विवेक दुबे "निश्चल" 178 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jun 2021 · 1 min read आशा कल की स्वर्णिम आभा नभ की , साहस साँसों में भरती । आते कल की आशा में, निशि नित सबेरा गढ़ती । ...विवेक दुबे"निश्चल"... Hindi · मुक्तक 1 425 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jun 2021 · 1 min read जागीर समझ जरा तासीर तेरी । जिस्म नहीं जागीर तेरी । ठहरा एक रात के वास्ते । जात है राहगीर तेरी । ...विवेक दुबे"निश्चल".. Hindi · मुक्तक 1 346 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read जिंदगी जिंदगी जिंदा लकीरों सी । उलझती रही जमीरों सी । बदलते रहे हालात हरदम , मौसीक़ी ज़ज्ब फकीरों सी । ... ... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 1 2 331 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read जिंदगी जिंदगी आईने सी कर दो । परछाइयाँ ही सामने धर दो । न सिमेटो कुछ भीतर अपने, निग़ाह अक़्स मायने भर दो। ....विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 335 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read जिंदा बुत सामने से जो गुजरते हैं जिंदा बुत । हाँ दर्द होता है उस वक़्त पर बहुत । क्या कहूँ अंदाज नज़रें अंदाज को मैं , जो निगाहें चुरा बदलते खुद-बा-खुद... Hindi · मुक्तक 319 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read आदमी महज़ इस्तेमाल होता है आदमी । फक़त ख़्याल खोता है आदमी। चलकर सँग जमीन पे अपनो के, हसरते आसमां पे सोता है आदमी । .......विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 401 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read मैं मैं कहीं एक , बस्ती ढूंढता सा । मैं कहीं अपनी, हस्ती ढूंढता सा । एक चमन-ओ-अमन की चाहत में , नज़्र निग़ाह की , मस्ती ढूंढता सा । ....विवेक... Hindi · मुक्तक 540 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read दरकार ऐ ख़यालात वो बदलता ही रहा , वक़्त से हालात सा । बिखेरकर क़तरा-ऐ-शबनम,हसीं रात सा । वो चाँद चलता ही रहा,अस्र से सेहर तक , न मुक़म्मिल सफ़र दरकार-ऐ-ख्यालात सा ।... Hindi · मुक्तक 326 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jun 2021 · 1 min read चलता रहा चलता रहा कल तक, आज की खातिर । बजता रहा साज भी ,आवाज की खातिर । उतरती रहीं कुछ नज़्में, ख़्वाब जमीं पर , देतीं रहीं हसरतें हवा , नाज... Hindi · मुक्तक 548 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jun 2021 · 1 min read हालात हादसे ये हालात के,अश्क पलकों पे उतरने नहीं देते । टूटकर हालात-ऐ-हक़ीक़त,ज़मीं पे बिखरने नहीं देते । हुआ है ख़ुश्क अब तो, मुसलसल आँख का दर्या भी , ये कोर... Hindi · मुक्तक 361 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jun 2021 · 1 min read मेरे अल्फ़ाज़ गिनता रहा मैं पत्ते बरगद के पेड़ के । कुछ शाख़ पे हरे से कुछ जमीं ढ़ेर के । टूटकर बिखरते ही रहे शाख़ से यूँ पत्ते , जिस तरह... Hindi · मुक्तक 330 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 May 2021 · 1 min read नई शुरुवात फिर एक नई शुरुवात करते है । जिंदा हसरतें हालात करते है । थम गई जिंदगी जहां की तहां , फ़िर चलने की बात करते है । सजा कर दिलो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 385 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 May 2021 · 1 min read जीवन जीवन नही कही सरल है । चलना ही जिसका हल है । घटता कुछ व्योम अंतरिक्ष में भी, सागर तल में भी होती हलचल है । घूम रही है ,वसुंधरा... Hindi · कविता 2 4 363 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 May 2021 · 1 min read मेहमान वक़्त के यहाँ सभी मेहमान है । इस बात से क्यों अंजान है । है ख़बर नही अगले पल की , फिर किस बात का गुमान है । हैं एक... Hindi · कविता 1 4 398 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 May 2019 · 1 min read जिंदगी रूबरू ज़िंदगी ,घूमती रही । रूह की तिश्नगी, ढूँढती रही । रहा सफ़र दर्या का, दर्या तक, मौज साहिल को ,चूमती रही । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 1 297 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 May 2019 · 1 min read माँ लिए हक़ीक़त का अहसास सी । ओ माँ तू बड़ी ख़ास ख़ास सी । मिलता है सुकूँ तेरे आँचल में , तेरी हँसी में सारी कायनात सी । .... विवेक... Hindi · मुक्तक 296 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 May 2019 · 1 min read मेरा रहबर वो सच कहाँ था ,जो सच कहा था । मेरे ही रहबर ने,मुझको ही ठगा था । पढ़ता रहा जो क़सीदे शान में मेरी , लफ्ज़ लफ्ज़ जिनमे भरा दगा... Hindi · मुक्तक 414 Share विवेक दुबे "निश्चल" 14 Apr 2019 · 1 min read अंदाज़ मुस्कुराने की भी एक बजा चाहिए । नज़्र-ओ-निग़ाह की अदा चाहिए । कैसे रहे कायम बात पर अपनी , हर अंदाज़ की एक फ़िज़ा चाहिए । