Mugdha shiddharth Language: Hindi 841 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 17 Mugdha shiddharth 31 Jan 2019 · 1 min read औरत हूँ ! औरत हूँ कभी आग तो कभी पानी हूँ कभी नीमगोली तो कभी गुड़धानी हूँ छू लिया जो किसी ने आन मेरी कभी लक्ष्मी बाई तो कभी रज़िया सुल्तान हूँ कभी... Hindi · कविता 1 204 Share Mugdha shiddharth 22 Jan 2019 · 1 min read आओ लेनिन इस बार हमारे घर आंगन में आओ ! लेनिन तुम्हारे 'जन्मदिवस' पर, तुम से ही, तुम्हारा उपहार मांगती हूँ, कि आओ हमारे घर आंगन में आओ दरवाज़े दलानों में आओ आके फूंक दो क्रांति का बिगुल, हमारी जड़... Hindi · कविता 2 236 Share Mugdha shiddharth 5 Jan 2019 · 1 min read और हम चुप रह गए मिडिया की छुपाई में ! इंसान और चूहे के बीच का अंतर खत्म हुआ। चूहे को भी चुहेदानी में फंसा देख हम तड़पते नहीं, और कोयला खान में फंसे मजदूरों को देख कर भी, नहीं... Hindi · कविता 2 265 Share Mugdha shiddharth 1 Jan 2019 · 1 min read एक चुटकी नून ढूंढ रही हूँ एक चुटकी नून(नमक) ढूंढ रही हूँ, अपने जख्मों पे रगड़ने को ताकि सारी रात हाय-हाय करती रहूं, सिसकती, सुबकती रहूं, भोर होने तक, तुम लोगों के जागने तक ताकि तुम... Hindi · कविता 2 270 Share Mugdha shiddharth 29 Dec 2018 · 1 min read आशा है आएगा इंकलाब का काल ! समानता की राह में, एकता की बाँह में देखो तो गौर से, बिछ गए हैं काटों का जाल। नागों ने कर लिया है आपस में मंत्रणा, फूलों और कलियों के... Hindi · कविता 3 2 234 Share Mugdha shiddharth 29 Dec 2018 · 1 min read हम लड़ेंगे जरूर, अपने जख्मों के लिए ! जाड़े के दिनों में, अंगीठी जला के बैठना, या गुनगुने धुप में खुद को सेकना अच्छा लगता है न ? लेकिन सरकार जिस अंगीठी पे हमें बैठा के मजे ले... Hindi · कविता 2 337 Share Mugdha shiddharth 28 Dec 2018 · 1 min read मेरे शब्दों की बेनी पे ! क्या नया हो जाएगा नए साल में ? जो खुश होजाऊं, इतराऊं, जश्न मनाऊं । क्या गिद्धों के चोंच गिर पड़ेंगे भेड़ियों के रक्तपिपासु दांत गिर पड़ेंगे ? या जिनके... Hindi · कविता 4 262 Share Mugdha shiddharth 27 Dec 2018 · 1 min read मालिक कौन शेर, कुत्ता ,गीदर सब की लोग उपमा देते हैं बिल्ली को क्यूँ भूल जातें हैं ? क्यूंकि बिल्ली उनकनी परछाई है क्यूंकि पालतें हैं, बिल्ली को, अपने ही अंदर भीतर... Hindi · कविता 2 226 Share Mugdha shiddharth 25 Dec 2018 · 2 min read तो आओ घसीटो हमें ! रोज - रोज थोड़ा - थोड़ा मारने में क्या मज़ा है ? मैं तो बोलती हूँ उठाओ अपना हाथ, ले जाओ हमारे बालों तक और घसीटो हमें, राज महल से... Hindi · कविता 5 1 347 Share Mugdha shiddharth 24 Dec 2018 · 2 min read संजलि अब तुम डरना ! संजलि अब तुम डरना, हमारे बदले, हमारे देश में, देश हित में नया कानून पारित हुआ है। डरना मना है, डर नहीं सकते कुछ भी हो जाए, पर