Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2020 · 1 min read

शिशु – – –

हे जग के पालनहार
जन्म देकर तू क्या किया,
स्नेह सुधा गंग धार,
बिन बताए मुझसे छीन लिया,
मिलना था, माँ का आंचर
नंगी धरती पर तू सुला दिया,
हे जग के पालनहार
जन्म देकर तू क्या किया ।

किस बज्र छाती से टपके क्षीर,
व्याकुल शिशु का देख अथीर नीर,
क्रंदित होठ, व्यथित भरी नैना
चुस अंगुठा, क्षुधा न चैना,
कुन्ती बन जल धारा में बहा दिया ।
हे जग के पालनहार
जन्म देकर तू क्या किया ।

बाल हृदय को समझे कौन,
है जब शिशु प्रति ममता ही मौन,
सरस ममतामयी मां कहाँ,
भटक रहा नयनाश्रु यहाँ वहाँ
बना दीपक, लो ही तू बुझा दिया,
हे जग के पालनहार
जन्म देकर तू क्या किया ।
—उमा झा

Language: Hindi
8 Likes · 4 Comments · 325 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from उमा झा
View all
You may also like:
*गीत*
*गीत*
Poonam gupta
संकल्प
संकल्प
Dr. Pradeep Kumar Sharma
#जलियाँवाला_बाग
#जलियाँवाला_बाग
Ravi Prakash
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
Neerja Sharma
मन सीत मीत दिलवाली
मन सीत मीत दिलवाली
Seema gupta,Alwar
रंगमंच
रंगमंच
लक्ष्मी सिंह
दूर हो गया था मैं मतलब की हर एक सै से
दूर हो गया था मैं मतलब की हर एक सै से
कवि दीपक बवेजा
डिग्रियों का कभी अभिमान मत करना,
डिग्रियों का कभी अभिमान मत करना,
Ritu Verma
मेरी तो धड़कनें भी
मेरी तो धड़कनें भी
हिमांशु Kulshrestha
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
पूर्वार्थ
मुझसे गुस्सा होकर
मुझसे गुस्सा होकर
Mr.Aksharjeet
कौन कहता है आक्रोश को अभद्रता का हथियार चाहिए ? हम तो मौन रह
कौन कहता है आक्रोश को अभद्रता का हथियार चाहिए ? हम तो मौन रह
DrLakshman Jha Parimal
कुछ बिखरे ख्यालों का मजमा
कुछ बिखरे ख्यालों का मजमा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
सफर या रास्ता
सफर या रास्ता
Manju Singh
सफलता का लक्ष्य
सफलता का लक्ष्य
Paras Nath Jha
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
VINOD CHAUHAN
एक लोग पूछ रहे थे दो हज़ार के अलावा पाँच सौ पर तो कुछ नहीं न
एक लोग पूछ रहे थे दो हज़ार के अलावा पाँच सौ पर तो कुछ नहीं न
Anand Kumar
मेरी फितरत में नहीं है हर किसी का हो जाना
मेरी फितरत में नहीं है हर किसी का हो जाना
Vishal babu (vishu)
शिवनाथ में सावन
शिवनाथ में सावन
Santosh kumar Miri
■ प्रयोगात्मक कवित-
■ प्रयोगात्मक कवित-
*Author प्रणय प्रभात*
हर दुआ में
हर दुआ में
Dr fauzia Naseem shad
बिंते-हव्वा (हव्वा की बेटी)
बिंते-हव्वा (हव्वा की बेटी)
Shekhar Chandra Mitra
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
डॉ.सीमा अग्रवाल
आदिशक्ति वन्दन
आदिशक्ति वन्दन
Mohan Pandey
ख़त्म होने जैसा
ख़त्म होने जैसा
Sangeeta Beniwal
होली के मजे अब कुछ खास नही
होली के मजे अब कुछ खास नही
Rituraj shivem verma
3322.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3322.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
लत
लत
Mangilal 713
"रुदाली"
Dr. Kishan tandon kranti
खुशियाँ
खुशियाँ
Dr Shelly Jaggi
Loading...