सुखविंद्र सिंह मनसीरत Tag: कविता 1348 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Sep 2019 · 1 min read समाज के ठेकेदार चूर चूर कर डाले रिश्ते समाज के ठेकेदारों ने खुद के दोष रहे छिपाए लगे औरों को उछलाने में भावहीन भयमुक्त हो गए लगे औरों को धमकाने में छोटों को... Hindi · कविता 3 2 3k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Aug 2020 · 1 min read तिरंगा मेरा अभिमान **तिरंगा मेरा अभिमान** ******************* तिरंगा मेरे देश की है शान वीर जवानों का है सम्मान खुशियों भरे होते हैं लम्हें लहराता झंडा खुले मैदान प्रफुल्लित होता है तन मन तीन... Hindi · कविता 5 1 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Aug 2019 · 2 min read सुहागरात गृहस्थ जीवन की पावन शुरुआत थी बिछी हुई सुहागरात की सेज थी दो प्यासे अन्जान चेहरे आत्माओं का होना जो स्वर्णिम पवित्र मिलन था काली अर्द्ध सर्द रात का प्रथम... Hindi · कविता 3 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2019 · 1 min read उन्नति-मंत्र परिश्रम कर या फिर कर हजूरी जीवन में आगे बढ़ना है जरूरी तरक्की के बदल गए तौर तरीके चमचागिरी, जी हजूरी है जरूरी अधिकारी को रखोगे सदैव खुश कार्यालय कार्य... Hindi · कविता 2 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2019 · 2 min read हिंदू धर्म सनातन धर्म विज्ञान आधारित धर्म जो वह सनातन धर्म है विश्व का प्राचीनतम धर्म यह सनातन धर्म है वैदिक धर्म यह धर्म, वेद आधारभूत स्तंभ है चारों वेदों पर है आधारित यह... Hindi · कविता 2 990 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Dec 2019 · 1 min read सर्दी के दोहे सर्दी का मौसम आया, ठंड बहुत है छाई स्वेटर जर्सी अब पहनो ,ढूँढों गर्म रजाई मूँगफली संग रेवड़ी , खाओ खूब खजूर सर्दी नजर ना आएगी, मानो बात हुजूर सोहबत-ए-मयख्वारी... Hindi · कविता 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Sep 2019 · 2 min read थूक का महत्व मुँह में जो लार है थूक उसे हम कहते हैं खूले में जो थूकते तो लोग उसे सहते हैं समय और स्थान का थूक पर प्रभाव है परिस्थितिवश थूक का... Hindi · कविता 958 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Jul 2020 · 1 min read गुरु बिन गति नहीं ******** गुरु बिन गति नहीं ********* ******************************* गुरु शिष्य की रीति सदियों से चलती आई गुरु बिना कभी शिष्य ने है गति नहीं पाई कुंभकार कच्ची मिटृटी से कलाकृति बनाए... Hindi · कविता 3 890 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Aug 2020 · 1 min read आजादी के दीवाने ****आजादी के दीवाने**** ********************** आओ याद करें हम अफसाने जांबाज आजादी के दीवाने सिर पर कफन बांध लिया था खूब लड़े देश के लिए मरदाने शमशीरों ने खेली खूनी होली... Hindi · कविता 1 1 901 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Nov 2019 · 1 min read दिल के हो पार चली प्रेम जब बयार चली दिल के हो पार चली देखता ही रह गया मैं सीना कर चीर चली नजर से नजर मिली नजर ना टिक सकी नेस्तनाबूद कर दिया कायनात... Hindi · कविता 835 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Sep 2019 · 2 min read नृत्यांगना का जादू नृत्यांगना का जादू युवा महोत्सव सांस्कृतिक कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के रंग कलामंच पर एक हरियाणवी सुन्दर नृत्यांगना ने हरियाणवी लोकगीत की लय पर ढोलक की तेजतर्रार लयबद्ध थाप पर पतली... Hindi · कविता 1 834 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Aug 2020 · 2 min read प्रेम का रंग बहुत निराला ********** प्रेम का बहुत निराला *********** ************************************** प्रेम का रंग बहुत निराला जो सब रंगों से न्यारा है प्रेम रंग मे रंग जाए रंगीला लगता सबसे प्यारा है होते बहुत... Hindi · कविता 2 810 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Sep 2019 · 1 min read नजराना नजराना तेरा यूं मंद मंद मुस्कराना जीना दुष्वार करता है