Dr MusafiR BaithA 464 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 9 Next Dr MusafiR BaithA 19 Jun 2023 · 2 min read बिटिया की जन्मकथा / मुसाफ़िर बैठा जिस साल मेरी नई नई नौकरी लगी थी उसी साल नौकरी बाद आई थी मेरे घरपहली मनचाही संतान भी यानी दो दो खुशिया अमूमन इकट्ठे ही मेरे हाथ लगी थीं... Hindi · कविता 212 Share Dr MusafiR BaithA 19 Jun 2023 · 2 min read माँ का अछोर आंचल / मुसाफ़िर बैठा मां की जननी नजरों में कभी वयस्क बुद्धि नहीं होता बेटा मां के प्यार में इतनी ठहरी बौनी रह जाती है बेटे की उम्र कि अपने साठसाला पुत्र को भी... Hindi · कविता 210 Share Dr MusafiR BaithA 19 Jun 2023 · 2 min read माँ का अबोला / मुसाफ़िर बैठा याद नहीं कि माँ ने कभी अबोला किया हो मुझसे मुझसे भी यह न हुआ कभी बस एक अबोला माँ ने किया अपने जीवन की अंतिम घड़ी में और फोन... Hindi · कविता 322 Share Dr MusafiR BaithA 19 Jun 2023 · 1 min read खारिज़ करने के तर्क / मुसाफ़िर बैठा मुझे उसे समंदर बनाये जाने पर गहरा एतराज लगा। मैंने उसकी सही औक़ात की जगह दिखाने को उसे रेगिस्तान कहना चाहा। याद आया रेगिस्तान में भी दुबई, कतर जैसी समृद्ध... Hindi · कविता 1 279 Share Dr MusafiR BaithA 18 Jun 2023 · 1 min read बाबा साहेब अम्बेडकर / मुसाफ़िर बैठा वंचित मानव का बन आधुनिक अग्रदूत भारत की धरती पर उपजा यह सपूत अविकल मानवीय अधिकार का पैरोकार आजाद देश के सिद्धांत पत्र, संविधान के रचनाकार छुआछूत और जातिदंश झेल... Hindi · कविता 314 Share Dr MusafiR BaithA 18 Jun 2023 · 2 min read माँ की आँखों में पिता / मुसाफ़िर बैठा पिता से टूट चुका था तभी सदा के लिये मेरा दुनियावी नाता जबकि अपने छहसाला पुत्र की उम्र में मैं रहा होऊंगा जब अब तो पिता के चेहरे का एक... Hindi · कविता 517 Share Dr MusafiR BaithA 17 Jun 2023 · 2 min read कवि एवं वासंतिक ऋतु छवि / मुसाफ़िर बैठा कवियों ने बसंत के गीत असंख्य गढ़े हैं। पढ़े हैं कसीदे निर्बंध अनंत उसके की हैं कसरतें तमाम सुख शांति आह्लाद ढूँढ पा लेने की महज इसी मौसम में मानो... Hindi · कविता 275 Share Dr MusafiR BaithA 17 Jun 2023 · 1 min read बधाई का गणित / मुसाफ़िर बैठा टेबल चिन्तक मित्र का एसएमएस-सन्देश आया - इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम एक बार पुनः संकल्पित हों इस बात के लिए कि स्वतंत्रता का सम्मान करेंगे अक्षुण्ण रखेंगे... Hindi · कविता 411 Share Dr MusafiR BaithA 17 Jun 2023 · 1 min read दशरथ माँझी संग हाइकु / मुसाफ़िर बैठा बाइस वर्ष साधा माँझी ने हाथ हथौड़ा [2] पहाड़ फाड़ दे निकाल रास्ता जो बनता माँझी [3] अभावों से जो आत्मविश्वास जगे वो माँझी मन [4] ताजमहल के जो पार... Hindi · कविता · हाइकु 332 Share Dr MusafiR BaithA 17 Jun 2023 · 1 min read महामना फुले बजरिए हाइकु / मुसाफ़िर बैठा (1) फुले की बात सबका शिक्षा पर हो अधिकार (2) आखर ज्ञान अधिकार अबाध स्त्री का लायो (3) मारी कुल्हाड़ी मनु सरस्वती की संस्कृति पर (4) लड़कियों को जोरदार पढ़ाना... Hindi · कविता · हाइकु 288 Share Dr MusafiR BaithA 17 Jun 2023 · 1 min read हाइकु : रोहित वेमुला की ’बलिदान’ आत्महत्या पर / मुसाफ़िर बैठा (1) तू बोया पेड़ बबूल रे भगवे आम झुलसे (2) हैदराबाद से जोड़ा दिल्ली तैने तो शेर गिरा! (3) रोहित! जला दे मनुवाद काश तेरी कुर्बानी (4) एकलव्य की जाँच... Hindi · कविता · हाइकु 318 Share Dr MusafiR BaithA 17 Jun 2023 · 1 min read अम्बेडकरवादी हाइकु / मुसाफ़िर बैठा (1) ऋषि शम्बूक दलित पूर्वज जो ब्रह्म-शिकार। (2) चिंतक वाम दक्षिण घूमे, सूंघ शूद्र दखल। (3) पंडित कैसा मरे तो जरे लग अछूत हाथ। (4) सहानुभूति स्वानुभूति से बड़ी स्वादे... Hindi · कविता · हाइकु 420 