विनय "बाली" सिंह 36 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनय "बाली" सिंह 21 May 2021 · 1 min read बरसात दिन न वैसा, रात वैसी हो रही है। अब न उनसे बात वैसी हो रही है। भीग जाती थी सतह दीवार तक की, अब कहाँ बरसात वैसी हो रही है। “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 4 4 445 Share विनय "बाली" सिंह 21 May 2020 · 1 min read नहीं करता तो अच्छा था...... निगाहों से कलाबाज़ी , नहीं करता तो अच्छा था। मुहब्बत में हमें राजी, नहीं करता तो अच्छा था। दिखाकर ख़्वाब आंखों को, बनाकर इश्क़ में पागल, सजन हमसे दगाबाजी, नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 442 Share विनय "बाली" सिंह 20 Sep 2019 · 1 min read गीतिका दर्द जब-जब सताये, बढ़े प्रीत में। शब्द तब-तब हमारे ढले गीत में। जल गई कोर सारी हरी घास की, आग कैसी लगी माघ की शीत में। यूँ लगा की मिलन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 285 Share विनय "बाली" सिंह 23 May 2021 · 1 min read कहाँ से लाओगे सब-कुछ होगा याद कहाँ से लाओगे। मुझको.....मेरे बाद कहाँ से लाओगे। लाखों आशिक शहरों में मिल जाएंगे, मुझ जैसा फरहाद कहाँ से लाओगे। दीवारों पर छत रखवा तो सकते हो,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 6 498 Share विनय "बाली" सिंह 22 May 2021 · 1 min read बरसात प्रेम-मिलन की आशा लेकर, याद पिया की आई है। बारिश की बूंदों ने जब-जब, हिय में आग लगाई है। ठुमक-ठुमक कर नाचे पायल, झुमके झूला झूल रहे। चूड़ी, कंगन शर्म-हया... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 3 6 432 Share विनय "बाली" सिंह 13 Jun 2020 · 1 min read कौन है ? हक़ीम ही हक़ीम है, बीमार कौन है। सच कहो, दवा का खरीदार कौन है। देखकर कतार आज मयकदे के सामने, सोंचता हूँ , मुल्क में बेकार कौन है। हर सवाल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 571 Share विनय "बाली" सिंह 21 May 2020 · 1 min read मुक्तक- मुश्किल है। जीवन का ये सार समझना मुश्किल है। सांसारिक व्यवहार समझना मुश्किल है। कब तक साथ रहे, कब पीछे छोड़ चले, सांसो की रफ्तार समझना मुश्किल है। Hindi · मुक्तक 3 250 Share विनय "बाली" सिंह 20 May 2020 · 1 min read और कब तक? और कब तक ? जलजलों का डर रहेगा। और कब तक ? आदमी अन्दर रहेगा। खत्म , कब होगी लड़ाई मौत से- और कब तक? खौफ़ का मंज़र रहेगा। Hindi · मुक्तक 3 634 Share विनय "बाली" सिंह 19 May 2020 · 1 min read आराम से गुजरे..... कुछ करो ऐसा की ऐहतराम से गुजरे। जिंदगी चार कदम तो आराम से गुजरे। लब्ज़ जब भी करें सफर कानों तक का, है दुआ, हर लब्ज़ तुम्हारे नाम से गुजरे।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 229 Share विनय "बाली" सिंह 19 May 2020 · 1 min read सबरी के #राम लघु कुटिया का ऐसे मान बढ़ाये "राम"। भक्त कि भूख मिटाने भूखे आये "राम'। लक्ष्मण घोर अचंभित होकर देख रहे, जूठे बेंर परोसे 'सबरी', खाये "राम"। Hindi · मुक्तक 3 357 Share विनय "बाली" सिंह 21 Sep 2019 · 1 min read "बिन तेरे" बिन तेरे...मिल जाए सबकुछ, तो भी लगता कमतर है। बिन तेरे..........आँसू के बहने, रोने में भी अन्तर है। बिन तेरे..धड़कन से अपनी, अनबन सी कुछ रहती है, बिन तेरे.....क्यों लगता... Hindi · गीत 3 283 Share विनय "बाली" सिंह 25 May 2021 · 1 min read मेरे खुदा बचाएं सबको गुनाह से। गुजरा हूँ जिनके खातिर काँटों की राह से। देखा उसी ने मुझको शक की निगाह से। खुशियो की हिस्सेदारी सबने कुबूल की, तौबा है बस सभी को मेरी कराह से।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 259 Share विनय "बाली" सिंह 19 May 2020 · 1 min read बिन 'माँ' के संसार अधूरा रह जाता। अमृत से भरपूर सरोवर है 'माई'। कुदरत की अनमोल धरोहर है 'माई'। रिश्तों को रसदार बनाकर रखती है। 'माँ' ही घर में प्यार बनाकर रखती है। घाव लगे तो चुटकी... Hindi · कविता 2 1 394 Share विनय "बाली" सिंह 20 May 2020 · 1 min read )))))) "राम" बने (((((( राज तजे, जंगल जाकर 'जन' आम बने। त्याग, तपस्या, धर्म, दया का धाम बने। 'पुरुषोत्तम' बन जाना इतना सरल न था, राम तपे, वन-वन भटके, तब 'राम' बने। Hindi · मुक्तक 2 2 232 Share विनय "बाली" सिंह 17 May 2020 · 1 min read फिर जमाना मुस्कुराएगा। साज छेड़ेगा, नया धुन गुनगुनायेगा। फिर जमाना मुस्कुराएगा.............। (१) फिर चलेगी रेल गाड़ी, फिर सड़क गुलजार होंगे। खेल के मैदान में, फिर से इक्कठे यार होंगे। फिर शहर आबाद होकर,... Hindi · गीत 2 2 314 Share विनय "बाली" सिंह 20 May 2020 · 1 min read घर जाने की जल्दी है। हरकत, बचकानी कर जाने की जल्दी है। जाकर गाँव ठहर जाने की जल्दी है। मस्त रहे, तब घर की चिन्ता किसको थी, आज सभी को घर जाने की जल्दी है। Hindi · मुक्तक 2 238 Share विनय "बाली" सिंह 20 May 2020 · 1 min read कुछ बड़ा कीजिये )))))))) खुद कि मेहनत से रुतबा खड़ा कीजिये। कद बड़ा हो न हो, दिल बड़ा कीजिये। मौत आएगी कुछ भी न कर पायेंगे- सांस है जब तलक कुछ बड़ा कीजिये। Hindi · मुक्तक 2 383 Share विनय "बाली" सिंह 8 Jun 2016 · 1 min read भारत की माता तरलता भी रहे मन में, जिगर फौलाद हो जाये । बने गाँधी मगर कुछ तो, भगत आजाद हो जाये। यही बस चाह रखती है, सभी भारत की मातायें- विवेकानन्द के... Hindi · मुक्तक 2 1 456 Share विनय "बाली" सिंह 23 May 2021 · 1 min read पी गया घूँट भर में जमाने का डर पी गया। मुस्कुराते हुए वो....जहर पी गया। चन्द बूंदे मयस्सर......न रब को हुई, वो जो अमृत कलश था शहर पी गया। शर्तिया वो भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 481 Share विनय "बाली" सिंह 26 Jun 2020 · 1 min read मन की बात। *मन की बात....* जिसको देखो अपने मन की कहता है। मेरे मन के अन्दर कौन ठहरता है। भाई-बहन, पत्नी-बच्चे या मात-पिता, दादा-दादी हो चाहे कुछ यार-सखा। कोई नहीं जो मेरी... Hindi · कविता 2 3 435 Share विनय "बाली" सिंह 1 Jun 2020 · 1 min read शौक से मरने चले है...... इश्क़ है हमको वतन से इश्क़ हम करने चले है। बांध कर सर पे कफ़न हम मौत से लड़ने चले है। तुम सियासी हो तुम्हारे साथ में धरने चले है,... Hindi · मुक्तक 2 1 299 Share विनय "बाली" सिंह 18 May 2020 · 1 min read अलग कुछ कहती है । दावों की तासीर, अलग कुछ कहती है। शहरों की तस्वीर, अलग कुछ कहती है। मजदूरों की, मजबूरी का दर्द अलग, मदिरा-लय की भीड़, अलग कुछ कहती है। फ़रमाया नाजी ने,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 432 Share विनय "बाली" सिंह 27 May 2020 · 1 min read माटी है ((((((( जाने कैसी जग की ये परिपाटी है। जन्म जुदा पर अंत सभी का माटी है। सब कुछ खोकर तुझको पाता सोना था, तुझको खोकर जो पाया सब माटी है। Hindi · मुक्तक 1 436 Share विनय "बाली" सिंह 23 May 2020 · 1 min read बोलूँ क्या ? तुम बोलो, कुछ बोलूँ क्या ? राज हृदय का खोलूं क्या ? मन तुझको रब मान चुका है, मैं भी तेरा हो - लूँ क्या ? है, संदेह