तेरा यूं हँस के शर्माना ईश्क ए इजहार करता है तेरे अधरों की लालिमा धड़कने थाम दें दिल की गुलाबी... Hindi · कविता 1 836 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Aug 2020 · 1 min read जय बोलो पत्नी महारानी की ** जय बोलो पत्नी महारानी की ** **************************** जय जय बोलो पत्नी महारानी की जय दुखधरणी और कष्टदायिनी की सारा दिन आन्नद ,मौज मस्ती उड़ावें पति घर आगमन पर मुँह... Hindi · कविता 1 1 852 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Jul 2020 · 1 min read ठंडी ठंडी हवा चले ठंडी ठंडी हवा चले *************** ठंडी ठंडी हवा चले जवां दिल रवाँ चले नभ में बादल छाये जियरा है घबराये काली घटा घनघोर नहीं किसी का जोर बारिश बूँदे है... Hindi · कविता 4 4 750 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Apr 2021 · 1 min read बस सरकारी ***** बस सरकारी ***** ********************* सरकारी बस की सवारी, कभी नहीं मिलती उधारी। खाली कंडक्टर का झोला, चालक बजाता है थाली। खिड़की पर लटकते रहते, सीट को तरसती सवारी। बस... Hindi · कविता 750 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Oct 2019 · 1 min read सती प्रथा भारतीयता की है पहचान भारतीय संस्कृति संस्कार होता परस्पर आदान प्रदान पीढी को पीढी से संस्कार भारतीय संस्कृति है समृद्ध विभिन्न प्रथाएं भिन्न प्रभार कुछ थी ऐसी हमारी प्रथाएँ जिन... Hindi · कविता 751 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Oct 2020 · 1 min read फूल.बने अंगारे **** फूल बने अंगारे **** ********************* ये फूल बन जाते हैं अंगारे शूल बिन हो जाते बेसहारे सुगंधि को रहते हैं बिखेरते धीरे धीर से रहें पाँव पसारे आते जाते... Hindi · कविता 783 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Mar 2021 · 1 min read नारी तुम नारायणी हो *नारी तुम नारायणी हो* ****************** नारी से ही जीवन है, नारी से जन जीवन है। प्रसव पीड़ा सहकर वो, शिशु को दे नवजीवन है जग में मिलती पहचान, दे सभी... Hindi · कविता 1 1 693 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 May 2021 · 1 min read स्कूल की यादें ********** स्कूल की यादें ********* ******************************** भुलाए नहीं है भूलती स्कूल की यादें, दिल को है झकझोड़ती स्कूल की यादें। आज भी जब उस गली में से है गुजरते, याद... Hindi · कविता 809 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Sep 2019 · 1 min read औरत तेरी कहानी औरत तेरी आज भी है वही कहानी आँचल में है दूध आँखों में रहे पानी सदियों से चलता आ रहा है यह रंज कभी ना कभी ये कहानी होगी पुरानी... Hindi · कविता 690 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Nov 2019 · 1 min read रिमझिम रिमझिम है बारिश रिमझिम रिमझिम है बारिश टपक रहा बादलों से है पानी तन बदन में रहे अग्न लगाए पास नहीं दूर है दिलबर जानी छोटी छोटी ठंडी गिरती बूंदें दिल अंदर चुभन... Hindi · कविता 662 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Jan 2021 · 1 min read प्रेम पर दोहे *********** प्रेम पर दोहे *********** ******************************** 1 पहला दोहा ************ गीत गाता हुआ चला,प्रेम नगर की डगर प्रीत मिली न प्रेम मिला,अधूरा रहा सफर 2 दूसरा दोहा *********** तुम बनो... Hindi · कविता 3 3 711 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Jan 2020 · 1 min read छाई है काली घटा घन घोर छाई है काली घटा घन घोर -------------------------------- छाई बहुत काली घटा घनघोर गरज रहे बादल यहाँ पुर जोर सुनाई दे तूफांं,आँधी का शोर बरसेंगे आज बादल जोर शोर मंडराते मेघों... Hindi · कविता 2 676 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Apr 2020 · 1 min read सब्जी संग बहू पाई ******* सब्जी संग बहू पाई ******** ******************************* बेटा गया था बाजार, सब्जी भाजी लाने ले आया सब्जी बनाने वाली माँ सिराहने माँ घर में बैठी कर रही थी मसाला तैयार... Hindi · कविता 