Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Dec 2018 · 2 min read

संजलि अब तुम डरना !

संजलि अब तुम डरना,
हमारे बदले,
हमारे देश में,
देश हित में नया कानून पारित हुआ है।
डरना मना है, डर नहीं सकते
कुछ भी हो जाए, पर
तुम डर नहीं सकते एलान हुआ है ।
डरे अगर तो, देश द्रोही माना जायेगा
देश निकला दिया जायेगा,
पाकिस्तान भेजा जायेगा ,
हमारी तमाम डरों को
संदूक में बंद करने की कोशिस है।
पर तुम डरना,
तुम आत्मसात करना
हमारी डरों को, क्यों कि
डर कि अधिकता परिवर्तन पुकरता है
और परिवर्तन क्रांति के पीठ पे चढ़ के आती है।
हम डर नहीं सकते,इस लिए तुम डरना
हम बोल भी नहीं सकते
कि हमे डर लग रहा है,
हमारे बच्चों के लिए,
हमारी बेटियों के लिए,
उनके जीवन और इज्जत के लिए
उन बापों के लिए जिन्हे कभी थाने में,
तो कभी चौराहे पे मार दिया जाता है,
या उन गुरुओं के लिए जो हमारे बच्चों को शिक्षा देते हैं,
उनके सरकार बिरोधी टिपन्नी पे उनका लिंचिंग किया जाता है
हम डरे हुए हैं स्वामी अग्निवेश को दौराके पीटने पे
पर हम बोल नहीं सकते कि हम डरे हुए हैं।
हमारे होठों पे,
हमारे शब्दों पे पहरे लगाए गए हैं।
हमे भीतर -भीतर ही डरना है
डर का नाम भी अपनी जुवान पे लाए बीना।
हमारी आँखो को बर्फ का टुकड़ा बने रहने की
सजा दी गई है, वो देख तो सकता है
पर पीड़ा को महसूस नहीं सकता
उस में आँसू लाने कि भी मनाही है।
रो नहीं सकते,
रोने से हमारे राजा का राम राज्य का भ्र्म जो टूटता है
इस लिए बच्चे तुम डरो, तुम रोओ
क्यों कि तुम जितना डरोगी, जितना रोओगी
हमे ताकत मिलेगी कुछ करने कि, परिवर्तन लाने की,
इस्थिति को बदलने की, तुम्हारे डर और चीख से
हमारी मुर्दा हाँथो को लहु से लिखी इबारत मिटाने की ताकत मिलेगी
उस डर और पीड़ा को दिग्दिगंत तक पहुंचाने की बारी तुम्हारी है
तुम सब कि जिन्हें धकेला गया है मौत के मुह में ज़बरन !

***
24 – 12 – 2018
मुग्धा सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 259 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग्वालियर की बात
ग्वालियर की बात
पूर्वार्थ
मन-मंदिर में यादों के नित, दीप जलाया करता हूँ ।
मन-मंदिर में यादों के नित, दीप जलाया करता हूँ ।
Ashok deep
बस इतनी सी बात समंदर को खल गई
बस इतनी सी बात समंदर को खल गई
Prof Neelam Sangwan
जाओ तेइस अब है, आना चौबिस को।
जाओ तेइस अब है, आना चौबिस को।
सत्य कुमार प्रेमी
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मन उसको ही पूजता, उसको ही नित ध्याय।
मन उसको ही पूजता, उसको ही नित ध्याय।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
तुझे भूलना इतना आसां नही है
तुझे भूलना इतना आसां नही है
Bhupendra Rawat
2602.पूर्णिका
2602.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
पल भर फासला है
पल भर फासला है
Ansh
◆धर्म-गीत
◆धर्म-गीत
*Author प्रणय प्रभात*
होली औऱ ससुराल
होली औऱ ससुराल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
प्रार्थना
प्रार्थना
Dr Archana Gupta
आओ जाओ मेरी बाहों में,कुछ लम्हों के लिए
आओ जाओ मेरी बाहों में,कुछ लम्हों के लिए
Ram Krishan Rastogi
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
शेखर सिंह
आपसे होगा नहीं , मुझसे छोड़ा नहीं जाएगा
आपसे होगा नहीं , मुझसे छोड़ा नहीं जाएगा
Keshav kishor Kumar
मौन शब्द
मौन शब्द
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
शीत की शब में .....
शीत की शब में .....
sushil sarna
ए दिल मत घबरा
ए दिल मत घबरा
Harminder Kaur
वक्त (प्रेरणादायक कविता):- सलमान सूर्य
वक्त (प्रेरणादायक कविता):- सलमान सूर्य
Salman Surya
बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
रंग बिरंगी दुनिया में हम सभी जीते हैं।
रंग बिरंगी दुनिया में हम सभी जीते हैं।
Neeraj Agarwal
पापा मैं आप सी नही हो पाऊंगी
पापा मैं आप सी नही हो पाऊंगी
Anjana banda
चाहे अकेला हूँ , लेकिन नहीं कोई मुझको गम
चाहे अकेला हूँ , लेकिन नहीं कोई मुझको गम
gurudeenverma198
मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद (सात दोहे)
मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद (सात दोहे)
Ravi Prakash
-अपनी कैसे चलातें
-अपनी कैसे चलातें
Seema gupta,Alwar
भुलाया ना जा सकेगा ये प्रेम
भुलाया ना जा सकेगा ये प्रेम
The_dk_poetry
Loading...