Share Dr MusafiR BaithA 17 Jun 2023 · 1 min read प्रेम की पेंगें बढ़ाती लड़की / मुसाफ़िर बैठा उस दुकान पर वह आती जाती है रोज ब रोज कई कई बार तकरीबन पचीस घरों को लांघ टंग गया कहीं है उसका मन जबकि रास्ते में तीनेक दुकानों को... Hindi · कविता 393 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read रेत घड़ी / मुसाफ़िर बैठा कभी रेत को एक बर्तन से चुटकी चुटकी ऐसे रिसने की माफिक गिराया जाता था दूजे बर्तन में कि दिन रात को निर्धारित करने का एक समयमान निकल आए एक... Hindi · कविता 637 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read थर्मामीटर / मुसाफ़िर बैठा कहते हो- बदल रहा है गाँव सुख–शांति का बन रहा यह ठाँव तो बतलाओ तो- गाँवों में बदला कितना वर्ण-दबंग? कौन सुखिया कौन सामंत बलवंत? कौन दुखिया कौन दीनहीन जरूरतमंद?... Hindi · कविता 254 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 3 min read अछूत का इनार / मुसाफ़िर बैठा जब धनुखी हलवाई का इनार था केवल टोले में और सिर्फ और सिर्फ इनार था पीने के पानी का इकलौता स्रोत तो दादी उसी इनार से पानी लाया करती थी... Hindi · कविता 408 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 2 min read मछलियां, नदियां और मनुष्य / मुसाफ़िर बैठा नदियां हमें पानी देती हैं और अपने पेट के पानी में पलते जलचरों को जीवन जलचरों का घर होती हैं नदियां जलचरों को प्रकृति से मिला है जीने के ढंग... Hindi · कविता 233 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 2 min read भांथी के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने / मुसाफ़िर बैठा भांथी जैसे विलुप्ति के कगार पर पहुंचे देसी यंत्र किसी किसी लोहार बढ़ई के दरवाजे पर अब भी गाड़े और जीवित बचे मिल सकते हैं गांवों में जो कि सान... Hindi · कविता 1 395 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read गौभक्त और संकट से गुजरते गाय–बैल / मुसाफ़िर बैठा जुताई बुआई जबसे होने लगी मशीनों से बछड़े हुए जान के जवाल किसान के लिए गाय माता तो एकदम अबोध जबकि इधर नहीं चाहते गोभक्त भी कि कोई गाय बैलों... Hindi · कविता 286 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read चुप्पी और गुस्से का वर्णभेद / मुसाफ़िर बैठा चुप्पी सवर्ण है गुस्सा दलित! चुप्पी का गुस्से के ऊपर एक इतिहास है हमलावर होने का ! जीतती रही है सतत चुप्पी चुप्पी जननी है जबकि गुस्से की! जननी का... Hindi · कविता 533 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read रक्षा में हत्या / मुसाफ़िर बैठा की तो सवर्णों के उस महापुरुष ने रक्षा की कार्रवाई हमारे लिए धर्म के औजार का इस्तेमाल कर धर्म दुधारी तलवार है यद्यपि कि उन्हें पता नहीं था जैसे सो,... Hindi · कविता 423 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read छह दिसबंर / मुसाफ़िर बैठा छह दिसबंर मज़हबी मुसलमानों को याद रहना चाहिए और सनातनी हिंदुओं को भी याद तो यह दिन अन्य मुसलमानों और हिंदुओं को भी रहना चाहिए और गैर हिन्दू मुसलमानों को... Hindi · कविता 327 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read आलोचक-गुर्गा नेक्सस वंदना / मुसाफ़िर बैठा मैं आलोचक हूँ मगर उपन्यास नहीं पढ़ता। मेरी मर्ज़ी मैं आलोचक हूँ मगर टार्गेटेड लक्ष्य को ध्वस्त करता हूँ मेरी मर्ज़ी मैं आलोचक हूँ मगर भक्त पलता हूँ उसके मुंह... Hindi · कविता 224 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 3 min read मरने से पहले / मुसाफ़िर बैठा भरपूर जीवन जीकर मरा था आलोचक मगर मरने से दशकों पहले कहिये जब वह युवा ही था और निखालिस कवि ही 'मरने के बाद' शीर्षक से कविता लिख डाली थी... Hindi · कविता 183 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read