Mugdha shiddharth 841 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mugdha shiddharth 1 Nov 2018 · 1 min read माँ मेरी देवी नहीं माँ मेरी देवी नहीं – हाड़ - मांस की नारी है, ये अलग बात है , वो जग से अलग – थोड़ी सी न्यारी है ! नास्तिक नहीं वो –... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 40 91 2k Share Mugdha shiddharth 6 Aug 2019 · 1 min read मिट्टी का चूल्हा ! मक्के की रोटी और सरसो का साग जब सिकती थी मिट्टी के चूल्हे कि आंच पे गरीब थे तब पर रहते थे हम भी ठाठ से, होके अमीर अब गैस... Hindi · कविता 1k Share Mugdha shiddharth 19 Aug 2019 · 1 min read जब भूखे बच्चे न अकुलायेंगे जब भूखे बच्चे न अकुलायेंगे जब हर पेट अन्न से भरा होगा जब माओं की सूखी छाती से छीर की गंगा बह निकलेगी जब लूटी-पीटी बेटी से कोई जात-धर्म न... Hindi · कविता 2 1 1k Share Mugdha shiddharth 3 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक १. फूलों के जन्मदिन को कब उत्स्वित किया जाता है दिल की बातें हैं शब्दों से सोपान कहां दिया जाता ! ...सिद्धार्थ *** २. कुछ मेरे हिस्से केख़्वाबों को तुम्हारा... Hindi · मुक्तक 1 1k Share Mugdha shiddharth 29 Aug 2020 · 1 min read प्रेम का नशा प्रेम बन्धु बांधव नहीं जिसका अवसान हो जाय प्रेम कोई नदी तालाब नहीं जो सूख जाय पानी विषाक्त हो जाय प्रेम एक एहसास है प्रेम एक नशा है प्रेमी वो... Hindi · कविता 3 2 741 Share Mugdha shiddharth 21 May 2020 · 2 min read लाल सलाम लाल सलाम... मुझे नहीं पता सलाम को लाल किस ने किया मैंने नहीं पढ़ा श्रम और शोषण को किस ने शब्द रूप दिया मैं नहीं जानती दबे कुचले लोगों के... Hindi · कविता 3 4 779 Share Mugdha shiddharth 10 Oct 2019 · 1 min read छोटी कविता १. प्रेम सावन का पहला मेघ है , जो बिना गरजे भी बरस जाता है ... सिद्धार्थ २. मैं सारी रात बैठ के कगज से नाव बनाती रही दर्द के... Hindi · कविता 4 679 Share Mugdha shiddharth 20 Aug 2019 · 2 min read पुरुष से किस बिधि छल कर सकता हूँ... मैं ही कृष्ण, मैं ही केशव, मैं ही तो हूँ मधुसूदन मैं ही सहस्रजीत (हजारों को जीतने वाले), मैं ही सहस्रपात (जिनके हजारों पैर हों) मैं हर पुरुष के पुरुष्त्व... Hindi · कविता 5 640 Share Mugdha shiddharth 5 Oct 2018 · 1 min read औरत हूँ औरत हूँ सपने बुन रही हूँ पानी को तोडने का आसमान पे चलने का आग को हथेलियों पे मसलने का अंगुलियों पे चाँद नचाने का क्या बुराई है सपने बुनने... Hindi · कविता 14 2 636 Share Mugdha shiddharth 4 Oct 2019 · 1 min read 'मेरी नन्ही सी गुड़िया' जमीं पे चलते चलते किसी दिन आसमां के सीने पे तू पांव रख देना मेरे ख़्वाबीदा आँखों के पानी से अपने कहकशां के दिलक़श रवानी से ये रौशनी का है... Hindi · कविता 1 623 Share Mugdha shiddharth 16 Dec 2020 · 1 min read तज के अपने अहंकार को तज के अपने अहंकार को आवाज दो उस झंकार को बिन जिसके महल खंडर हुआ पुकार लो उस दिलदार को शम्स को गर कैद करोगे फिर तिमिर से गिला क्या... Hindi · कविता 5 1 643 Share Mugdha shiddharth 12 Nov 2019 · 2 min read छोटी-छोटी कविता १. 