2 1 668 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Mar 2021 · 1 min read नशा इश्क ए जुनून का ********* नशा इश्क ए जुनून का ********* ************************************* आँखों में है छा गया ,नशा इश्क ए जुनून का, तन मन मे लगाए आग,नशा इश्क ए जुनून का। दिन में न... Hindi · कविता 707 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Dec 2019 · 1 min read बेटी माँ जननी के जिगर का टुकड़ा है बेटी पिता का स्वाभिमान अभिमान है बेटी सांसों की कीमत पर सदा पलती बेटी दहेज की बलि पर चढती जलती बेटी असुरक्षित वातावरण... Hindi · कविता 704 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Apr 2020 · 1 min read घरवाली बाहरवाली *****घरवाली बाहरवाली****** ************************** आजादी में बंधन,बंधन में आजादी प्रेमिका से प्रेम करें, पत्नी से शादी पत्नी और प्रेमिका में अन्तर इतना जायज और नाजायज में है जितना सोच कभी कहीं... Hindi · कविता 2 2 787 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Mar 2021 · 1 min read कुर्सी की लड़ाई ****** कुर्सी की लड़ाई ****** ************************* जब शुरू होती कुर्सी पर लड़ाई, शत्रु बन जाते भाई भरजाई। जिस लाठी उसकी होती है भैंस, बात सच कहता है कालू नाई। बोली... Hindi · कविता 1 730 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Aug 2020 · 1 min read प्रेम पथिक ************* प्रेम पथिक ************** ************************************ प्रेम पथिक प्रेम पथ पर पग धर मेरे साथ चलो विनती मेरी तुम करो स्वीकार , मेरे साथ चलो मैं प्यासी चातक सी धोखे खाती... Hindi · कविता 1 622 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Aug 2020 · 1 min read मेरा भारत महान ****मेरा भारत महान*** ******************** मेरा भारतवर्ष बहुत महान विश्व भर में है ऊँची शान भांति भांति के लोग यहाँ भांति भांति का पहरावा खानपान भी है भिन्न भिन्न भिन्न भाषा... Hindi · कविता 2 1 653 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Jun 2020 · 2 min read प्रेममयी वर्णण **प्रेममयी वर्णमाला** ****************** अ से अंग यौवन भारी आ से आँखें तेरी प्यारी इ से इत्र तन से है आए ई से ईश तुम में समाए उ से उल्लू सीधा... Hindi · कविता 1 663 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Oct 2019 · 1 min read राधा मीरा का प्यार सुनो एक प्रेम भरी कहानी प्रेम कहानी बहुत थी पुरानी कन्हैया जो एक था दीवाना कन्हैया की दो थी दीवानी एक थी राधा सुन्दर प्यारी दूसरी थी मीरा प्रेमदिवानी दोनों... Hindi · कविता 629 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 May 2020 · 1 min read लोरी ********* लोरी ******** ********************** अखियों में आजा निंदिया री जल्दी से सुला जा निंदिया री कब से हैं बैचन नैना रै बैचेनी मिटा जा निंदिया री चाँद तारे भी है... Hindi · कविता 1 643 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Mar 2021 · 1 min read बैठ जाओ पास ******बैठ जाओ पास****** ************************ दो घड़ियाँ बैठ तो जाओ पास, करनी है तुम से दिल की बात। पूछना है, क्या हुई खता बता, क्यों नही करते हो दो पल बात।... Hindi · कविता 1 633 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Dec 2019 · 1 min read प्याज पर दोहे प्याज पर दोहे प्याज ब्याज पर हैं मिलें,हुआ विकास महान प्याज रत्न अनमोल है, भाव छुए आसमान सेब हुए हैं प्याज समान,प्याज समान हैं सेब प्याज पहुँच बाहर हुए ,खाली... Hindi · कविता 1 654 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Nov 2020 · 1 min read भैया दूज *********** भैया दूज *********** ****************************** कार्तिक शुक्ल पक्ष की जब बेला आई भाई बहन पावन पर्व भैया दूज है लाई भाइयों की खुशहाली दीर्घायु के लिए बहने मस्तक पर तिलक... Hindi · कविता 1 651 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Sep 2019 · 2 min read देहाती सीधे साधे लोग देहाती होते हैं बड़े