ठग विद्या, कोयल, सवर्ण और श्रमण / मुसाफ़िर बैठा सवर्ण कोयल हैं हम श्रमण काग वे ठगते रहे हैं हमें हम ठगाते वे परजीवी हैं हम उनके दाना पानी। हमारे घोंसलों में वे अपने अंडे डाल डाल हमें विभ्रम... 317 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read जन्मपत्री / मुसाफ़िर बैठा मुर्दों की तो होती ही नहीं जन्मपत्री जिंदों की भी नहीं होनी चाहिए किसी शातिर गंद-दिमाग की उपज है यह जन्मपत्री जो फैल पसर कर हर कोटि के अंधविश्वासी मनुष्य... Hindi · कविता 273 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read जीत मनु-विधान की / मुसाफ़िर बैठा सबरीमला मंदिर कांड में सुप्रीम कोर्ट हारा प्रदेश सरकार हारी सरकार की वाम नीति हारी स्त्रियों का लोकतांत्रिक अधिकार हारा हारे बाबा साहेब अम्बेडकर हारा संविधान और जीत हुई भगवों... Hindi · कविता 213 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 2 min read मेरी देह बीमार मानस का गेह है / मुसाफ़िर बैठा मेरी देह बीमार मानस का गेह है ! मैं कहीं घूम भर आने का हामी नहीं यहां तक कि अपनी जन्मभूमि बंगराहा घर के पास ही स्थित कथित सीता की... Hindi · कविता 312 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 2 min read विभीषण का दुःख विभीषण! कम से कम हर दुर्गा पूजा के दिनों तुम बरबस याद आते हो रामपूजक परम्परा पोषी हिंदुओं ने तुम्हें कहीं का न रख छोड़ा स्वार्थहित में अपने सहोदर रावण... Hindi · कविता 371 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read लीकछोड़ ग़ज़ल / मुसाफ़िर बैठा धर्म से लगकर कोई साफ शफ्फाफ रचना हो नहीं सकती। सड़े कीचड़ के सहारे कोई काम की चीज़ धुलती है क्या? धर्म का उपजीव्य है भीख जिसे दान या चंदा... Hindi · कविता 290 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read गले लोकतंत्र के नंगे / मुसाफ़िर बैठा राजनीति में पार्टी एक समुच्चय है आदमी का लोकतंत्र के नाम पर निहित स्वार्थों में अटता बंटता हित समूह विकसनशील समाज की, कानों से देखने वाले और आंखों से सुनने... Hindi · कविता 400 Share Dr MusafiR BaithA 16 Jun 2023 · 1 min read आखिर मैंने भी कवि बनने की ठानी कल कविता चला बनाने मैं पर मैटर ही था ना मिलता सोचा, मेरे माइंड की कमजोरी है कि मैं कविता नहीं बना सकता पर याद आ गई वो घटना जब... Hindi · कविता · बाल कविता 415 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read घूर गांवों में शहराती गांवपंथियों के बीच में घूर लग जाता है सबेरे-सकाल सूरज उगकर भी नहीं उगता या उगता है देर से अक्सर इन कुहासा भरे शीत दिवसों में ऊष्मादायी... Poetry Writing Challenge · कविता 1 491 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read औरत की हँसी कोई औरत यदि हँस रही है तो जरूर कोई मार्के की बात होगी, अच्छी बात होगी यह औरत के पक्ष की बात हो सकती है मर्द पर उनकी जीत की... Poetry Writing Challenge · कविता 1 545 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read घर फुटपाथ ही जिनका घर है कहने को घर वे बच्चे ईंट से ईंट सजाकर घर बनाना खेल रहे हैं मां बाप उनके इन्हीं ईंट के भट्ठे के मालिक का घर... Poetry Writing Challenge · कविता 1 383 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read कैलेंडर नया पुराना रात को सोया जब कैलेंडर ज़िंदा था मेरे शयनकक्ष में टंगा सुबह देखा हर्फ हर्फ उसके निस्तेज हो गए हैं गर्दनें लटक कर उनकी भेंट चढ़ गई हैं समय की... Poetry Writing Challenge · कविता 1 312 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read लोहा ही नहीं धार भी उधार की उनकी जो कुछ बुरा है अपने जीवन में किया-धरा नहीं अपना वह उनने धरा दिया जबरन और अनधिकार उनके जीवन में जो भी दिखती है धार वह सब है बहुजनों से... Poetry Writing Challenge · कविता 2 417 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read सुविचार “ताक़त खत्म होने का जहां अंदेशा होता है, वहां बेदर्दी से अमानवीय एजेंडा फिट किया जाता है।