सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' Language: Hindi 143 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 12 Jan 2023 · 1 min read तड़प रहा बीमार दवा दुआ सब देख ली, आया नहीं सुधार | हे प्रभु अब कुछ कीजिये, तड़प रहा बीमार || सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' Hindi 195 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 14 Aug 2022 · 1 min read नमन मेरा जो तन-मन से वतन के हो गए, उनको नमन मेरा | आजादी की नशे में खो गए, उनको नमन मेरा | खुशी से चूमकर फंदा, गले में डालने वाले- तिरंगा... Hindi 1 194 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 30 Jun 2022 · 1 min read माँ ******************************* माँ धरा है, माँ है अंबर, माँ सकल संसार है | माँ खुदा भगवान माँ है, माँ हीं पालनहार है |1 पालती है गर्भ में जो, सींचती निज रक्त... Hindi 260 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 20 Jun 2022 · 1 min read तुम गर्म चाय तंदूरी हो तुम हलवा हो, तुम पूड़ी हो| तुम गर्म चाय तंदूरी हो| सच कहता हूँ समझो जानूँ- इस दिल को बहुत जरूरी हो| सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' Hindi 2 3 674 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 20 Jun 2022 · 1 min read हमदर्द २१२२ २१२२ २१२२ २१२ आ रहे हैं सब मेरी, मैयत उठाने के लिए। दिल दुखाने के लिए, मुझको जलाने के लिए। देखकर मेरी मुहब्बत जल रहे थे जो सदा- बनके... Hindi 2 264 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 20 Jun 2022 · 1 min read आईने की तरह मैं तो बेजान हूँ मैं तुम्हारे शहर में भी अनजान हूँ। देख लो इक नज़र मैं तो मेहमान हूँ। टूट जाऊं न आकर संभालो मुझे- आईने की तरह मैं तो बेजान हूँ। Hindi 2 1 325 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 22 Apr 2022 · 1 min read बन जाओ इंसान मस्जिद में गीता रखवा दो, मंदिर बीच कुरान। मुल्ला जी हनुमान चलीसा, पंडित करें अज़ान। उलझो मत टीका, टोपी में, मिथ्या है संसार- जाति धर्म का चक्कर छोड़ो, बन जाओ... Hindi · मुक्तक 2 539 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 18 Mar 2022 · 1 min read होली में रंग अबीर लगाओ भइया होली में। मन से बैर भुलाओ भइया होली में। करते हो हुड़दंग नशे में क्यों आकर, मदिरा मत छलकाओ भइया होली में। बकरा-बकरी, मुर्गा-मुर्गी छोड़ो तुम,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 388 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 12 Mar 2022 · 1 min read दिल यह बंजारा गीतिका समझ न पाया दुनियादारी, दिल यह बेचारा। न्योछावर कर डाला तुझपर, निज जीवन सारा।१ मचल रहा था बेटा कब से, एक खिलौना को, बाप बहुत लाचार हुआ तो, थप्पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 196 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 6 Mar 2022 · 1 min read ठिठुरता आदमी गजल आदमी को देखकर क्यों आज जलता आदमी। हाय क्यों ईर्ष्या जलन में रोज मरता आदमी।१ चार दिन की जिन्दगी है सांस भी अपनी नहीं, फिर भी देखो आदमी से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 375 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 6 Mar 2022 · 1 min read राह यही है सूर्य सभी को जाना है बह्र -बहरे मुतदारिक मुजाइफ़ मखबून मक़तूअ महजूफ़ वज्न-22,22,22,22,22,2 काफिया सुलझाना (आना की बंदिश) रदीफ -है। जोश जिगर में जिंदा है बतलाना है सरहद की रक्षा में शीश कटाना है //१... