनी जड़ों से जुड़ने लौट कर यहीं चला आता है, बाहर से पढ़ने आते... Poetry Writing Challenge 174 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read घर घर कहते रहे सब सुनती रही लड़कियाँ ये पिता का घर ये पति का घर ये बेटे का घर, नहीं दिखा कभी उन्हें किसी माँ का घर किसी पत्नी का... Poetry Writing Challenge 324 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read बिटिया बिटिया! बिटिया! सुनना सबकी सुन कर गुनना भी पर करना वही जो तुम्हें स्व विवेक से उचित लगे, किसी के भी अधूरे सपनों को पूरा करने का भार कभी अपने... Poetry Writing Challenge 252 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read हमसे पूछ रही गौरैया हमसे पूछ रही गौरैया किस घर के आँगन में आकर अपने मन की व्यथा सुनाऊँ हमसे पूछ रही गौरैया! दिखते नहीं किसी भी घर में लगे हुए एक भी पेड़... Poetry Writing Challenge 221 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 2 min read बेटियाँ बेटियाँ ———— बेटियाँ आती हैं शीतल मंद बयार की तरह बिखेर देती है सर्वत्र अपने साथ लाई सुमनों की सुगंध बेटियाँ आती हैं गर्मी की बारिश की तरह भिगो देती... Poetry Writing Challenge 375 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read इश्क़ इश्क़ ———- उन्हें इश्क़ था वतन से शहीद हो गए सूखा नहीं है पानी आँख का जिनके लाल सरहद पर शहीद हो गए, रुकेंगे कैसे अश्रु जिस घर के लाल... Poetry Writing Challenge 170 Share Dr. Bharati Varma Bourai 10 Jun 2023 · 1 min read घर में पेड़-पौधे घर में पेड़-पौधे —————- कोरोना ही नहीं अन्य कई असाध्य रोगों के चले अब हो गया आवश्यक हर घर में लगे उपयोगी औषधीय पेड़-पौधे, जो निवारण में हो सहायक रोगों... Poetry Writing Challenge 230 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read बरगद और बुजुर्ग बरगद और बुजुर्ग ~~~~~~~~~~~ रहते हैं जीवन में जीवन में जब तक बरगद और बुजुर्ग छू नहीं पाता दुख लेशमात्र भी कभी....! सुख की छाया बनी रहती है निरंतर दुख... Poetry Writing Challenge 236 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read टूट गया नीड़ टूट गया नीड़ —————- काट दिये तुमने वे सारे वृक्ष घर जिन पर अपने भगीरथ श्रम से हमने बनाये थे घास-फूस के छोटे-छोटे नीड़ अपने बच्चों के लिए, उनमें रखे... Poetry Writing Challenge 1 283 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read सुनो! सुनो! रे मानव! अपनी उत्कट लालसा के वशीभूत हो शहरों को कंक्रीट का जंगल बना दिया शहरों से मन न भरा तो आसपास के गाँव, खेती योग्य भूमि को भी... Poetry Writing Challenge 229 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read उम्र के साथ उम्र के साथ बदलने लगे हैं सपने छूटने लगी हैं इच्छाएँ लगता था पहले जो सार्थक अब लगने लगा निरर्थक सिमट कर बहुत छोटी हो गई दुनिया सारे तीर्थ एकत्रित... Poetry Writing Challenge 201 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read अपने पास पाती हूँ अपने पास पाती हूँ तुम्हारी यादों में जब-जब डूबती हूँ हो जाता है मेरा नित्य गंगा स्नान, जब भी हो आती हूँ मायके के घर सिमट आते हैं सारे के... Poetry Writing Challenge 251 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read गोवर्धन पूजा गोवर्धन पूजा कार्तिक मास दशुक्ल पक्ष की प्रतिपदा होती है सम्पन्न गोवर्धन पूजा, प्रेम से करते हैं