Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2023 · 2 min read

मेरी देह बीमार मानस का गेह है / मुसाफ़िर बैठा

मेरी देह बीमार मानस का गेह है !

मैं कहीं घूम भर आने का हामी नहीं
यहां तक कि अपनी जन्मभूमि बंगराहा
घर के पास ही स्थित
कथित सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी भी
(थोथी वंदना श्रद्धा नहीं होती
सम्यक् कर्म की दरकार है)
मैं विकलांग श्रद्धा में विश्वास नहीं रखता

मेरे दोनों हाथ सलामत हैं साबुत हैं
मगर ये बेजान-से हैं
जड़ हैं इस कदर कि उठते नहीं कभी
किसी ईश-मसीह की वंदना तक में

माना
ये कमबख्त हाथ एक नास्तिक के हैं
फिर भी क्या फर्क पड़ता है
भक्तजनों के बीच
झूठे-छद्म संकेत तो भर सकते थे ये
वंदना की संकेत-मुद्रा में उठकर !

मेरे आंख-कान विकलांग-से हो चले हैं
इस विकलांग विचार के दौर में
मेरी श्रवण-शक्ति का चिर लोप हो गया है शायद
मेरे कान और मेरी आंखें
गोपन गोलबंदियों-विमर्शों का
न चाहकर भी
आयोजन-प्रायोजन विलोकने को विवश हैं

क्या हमारा साहित्य हमारी संस्कृति
और फिर यह समूचा समाज ही
ऐसे ही गुह्य-गोपन संवादों से अंटा पड़ा नहीं है!

किसी के पास कई-कई अल्फाज हैं
और चेहरे भी
(चोली दामन का साथ!)
जिससे हासिल की जा सके
शब्दों की निरी बाजीगरी करने की
कला में महारत

होगा दिल उसके पास और दिमाग भी
और और बहुत कुछ उसमें
गढ़ने की खातिर
महज खुदगर्जी अपनापा

साहित्य के सोहन दरख्तों के बीच
उग आया यह कैक्टस
चुभने-खरोंचने का अपना जातिगत भाव-स्वभाव
कैसे छोड़ सकता है भला !

इन चेहरों की चमक और चहक की मात्राा
इनके भीतर कुल जमा खोखलेपन का समानुपातिक है

बेशक
अच्छे-बुरे की पहचान रखना
सबके बस का रोग नहीं
पर कुछ में यह काबीलियत है
(ये क्योंकर मानने लगे
कि ‘परोपकाराय पुण्याय, पापाय परपीडनम्’ ही
अच्छे-बुरे का मानदंड है)

मैं नहीं जानता
अच्छे-बुरे की पहचान रखने के ये उद्घोषक
खुद कितने पानी में हैं !

Language: Hindi
266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr MusafiR BaithA
View all
You may also like:
तेरी तसवीर को आज शाम,
तेरी तसवीर को आज शाम,
Nitin
सांता क्लॉज आया गिफ्ट लेकर
सांता क्लॉज आया गिफ्ट लेकर
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
💐प्रेम कौतुक-231💐
💐प्रेम कौतुक-231💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
"पैमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
सनम  ऐसे ना मुझको  बुलाया करो।
सनम ऐसे ना मुझको बुलाया करो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
प्रकाश एवं तिमिर
प्रकाश एवं तिमिर
Pt. Brajesh Kumar Nayak
2285.
2285.
Dr.Khedu Bharti
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
Dr. Narendra Valmiki
ग़म
ग़म
Harminder Kaur
*हो न लोकतंत्र की हार*
*हो न लोकतंत्र की हार*
Poonam Matia
मन में मदिरा पाप की,
मन में मदिरा पाप की,
sushil sarna
मेरे पास नींद का फूल🌺,
मेरे पास नींद का फूल🌺,
Jitendra kumar
जिनके पास
जिनके पास
*Author प्रणय प्रभात*
आवारा पंछी / लवकुश यादव
आवारा पंछी / लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
कोशिशें हमने करके देखी हैं
कोशिशें हमने करके देखी हैं
Dr fauzia Naseem shad
इंद्रधनुष सी जिंदगी
इंद्रधनुष सी जिंदगी
Dr Parveen Thakur
बसंत
बसंत
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ऑनलाइन पढ़ाई
ऑनलाइन पढ़ाई
Rajni kapoor
-- अजीत हूँ --
-- अजीत हूँ --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
भक्ति एक रूप अनेक
भक्ति एक रूप अनेक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ख़्बाब आंखों में बंद कर लेते - संदीप ठाकुर
ख़्बाब आंखों में बंद कर लेते - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
अनुभूति
अनुभूति
Pratibha Pandey
खाली मन...... एक सच
खाली मन...... एक सच
Neeraj Agarwal
समय बड़ा बलवान है भैया,जो न इसके साथ चले
समय बड़ा बलवान है भैया,जो न इसके साथ चले
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कवियों की कैसे हो होली
कवियों की कैसे हो होली
महेश चन्द्र त्रिपाठी
पिता
पिता
विजय कुमार अग्रवाल
लिख लेते हैं थोड़ा-थोड़ा
लिख लेते हैं थोड़ा-थोड़ा
Suryakant Dwivedi
*करिए जीवन में सदा, प्रतिदिन पावन योग (कुंडलिया)*
*करिए जीवन में सदा, प्रतिदिन पावन योग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
फिर वही शाम ए गम,
फिर वही शाम ए गम,
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...