10.11 ये चमन, ये गुल, ये गुलिस्तां सब अपनी ही जगह रह जाएंगे लोग आते हैं, आते रहेंगे अपनी अदाकारी दिखा कर लौट जाएंगे ... सिद्धार्थ २. राम जाने... Hindi · कविता 2 1 645 Share Mugdha shiddharth 6 Oct 2018 · 2 min read बोलते क्यूँ नहीं चुप क्यूँ हो ? बोलते क्यूँ नहीं ? चीखते क्यूँ नहीं ? तुम तो मेरे अपने हो मुझे पहचानते क्यूँ नहीं ? मै हूँ ,हाँ मैं ही तो हूँ... तुम्हारी... Hindi · कविता 16 630 Share Mugdha shiddharth 28 Aug 2020 · 2 min read फिराक गोरखपुरी फिराक गोरखपुरी उर्फ रघुपति सहाय : 28 अगस्त 1896 “आने वाली नस्लें तुम पर रश्क करेंगी हम असरों जब भी उनको ध्यान आएगा, तुमने फ़िराक़ को देखा है” इस शेर... Hindi · लेख 3 4 558 Share Mugdha shiddharth 30 Oct 2020 · 1 min read उम्र उम्र का क्या है चलता सूरज है शाम ढले ढल जायेगा वो मुहब्बत ही क्या ____ जो झुर्रियों से शरमाएगा जवां बदन के शाख पे जो खिलते है अक्से नूर... Hindi · कविता 4 2 620 Share Mugdha shiddharth 27 Mar 2019 · 3 min read कालाहांडी, भूख और गरीबी ! ओडिशा: इस चुनावी समय में भी कुछ लोग अपनी जिंदगी कि जरूरी जरूरतों को लेकर आवाज़ बुलंद करने में पीछे नहीं हट रहे ,क्या कर सकते हैं, आश्वासन और जुमलों... Hindi · लेख 4 2 606 Share Mugdha shiddharth 21 Nov 2019 · 4 min read लेख #रामजल #मीणा और #जेएनयू सब कुछ याद कर ही रहे हैं तो, इन्हें भी याद कर ही लीजिए । शायद दिमाग के बन्द खिड़की किवाडी ही खुल जाय। ये हैं... Hindi · लेख 3 2 560 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2020 · 1 min read तू दूर बहुत है और कदम मेरे छोटे हैं तू दूर बहुत है और कदम मेरे छोटे हैं हाथ बढ़ाऊं भी तो कैसे हाथ मेरे छोटे हैं मैं उसके नाम का ख़वाब देखूं भी तो कैसे मेरी ऑंखों के... Hindi · कविता 2 1 615 Share Mugdha shiddharth 19 Apr 2019 · 1 min read दोष बिच्छू का नहीं... दोष बिच्छू का नहीं... की उस ने हमें काटा, 'जहर' हमारे शरीर में फैलाया, काटना और ज़हर फैलाना धर्म है उसका ... वो अपने धर्म पे था, दोष हमारा है...... Hindi · कविता 3 592 Share Mugdha shiddharth 29 Nov 2020 · 1 min read बेटी तेरे ज़ीस्त के गुलिस्ताँ में मेरी जाॅं कभी पतझड़ न आए बसंत ही बसंत हो तितलियों सा उड़ना तू भूल न पाए बदन के नाव में कभी कोई छेद न... Hindi · मुक्तक 3 527 Share Mugdha shiddharth 31 Oct 2018 · 1 min read दिल्ली मर रहा है । दिल्ली मर रहा है , दिल्ली हांफ रहा है, हवा में ज़हर घुल गया है। और लोग, आँख मूंदे चल रहें है, उफ; साँस भी छान- छान के ले रहें... Hindi · कविता 21 1 563 Share Mugdha shiddharth 18 Apr 2020 · 1 min read आदम #आदम जब तक वो भूखा था जब तक वो झुका था जब तक वो रोता था जब तक अपनों को वो खोता था जब तक उसके बदन से पसीने के... Hindi · कविता 1 1 557 Share Mugdha shiddharth 13 Aug 2020 · 1 min read सावन - भादो तुम नाचते हो सावन भादो का नाम सुन कर जिस्म से चश्म तक मेरी सब धुलने लगती है करूं भला मैं किस दरवेस से तब शिकवा नेमत-ए-ज़ीस्त भी जब पिघलने... Hindi · कविता 5 2 557 Share Mugdha shiddharth 14 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक १. भेजा था एक पैगाम हवा के पर पे तुम्हे मिली थी क्या ...? पूछना था... खुश रहते हो क्या...? मेरे शब्दों से रिश्ता बनाकर... ...