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 216 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 18 Feb 2022 · 1 min read मुक्तक यहांँ की हर परिस्थिति में हमें ढ़लना ही है साथी। कड़कती धूप हो फिर भी हमें जलना ही है साथी। यही कर्त्तव्य अपना है नहीं इससे विमुख होना, कुहासा है... Hindi · मुक्तक 205 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 17 Feb 2022 · 1 min read दोहे जबतक तन में प्राण है, और रगों में रक्त। राम राम जपते रहो, सुबह शाम हर वक्त।। मन बस में रहता नहीं, जर्जर देह मकान। कच्चे धागे सांस के, अम्बर... Hindi · दोहा 316 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 12 Feb 2022 · 1 min read नेता बरसाती बरसाती मेंढक बने, नेता सारे आज। सर पर चढ़ा चुनाव तो, लगा रहे आवाज। लगा रहे आवाज, करें सब झूठे वादे। कब रखते ये लोग, कभी भी नेक इरादे। कहें... Hindi · कुण्डलिया 444 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 12 Feb 2022 · 1 min read मुश्किल जीना हाय, यहाँ पर जो है निर्बल निर्बल पर चलता सदा, सामर्थी का जोर। जायज है उसके लिए, गलत सही सब ओर। गलत सही सब ओर, सदा करता मनमानी। हाँ करते सब लोग, कहे यदि पय को... Hindi · कुण्डलिया 234 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 8 Feb 2022 · 1 min read दिल है दिल का टुकड़ा होता रहता है प्यार, मुहब्बत, झगड़ा होता रहता है। आपस का यह लफड़ा होता रहता है। पहली बार नहीं जी सौ-सौ बार हुआ, दिल है दिल का टुकड़ा होता रहता है। कभी कभी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 189 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 5 Feb 2022 · 1 min read कुहासा है घना बेशक हमें चलना ही है साथी यहांँ की हर परिस्थिति में हमें ढ़लना ही है साथी। कड़कती धूप हो फिर भी हमें जलना ही है साथी। यही कर्त्तव्य अपना है नहीं इससे विमुख होना, कुहासा है... Hindi · मुक्तक 1 257 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 2 Feb 2022 · 1 min read वरना गैरों पर यहाँ करे कौन विश्वास बेशक हँसना चाहिए, रखकर इतना ध्यान। अतिशय हँसने से हुआ, अपना ही नुकसान।। जीने की ख्वाहिश नहीं, मरना नामंजूर। जीवन इक संग्राम है, लड़ना है भरपूर।। जिनका हर निर्णय मुझे,... Hindi · दोहा 216 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 23 Jan 2022 · 1 min read क्या मिलेगा आपको तकरार से देखना है देखिए जी प्यार से // क्या मिलेगा आपको तकरार से //१ खून ही दुश्मन बना है खून का, क्या शिकायत अब करूँ संसार से //२ दल-बदल करता है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 345 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 18 Jan 2022 · 1 min read इधर गैरों की बस्ती कौन रुकना चाहता साहब खुदा मिलता तो करता सिर्फ इतना याचना साहब// कभी तो आपका भी सत्य से हो सामना साहब// बड़ी मुश्किल है अपनों को यहां पर खोजना साहब// दिखाना है मुझे दुनिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 4 373 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 17 Jan 2022 · 1 min read हुई सत्य की हार गीतिका :- ---------- झूठ मलाईदार बहुत था, हुई सत्य की हार। समरथ की इच्छाओं पर यह, चलता है संसार। सदा स्वार्थ में लिपटा रहता, मन में रहता पाप, सुधर नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 518 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 17 Jan 2022 · 1 min read आदमी था मगर देवता हो गया ((( ग़ज़ल ))) मैं जिसे उम्र भर चाहता रह गया कह न पाया यही इक खता रह गया//१ कब्र पर लोग चादर चढ़ाते रहे, एक भिक्षुक वहीं काँपता रह गया//२... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 322 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 28 Dec 2021 · 1 min read स्वर्ण भी सम घास हे प्रभो तेरे चरण के, हम सभी हैं दास। एक तेरा ही सहारा, बस तुम्हीं से आस। है समय का चक्र कब, किसका बदल दे भाग्य, भूख, लाचारी, गरीबी का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 345 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 5 Dec 2021 · 1 min read गिद्ध मँड़राने लगे बह रही शीतल हवाएं, अरु भ्रमर गाने लगे। आजकल शायद उसे हम याद अब आने लगे। देखकर ढ़लती जवानी पुष्प मुरझाने लगे। छोड़कर मझधार में क्यों तुम मुझे जाने लगे।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 365 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 28 Nov 2021 · 3 min read दोहा बिलख-बिलख रोता सदा, मैं बालक नादान। दर्शन क्यों देता नहीं, ऐ निष्ठुर भगवान।। बिलख बिलख मत रो सदा, होकर सूर्य अधीर। फिक्र जिसे तेरी नहीं, क्या समझेगा पीर।। बिलख बिलख... Hindi · दोहा 1 378 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 28 Nov 2021 · 1 min read आईना देखता कहाँ कोई दर्द किससे करूँ वयाँ कोई। आज अपना नहीं यहाँ कोई।