अगर तो... Hindi · कविता 1 1 402 Share विनय "बाली" सिंह 22 May 2020 · 1 min read मार देगी जिंदगी। रास्तें हर बार देगी जिन्दगी। थक गये तो मार देगी जिन्दगी। दर्द में भी मुस्कुराने की अदा, आ गयी तो प्यार देगी जिन्दगी। कब कहानी मोड़ लेगी क्या पता, कब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 247 Share विनय "बाली" सिंह 22 May 2020 · 1 min read किधर जाओगे। भागकर मुश्किलों से किधर जाओगे। कुछ कदम चल सकोगे ठहर जाओगे। डर गए जिन्दगी में अगर मौत से, मौत, आने से पहले ही मर जाओगे। Hindi · मुक्तक 1 1 216 Share विनय "बाली" सिंह 21 May 2020 · 1 min read नज़दीकी बीमार करेगी (((((((( रब की मर्जी अब कैसे ठुकराया जाए। अच्छा होगा हंसकर सब अपनाया जाए। नज़दीकी बीमार करेगी, बेहतर है- अलग-अलग ही रहकर इश्क़ निभाया जाए। Hindi · मुक्तक 1 337 Share विनय "बाली" सिंह 27 Sep 2019 · 1 min read कुछ बड़ा कीजिये कुछ, पुराने से 'घर' में नया कीजिये। 'कद' बड़ा हो न हो 'दिल' बड़ा कीजिये। 'शान' पाकर विरासत में क्या फायदा, खुद कि मेहनत से 'रूतबा' खड़ा कीजिये। हो इरादा,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 193 Share विनय "बाली" सिंह 24 Feb 2020 · 1 min read मुश्किल है। जीवन का ये सार समझना मुश्किल है। सांसारिक व्यवहार समझना मुश्किल है। कब तक साथ रहे, कब पीछे छोड़ चले, सांसो की रफ्तार समझना मुश्किल है। Hindi · मुक्तक 1 328 Share विनय "बाली" सिंह 18 May 2020 · 1 min read क्या चाहता है ? जलाकर बस्तियों को घर बनाना चाहता है। खलीफा खौफ का मंजर बनाना चाहता है। हुई नाकाम सारी साजिशें तो आज कल, खुदा का नाम लेकर डर बनाना चाहता है। इधर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 295 Share विनय "बाली" सिंह 23 May 2020 · 1 min read इश्क़ निभाया जाए। रब की मर्जी अब कैसे ठुकराया जाए। अच्छा होगा हंसकर सब अपनाया जाए। नज़दीकी बीमार करेगी, बेहतर है- अलग-अलग ही रहकर इश्क़ निभाया जाए। Hindi · मुक्तक 237 Share विनय "बाली" सिंह 1 Jun 2020 · 1 min read मूल्य, चुकाना पड़ता है। है, बेशक बहुमूल्य, चुकाना पड़ता है। हर साँसों का मूल्य, चुकाना पड़ता है। निःशुल्क नहीं है कुछ भी प्यारे जीवन में , कुछ ना कुछ , समतुल्य चुकाना पड़ता है। Hindi · मुक्तक 246 Share विनय "बाली" सिंह 26 Sep 2019 · 1 min read मुझे माँ याद आई है। किसी उलझन में' उलझा हूँ, नहीं तो चोट खाई है। कही कुछ दर्द है शायद, मुझे माँ याद आई है। (१) बिना कारण भला ये आज कैसे अधमरा होगा, थका... Hindi · गीत 345 Share विनय "बाली" सिंह 20 May 2021 · 1 min read पी गया। घूँट भर में जमाने का डर पी गया। मुस्कुराते हुए वो....जहर पी गया। चन्द बूंदे मयस्सर......न रब को हुई, वो जो अमृत कलश था शहर पी गया। शर्तिया वो भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 272 Share विनय "बाली" सिंह 26 Sep 2019 · 1 min read सियासत वो परिंदा है। जहर पीकर भी जिंदा है, सियासत वो परिंदा है। सना है खून से दामन, घोटालों का पुलिंदा है। मदारी सा चुनावों में, नये करतब दिखाता है, लगे सूरत से भोला... Hindi · मुक्तक 279 Share विनय "बाली" सिंह 29 Jun 2021 · 1 min read पागल लड़की जिद्द पर ऐसे अड़ जाती है..पागल लड़की। मुझको पागल कर जाती है..पागल लड़की। खास नहीं है कोई ऐसी बातें मुझमें, फिर भी मुझपर मर जाती है..पागल लड़की। ना-ना कहके, हाँ...कहना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 327 Share