सिद्धार्थ २. तुम दूर हो... Hindi · मुक्तक 3 531 Share Mugdha shiddharth 17 Aug 2019 · 1 min read बुरी लत तुम्हें खुद को खुदा समझने की ये जो बुरी लत लगी है दरकिनार करके इंसानियत को नरपिशाच हो जाने की जो भूख जगी है तुम्हें रसातल तक लेके जाएगी, तुम्हें... Hindi · कविता 4 1 570 Share Mugdha shiddharth 20 Aug 2019 · 1 min read माचिस की तीली था मैं माचिस की तीली था मैं खोल में पड़ा रहा जलने से पहले आग अंदर था रगड़ने से पहले फिर मुझे निकला गया पहले सहलाया गया देखा गया, जाँचा गया फिर... Hindi · कविता 3 1 543 Share Mugdha shiddharth 27 Aug 2019 · 1 min read कई खत १. दूर भी रहते हैं वो पास भी रहते हैं वास्ता नही रखते हमसे बस छुप-छुप के तकते हैं इश्क सरेआम जाहिर न हो जाय बस इससे ही तो वो... Hindi · मुक्तक 3 515 Share Mugdha shiddharth 7 May 2020 · 1 min read डर क्या कहा सड़कें लंबी चौड़ी और बड़ी हैं क्या बोलते हो साहब हमने हौसलों से ही नंगे पांव इन्हें नाप दिया है ~ सिद्धार्थ डराओ मुझे कि डरने को ही... Hindi · मुक्तक 1 531 Share Mugdha shiddharth 13 Dec 2020 · 1 min read वो भी उदास है रात के आंगन में आज पलकों की परियां उदास है चाॅंद जो उतरा है सर-ए-बाम आज वो भी उदास है वो जो कभी आता नहीं चैबारे में मेरे उसके आंगन... Hindi · शेर 3 505 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2019 · 1 min read कितना पानी क्या करोगी ईतना पानी क्या करोगी मेरे आंखों का पानी काफी हैं सेहरा को तर कर जाने के लिए उम्मीदों का सूरज गहरा है सपनों का दीपक बुझाने के लिए। वो इम्तहाँ... Hindi · मुक्तक 3 1 549 Share Mugdha shiddharth 3 Oct 2019 · 1 min read 1 .भगत १. आज हमारे नायक का दिन है आज भारत के पहले अर्बन नक्सल का जन्म दिन है एक दिन उनकी यादों के नाम एक दिन क्रांति के जियाले के नाम... Hindi · कविता 1 3 528 Share Mugdha shiddharth 24 May 2020 · 1 min read तू न सही रात की खामोशी है आंखों में नींद नहीं बस तेरे नाम की हलकी सी बेहोशी है खुली आंखों में भी अब मेरे सपने हैं और सपने में हलकी सी मदहोशी... Hindi · कविता 3 2 512 Share Mugdha shiddharth 30 Jul 2019 · 1 min read तुम तो वही हो न,उन्नाव रेप केस वाली ? तुम तो वही हो न,उन्नाव रेप केस वाली ? तुम तो मर चुकी थी न ? एक साल पहले... जब तुम्हारे जिन्दा जिस्म को नोचा गया था इंसान जैसे ही... Hindi · कविता 2 556 Share Mugdha shiddharth 9 Sep 2019 · 1 min read याद तुम्हें याद करने को रूह को काम पे लगाया है जिस्म को तो यारा, मेरे फुरसत ही नही मिलती ! ...