१ हर तरफ आज जो धुआँ सा है, जल रहा है उधर मकाँ कोई।२ हर कदम पर मिला मुझे ठोकर, जैसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 476 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 21 Nov 2021 · 1 min read सूर्य ये कौन है जो बाल सुखाने आयी वज्न-2122 1122 1122 22 काफ़िया-ठिकाने(आने की बंदिश) रदीफ़-आयी मौत की नींद मुझे आज सुलाने आयी देखिए बेवफा भी प्यार जताने आयी//१ आज फिर मुझसे मुहब्बत वो निभाने आयी अपने हाथो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 317 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 4 Nov 2021 · 1 min read चाल ढाल बदले नहीं, विषधर, गिरगिट, श्वान। विधा- दोहागजल *************** द्वेष जलन की भावना, रखता जो इंसान। पग-पग पर मिलता उसे, तिरस्कार अपमान। माटी की इस देह में, क्षणभंगुर है सांस, यद्यपि सब इस बात की, दिखलाते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 198 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 3 Nov 2021 · 2 min read कुछ दोहे और शहरों में होती कहाँ, सुखद सुहानी भोर। बहुमंजिली इमारतें, दिखती हैं चहुंओर।। काशी शिव का धाम है, बम-बम बोलो मीत। मधुर करें शम्भू सदा, जीवन का संगीत।। शिव की महिमा... Hindi · दोहा 2 270 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 3 Nov 2021 · 2 min read कुछ दोहे निश्चित है मिलना उसे, जो जिसका है पात्र। चिंतित होकर सूर्य तू, पाएगा दुख मात्र।। निंदक से नजदीकियाँ, चापलूस से दूर। जीवन का यह मंत्र लो, खुश रहो भरपूर।। भाग्य... Hindi · दोहा 1 529 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 1 Nov 2021 · 1 min read दिल है मेरा बुर्ज खलीफा प्रेम नगर में घर है मेरा, गली गली हरियाली है। खट्टी मीठी याद सहेजे, जीवन जैसे थाली है। एक बार सेवा का अवसर, देकर देखो यार मुझे- दिल है मेरा... Hindi · मुक्तक 199 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 28 Oct 2021 · 1 min read बाल श्रमिक विधा- दोहा गजल मुस्कानों को ढूंढते, सूने नैन हजार। बाल श्रमिक को चाहिए, बस ठोड़ा सा प्यार। होती हैं मजबूरियाँ, और उदर की आग, बाल, श्रमिक कब शौकिया, बनता है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 176 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 28 Oct 2021 · 1 min read सबका हो कल्याण विधा --दोहागजल ??????????????? आओ हम फिर से करें, नवयुग का निर्माण। सबका सम अधिकार हो, सबका हो कल्याण। औषधि शिक्षा मुफ्त हो, हाथ सभी के काम, देखो अन्न अभाव में,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 330 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read जीवन से रुसवाई गीत दिल की हालत किसे बताएँ, समझ न आता भाई। घायल कर देती है हमको, अपनी ही परछाई। माटी के पिंजरे पर देखो, इठलाता है तोता। विमुख हुआ यदि सत्य... Hindi · गीत 319 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read मिला साजन नहीं मन का नहाया रोज मल-मल कर, धुला आंगन नहीं मन का। हृदय में शूल थे जिनके, खिला उपवन नहीं मन का। जवानी से बुढ़ापे तक, किया हमने सफर लेकिन, अजी क्या बात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 265 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read गुनगुनायें आधार छन्द-माधव मालती(मापनी युक्त, मात्रिक, 28 मात्रा) मापनी-गालगागा,गालगागा,गालगागा,गालगागा। समान्त-'आये' ,अपदान्त। दर्द, गम, आँसू, खुशी हैं,जिन्दगी में क्या बतायें। सांँस जबतक चल रही है, आइए हम गुनगुनायें। हर घड़ी खुशियांँ न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 162 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read सियासत नयन में अश्क घड़ियाली, कुटिल मुस्कान होता है। वही नेता है जिसका वोट पर बस ध्यान होता है। नहीं चर्चा कभी होती कहीं, बेरोजगारी की, जहाँ हक माँगते हैं लोग,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 