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Tag: कविता
185 posts
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बकरे की माई कब तक खैर मनाएगी।
बकरे की माई कब तक खैर मनाएगी।
अनुराग दीक्षित
भारत माँ मुस्काई है ।
भारत माँ मुस्काई है ।
अनुराग दीक्षित
सभी पर मातृभूमि का कर्ज निभायें हम सब अपना फर्ज ।
सभी पर मातृभूमि का कर्ज निभायें हम सब अपना फर्ज ।
अनुराग दीक्षित
तेरी याद मुझको सताती बहुत है ।
तेरी याद मुझको सताती बहुत है ।
अनुराग दीक्षित
झूला पड़ गयो अमवाॅ के डार जी।
झूला पड़ गयो अमवाॅ के डार जी।
अनुराग दीक्षित
बहुत सुहानी लगती ये बरसात है।
बहुत सुहानी लगती ये बरसात है।
अनुराग दीक्षित
मेरे हमदम साथ निभाना ।
मेरे हमदम साथ निभाना ।
अनुराग दीक्षित
मातु पिता जीवन निधि पावन ।
मातु पिता जीवन निधि पावन ।
अनुराग दीक्षित
अरमानों की बात न पूछो ।
अरमानों की बात न पूछो ।
अनुराग दीक्षित
राणा प्रताप जी के प्रति
राणा प्रताप जी के प्रति
अनुराग दीक्षित
जय भारत जय भारती ।
जय भारत जय भारती ।
अनुराग दीक्षित
पग पग पर साथ मिला तेरा ।
पग पग पर साथ मिला तेरा ।
अनुराग दीक्षित
चिड़िया रानी आओ ना अपनी प्यास बुझाओ ना ।
चिड़िया रानी आओ ना अपनी प्यास बुझाओ ना ।
अनुराग दीक्षित
सदा रोशन रहे वो घर जहां माँ मुस्कुराती है ।
सदा रोशन रहे वो घर जहां माँ मुस्कुराती है ।
अनुराग दीक्षित
माँ अम्बे भक्तों को वर दो ।
माँ अम्बे भक्तों को वर दो ।
अनुराग दीक्षित
चलो करें मतदान ।
चलो करें मतदान ।
अनुराग दीक्षित
प्राण देकर शहीदों ने सजाया देश को अपने ।
प्राण देकर शहीदों ने सजाया देश को अपने ।
अनुराग दीक्षित
समझ लेओ होरी है ।
समझ लेओ होरी है ।
अनुराग दीक्षित
विष दे झूठा विश्वास न दे ।
विष दे झूठा विश्वास न दे ।
अनुराग दीक्षित
तुम वीर पुरूष की वीर नार ।
तुम वीर पुरूष की वीर नार ।
अनुराग दीक्षित
व्यर्थ न जायेगी कुर्बानी व्यर्थ नहीं होगा बलिदान ।
व्यर्थ न जायेगी कुर्बानी व्यर्थ नहीं होगा बलिदान ।
अनुराग दीक्षित
देखो फिर से आया बसंत
देखो फिर से आया बसंत
अनुराग दीक्षित
सुन्दर पावन धरा भारती ।
सुन्दर पावन धरा भारती ।
अनुराग दीक्षित
पिया कब तक निहारू मैं अब द्वार पे डाल दो एक नजर मेरे श्रृंगार पे ।
पिया कब तक निहारू मैं अब द्वार पे डाल दो एक नजर मेरे श्रृंगार पे ।
अनुराग दीक्षित
जिंदगी दुल्हन है एक रात की ।
जिंदगी दुल्हन है एक रात की ।
अनुराग दीक्षित
नव वर्ष अभी भी बाकी है ।
नव वर्ष अभी भी बाकी है ।
अनुराग दीक्षित
मुझे ऐसे निहारो न मोरे पिया ।
मुझे ऐसे निहारो न मोरे पिया ।
अनुराग दीक्षित
कान्हा बतिया बनावत कोरी ।
कान्हा बतिया बनावत कोरी ।