तुम डर... Hindi · कविता 2 281 Share Mugdha shiddharth 22 Dec 2018 · 2 min read प्यारी संजलि ! प्यारी संजलि तुम मर गई, तुम मुक्त हो गई, हम लोग भी मर चुके हैं, आधे - आधे पर मुक्त नहीं हुए तुम्हें पहले जलाया गया,फिर मारा गया हम लोगों... Hindi · कविता 3 1 462 Share Mugdha shiddharth 21 Dec 2018 · 1 min read अब उन्हें डरना होगा ! खोने और पाने का भय, हम ही क्यों पाले, क्यों हर वक्त हम ही इस डर में जीये, कि हमारा सब छिन जायेगा, वो जो हमारे ऊपर बैठे हैं, जिन्हें... Hindi · कविता 3 264 Share Mugdha shiddharth 19 Dec 2018 · 2 min read मुट्ठी बनो या मुट्ठी में रहो ! पीड़ा जब मन में लबालब भर जाता है, वो शब्द हो जाता है, कोरे कागज़ पे,यूँ ही छलक जाता है, अक्षरों से शब्द, शब्द से कविता हो जाता है ।... Hindi · कविता 8 591 Share Mugdha shiddharth 17 Dec 2018 · 1 min read विद्रोही अभी ज़िंदा हैं ! विद्रोही मरे नहीं, विद्रोही मरा नहीं करते वो ज़िंदा हैं, जब तक शोषण ज़िंदा है जब तक शोषण के खिलाफ उठने बाली आवाज ज़िंदा जब तक हमारे कंठो में प्रतिकार... Hindi · कविता 3 316 Share Mugdha shiddharth 16 Dec 2018 · 1 min read गेरुआ रंग मैं कई बार उठती हूँ फिर बैठ जाती हूँ, अपने मन के दरवाजे पे सहमी सी खड़ी रह जाती हूँ देख के धीरे- धीरे उडते गेरुआ रंग को मेरे शहर... Hindi · कविता 3 436 Share Mugdha shiddharth 16 Dec 2018 · 1 min read धर्मांधता उन्होंने तो सिर्फ बीज फेका था, धर्मांधता का, उर्वरक जमीन देख कर, पागल तो हम स्वयं हुए थे, अपने मन कि उर्वरक जमीन दी, अपने सहमति का शीतल जल दिया,... Hindi · कविता 4 3 341 Share Mugdha shiddharth 10 Dec 2018 · 1 min read उड़ान भरने दो ! रोको मत आज इन्हें, आवाज़ उठाने दो सदियों से ख़ामोश लबों पे, कुछ लफ्जों को इतराने दो, रोको मत आज इन्हें कुछ खुल के प्रतिकार जताने दो, इनके बोझिल कँधों... Hindi · कविता 4 1 282 Share Mugdha shiddharth 8 Dec 2018 · 1 min read घसीट के घुटनों पे लाएँगे ! अकाल पड़ा है, खेतों में नहीं दिलों में,खाये -अघाये लोगों के दिलों में, हम भूख कि बात करते हैं, वो सुख अपना गिनवाते हैं, हम रोटी -रोटी करते हैं, वो... Hindi · कविता 4 2 253 Share Mugdha shiddharth 5 Dec 2018 · 1 min read हमारी नस्ल की जड़ों में दीमक लगाना चाहते हैं ! हर बार जब सोचने लगती हूँ सब ठीक हो रहा है , किसी अंधेरे कोने से गेरुया रंग में रगें भेड़िया निकल आतें है कुछ गर्म लोहे उगलते हुए ,... Hindi · कविता 4 447 Share Mugdha shiddharth 1 Dec 2018 · 1 min read असली मालिक आज चौकीदार से मिलने आये हैं, असली मालिक आज राजधानी आए हैं, चौकीदार से अपना हिसाब मांगने आए हैं, जो चीख़ते थे बुलाना किसी चौराहे पे एक दिन, चौराहा आज उनके दरवाज़े पे ले के आए... Hindi · कविता 6 4 405 Share Mugdha shiddharth 29 Nov 2018 · 1 min read