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21 May 2020 · 1 min read

नहीं करता तो अच्छा था……

निगाहों से कलाबाज़ी , नहीं करता तो अच्छा था।
मुहब्बत में हमें राजी, नहीं करता तो अच्छा था।

दिखाकर ख़्वाब आंखों को, बनाकर इश्क़ में पागल,
सजन हमसे दगाबाजी, नहीं करता तो अच्छा था।

जमाना भी नहीं हँसता, न यूँ बदनाम होते हम।
मुहल्ले को खबर काजी, नहीं करता तो अच्छा था।

नहीं है खौफ़ मरने का, मगर इतनी शिकायत है।
जहर देकर दुआ नाजी, नहीं करता तो अच्छा था।

बहुत आरोप है मुझपर , सभी मंजूर है लेकिन,
‘विनय’ हमसे जिरहबाजी, नहीं करता तो अच्छा था।

4 Likes · 2 Comments · 438 Views
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