“ ~ डा. मुसाफ़िर बैठा Hindi · Quote Writer 312 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read नए मुहावरे का चाँद नीम रौशनी चाँद की शीतल होती रात की नीम अंधेरा चाँद का गहना सा है धरती का नीम रौशनी और अंधेरा दुन्नो मिल जब डाले डेरा धरती जाती सँवर ग़ज़ब... Poetry Writing Challenge · कविता 1 199 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read प्रेम पत्र बचाने के शब्द-व्यापारी वह घोषित रूप से प्रेम पत्र बचाने के एजेंडे पर है प्रेम पत्र बचाना जबकि उसका ध्येय हो नहीं सकता कतई उसके पुरखों ने कब की है प्रेम पत्र की... Poetry Writing Challenge · कविता 1 287 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read कुत्ते कुत्ते यदि पालतू नहीं हैं नस्ल विशेष के नहीं हैं और न ही पागल तो हिंसक नहीं होते काट नहीं खाते मालिकों के आगे वे दुमहिलाऊ होते हैं शीशनवाऊ होते... Poetry Writing Challenge · कविता 1 270 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read मनुष्यता बनाम क्रोध आदमी में जिस अनुपात में क्रोध आना घट जाता है उसी अनुपात में उसका सयानापन बढ़ता है मनुष्यता सिकुड़ती है और बढ़ती है भीरूता गो कि इस भीरूता में भी... Poetry Writing Challenge · कविता 1 180 Share Dr MusafiR BaithA 15 Jun 2023 · 1 min read नए पुराने रूटीन के याचक नए साल के पहले दिन लोगों का नया रूटीन है धर्मस्थलों पर जुटे हैं वे अपने कर्तव्य अकर्तव्य अपने आराध्यों को सौंपकर अगले तीन सौ पैंसठ दिन के कील कांटे... Poetry Writing Challenge · कविता 1 303 Share Dr MusafiR BaithA 11 Jun 2023 · 1 min read ख़राब आदमी वह अच्छी तरह का मेरे हिसाब का ख़राब आदमी है! तलाश रहती है मुझे शिद्दत से ऐसे आदमी की! Hindi · कविता 160 Share Dr MusafiR BaithA 11 Jun 2023 · 1 min read जो घर जारै आपनो जो घर जारै आपनो चलै हमारे साथ ~ क्रांतिकारी कवि कबीर Hindi · कोटेशन 373 Share Dr MusafiR BaithA 11 Jun 2023 · 1 min read दशरथ मांझी होती हैं चीटियाँ मेरे आवास परिसर में चीटियों ने बालू का एक ज़खीरा खड़ा कर रखा है जो उनके कद एवं अनथक अप्रतिहत श्रम के हिसाब से कम नहीं है एक पहाड़ बनाने... Poetry Writing Challenge · कविता 2 471 Share Dr MusafiR BaithA 11 Jun 2023 · 1 min read चाँद से वार्तालाप ऐ चाँद! सूरज ने तुम्हें सोलहों कलाएं दीं बेवजह धरती के लिए जैसे भारत की धरती के मनुपुत्रों ने छल-बल लिए समस्त दलितों के विरुद्ध अकड़ने के लिए ऐ चाँद!... Poetry Writing Challenge · कविता 2 248 Share Dr MusafiR BaithA 11 Jun 2023 · 1 min read आए गए महान आए गए बुद्ध फिर भी समाज की सही न सेहत, आबोहवा अशुद्ध आए गए महावीर फिर भी समाज तोड़क औ’ हिंसक ही बन रहे पीर आए गए नानक फिर भी... Poetry Writing Challenge · कविता 1 177 Share Dr MusafiR BaithA 11 Jun 2023 · 1 min read थोथा चना वसुधैव कुटुम्बकम सारे जहाँ से अच्छा... है प्रीत जहाँ की रीत सदा... सत्यमेव जयते आदि इत्यादि जैसे उच्च उत्तंग उदात्त उन्मत्त मानवीय भावों के ठकुरसुहाती छद्म कपटी उद्घोष जहाँ हैं... Poetry Writing Challenge · कविता 1 304 Share Dr MusafiR BaithA 11 Jun 2023 · 1 min read सायलेंट किलर भारतीय हिंदू संस्कार में बेटा होने एक खुशी की थाली बजती थी। यह परम्परा जनाना थी कोरोना-प्रकोप पर विज्ञान युग में थाली बज रही है। थाली बजाने का संस्कार यह... Poetry Writing Challenge · कविता 1 315 Share Previous Page 9 Next