उमा झा Tag: कविता 73 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 उमा झा 9 May 2020 · 1 min read काली रजनी आज खिला कितना सुन्दर चांद, छुप गया अंधेरा जा निज मांद। काली रजनी बनी मन मतवाली, पी कर मदिरा भर भर प्याली । है छिटपुट तारों का संगम, है चुरकुट... Hindi · कविता 7 2 841 Share उमा झा 7 May 2020 · 1 min read ??????? पढ लिख कर भी जीवन बेकार, मूर्खों को आज ढूंढ रही सरकार । है सच कोरोना के मारे से, हुआ अनेक जन बेरोजगार । सबको पर रहा, आज यहाँ पर,... Hindi · कविता 10 8 373 Share उमा झा 7 May 2020 · 1 min read होती जब घमासान वर्षा की कहर दुबक दुबक कर बैठे सब अपने घर, होती जब घमासान वर्षा की कहर । समय समय पर बिजली कड़की, शांत चित वाली धरती भी धड़की, बादल गर्जना कर देता झिड़की,... Hindi · कविता 10 2 471 Share उमा झा 6 May 2020 · 1 min read शराब की दुकान (व्यंग्य व्यंजन ) सरकार से मिला एक फरमान, खुलेगी अब शराब की दुकान । नेता को आया सोते जागते सपना, शराब पीने वालों को न होते कोरोना । जो मदिरा पीकर, हो जाते... Hindi · कविता 10 2 478 Share उमा झा 5 May 2020 · 1 min read दुविधा संघर्षपूर्ण है मेरा जीवन, विश्वनाथ नगर की गलियों मे, एक तरफ है माँ का आँचल, एक तरफ कर्तव्य खड़ा है, है दुविधा अब मेरी, किसको गले लगाऊँ, या किसका भेदन... Hindi · कविता 11 6 676 Share उमा झा 3 May 2020 · 1 min read मानव की चिढ तुझे मिली हरियाली डाली, मेरी प्रकाशयुक्त कोठरी भी काली। यह जग है मेरा साम्राज्य, हर छायाप्रति पर दिखे तुहीं आज । तुझे देख होती अति पीड़ा, बना रहूँ कबतक मैं... Hindi · कविता 10 4 523 Share उमा झा 2 May 2020 · 1 min read मेरी कविता - - (व्यंग्यात्मक ) कहूँ क्या लाॅकडाऊन की प्रभुताई, कुहर-कुहर कर होती कविता की भरपाई । पहले दिन एक में लिखते कविता चार, चार दिन भी आज एक में हुआ बेकार । होगें प्रतीक्षारत... Hindi · कविता 10 4 533 Share उमा झा 2 May 2020 · 1 min read अर्थ बिना जीवन बेकार गुरूजी पुस्तक कांख दबाए, भूखे पेट अश्रुधार के मारे, जा पहुंचे धनपति के द्वार । मुट्ठी भर दाना दे कर, साथ कई शर्त लगाकर, किया धनपति उन्हे स्वीकार । मरता... Hindi · कविता 10 4 702 Share उमा झा 30 Apr 2020 · 1 min read जीवन आशा दुविधा छाई यदि समृद्ध आकाश, उसकी शक्ति, अपनी भक्ति का है विश्वास , निश्चय ही समृद्ध होगा अच्युत प्रकाश, शाश्वत सत्य मानव का होना हताश, खद्योत तम भेदन का करता... Hindi · कविता 10 6 492 Share उमा झा 29 Apr 2020 · 2 min read मैं गुड्डी मन की मतवाली घटा भी मुझसे पूछे, कहो क्या राह तुम्हारी, हवा भी मुझसे पूछे, चलूँ क्या साथ तुम्हारी, खगवृंद मुझसे पूछे, बन जा तू सखिया हमारी, उसके चित में मैं बसने वाली,... Hindi · कविता 9 4 646 Share उमा झा 28 Apr 2020 · 1 min read तु है कौन - - ? सुन रे गगन विशाल, संग सुनो धरती पाताल, तू खड़ा देख रहा क्यों मौन, मेरा जना पुत्र पुछ रहा तू है कौन? अपना रक्त पिलाया जिसको, जीवन जोत दिखाया जिसको,... Hindi · कविता 12 2 307 Share उमा झा 26 Apr 2020 · 1 min read मेरी संस्कृति स्वर्ग लोक से अवतरित