अरविन्द राजपूत 'कल्प' Language: Hindi 252 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next अरविन्द राजपूत 'कल्प' 8 Dec 2019 · 1 min read ग़ज़ल- जल रही है नारियां पद्मावती के भेष में.. जल रही है नारियां पद्मावती के भेष में। टूटती मर्यादा नित क्यों राम तेरे देश में।। लुट रही अस्मत सभा में, बेटियों की अब यहाँ। मूक बन बैठे सभासद, आपसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 345 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 6 Nov 2019 · 1 min read ग़ज़ल- दागदा दामन था जिसका, आज वो मशहूर है दागदा दामन था जिसका, आज वो मशहूर है। चाँद पर धब्बे बहुत हैं फिर भी वो पुरनूर है।। आज के इस दौर में, खाने को तो भरपूर है। आदमी आदम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 366 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 22 Oct 2019 · 1 min read गजल- आप ही हमराज मेरे, आप ही सरकार हो.. *ग़ज़ल* आप ही हमराज मेरे, आप ही सरकार हो। आपसे खुशियां हमारी, खुशियों का संसार हो।। गीत गज़लों में तुम्हीं हो, सप्त सरगम आपसे। गीत हो तुम जिंदगी का, राग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 413 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 17 Oct 2019 · 1 min read गजल - न छोड़े साथ जीवन भर वो जीवन संगनी हो तुम न छोड़े साथ जीवन भर, वो जीवन संगनी हो तुम।। अधूरी जिंदगी तुम बिन, मेरी अर्धांगिनी हो तुम।। सदा सुख दुःख का इक साथी, दिया मैं वो मेरी बाती। दुःखों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 571 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 17 Oct 2019 · 1 min read ग़ज़ल- इक़ ख़्वाब दिल में पल रहा... इक़ ख़्वाब दिल में पल रहा। हर दौड़ में अब्बल रहा।। अब जीतता है बस वही। वैसाखियों पे चल रहा। मत बोलिये अब सच यहाँ। बस झूठ ही तो फल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 304 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 9 Oct 2019 · 1 min read ग़ज़ल- तस्वीर तुम्हारी में, इक़ हूर नज़र आये ग़ज़ल? तस्वीर तुम्हारी में, इक़ नूर नज़र आये। अब दिल के आईने में, इक़ हूर नज़र आये।। लगता है तुम्हे रब ने, फुरसत से बनाया है। ये हुस्न बनाकर रब,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 253 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 7 Oct 2019 · 1 min read ग़ज़ल- महबूब ही ख़ुदा मेरा महबूब बंदगी..... महबूब ही ख़ुदा मेरा महबूब बंदगी। महबूब ख़ूबरू मेरा महबूब सादगी।। महबूब मेरा बन गया पहचान अब मेरी। तेरे बग़ैर जिंदगी लगती है खस्तगी।। जुल्मों सितम किये तेरी अस्मत को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 454 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 7 Oct 2019 · 1 min read ग़ज़ल- अदब की ज़िंदगी मे क्या कमी है... अदब की ज़िंदगी मे क्या कमी है। अकड़ में टूट जाना लाज़मी है।। नही छोटा बड़ा कोई ज़हाँ में। मुकद्दर का खिलौना आदमी है।। दिखाता ख़्वाब खुशियों के शहंशाह। वतन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 380 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 6 Oct 2019 · 1 min read ग़ज़ल - न मस्जिदों में खुदा शिव नहीं शिवालों में *ग़ज़ल* ?? न मस्जिदों में खुदा है न है शिवालों में। खुदा मिलेगा कबीरा के ही खयालों में।। नशा शराब न दौलत न रूप के मद से। नशा रहेगा सदा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 223 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 5 Oct 2019 · 1 min read ग़ज़ल- जमाना देखिये कितना बिगड़ गया साहिब *ग़ज़ल* जमाना देखिये कितना बिगड़ गया साहिब। हमारी जान के पीछे ही पड़ गया साहिब।। बड़े ही शौक से इक़ आशियां बनाया था। ज़रा से शक मे ये गुलशन उजड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 561 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 26 Sep 2019 · 1 min read ग़ज़ल- वफ़ा के नाम पे अब बेवफाई आम हुई... ??? *ग़ज़ल* ??? *वज़्न* - 1212 1122 1212 22 *अर्कान* - मुफ़ाइलु फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन *बह्र* - मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ मक़्तूअ ?????????? वफ़ा के नाम पे अब बेवफाई आम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 290 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 18 Sep 2019 · 1 min read ग़ज़ल- तीर अब बाकी नही हैं अर्जुनी तूणीर में तीर अब बाकी नही हैं अर्जुनी तूणीर में। धार पैनी भी नहीं अब राणा की शमशीर में।। अब नही दीवानगी है इश्क़ की तासीर में। रब नज़र आता नहीं अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 387 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 10 Sep 2019 · 1 min read ग़ज़ल- देखकर शोहरत मेरी क़ातिल जमाना हो गया देखकर शोहरत मेरी क़ातिल जमाना हो गया। नाम के सिक्के चले ग़ाफ़िल जमाना हो गया।। ख़ून कत्लेआम ने टुकड़े ज़मीं के कर दिए। प्यार से दिल जीतकर वासिल जमाना हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 317 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 4 Sep 2019 · 1 min read प्रेम के दौहे प्रेम है अति पावना, हवस देह व्यापार। दोनों में अंतर बहुत, नादा समझें प्यार।। 