विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 110 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 29 Jun 2020 · 1 min read छटा भू की निराली है फुहारे पड़ रहे रिमझिम, घटा ये छायी काली है। लिपटकर जल की बूंदों से,झुकी पेड़ों की डाली है। उमस से है मिली राहत, कृषक भी गा रहे हैं अब- नया... Hindi · मुक्तक 4 486 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 27 Jun 2020 · 1 min read खुशी फिर लौट आएगी सुनहरे ख़्वाब से केवल, नहीं बन बात पाएगी। करो जो मेहनत मन से, तो किस्मत जाग जाएगी। कभी मायूस मत होना, बदलते जिंदगी से तुम- मिला है आज गम तो... Hindi · मुक्तक 5 4 324 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 25 Jun 2020 · 1 min read एक ख़्वाहिश लबों को चूम लूँ तेरे,गले तुमको लगा लूँ मैं। अलख ये प्रेम की जानम,जरा दिल में जगा लूँ मैं। दरस अपना मुझे दे दो, नहीं अब दूर जाओ तुम- बदन... Hindi · मुक्तक 5 2 327 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 24 Jun 2020 · 1 min read यूँ बाहर मत घूमिए लॉक डाउन हटा है,संकट नहीं घटा है, बिना मतलब के ही, हाट मत घूमिए। खुद को रखें जी साफ,घर पर नहाइए, नदी किनारे जाकर, घाट मत घूमिए। घूमने को है... Hindi · घनाक्षरी 3 4 255 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 22 Jun 2020 · 1 min read एक सैनिक की आवाज़ हिमाक़त जो करे दुश्मन, कसम से ठोक देंगे हम। बढ़ेगा जो कदम उनका, वहीं पर रोक देंगे हम। रहेगा जब तलक तन में,लहू का एक भी कतरा- वतन की आन... Hindi · मुक्तक 4 2 452 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 20 Jun 2020 · 1 min read मिलन ये दो दिलों का है (भाग - 2) शहर की एक मैं छोरी,कि तुम हो गाँव का छोरा। भले है रंग काला ही, मगर है दिल तेरा गोरा। न जाओ रूप पर यारा, नज़र में... Hindi · मुक्तक 6 340 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 19 Jun 2020 · 1 min read गाँव का छोरा भाग - 1 मैं तो हूँ गाँव का छोरा, शहर की एक तुम छोरी। मैं तो हूँ साँवला बिल्कुल,मगर तुम हो बहुत गोरी। बनेगा मेल कैसा ये, तुम्हारा और मेरा... Hindi · मुक्तक 3 2 673 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 17 Jun 2020 · 1 min read छप्पन इंची सीना सरहदों पर आँख दिखाता, चीन बहुत कमीना है। पाँव बढ़ाकर ऐसे ही ,अमन चैन को छीना है। सैनिकों का यह जीवन क्या लगता अनमोल नहीं- सिर्फ भाषणों में ही क्यों... Hindi · मुक्तक 3 2 460 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 15 Jun 2020 · 1 min read ख़ुदकुशी खुदकुशी से खुशी, क्या कोई भी पाते हैं। त्यागकर निज प्राण, सबको ही रुलाते हैं। हो जाते मुक्त भले ही, खुद पीड़ा से वे- जीवन भर तिल-तिल,अपनों को तड़पाते हैं। Hindi · मुक्तक 3 4 423 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 14 Jun 2020 · 1 min read इधर उधर थूकना मना है #मनहरण_घनाक्षरी_छंद लेखन का प्रथम प्रयास?? यहाँ-वहाँ जहाँ-तहाँ,थूकता अगर कोई, उसको पकड़कर , सामने ले आइए। बाल्टी का पानी देकर,हाथों में झाड़ू देकर, उसी से उसी का थूका,साफ भी कराइए। करे... Hindi · घनाक्षरी 2 6 454 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 11 Jun 2020 · 1 min read मैं खुद को श्याम कर दूँगा मुहब्बत में तुम्हारे मैं, सुबह को शाम कर दूँगा। बड़े मासूम से दिल को, तुम्हारे नाम कर दूँगा। दुआ माँगू मैं जब रब से, रहे बस ध्यान तेरा ही- बनो... Hindi · मुक्तक 5 6 334 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 9 Jun 2020 · 1 min read सदा ही मुस्कुराओ तुम मिटाकर द्वेष आपस का,गले सबको लगाओ तुम। भरा है जो ज़हर दिल में,उसे फौरन हटाओ तुम। मिलेगा कुछ नहीं तुमको, किसी से नफ़रतें करके- बढ़ाकर दोस्ती आगे, सदा ही मुस्कुराओ... Hindi · मुक्तक 4 404 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 8 Jun 2020 · 1 min read क्या बात है जो बताते नहीं हो ग़ज़ल(122 122 122 122) ये क्या बात है जो बताते नहीं हो। कभी तुम मेंरे पास आते नहीं हो। लबों पर हँसी रोज रहता तुम्हारे, मुझे देखकर मुस्कुराते नहीं हो।