अनुराग दीक्षित
कर लो मुझे स्वीकार अब तुम भी प्रिये ।
कर लो मुझे स्वीकार अब तुम भी प्रिये ।
अनुराग दीक्षित
तब तक दीवाली बाकी है ।
तब तक दीवाली बाकी है ।
अनुराग दीक्षित
अच्छा लगता है।
अच्छा लगता है।
अनुराग दीक्षित
हिन्दी भारत की प्राण वायु जीवन्त सरल जन भाषा है।
हिन्दी भारत की प्राण वायु जीवन्त सरल जन भाषा है।
अनुराग दीक्षित
जन्मे कृष्ण कन्हाई।
जन्मे कृष्ण कन्हाई।
अनुराग दीक्षित
नेह का बन्धन रक्षा बंधन।
नेह का बन्धन रक्षा बंधन।
अनुराग दीक्षित
तिरंगा बना जब कफ़न देश हित।
तिरंगा बना जब कफ़न देश हित।
अनुराग दीक्षित
करें ऐसा भारत तैयार, सौहार्द प्रेम की बहे बयार।
करें ऐसा भारत तैयार, सौहार्द प्रेम की बहे बयार।
अनुराग दीक्षित
जय आशुतोष जय प्रभु कृपाल हे नीलकंठ शिव महाकाल ।
जय आशुतोष जय प्रभु कृपाल हे नीलकंठ शिव महाकाल ।
अनुराग दीक्षित
चलो फिर चलें हम अपने गांव जहां है नीम की ठंडी छाँव कि बचपन टेर रहा कि बचपन टेर रहा।
चलो फिर चलें हम अपने गांव जहां है नीम की ठंडी छाँव कि बचपन टेर रहा कि बचपन टेर रहा।
अनुराग दीक्षित
जय जय जय आजाद अमर जय वीर प्रसूता मातु महान।
जय जय जय आजाद अमर जय वीर प्रसूता मातु महान।
अनुराग दीक्षित
मन का मन्दिर देवालय तो
मन का मन्दिर देवालय तो
अनुराग दीक्षित
शाम ढलती रही प्रीत पलती रही प्यास होठों पे आके मचलती रही।
शाम ढलती रही प्रीत पलती रही प्यास होठों पे आके मचलती रही।
अनुराग दीक्षित
सतगुरु शरण जगत की तरनी।
सतगुरु शरण जगत की तरनी।
अनुराग दीक्षित
हम सफर में रहे हमसफर के लिए।
हम सफर में रहे हमसफर के लिए।
अनुराग दीक्षित
हुआ तन्हा सफर मुश्किल, चलो फिर से मिलाएं दिल।
हुआ तन्हा सफर मुश्किल, चलो फिर से मिलाएं दिल।
अनुराग दीक्षित
दिल जो टूटा कभी भी कलमकार का ये कलम शब्द के पार फिर जाएगी।
दिल जो टूटा कभी भी कलमकार का ये कलम शब्द के पार फिर जाएगी।
अनुराग दीक्षित
देखो आज है इतवार प्रिये।
देखो आज है इतवार प्रिये।
अनुराग दीक्षित
जीवन बगिया में खिलते हैं सब फूल यहाँ सुख दुःख वाले।
जीवन बगिया में खिलते हैं सब फूल यहाँ सुख दुःख वाले।
अनुराग दीक्षित
तेरी चाहत लिए गुनगुनाता रहा, कितने रंगीन सपने सजाता रहा।
तेरी चाहत लिए गुनगुनाता रहा, कितने रंगीन सपने सजाता रहा।
अनुराग दीक्षित
भाव एक गीत है मन का संगीत है भावना की सघन एक अनुभूति है।
भाव एक गीत है मन का संगीत है भावना की सघन एक अनुभूति है।
अनुराग दीक्षित
मैं बहारों के गुलशन सजाता रहा, हर अमावस को पूनम बनाता रहा।
मैं बहारों के गुलशन सजाता रहा, हर अमावस को पूनम बनाता रहा।
अनुराग दीक्षित
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