【1】 हवसी तन को लूटता, प्रेमी परम् उदार। है कलंक माथे हवस , प्रेम जगत आधार।।... Hindi · दोहा 1 2 332 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 1 Sep 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- मेरी दौलत मेरी शौहरत, रब की ही सौग़ात है मेरी दौलत मेरी शौहरत, रब की ही सौग़ात है। कर रहा मेरा ख़ुदा सब, मेरी क्या औकात है।। हुस्न पर इतना तक्कब़ुर क्यों तुझे ए नाज़नीं। चार दिन की चाँदनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 285 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 1 Sep 2019 · 1 min read ग़ज़ल- प्यार के दरिया में रहकर प्यार की ही प्यास थी दूरियां थी दरमियां लेकिन मिलन की आस थी। प्यार के दरिया में रहकर प्यार की ही प्यास थी।। फ़ासले हों दरमियाँ, कोशिश सभी की ही रही। लाख बंदिश थी ज़माने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 236 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 23 Aug 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- मुझको यकीं उस पर बहुत, मेरा सनम बस एक है.. मुझको यकीं उस पर बहुत, मेरा सनम बस एक है। दुनिया में हैं मज़हब बहुत, मेरा धरम बस एक है।। ख़तरा नही दुश्मन से अब, ग़द्दार यारों से सदा। करता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 251 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 21 Aug 2019 · 1 min read ग़ज़ल- हुआ मददा बहुत व्यापार साहब। हुआ मद्दा बहुत व्यापार साहब। नये आये हैं थानेदार साहब।। ख़बर सूबों में फैला दीजिएगा। बड़े सच्चे हैं सूबेदार साहब।। बपौती नौकरी अपनी समझते। बने अनपढ़ भी दावेदार साहब।। खबर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 249 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 20 Aug 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- सदे अल्फ़ाज़ जब बह्रों में सज श्रृंगार करते हैं... सदे अल्फ़ाज़ जब बह्रों में सज श्रृंगार करते हैं। सुखन के क़ायदे ही तो ग़ज़ल तैयार करते हैं।। ▪▪?▪▪ बिना वज़्नों के ये अरकान भी दम तोडते अक़्सर। हैं कितने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 423 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 8 Jun 2019 · 1 min read गज़ल- जब तलक शम्अ ये दिल में जलती रहे जब तलक शम्अ ये दिल में जलती रहे। आस दीदार की दिल में पलती रहे।। आरज़ू दिल की है आख़िरी ये मेरी।। वस्ल तक ही सही सांस चलती रहे।। सिलसिला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 471 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 26 May 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- रेत पे खींची हुई लक़ीर नही हूँ रेत पे खींची हुई लक़ीर नही हूँ। पानी मे घुल जाए ऐसा शीर नही हूँ।। दे रहा पैग़ाम यार चैन-ओ-अमन का। प्यार का आज़म हूँ मैं हक़ीर नही हूँ।। क़ैद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 260 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 24 May 2019 · 1 min read ग़ज़ल:-अश्क़ पी कर रह गये तुमने बहाए क्यों नहीं *मतला* - अश्क़ पी कर रह गये तुमने बहाए क्यों नहीं। ज़ख्म दिलके आपने हमको दिखाए क्यों नहीं।। 【1】 प्यास हो दिल मे अग़र उसको बुझाना चाहिए। पास दरिया के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 210 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 16 May 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- इसी मकाँ में कभी आशियाँ हमारा था इसी मकाँ में कभी आशियाँ हमारा था। थी झोपड़ी वो मग़र जीने का सहारा था।। मेरी नज़र में वो मानिंद-ए-ताज सा लगता। अमीर ए शह्र की नज़रों में वो शरारा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 194 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 14 May 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- मैं जख़्मों को अपने छिपाता रहा हूँ मैं जख़्मों को अपने छिपाता रहा हूँ। हँसा हूँ ख़ुदी पे हँसाता रहा हूँ।। मिटाता जमाना बने घोंसलों को। मैं चुन चुन नशेमन बनाता रहा हूँ।। वो आबोहवा को मिटाते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 256 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 30 Apr 2019 · 1 min read ग़ज़ल- मौत से ही साक्षात्कार करके आया हूँ... मौत से ही साक्षात्कार करके आया हूँ। यानी मैं उसे ही दरकिनार करके आया हूँ।। मौत ही तो इक़ सिला है, मौत सच का आइना। सच कहूँ मैं सच का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 271 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 25 Apr 2019 · 1 min read गजल- सच कहूँ मशहूर होना चाहता हूँ सच कहूँ मशहूर होना चाहता हू। चाँद सा पुरनूर होना चाहता हूँ।। बनके भौरा चूसता था रस गुलों का। अब तेरा सिंदूर होना चाहता हूं।। जो पिये मुझको ज़रा सा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 326 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 17 Apr 2019 · 1 min read ग़ज़ल- वो "गिरगिट सा रंग बदलना" जानते हैं हिंदी भाषा के मुहावरे और लोकोक्तियां पर आधारित यह गजल/ गीतिका लिखने का प्रयास किया गया है। वो "गिरगिट सा रंग बदलना" जानते हैं। हम "उड़ती चिड़िया का ठिकाना" जानते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 247 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 3 Apr 2019 · 1 min read ग़ज़ल- महका है दिल कि गुल खिला गुलशन में जिस तरह महका है दिल कि गुल खिला गुलशन में जिस तरह। कोई मयूर नाचता सावन में जिस तरह।। महका हुआ दयार है अब मेरा चार सू। खुशबू बिखेर वो गये आंगन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 490 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 31 Mar 2019 · 1 min read गीत:- तेरे बिन इक़ पल भी मुश्किल रहना है। *शे'र:-* शमाँ इश्क़ की दिल मे जलने लगी है। जमी बर्फ़ दिल मे पिघलने लगी है।। सजे ख़्वाब साजन तेरे नूर से ही। तुझे देख धड़कन मचलने लगी है।। *मुखडा:-*... Hindi · गीत 295 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 26 Mar 2019 · 1 min read व्यंग्य- सांढ सरीको ढेंक रओ है हर कुई अपनी सेंक रओ है। इते उते की फेंक रओ है।। जाने माने कछ्छू नई। गधा पढ़ारो रेंक रओ है।। अपने मुंह मिट्ठू बन के, मौआ-छोले की मेंक रओ... Hindi · कविता 1 1 261 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 25 Mar 2019 · 1 min read व्यंग्य- बुंदेलखंडी बोली में *व्यंग्य- बुंदेलखंडी बोली में* ✍? *अरविंद राजपूत 'कल्प'* रे मेढ़क जैसे मत टर्राओ, उछलकूंद ने ख़ूब मचाओ। वे-मौसम तुम टर्ररा रह हो, सींढ़ पाय के गर्रा रह हो।। जुगनू हो... Hindi · कविता 443 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 25 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- छलते हो बारबार, मुझे यार बनके तुम छलते हो बारबार, मुझे यार बनके तुम। काँटे ही तो बिछाते हो गुलज़ार बनके तुम।। व्यापार ग़म का करते हो गमख़्वार बनके तुम। बेदर्दी दर्द देते हो उपचार बनके तुम।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 313 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 21 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल- अब की होली में मुझे मिला सभी का प्यार अबकी होली में। खिज़ां में आ गई बहार अबकी होली में।। चढ़ा है भाँग का खुमार अबकी होली में। नशा हुआ है बेशुमार अबकी होली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 654 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 19 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- बेबसी पर मेरी, कुछ तरस खाइए बेबसी पर मेरी, कुछ तरस खाइये। आइए आइए, अब चले आइये।। बाजुओं में मेरे, अब समा जाइये। मेरे दिलवर मुझे अब न तरसाइये।। आपका प्यार ही, एक दौलत मेरी। इसपे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 285 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 13 Mar 2019 · 1 min read ग़ज़ल- इंसानियत को छोड़ के शैतान बन गया इंसानियत को छोड़ के शैतान बन गया। इंसान आज का तो, ये हैवान बन गया।। उसकी जरूरतों पे, मैं पहचान बन गया। करवट जो बदली वक़्त, ने अनजान बन गया।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 287 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 19 Feb 2019 · 1 min read आरती - आरती श्री नरहरिया जी की। साईं सरोवर नर्मदा जी की।। आरती श्री नरहरिया जी की। साईं सरोवर नर्मदा जी की।। जब दुर्भिक्ष ने पाँव पसारे। दुखियों के सब कष्ट निवारे।। साईंधाम में आप विराजे। तलापार के बाबा जी की।। आरती... Hindi · कविता 282 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 17 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल- दिल में धड़कन सी है, वो बहुत खास है दिल की धड़कन में है, वो बहुत ख़ास है। रूह में वो बसी मुझको एहसास है।। चाँद मांगे ये दिल, इक़ खिलौना समझ। वो हकीकत नहीं सिर्फ आभास है।। प्यास... