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5 Jan 2019 · 1 min read

और हम चुप रह गए मिडिया की छुपाई में !

इंसान और चूहे के बीच का अंतर खत्म हुआ।
चूहे को भी चुहेदानी में फंसा देख हम तड़पते नहीं,
और कोयला खान में फंसे मजदूरों को देख कर भी,
नहीं फटता कलेजा हमारा।
कि कैसे,
उस अंधेरे सीलन और बदबू के बीच,
उनकी जिंदगी दिए के घटते तेल कि तरह
छन-छन, प्रतिछन घटा होगा।
कौन मरा होगा पहले ?
क्या पहले आँखें मरी होंगी,
या उनके सपने
या फिर पुतलियाँ,
या,सब जिन्दा होंगे,
बस वो मरे होंगे,
जिन्हें किसी ने नहीं खोजा,
जिनके मरने जीने से किसी कि सांसे नहीं उखड़ी,
किसी कि दिन-रात का चैन नहीं खोया,
वो जो मज़दूर,फंसे रह गए
कोयला खदान में जिनका कहीं चर्चा नहीं हुआ।
वो मर गए होंगे, अपने ही मन के कड़ाही में,
अपने बच्चों के सपने की बुनाई में,
सरकार से नून रोटी की हक मगाई में,
और हम चुप रह गए मिडिया की छुपाई में !
***
05-01-2018
सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 243 Views
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