286 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read लाश पर आँसू बहाना है। विधा- गजल (१६ मात्रिक) लाश पर आँसू बहाना है। दाव सबको आजमाना है। है निशाने पर विपक्षी तीर, पक्ष को दामन बचाना है। सब हवा देने चले आए, आग यह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 182 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read संत मिलते अब संत कहाँ जग में। उलझे सब दौलत की पग में। मन में सबके मद लोभ भरा- छल दंभ समाहित है रग में। (स्वरचित मौलिक) #सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)... Hindi · मुक्तक 1 241 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read बदला कब विधना का लेख स्वाभिमान की रक्षा खातिर, सत्य मार्ग पर अड़े रहो। काम नहीं करना है जिनको, हाथ जोड़ कर खड़े रहो। लड़कर मरने वालों की हीं, गाथा गायी जाएगी- कायर पिछलग्गू सत्ता... Hindi · मुक्तक 1 177 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read तेरी नैनों में मैं मुस्कुराता मिलूं प्यार के चर्चे हमारे हर तरफ चलने लगे हैं। लोग बस इस बात से ही आजकल जलने लगे हैं। गैर से शिकवा न था हर दर्द गम मंजूर था जी-... Hindi · मुक्तक 1 159 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read जिलेबी का दिवाना है, कभी मधुमेह ना देखे मुहब्बत हो जहाँ झगड़ा न कर्कश नाद करना है। हमेशा साथ के अच्छे दिनों को याद करना है। किसी का दिल कभी मत तोड़ना कोशिश रहे इतना- बढे मतभेद जब... Hindi · मुक्तक 159 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read जिंदगी फिर शूल से ज्यादा सितम करने लगी दो दिलों के बीच में जब दूरियांँ बढ़ने लगी। जिंदगी फिर शूल से ज्यादा सितम करने लगी। हो गया है बंद यदि संवाद कटुता वैर से- बढ़ चला मतभेद रिश्तों... Hindi · मुक्तक 151 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read सूख रहा है बूढ़ा बरगद अच्छा है मुख मोड़ रहे हो मुझको तनहा छोड़ रहे हो। सूख रहा है बूढ़ा बरगद। जिससे रिश्ता तोड़ रहे हो। देखिए हर बात पे रोने लगा। बाप का दिल... Hindi · मुक्तक 162 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read वर्षगांठ है आजादी की, उत्सव खूब मनाओ। मातृभूमि पर मिटने वाले, वीरों के गुण गाओ। वर्षगांठ है आजादी की, उत्सव खूब मनाओ। ब्रिटिश हुकूमत की हाथों में, पराधीन थी माता। तड़प रही थी माता सम्मुख, पुत्र कहाँ... Hindi · गीत 2 1 355 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read वतन विधा- मुक्तक वीरगति जो वरण किए थे, ख्वाब लिए आजादी का। दिल में भरकर देश-प्रेम जो, दंश सहे बर्बादी का। नमन करो उन वीरों की जो, हँसकर जान गँवा बैठे-... Hindi · मुक्तक 1 2 291 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 26 Oct 2021 · 1 min read मुहब्बत बना यहाँ व्यापार सत्य भी होता है हथियार। बड़ी मारक होती है धार। कभी भी मत बोलो तुम झूठ, करो इतना खुद पर उपकार। त्याग दो लालच ईर्ष्या लोभ, लगेगा सुंदर यह संसार।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 192 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 21 Oct 2021 · 1 min read वरना इश्क लड़ाता कौन गम की काली रातों में भी, मीठे स्वप्न सजाता कौन। आँसू को नैनों में अपने, बिना वजह उलझाता कौन। मौत मुहब्बत संगी साथी, अक्सर ले लेते हैं जान- आशिक तो... Hindi · मुक्तक 3 5 237 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 21 Oct 2021 · 1 min read पास न आएगी बीमारी, रोज टहलने से। ~~~ गीतिका~~~ पास न आएगी बीमारी, रोज टहलने से। बिस्तर अपना छोड़ दो पहले, सूर्य निकलने से। सेहत का सब राज छुपा है, गांठ पार लो तुम, कभी नहीं कतराना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 202 Share सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य' 6 Oct 2021 · 1 min read लाश देख आते सदा, बिना बुलाए गिद्ध। राजनीति करने लगी, बात सही यह सिद्ध। लाश देख आते सदा, बिना बुलाए गिद्ध।। उलझे हैं हम आप सब, राजनीति में आज। और प्रतीक्षा मौत की , करते गिद्ध समाज।।... Hindi · दोहा 4 5 363 Share Page 1 Next