हुई थी तुम उस दिन, काली रजनी के बेरी में बंध चुके थे अरुणबिन्द । था जीवन की धरती पर हाहाकार भरी हे! तृष्णा, बिन बंशी... Hindi · कविता 9 2 482 Share उमा झा 25 Apr 2020 · 1 min read बेगूसराय की हार - - - - - ? बेगूसराय की हार हुई, या प्रकृति की अदृश्य मार पड़ी । कभी जल से भरा था यह क्षेत्र, आज बन गया क्षणिक इत्र, हम कैसे हैं स्वार्थी मित्र, मित्र हन्ता... Hindi · कविता 8 2 287 Share उमा झा 24 Apr 2020 · 1 min read वो है संस्कृति जिस बालिका को मेने जनम दिया, वह है संस्कृति वह है संस्कृति वो संस्कृति है, वो चंचल है मधु गुंजन वन की गुंजरी है, बाल सुलभ तितली कृति है, वह... Hindi · कविता 8 2 337 Share उमा झा 23 Apr 2020 · 2 min read प्रगति बन गई प्रकृति की सौतन भाव भंग लिपटी एक अलबेली, अवतरित हुई प्रगति नार नवेली । करने मानव को निज ओर आकृष्ट, तरल स्नेह की करती हुई वृष्टि । अनुजा भान प्रकृति उसे स्वीकार किया,... Hindi · कविता 8 4 346 Share उमा झा 22 Apr 2020 · 1 min read जाग जाग हे परशुराम जाग जाग हे परशुराम, छोड़ो अब चिर ध्यान । हो रहा सनातन धर्म विध्वंस, गीदर की खाल में दिख रहा असंख्य कंश, मानव बन कर भी दानव की है प्रतिमूर्ति,... Hindi · कविता 8 4 478 Share उमा झा 22 Apr 2020 · 1 min read शिशु - - - हे जग के पालनहार जन्म देकर तू क्या किया, स्नेह सुधा गंग धार, बिन बताए मुझसे छीन लिया, मिलना था, माँ का आंचर नंगी धरती पर तू सुला दिया, हे... Hindi · कविता 8 4 326 Share उमा झा 21 Apr 2020 · 1 min read जाग उठी धरती की ज्वाला जाग उठी फिर से धरती की ज्वाला, देख द्रोही होता अब क्या होने वाला । क्रांति की आंधी जब चलती है, सहस्र शिव की तांडव दिखती है । एक एक... Hindi · कविता 8 4 504 Share उमा झा 21 Apr 2020 · 1 min read बाल श्रमिक फटे अधर, नयनाश्रु लिये कहा बालमन, सुन माँ धरणी, सुन पिता गगन । है क्या मेरा निर्छिन्न अपराध अपार, श्रमिक पांत खड़ा हूँ विवश लाचार। हुई ईश्वर की ऐश्वर्यशक्ति आज... Hindi · कविता 7 2 337 Share उमा झा 19 Apr 2020 · 1 min read नारी शक्ति का स्वयं करो श्रृजन नारी शक्ति का स्वयं करो श्रृजन, उठा तलवार, सुन हृदय की पुकार, भर नयनों में ज्वाला, हो सिंह सवार, दृढ करले तू आज मन नारी शक्ति का स्वयं करो श्रृजन... Hindi · कविता 7 4 333 Share उमा झा 19 Apr 2020 · 1 min read है कौन सबसे विशाल? बारंबार मन में उठता एक सवाल, है कौन सबसे विशाल? पूछा हमने शैल शिखर से, क्या है तू सबसे विशाल? कहा पर्वत हाँ दिखता हूँ विशाल, है पर इसका किस्सा... Hindi · कविता 8 6 360 Share उमा झा 18 Apr 2020 · 1 min read प्रकृति की गोद पूर्व काल से है उदघोषित, कभी न करना पर्यावरण प्रदूषित । वेद शास्त्र ऋचाएँ किया बखान, समझ वृक्ष पुत्र, हो कल्याण । हर एक वृक्ष है जीवन दाता, शदियों से... Hindi · कविता 6 4 515 Share उमा झा 18 Apr 2020 · 1 min read समय की महत्ता समय किसी की ऊपज नहीं है, समय किसी से विवश नहीं है, समय का जिसने त्याग किया, जीवन भर जग का दुत्कार सहा, मत सोचो समय हमारे हाथों की कठपुतली,... Hindi · कविता 6 4 374 Share Previous Page 2