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 225 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 7 Jun 2020 · 1 min read अभी से चेत जाओ तुम नदी के गर्भ से इतना, न लेकर रेत जाओ तुम। खजाना लूटकर ऐसे, न अपने केत जाओ तुम। पड़ेगी मार जब उसकी, मिले जीवन नहीं फिर से- प्रकृति के कोप... Hindi · मुक्तक 3 2 336 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 5 Jun 2020 · 1 min read आधुनिकता आधुनिकता को लिए अब,क्या से क्या हम हो गये। देखकर बस लाभ अपना ,स्वार्थ में हम खो गये। खोजते हैं घूमकर हम, फल मुहब्बत का वहीं- बीज नफरत का जहाँ... Hindi · मुक्तक 1 2 233 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 3 Jun 2020 · 1 min read रिश्तों की अहमियत घर तो हैं अब घर नहीं, सिर्फ ईंटों के मकान हुए। मिट रहे अब रिश्ते सभी, धन ही बस पहचान हुए। मोल-भाव शुरू हुआ है, ये रिश्ते भी दुकान हुए।... Hindi · कविता 4 4 289 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 29 May 2020 · 1 min read इंसाफ कर दें हम लगे हैं झाले जो दिल में,जरा सा साफ कर दें हम। करे गलती अगर कोई, उसे भी माफ कर दें हम। जिएँ इंसानियत खातिर, मरें इंसानियत खातिर - खुदा दे... Hindi · मुक्तक 5 475 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 27 May 2020 · 1 min read विरह की वेदना विरह की वेदना हम तो,कभी भी सह नहीं सकते। दबी है बात दिल में जो,किसी से कह नहीं सकते। अजब बंधन बना देखो, हमारे बीच दिल का ये- बिना तेरे... Hindi · मुक्तक 2 231 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 25 May 2020 · 1 min read गर्मी से बुरा हाल बढ़ा है ताप सूरज का, गगन से आग ही बरसे। भलाई है इसी में अब,कहीं निकलें नहीं घर से। जलाती है तपिश ऐसी, कि रेगिस्तान की राहें- मिले पानी न... Hindi · मुक्तक 1 201 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 24 May 2020 · 1 min read दोहा घर को अब सब आ रहे, छूटा उनका काम। पल-पल कदम बढ़ा रहे,लेकर हरि का नाम।।६२।। Hindi · दोहा 4 269 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 23 May 2020 · 1 min read दूर हमसे जाते रहे तुझे हम तो पाने के सपने सजाते रहे। मगर और भी दूर तुम हमसे जाते रहे। खता क्या हुई ये हमें तो पता भी नहीं- रुलाकर अकारण हमें तुम सताते... Hindi · मुक्तक 2 178 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 22 May 2020 · 1 min read नाक़ाफी इंतजाम वादे सारे खोखले, सच में हैं श्रीमान। अब से भी कुछ कीजिए,बचा लीजिए जान।।६१।। Hindi · दोहा 2 468 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 21 May 2020 · 1 min read राजनीतिक पाखंड लड़ें आपस में सब नेता,मरा आँखों का पानी है। उन्हें चिंता नहीं जन की, फ़क़त बातें बनानी है। मुसीबत है खड़ी आगे,पड़ी उनको सियासत की- मिले सत्ता कहीं से भी,... Hindi · मुक्तक 3 4 217 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 20 May 2020 · 1 min read जाते हैं तो जाइए आज का दोहा दिनांक - २०/०५/२०२० जाते हैं तो जाइए, लगी नहीं अब रोक। फिर मुड़कर मत आइए,कभी मनाने शोक।।