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5 Jan 2021 · 1 min read

प्रेम पर दोहे

*********** प्रेम पर दोहे ***********
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1 पहला दोहा
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गीत गाता हुआ चला,प्रेम नगर की डगर
प्रीत मिली न प्रेम मिला,अधूरा रहा सफर

2 दूसरा दोहा
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तुम बनो गजल सरीखी,बनूँ तुम्हारी बहर
छोटे छोटे शेर से ,बसाएं स्वीय शहर

3 तीसरा दोहा
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गीतों की रानी बनो, मुखड़ा बनो हसीन
बिन लय धुन बजती रहो, राग बने रंगीन

4 चौथा दोहा
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गजल तुम ऐसी गाओ,तन मन हो गुलज़ार
सुन्दर सुन्दर भाव हो,दिल में खिले बहार

5 पाँचवा दोहा
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गीतों की सरगम बने,बजे ताल पर ताल
सोई रूह जाग उठे,मन हो सदा निहाल
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 710 Views
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