Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2019 · 1 min read

ग़ज़ल- हुआ मददा बहुत व्यापार साहब।

हुआ मद्दा बहुत व्यापार साहब।
नये आये हैं थानेदार साहब।।

ख़बर सूबों में फैला दीजिएगा।
बड़े सच्चे हैं सूबेदार साहब।।

बपौती नौकरी अपनी समझते।
बने अनपढ़ भी दावेदार साहब।।

खबर उनको नही अब मुफ़लिसों की।
हुए जबसे सियासतदार साहब।।

सियासत हो मुबारक ‘कल्प’ उनको।
भुला नफ़रत करें हम प्यार साहब।।

अरविंद राजपूत ‘कल्प’
बह्र:- मुसद्द्स मक़सूर महज़ूफ़
अरकान:- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122.

245 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुनी चेतना की नहीं,
सुनी चेतना की नहीं,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
काव्य भावना
काव्य भावना
Shyam Sundar Subramanian
*वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी (गीत)*
*वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी (गीत)*
Ravi Prakash
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मनुख
मनुख
श्रीहर्ष आचार्य
ग़ज़ल
ग़ज़ल
कवि रमेशराज
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
shabina. Naaz
दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी . . . .
sushil sarna
वक़्त की मुट्ठी से
वक़्त की मुट्ठी से
Dr fauzia Naseem shad
वफा से वफादारो को पहचानो
वफा से वफादारो को पहचानो
goutam shaw
जन पक्ष में लेखनी चले
जन पक्ष में लेखनी चले
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जिगर धरती का रखना
जिगर धरती का रखना
Kshma Urmila
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
कवि दीपक बवेजा
बैसाखी....
बैसाखी....
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
💐प्रेम कौतुक-418💐
💐प्रेम कौतुक-418💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दायरों में बँधा जीवन शायद खुल कर साँस भी नहीं ले पाता
दायरों में बँधा जीवन शायद खुल कर साँस भी नहीं ले पाता
Seema Verma
पढ़ें बेटियां-बढ़ें बेटियां
पढ़ें बेटियां-बढ़ें बेटियां
Shekhar Chandra Mitra
देखिए आईपीएल एक वह बिजनेस है
देखिए आईपीएल एक वह बिजनेस है
शेखर सिंह
3270.*पूर्णिका*
3270.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वर्ल्ड रिकॉर्ड
वर्ल्ड रिकॉर्ड
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने
कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
मैं क्या लिखूँ
मैं क्या लिखूँ
Aman Sinha
विरह
विरह
नवीन जोशी 'नवल'
दोहा-सुराज
दोहा-सुराज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
Rj Anand Prajapati
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
.......*तु खुदकी खोज में निकल* ......
.......*तु खुदकी खोज में निकल* ......
Naushaba Suriya
दुर्गा माँ
दुर्गा माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कविता
कविता
Shyam Pandey
Loading...