६०।। विनय कुशवाहा 'विश्वासी' देवरिया (उत्तर प्रदेश) Hindi · दोहा 3 215 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 19 May 2020 · 1 min read विवशता हुईं विपरीत शुभ घड़ियाँ, गमों के मेघ छाये हैं। विवशता हो गयी ऐसी,सभी पर भय के साये हैं। हजारों मील की दूरी, नहीं वाहन मिले कोई- बहुत छोटी हुईं राहें,... Hindi · मुक्तक 5 432 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 18 May 2020 · 1 min read दोहा रोजी खातिर वे गये, घर से अपने दूर। उनको अब रोटी नहीं,हुए सभी मजबूर।।५९।। Hindi · दोहा 3 293 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 17 May 2020 · 1 min read पलायन का दर्द ये कवि की लेखनी भी दर्द अब तो लिख नहीं सकती। बना है घाव जो तन पर, किसी को दिख नहीं सकती। बहुत निर्मम हुई सरकार हर सुविधा नदारद है... Hindi · मुक्तक 3 351 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 16 May 2020 · 1 min read कोरोना योद्धा लेकर सभी उर विशाल। माँ भारती के ये लाल। अब लड़ रहे देश के लिए, मिलाकर सब कदम ताल। चिकित्सक और सिपाही। बने हैं अब दोनों हमराही। दिन - रात... Hindi · कविता 2 2 284 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 15 May 2020 · 1 min read गाँव की मिट्टी हमारे गाँव में तुम भी, कभी तो घूमने आओ। हवा के संग बागों में, जरा तुम झूमने आओ। मिलेगी हर खुशी तुमको जहाँ भी पग बढ़ाओगे- बहुत पावन यहाँ की... Hindi · मुक्तक 2 350 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 14 May 2020 · 1 min read आर्थिक पैकेज भारी-भरकम घोषणा, लेकर आये नाथ। फायदा बस अमीर को,गरीब मलते हाथ।।५८।। Hindi · दोहा 5 221 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 13 May 2020 · 1 min read कहाँ जा रहे हो? मुझे छोड़कर तुम कहाँ जा रहे हो? कि दिल तोड़कर तुम कहाँ जा रहे हो? तुम्हें ही तो माना था बस एक अपना- यूँ मुँह मोड़कर तुम कहाँ जा रहे... Hindi · मुक्तक 4 266 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 12 May 2020 · 1 min read आशिक का दर्द सजनी से मिलने चले,पैदल उसके गाँव। मिल तो हम पाए नहीं,उल्टे दुखते पाँव।।५७।। Hindi · दोहा 5 207 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 11 May 2020 · 1 min read निजी विद्यालयों की खुली लूट हर साल ही बच्चों की किताबें बदल रहे। बातें बनाकर कैसे सभी को ये छल रहे। कैसे खरीदे कोई महंगी किताब को - मासूम बच्चों के अब ये सपने कुचल... Hindi · मुक्तक 2 2 206 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 10 May 2020 · 1 min read एक और ग़ज़ल ग़ज़ल(221 1221 1221 122) तरकश के अभी तीर न बेकार करो जी। मासूम दिलों पर न ऐसे वार करो जी। मैं आशिक़ हूँ सिर्फ तिरा ही इक जानम, ख़त इश्क़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 453 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 10 May 2020 · 1 min read माँ #मातृ_दिवस माँ तो ममता की मूरत है। चाहे कैसी भी सूरत है। जैसा सुख माँ के आँचल में। क्या है दूजा भूमंडल में? पूत कपूत सुने बहुतेरे। माता न कुमाता... Hindi · कविता 2 210 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 9 May 2020 · 1 min read दूर जाने लगे हैं न जाने वो क्यों दूर जाने लगे हैं। घड़ी हर घड़ी क्यों सताने लगे हैं। कभी रोज आँखें मिलाये थे जिनसे, हमें आज आँखे दिखाने लगे हैं। Hindi · मुक्तक 2 408 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 8 May 2020 · 1 min read लौटते लोग चले छोड़कर ये शहर अब सभी गाँव के लिए। विवशता में आये सभी इस घड़ी ठाँव के लिए। कठिन मार्ग