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 445 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Dec 2018 · 1 min read वक़्त वक़्त बड़ा कमज़र्फ है । जफ़ा भरा हर्फ़ हर्फ़ है । अरमान घुटे सीनों में , सर्द दर्द हुआ वर्फ़ है । .. विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 346 Share विवेक दुबे "निश्चल" 2 Dec 2018 · 1 min read एक प्रश्न यही कुछ कब होता है । कुछ कब होना है । छूट रहे कुछ प्रश्नों में , एक प्रश्न यही संजोना है । गूढ़ नही कुछ कोई , रजः को रजः... Hindi · कविता 303 Share विवेक दुबे "निश्चल" 25 Nov 2018 · 1 min read हालात को बदलता गया । "निश्चल" रहा मैं मगर , सफ़र जिंदगी चलता गया । बदलकर अपने आपको , हालात को बदलता गया । .. *विवेक दुबे"निश्चल"* @.... Hindi · मुक्तक 3 291 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Nov 2018 · 1 min read कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे । हर हाल बे-हाल कचोटते रहे । कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे । चलते रहे सफ़र जिंदगी के , ये दिल हाल मगर रोज से रहे । .. विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 1 513 Share विवेक दुबे "निश्चल" 20 Nov 2018 · 1 min read आश्रयहीन अभिलाषाएं शेष नही कही समर्पण है । मन कोने में टूटा दर्पण है । आश्रयहीन अभिलाषाएं , अश्रु नीर नैनो से अर्पण है । ...विवेक दुबे"निश्चल"@. Hindi · मुक्तक 3 2 322 Share विवेक दुबे "निश्चल" 20 Nov 2018 · 1 min read कैसी चाहत है यह कैसे कल की चाहत है । आज लम्हा लम्हा घातक है । उठ रहे हैं तूफ़ान खमोशी के , साहिल पे नही कोई आहट है । ... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 1 311 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Nov 2018 · 1 min read कुलषित कुंठाएं चलता नही मन साथ कलम के । खाली रहे अब हाथ कलम के । सिकुड़ती रहीं कुलषित कुंठाएं , लिए बैठीं दाग माथ कलम के । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 5 2 519 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Nov 2018 · 1 min read माँ तु , मुझे, बहुत याद आती है । ज़िंदगी जब भी, मुँह चिढ़ाती है । माँ तु , मुझे, बहुत याद आती है । वक़्त के, तूफान में, कश्ती डगमगाती है । यादों में तु , पतवार मेरी,... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 71 420 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Nov 2018 · 1 min read धूमिल धरा ,रश्मि हीन दिनकर है । 620 धूमिल धरा ,रश्मि हीन दिनकर है । अरुणिमा नही,अरुण की नभ पर है । तापित जल,नीर हीन सा जलधर है । रीती तटनी ,माँझी नहीं तट पर है ।... Hindi · कविता 1 476 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Nov 2018 · 1 min read एक तस्वीर उतारी एक तस्वीर उतारी अल्फ़ाज़ की । जुबां गुजारिश रही आवाज़ की । खनके न तार मचलकर कोई, ख़ामोश शरारत रही साज की । देखता रहा आसमान हसरत से, हसरत परिंदा... Hindi · कविता 1 2 284 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Aug 2018 · 1 min read अस्तित्व बून्द चली मिलने तन साजन से । बरस उठी बदरी बन बादल से । आस्तित्व खोजती वो क्षण में । उतर धरा पर जीवन कण में । छितरी बार बार... Hindi · कविता 397 Share विवेक दुबे "निश्चल" 14 Aug 2018 · 1 min read आज़ादी की पूर्व संध्या रात बड़ी उल्लास में , लिये सुबह की आस । भोर यहाँ लहरायगा , राष्ट्रध्वज आकाश । ... धरा अपनी झूमेगी, झूमेगा आकाश । फैलाएगा भानू भी , झूम धवल... Hindi · मुक्तक 474 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 Aug 2018 · 1 min read ॐ नमः शिवायः ।।ॐ नमः शिवायः।। श्रवण मास शिव भजकर । लोभ मोह को तजकर । चल शरण शिव की तू , भक्ति भाव से तरकर । दाता हैं शिव त्रिपुरारी , देते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 363 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Jul 2018 · 1 min read नैना मन भावन से वो नैना मन भावन से । कारे कजरारे सावन से । बिजुरी चमके सावन की । झपकें पलकें साजन की । वो केश घनेरे काजल से । लहराते गहरे से... Hindi · गीत 478 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Jul 2018 · 1 min read निगाहें निगाहों को निग़ाहों से धोका हुआ है । ज्यों जागकर भी कोई सोया हुआ है । झुकीं हैं निग़ाहें यूँ हर शख़्स की क्युं , ज्यों निग़ाहों का निग़ाहों से... Hindi · मुक्तक 309 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Jul 2018 · 1 min read जिंदगी वो जाम सा अंजाम था । निग़ाहों से अपनी हैरान था । नही था कोई रिंद वो साक़ी, जिंदगी उसका ही नाम था । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 459 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read कहूँ या न कहुँ आज एक ग़जल कहूँ या न कहुँ । तुझे खिलता कमल कहूँ या न कहुँ । चाहत-ए-जिंदगी की ख़ातिर , दिल-ए-दख़ल कहूँ या न कहुँ । बहता दरिया तोड़कर किनारों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 591 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read खुद को तोल बिक जा आप ही आप से, रख ना कोई मोल । आत्म तुला पालड़े , खुद खुद को ही तोल । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · दोहा 258 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read कविता शब्द शब्द अर्थ सजी है कविता । अपरिचित सी परिचित है कविता । गूढ़ भाव मौन गढ़ती है कविता । है "निश्चल" सचल बनी है कविता । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 562 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read वो वो नुक़्स निकालते रहे । यूँ हमे खंगालते रहे । बार बार सम्हल कर हम, खुद को सम्हालते रहे । .... "निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 518 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read मुझको भी कभी मुझको भी पढ़ लेना । कभी अपनों में गढ़ लेना । दूर कहीं निगाहों से रहकर, यादों की बांहों मे भर लेना । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 331 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read क्युं ये खामोशियाँ अक्सर बदजुबां सी लगतीं हैं । ज़िस्म के साथ क्युं , परछाइयाँ गुजरतीं हैं । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · दोहा 287 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read वो चिराग बिखेर कर राख किनारों से । बुझ गए वो चिराग़ रातों के । रोशन शमा एक रात की ख़ातिर , दिन हुए हवाले फिर उजालों के । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 511 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Jul 2018 · 1 min read जीवन का माप ना हर्ष रहे ना संताप रहे । बस "मैं" नही "आप" रहे । मोह नही नियति बंधन से , जीवन का इतना माप रहे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 552 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Jul 2018 · 1 min read अहंकार लज़्ज़ता छोड़ निर्लज़्ज़ता ओढ़ी । शर्म हया भी रही नही जरा थोड़ी । रहे नही शिष्ट आचरण अब कुछ , अहंकार की चुनर एक ऐसी ओढ़ी । ..... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 484 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jul 2018 · 1 min read चलता रहा सफ़र एक लफ्ज़ निगाहों से सुनकर । एक ख़्वाब हसीं सा बुनकर । ओढ़कर चादर ख़यालों की , चलता रहा साथ मेरे दिन भर । आया एक मुक़ाम फिर कोई ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 326 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jul 2018 · 1 min read मनहरण घनाक्षरी निग़ाह राह टारता , रहा वक़्त गुजारता । हँस सँग दुनियाँ के , दर्द मैं बिसारता । जी कर खुशियों को भी , खुशी रहा निहारता । मैं एक दर्द... Hindi · घनाक्षरी 320 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jul 2018 · 1 min read मनहरण घनाक्षरी ये बदल सावन के , पिया मन भावन से । रिम झिम बरसत , रस प्रियतम से । ज्यों प्रणय निवेदन , साजत है साजन से , थिरकन होंठो पर... Hindi · घनाक्षरी 1 671 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Jul 2018 · 1 min read शेर *घोंटता रहा मैं घूंटी प्यार की ।* *करते नही इक़रार वो पीने का ।* .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · दोहा 280 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Jul 2018 · 1 min read सायली छंद उन्मुक्त आकाश में , रिक्त कुछ आकांक्षाएं । भटक रहीं इच्छाएं । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 335 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Jun 2018 · 1 min read सरल सरल सदा ही तरल होता । बहता सा ही कल होता । मिल जाता वो सागर में , सफ़र वहाँ सफल होता । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 308 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Jun 2018 · 1 min read जरूरत खुशियाँ साथ साथ चलती रहीं । रंजिशें बार बार बदलती रहीं । मुड़ते रहे साथ जरूरत के , जरूरतें वक़्त से बदलती रहीं । घुटते रहे अरमान भी कभी ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 363 Share Page 1 Next