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 308 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 17 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल- प्यार होता है क्या, प्यार होता है क्यों प्यार होता है क्या, प्यार होता है क्यों। कोई भा जाए तो, दिल मचलता है क्यों।। चेन मिलता नहीं, नींद आती नहीं। दर्द मीठा मगर, दर्द होता है क्यों।। रात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 306 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 16 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल- मोदी जी तुम संघर्ष करो यह देश तुम्हारे साथ है मोदी जी तुम संघर्ष करो यह देश तुम्हारे साथ है। आदेश करो अब सेना को हर एक तुम्हारे साथ है।। कर आदेशित सेना को अब दुश्मन का संहार करो। पुलबामा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 330 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 14 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- वो समझते नहीं, या समझदार हैं वो समझते नहीं, या समझदार हैं। मुक्त पंछी हैं वो, हम गिरफ्तार हैं।। मर रहे प्यार में, मिट गये प्यार में। ख़ुद को भूले हैं हम, वो ख़बरदार हैं।। प्यार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 263 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 9 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- अपने हाथों की लकीरें, खुद मिटा डाली मैंने अपने हाथों की लकीरें, खुद मिटा डाली सभी। वक़्त के हाथों से जंजीरें, हटा डाली सभी।। जीतना मुझको नही, अपनो की जिसमे हार हो। ख्वाहिशें अब जीतने की, भी मिटा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 282 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 9 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल- यार की यारी लिखूँ, या फ़िर वफादारी लिखूँ यार की यारी लिखूँ, या फ़िर वफादारी लिखूँ। जिंदगी के खेल में, बाज़ी को अब हारी लिखूँ।। मूर्खता अपनी को मैं ख़ुद, की समझदारी लिखूँ।। आत्मचिंतन को घुटन कह, बात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 280 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 7 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल: ख़ुशबू तेरी बदन में, महकती है आज भी ख़ुशबू तेरी बदन में, महकती है आज भी। यादों की बिजलियाँ सी चमकती है आज भी।। मिलकर तेरा सहमना वो नज़रें झुकाना यूँ। फूलों लदी हो डाली सी झुकती है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 279 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 5 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल- दिल मे खुद्दारी रखो, अपनी छवि न्यारी रखो दिल मे खुद्दारी रखो, अपनी छवि न्यारी रखो। गफलतों में मत पड़ो, बस समझदारी रखो। यार से यारी रखो, दुश्मनी प्यारी रखो। साथ छूटे या बने, बस वफादारी रखो।। सत्य... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 263 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 4 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल- थाम कर हाथ राहें दिखाना सनम। थाम कर हाथ राहें दिखाना सनम। साथ जीवन मरण का निभाना सनम।। तुम मिले प्राणवायु मिली है मुझे। मर न जाऊँ कहीं मैं बचाना सनम।। छोड़कर सारी दुनिया को मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 307 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 3 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल- मिलेंगे अब जमी अंबर, सितारों की गवाही में मिलेंगे अब जमी अंबर, सितारों की गवाही में। मिलन मधुमास आयेगा, नजारों की गवाही में।। जुबा खामोश है मेरी, जो चाहे अब सजा देदो। अदालत फैसला देगी, इश़ारों की गवाही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 311 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 3 Feb 2019 · 1 min read ग़ज़ल- ज़ाम पे ज़ाम पीता रहा आज़तक ज़ाम पे ज़ाम पीता रहा आज़तक। होश़ आए न जीता रहा आज़तक।। वो निबाले दिखाता रहा आज़तक। भूख मेरी बढ़ाता रहा आज तक।। उसकी चाहत में ख़ुद को मिटा डाला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 256 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 31 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल - मिलन के तराने यूँ हम गुनगुना लें मिलन के तराने यूँ हम गुनगुना लें। चलो ज़िंदगी को ग़ज़ल हम बना लें।। मिलें वो कभी तो गले से लगा लें। मिलें इस क़दर हम ख़ुदी को मिटा लें।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 229 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 28 Jan 2019 · 1 min read मुक्तक फ़लक के चांद तारे सब, जमीं से प्यार करते हैं। घुमड़ते मेघ बारिश कर, दिली इज़हार करते हैं।। कड़कती धूप सूरज दे, सुनेहरा कर लुभाता है। रजत शबनम लुटा करके,... Hindi · मुक्तक 224 Share अरविन्द राजपूत 'कल्प' 28 Jan 2019 · 1 min read ग़ज़ल:- सादगी से अब नही जी पा रहा है आदमी सादगी से अब नही जी पा रहा है आदमी। आदमी को आदमी बन खा रहा है आदमी।। था बुजुर्गों से सुना डायन भी छोड़े एक घर। साँप बन खुद के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 375 Share Previous Page 3 Next