गाय-बछड़े,भैंस और बैलों की पूजा करते हैं टीका रंगों से सजाते हैं उन्हें... Poetry Writing Challenge 107 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read पेड़ पेड़ ——— हमारी तरह हँसते/रोते हैं पेड़ दर्द में चिल्लाते भी हैं जब कोई मारता/पीटता काटता हैं उन्हें, पर कोई नहीं सुनता उनकी चिल्लाहट, किसी को नहीं दिखता उनका दर्द,... Poetry Writing Challenge 1 361 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read पिता का होना पिता का होना रहते हैं जब तक पिता बना रहता है बचपन बड़े होने के बाद भी, चिन्ताएँ रहती हैं कोसों दूर मन सोचता हैं पिता हैं तो सब देख... Poetry Writing Challenge 1 233 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read गौरैया खुश है गौरैया खुश है अपने आसपास अपनी कॉलोनी में अपने परिचितों-सम्बन्धियों को अपने प्रकृति-पशु प्रेमी होने के दिखावे में ही लोगों को अपने घरों के छोटे आँगन में घर की छतों... Poetry Writing Challenge 1 363 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read स्मृतियाँ स्मृतियाँ चंदन की तरह सुवासित करती हैं स्मृतियाँ, टूटती/बिखरती हूँ रोने को कंधा ढूँढती हूँ कंधा बन संभाल लेती हैं स्मृतियाँ, एक एक दिन कर वर्ष ग्यारह बीत गए कोई... Poetry Writing Challenge 1 244 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read खतरे में हैं जंगल खतरे में हैं जंगल जंगल खतरे में हैं कभी सोचा क्या कहना चाहते हैं? स्वार्थ के वशीभूत बहरा हो गया मानव तभी तो नहीं सुन पाता इनकी करूण पुकार, मनते... Poetry Writing Challenge 1 195 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read बची रहे पृथ्वी बची रहे पृथ्वी कितने सबक और चेतावनियाँ मिलीं पर ढीठ मानव प्रकृति का तालमेल बिगाड़ने में तल्लीन है, नहीं समझता जो दे रहा है प्रकृति को उससे भी वही तो... Poetry Writing Challenge 2 438 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read किताबें किताबें समय/असमय किताबें जब भी आवाज देकर बुलाती हैं अपने पास रुक नहीं पाती बैठती हूँ बतियाती हूँ इनके साथ तब तक जब तक कि नींद से बोझिल नहीं हो... Poetry Writing Challenge 1 268 Share Dr. Bharati Varma Bourai 8 Jun 2023 · 1 min read कल की माँ कल की माँ कल की माँ तारों से झाँकती है देखती है अपने बच्चों/ बहुओं जँवाई/नाती-पोतों को अपने संसार में आगे बढ़ते हुए, उसकी बेटी भी माँ बन कर अपना... Poetry Writing Challenge 1 287 Share Dr. Bharati Varma Bourai 8 Jun 2023 · 1 min read गौरैया गौरैया ———— हों भले ही कितने ही नाम तुम्हारे गुबाच्ची, पिछुका चिमनी, चकली घराछतिया, चराई पाखी चेर, चिरी, झिरकी, चिरया, पेसर डोमिस्टिकस आदि-आदि पर मुझे तो भाता है तुम्हारा छोटा... Poetry Writing Challenge 380 Share Dr. Bharati Varma Bourai 8 Jun 2023 · 1 min read तो कहना…!! तो कहना….!! ज़िन्दगी मिलना चाहती है हृदय खोल कर अपनी बाँहें फैला कर कहना चाहती है बहुत कुछ अपने आसपास बिखरे हुए के बारे में, कभी सुना है सागर का... Poetry Writing Challenge 263 Share Dr. Bharati Varma Bourai 8 Jun 2023 · 1 min read जिस दिन जिस दिन मौन/शांति कर्तव्य/जिम्मेदारियाँ सत्य/अहिंसा/त्याग प्रकृति से प्रेम और उसकी सुरक्षा…जिस दिन इन सबके अर्थ भली भाँति समझ कर आत्मा में समा जाएँगे उस दिन हम सब बुद्ध हो जाएँगे।... Poetry Writing Challenge 248 Share Page 1 Next