परिश्रमी भोली भाली सूरत होती नहीं होते हठधर्मी सादा खाना पीना पहरावा मीठी होती बोली सादा रहन सहन है होता करते खूब ठिठोली... Hindi · कविता 1 600 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read प्रेम भरी चिट्ठियाँ अतीत के गर्भ में खो गई मेरी प्रेम भरी चिट्ठियाँ बेहतरीन थी प्रेम की चासनी में डूबी हुई चिट्ठियाँ प्रेयसी से अतरंग प्यार की भावनाओं का एहसास थी इन्कार करार... Hindi · कविता 2 707 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 May 2021 · 1 min read क्या खाक मजा है जीने में *क्या खाक मजा है जीने में* ********************** कुछ दर्द छिपा है सीने में, क्या खाक मज़ा है जीने में। लाख कोशिश की कमाने की, बहुत श्रम छिपा पसीने में। हर... Hindi · कविता 1 679 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 May 2021 · 1 min read कब का छोड़ा गिद्धों ने नोचना ***कब का छोड़ा गिद्धों ने नोचना**** ****************************** शमशानों में हैं चिताएं ही जल रही, इंसानों की साजिशें पल पल चल रही। कब का छोड़ा है गिद्धों ने अब नोचना, खुद... Hindi · कविता 1 590 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Aug 2019 · 1 min read ट्राँसफर ड्राइव ट्रांसफर रूपी दानव आया ड्राइव में होकर सवार दुखदायी और सुखदायी था जो भी थे इस पर सवार उम्र,युगल,बीमारी नतीजे के अंक भी अर्जित कर किए तैयारी कर वांछित प्रबली... Hindi · कविता 5 2 575 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Jan 2020 · 1 min read बाल्यकाल ------बाल्यकाल------ --------------------------- बचपन प्यारा बीत गया , काल सुनहरा बीत गया जो दिल को भाता था,दिलकश जमाना बीत गया मीठी -मीठी मुस्कान थी, मधु सी मधुर जुबान थी बाल्य राहें... Hindi · कविता 2 625 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read मित्रता के भाव मित्र दिवस अवसर पर प्रस्तुत हैं ये भाव जीवन में इनके आने पर होते पूरे सब चाव जब कभी तनाव में होता है कोई इन्सान मित्र राम बाण बन ओषधि... Hindi · कविता 3 579 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 May 2021 · 1 min read दादी माँ का प्यार ******** दादी माँ का प्यार ******* ****************************** भुलाए नहीं भूलता दादी माँ का प्यार, नसीबों से है मिलता दादी माँ का प्यार। याद आती रहती परियों की कहानियाँ, पास बस... Hindi · कविता 1 595 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Sep 2019 · 1 min read जुल्फों की पनहां अपनी जुल्फों के साये तले पनहां दे दो हम तो गम की रातें जुल्फों में गुजार देंगे शमां प्यार की जला के थोड़ा मुस्कुरा दो उन्हीं यादों के सहारे ही... Hindi · कविता 1 599 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Sep 2020 · 1 min read हिन्दी मेरे देश की आशा हिन्दी मेरे देश की आशा ******************* हिन्दी मेरे देश की आशा अंधकारमय घोर निराशा हिंदुस्तान में बोली जाती जन जन की है मातृभाषा अभिव्यक्ति का है संप्रेषण मीठी मीठी मधुरिम... Hindi · कविता 1 3 586 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Oct 2019 · 1 min read बीत गई दीवाली बीत गई दीपावली देकर एक पैगाम खर्च,प्रदूषण बढाकर करते हो बदनाम दीवाली का नाम लेकर करते हो काम नहीं हैं सामाजिक बदनाम हो सरेआम ढेर पटाखे चलाकर बढाएं कूड़ा कबाड़... Hindi · कविता 1 599 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Apr 2020 · 1 min read घर घर में अब विभिषण सारे लोग हो गए घर घर में अब विभिषण सारे लोग हो गए ******************************* मर्यादा पुरुषोत्तम राम जग से लोप हो गए घर घर में अब विभीषण सारे लोग हो गए राजा दशरथ जैसे... Hindi · कविता 2 679 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Dec 2019 · 1 min read राहों में लग गए यारों के मेले घर से निकले थे हम अकेले राहों में लग गए यारों के मेले अकेले कैसे लंबी राह कटेगी काली छायी घटा कैसे घटेगी यूँ ही राह चलते बन गए चेले... Hindi · कविता 2 557 Share Page 1 Next