अपने मजबूत हाथों को अब, लाल झंडे का भार दो ! देश के युवा हो तुम, देश हित में एक नया बलिदान दो देश हित के लिए ,धर्म की बेड़ियों को तुम काट दो, हो अगर हौसलों में दम, बाजुओं में... Hindi · कविता 12 423 Share Mugdha shiddharth 25 Nov 2018 · 1 min read बेरोजगार हूँ साहिब, एक अदद रोजगार चाहता हूँ। मेरा नहीं, देश के युवाओं का कहना है/ युवा देश का युवा हूँ, बेज़ार और बेकार हूँ, अपने हाथों के लिए कोई काम चाहता हूँ , बेरोजगार हूँ साहिब अपने... Hindi · कविता 13 4 371 Share Mugdha shiddharth 20 Nov 2018 · 1 min read आज मेरी आँखों ने अपनों को जलते देखा। आज जलते हुए लोग देखे सुलगती हुई आँखें देखी सड़ती बदबूदार माबाद निकलती खोपड़ी देखी सब को चलते देखा सब को जलते देखा आज अपने घर [देश ] को जलते... Hindi · कविता 10 2 310 Share Mugdha shiddharth 13 Nov 2018 · 2 min read शिव के नंदी मैं , समझ नही पा रही - ये जो हर पाँच सालों में एक बार , हमारे दरवाज़ों पे, हाँथ बांधे ,सर झुकाये , शिव के नंदी से दीखते लोग... Hindi · कविता 19 1 387 Share Mugdha shiddharth 6 Nov 2018 · 1 min read साथी ; आज राम घर आबेंगे साथी ; आज राम घर आबेंगे, पूर्ण करके वचन पिता का। असंख्य रूपों में प्रकट हो के , जन -जन को हर्षावेंगे आज वन को त्याग राम घर आबेंगे !... Hindi · कविता 28 4 329 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2018 · 1 min read माँ मेरी देवी नहीं माँ मेरी देवी नहीं – हाड़ - मांस की नारी है, ये अलग बात है , वो जग से अलग – थोड़ी सी न्यारी है ! नास्तिक नहीं वो –... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 40 91 2k Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2018 · 1 min read माँ मेरी देवी नहीं माँ मेरी देवी नहीं - हार मांस की नारी है, ये अलग बात है , वो जग से अलग - थोड़ी सी न्यारी है ! नास्तिक नहीं वो - फिर... Hindi · कविता 23 2 523 Share Mugdha shiddharth 31 Oct 2018 · 1 min read दिल्ली मर रहा है । दिल्ली मर रहा है , दिल्ली हांफ रहा है, हवा में ज़हर घुल गया है। और लोग, आँख मूंदे चल रहें है, उफ; साँस भी छान- छान के ले रहें... Hindi · कविता 21 1 615 Share Mugdha shiddharth 28 Oct 2018 · 2 min read मेरी क़लम मेरी क़लम एक लकीर खींच दी गई है दायरा बना दिया गया है एक फरमान जारी की गई है बंदिश सी लगा दी गई है मेरी क़लम को दायरे में... Hindi · कविता 20 1 410 Share Mugdha shiddharth 25 Oct 2018 · 2 min read कैसा शरद और कैसा पूर्णिमा आसमान के आचंल में दूधिया सा चाँद गुरु पूर्णिमा का पूरी रवानी पे है, अमावस्या को पछाड़ आया पीछे कहीं , भूतकाल के अंधेरे में विजय पताका लहराता हुआ नीले... Hindi · कविता 18 382 Share Mugdha shiddharth 19 Oct 2018 · 2 min read रावण रूठा हुआ है रावण रूठा हुआ है ---------------------- रावण रूठा हुआ है