Comments (6)
5 May 2020 10:35 PM
लाजवाब ?
विनय कुशवाहा 'विश्वासी'
Author
6 May 2020 07:11 PM
शुक्रिया महोदया??
5 May 2020 10:16 PM
बहुत खूब ?
विनय कुशवाहा 'विश्वासी'
Author
6 May 2020 07:12 PM
धन्यवाद महोदया??
मरीज़- ए- मोहब्ब़त उन्ही का फ़साना सुनाता रहा दम़ निकलते निकलते।
तभी ज़िक्रे शामे अल़म जब के आया च़रागे स़हर बुझ गया जलते जलते।
श़ुक्रिया !
धन्यवाद आदरणीय??