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29 Jun 2020 · 1 min read

छटा भू की निराली है

फुहारे पड़ रहे रिमझिम, घटा ये छायी काली है।
लिपटकर जल की बूंदों से,झुकी पेड़ों की डाली है।
उमस से है मिली राहत, कृषक भी गा रहे हैं अब-
नया है रूप मौसम का, छटा भू की निराली है।

Language: Hindi
4 Likes · 456 Views
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