पूछता है मुझ से बार -बार क्या भाई होना बुरा होता है ? अपनी माँ जाई से प्यार करना क्या बुरा... Hindi · कविता 17 2 515 Share Mugdha shiddharth 14 Oct 2018 · 1 min read माटी के मूरत में भवानी दिखती नहीं , किस ओर देखूँ मैं, त्योहार है भवानी का माटी के मूरत में भवानी मुझे दिखती नही, देश के आंगन में फिर बेटी जो मसली गई माँ अपना आँचल ओढ़ाती तो... Hindi · कविता 13 558 Share Mugdha shiddharth 13 Oct 2018 · 1 min read भ्रष्टाचार एक सवाल मन में उमड़ घुमड़ के उठता है अपने देश में ही क्यूँ भ्रष्टाचार फैला है , नेता बने हैं अभिनेता कितने गप -सप करतें रहतें हैं लाशों के... Hindi · कविता 12 284 Share Mugdha shiddharth 13 Oct 2018 · 1 min read मेरे बेली के फूल किसी अपने ने कहा फूलों पे लिखो, खुशबु पे लिखो, सफेद, सुगन्धि, शबनम सी बेली के फूल पे लिखो नहीं लिख पाई बेली के फूल को शब्दों के मोतियों के... Hindi · कविता 16 517 Share Mugdha shiddharth 12 Oct 2018 · 1 min read गंगा पुत्र कौन गंगा पुत्र कौन ? वह जो बिना किसी निजी स्वार्थ के अपना सब कुछ त्याग के सौ दिनों तक... अन्न - जल को भी माँ पे बार के लड़ता रहा... Hindi · कविता 12 329 Share Mugdha shiddharth 11 Oct 2018 · 1 min read त्रासदी भिलाई स्टील प्लांट में गैस पाइपलाइन में ब्लास्ट , कल हाँ कल ही एक और त्रासदी एक और दुर्घटना आसामन को छूती आग की लपटें मानो अपनी जद में आने... Hindi · कविता 13 323 Share Mugdha shiddharth 9 Oct 2018 · 1 min read अब मरूंगी भी मैं ,और देखूंगी भी मैं मेरी आँखों में कितने ही सपने फूलों सा सुन्दर गंगा सा निर्मल असीम आकाश सा बिस्तृत पर मैं ,मैं तो बंधी हूँ अपने ही किसी अपने से एक घेरा है... Hindi · कविता 13 501 Share Mugdha shiddharth 7 Oct 2018 · 2 min read कृषि प्रधान देश का कृषक वो कहलाता है ! बच्चों का पेट काट कर जो, बीज मही में बोता है कृषि प्रधान देश का कृषक वो ही कहलाता है । दुनियाँ का भूख मिटाने को ,जो दिन रात परिश्रम... Hindi · कविता 15 1 630 Share Mugdha shiddharth 6 Oct 2018 · 2 min read बोलते क्यूँ नहीं चुप क्यूँ हो ? बोलते क्यूँ नहीं ? चीखते क्यूँ नहीं ? तुम तो मेरे अपने हो मुझे पहचानते क्यूँ नहीं ? मै हूँ ,हाँ मैं ही तो हूँ... तुम्हारी... Hindi · कविता 16 675 Share Mugdha shiddharth 6 Oct 2018 · 2 min read कहाँ हो तुम गोबिन्द ... ? कहाँ हो तुम गोबिन्द क्यूँ नहीं देखते खुलती नहीं क्यूँ , तुम्हरी आँख क्या चिर निंद्रा में सोये हो तुम या किसी सहचरी संग, प्रेम प्रसंग में खोए हो तुम... Hindi · कविता 14 504 Share Mugdha shiddharth 5 Oct 2018 · 1 min read औरत हूँ औरत हूँ सपने बुन रही हूँ पानी को तोडने का आसमान पे चलने का आग को हथेलियों पे मसलने का अंगुलियों पे चाँद नचाने का क्या बुराई है सपने बुनने... Hindi · कविता 14 2 709 Share Previous Page 17