पर धूप में चलने जैसे थी जिंदगी- सभी दौड़कर आये... Hindi · मुक्तक 2 181 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 7 May 2020 · 1 min read मुक्तक सिर्फ़ ऐसे ही न बातें जाँ बनाया कीजिये। प्यार जो करते हैं हमसे तो निभाया कीजिये। हर समय आते हैं चलकर पास हम ही आपके- जाँ कभी तो खुद हमारे... Hindi · मुक्तक 3 171 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 6 May 2020 · 1 min read दोहा बारिश ऐसे हो रही, जैसे भादों मास। गर्मी गायब हो गयी,सर्दी का है वास।।५६।। Hindi · दोहा 1 423 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 5 May 2020 · 1 min read बेवफाई वे प्यार के पंखों को कुतरने लगे। दिल के अरमान सारे बिखरने लगे। कल तक दिल के नजदीक थे उनके, अचानक ही हम इतना खटकने लगे। वो खुद ही दूर... Hindi · गीत 4 6 461 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 5 May 2020 · 1 min read मुक्तक ये दौलत यहीं छोड़ जाते सभी। गरीबों को फिर क्यों सताते सभी। यहाँ की अदालत से बचते मगर - खुदा के भवन दंड पाते सभी। Hindi · मुक्तक 2 2 285 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 5 May 2020 · 1 min read शराब की महिमा ये शराब तो कितनों की बत्ती गुल कराती है। खर्चे भी अनगिनत ही ये फिजूल कराती है। जब चढ़ती है ये अपने असली शबाब पर तो, अच्छे - अच्छे लोगों... Hindi · कविता 3 609 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 5 May 2020 · 1 min read शराब लगे सभी कतार में शराब के लिए। जुटी है भीड़ देखिये ख़िताब के लिए। रसद ज़रूरी है कि ये ज़हर जनाब अब- मिले हमें न कोई भी जवाब के लिए। Hindi · मुक्तक 2 401 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 5 May 2020 · 1 min read मुक्तक इस तरह अब जाँ सताना छोड़ दो। हर घड़ी ये दिल जलाना छोड़ दो। मैं न जानूँ ये मनाने की अदा- रोज़ का तुम रूठ जाना छोड़ दो। Hindi · मुक्तक 2 400 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 3 May 2020 · 1 min read हम बालक भोले-भाले हैं हम बालक भोले - भाले हैं। चाहे गोरे हैं या काले हैं। है अपनी अलग सी दुनिया, हम जग में सबसे निराले हैं। छोटे - छोटे से पग हैं अपने,... Hindi · कविता · बाल कविता 2 2 1k Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 3 May 2020 · 1 min read मुक्तक यूँ दिल के पाश से अब तो रिहाई हो नहीं सकती। करे कुछ भी जमाना पर जुदाई हो नहीं सकती। मैं हूँ तेरा, तू है मेरी, हकीकत है यहीं केवल-... Hindi · मुक्तक 368 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 2 May 2020 · 1 min read दोहा दिनांक - ०२/०५/२०२० पाती पढ़कर प्रेम की,खिला है अंग-अंग। सब कुछ है रंगा हुआ, चढ़ा है प्रेम-रंग।।५५।। विनय कुशवाहा 'विश्वासी' देवरिया (उत्तर प्रदेश) Hindi · दोहा 1 361 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 2 May 2020 · 1 min read मुक्तक करोगे जो भला जग का तो खुद का भी भला होगा। दिलों के बीच भी तब तो बहुत कम फासला होगा। खपा दो जिंदगी अपनी सदा इंसानियत खातिर- अगर मर... Hindi · मुक्तक 1 2 301 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 1 May 2020 · 1 min read मैं एक मजदूर हूँ मैं एक मजदूर हूँ। रोटी कमाने खातिर, घर से अपने दूर हूँ। नसीब नहीं सुख की नींदे, हालत से मजबूर हूँ। चाहे कोई काम कराना, हर काम में मशहूर हूँ।... Hindi · कविता 2 2 205 Share विनय कुशवाहा 'विश्वासी' 1 May 2020 · 1 min read मजदूर हरदम रहें अभाव में,क्या पाएँ मजदूर। दुख उनके मिटते नहीं,रहते हैं मजबूर।।५४।। Hindi · दोहा 2 2 240 Share Previous Page 2 Next