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18 Nov 2018 · 1 min read

एक तस्वीर उतारी

एक तस्वीर उतारी अल्फ़ाज़ की ।
जुबां गुजारिश रही आवाज़ की ।

खनके न तार मचलकर कोई,
ख़ामोश शरारत रही साज की ।

देखता रहा आसमान हसरत से,
हसरत परिंदा रही परवाज की ।

करते रहे रक़्स अश्क़ निग़ाहों में ।
टूटे घुँघरू ख़ामोश अदा रियाज की।

चला न कोई सितारा साथ चाँद के ,
डूबते चाँद ने मग़रिब की लाज की ।

…. विवेक दुबे”निश्चल”@..
डायरी 6(23)

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 239 Views
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