Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2023 · 1 min read

सनम ऐसे ना मुझको बुलाया करो।

सनम ऐसे ना मुझको बुलाया करो।
गर बुलाओ वजह भी जताया करो।।

बात कुछ भी नहीं तुम बताती प्रखर ।
दिल के अरमां न हमसे दबाया करो।।

प्यार करती अगर मुंह छिपाओ नहीं ।
पास आऊं तो घूंघट उठाया करो ।।

लफ्ज़ खामोश रहते तड़पता है दिल।
इस क़दर तुम न मुझको सताया करो।।

चांद चेहरा ढका जुल्फ की बदलियां।
नूर ऐसे न उसका का छिपाया करो।।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘

241 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
View all
You may also like:
पाप बढ़ा वसुधा पर भीषण, हस्त कृपाण  कटार  धरो माँ।
पाप बढ़ा वसुधा पर भीषण, हस्त कृपाण कटार धरो माँ।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
शब्दों से बनती है शायरी
शब्दों से बनती है शायरी
Pankaj Sen
अड़बड़ मिठाथे
अड़बड़ मिठाथे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
भटका दिया जिंदगी ने मुझे
भटका दिया जिंदगी ने मुझे
Surinder blackpen
आजादी की कहानी
आजादी की कहानी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अपने ही हाथों
अपने ही हाथों
Dr fauzia Naseem shad
Raat gai..
Raat gai..
Vandana maurya
■ उलाहना
■ उलाहना
*Author प्रणय प्रभात*
झूठी शान
झूठी शान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्यारा सुंदर वह जमाना
प्यारा सुंदर वह जमाना
Vishnu Prasad 'panchotiya'
सावन भादों
सावन भादों
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यादें
यादें
Johnny Ahmed 'क़ैस'
माँ
माँ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
दोस्ती
दोस्ती
Mukesh Kumar Sonkar
Happy Father Day, Miss you Papa
Happy Father Day, Miss you Papa
संजय कुमार संजू
गृहस्थ के राम
गृहस्थ के राम
Sanjay ' शून्य'
मेरी कलम से...
मेरी कलम से...
Anand Kumar
*शिष्टाचार आना चाहिए 【हिंदी गजल/गीतिका 】*
*शिष्टाचार आना चाहिए 【हिंदी गजल/गीतिका 】*
Ravi Prakash
🌹पत्नी🌹
🌹पत्नी🌹
Dr Shweta sood
देखकर उन्हें देखते ही रह गए
देखकर उन्हें देखते ही रह गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मां के आँचल में
मां के आँचल में
Satish Srijan
सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म।
सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
2612.पूर्णिका
2612.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"अदृश्य शक्ति"
Ekta chitrangini
* धरा पर खिलखिलाती *
* धरा पर खिलखिलाती *
surenderpal vaidya
स्थापित भय अभिशाप
स्थापित भय अभिशाप
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
दो जिस्म एक जान
दो जिस्म एक जान
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"इतिहास"
Dr. Kishan tandon kranti
गांधी से परिचर्चा
गांधी से परिचर्चा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
जमाने की नजरों में ही रंजीश-ए-हालात है,
जमाने की नजरों में ही रंजीश-ए-हालात है,
manjula chauhan
Loading...