सिद्धार्थ २. हरदम याद करते हैं, तेरे ही साथ रहते... Hindi · मुक्तक 2 1 498 Share Mugdha shiddharth 7 Oct 2018 · 2 min read कृषि प्रधान देश का कृषक वो कहलाता है ! बच्चों का पेट काट कर जो, बीज मही में बोता है कृषि प्रधान देश का कृषक वो ही कहलाता है । दुनियाँ का भूख मिटाने को ,जो दिन रात परिश्रम... Hindi · कविता 15 1 537 Share Mugdha shiddharth 8 Dec 2019 · 3 min read ओशी मेरी प्यारी बेटी ओशी (Oshi ) बहुत -बहुत प्यार। आज तुम्हारा जन्म दिन है, खुश हूँ मैं बहुत खुश, तुम्हारे पास होती तो गले लगा के कहती "जन्मदिन मुबारक हो... Hindi · लघु कथा 4 5 495 Share Mugdha shiddharth 6 Dec 2020 · 1 min read मुक्तक बूंद दरिया का हो या के चश्म का जब से बिकने लगे हैं प्यास ... हर कंठ के घाट पे साहिब सिसकने ने लगे हैं ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 4 527 Share Mugdha shiddharth 6 Aug 2020 · 1 min read रण्डी वो जो मेरे जिस्म से हर रात खेला करता है शौक है उसको वो माॅं जाई को रण्डी कहता है जले भी हम हम्ही वो फूल जो बिस्तर में कुचलेजाएं... Hindi · कविता 5 484 Share Mugdha shiddharth 26 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक होता है सब का फितूर जुदा-जुदा किसी को बूत में किसी को आयतों में दिखे ख़ुदा। हमारी बात औरों से बिकुल है जुदा-जुदा हँसते खिलखिलाते बच्चों में दिखे ख़ुदा कुछ... Hindi · मुक्तक 3 503 Share Mugdha shiddharth 27 Aug 2019 · 1 min read जब भी बात मेरे अपनों पे आएगी जब भी बात मेरे अपनों पे आएगी भूल के अपनी औकात खाल उनकी भी उतारी जाएगी जो कहते हैं खुद को हम बुलंद है आसमां की तरह घसीट कर उनको... Hindi · कविता 2 526 Share Mugdha shiddharth 13 Oct 2018 · 1 min read मेरे बेली के फूल किसी अपने ने कहा फूलों पे लिखो, खुशबु पे लिखो, सफेद, सुगन्धि, शबनम सी बेली के फूल पे लिखो नहीं लिख पाई बेली के फूल को शब्दों के मोतियों के... Hindi · कविता 16 486 Share Mugdha shiddharth 20 May 2020 · 1 min read मेरा चांद चांद छुपा है जाकर मेरा, अब्र के नाजुक बाहों में हमने उसको तार भेजा है हवा के चंचल बाहों में सौतन के बालों में जा कर अटका होगा मेरा चांद... Hindi · कविता 4 500 Share Mugdha shiddharth 5 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. आज चांद को देखा, वो बड़ी इंतजार के बाद आया रौशनी के पलकों के तीर से गिर जाने के बाद आया । एक तुम हो और दूजा मेरा वो... Hindi · मुक्तक 3 468 Share Mugdha shiddharth 17 Jul 2020 · 1 min read वो भगवान हो गया मैंने पत्थर को तरासा वो भगवान हो गया वो मंदिर में बैठा पुजारी धनवान हो गया आशीष कहां जाकर बरसी मुझे मालूम नहीं मैं दीन तो तब भी था अब... Hindi · कविता 5 1 550 Share Mugdha shiddharth 6 Sep 2019 · 1 min read चाय चाय और चाय के उबाल पे बहुत चर्चा हो चूकि ... अब इश्क़ के बवाल पे चर्चा बांकी है उसके इंकार मेरे इकरार पे चर्चा बांकी है दहकते ईंटों से... Hindi · कविता 1 1 510 Share Mugdha shiddharth 13 Apr 2020 · 1 min read एक दूसरे को खा जाएं... जब पेड़ों पे मंजर नहीं, बाझ लगेगा जब नदियों में घोंघा, सीपी, मछली नहीं नमक का ढेला तैरेगा... जब समंदर में जीव नहीं रत्न मिलेंगे जब खेतों के मेडों पे... Hindi · कविता 512 Share Mugdha shiddharth 2 Aug 2020 · 1 min read बस तुम बेईमान हो तुम्हें उन लोगों से ख़ब्त की बू आती है जो बात करते हैं आजादी की शिक्षा की रोजगार की तुमने कभी सोचा है कितनों ने इसी आजादी, समता, समानता की... Hindi · कविता 3 2 483 Share Mugdha shiddharth 6 Aug 2020 · 1 min read चलो राम ... चलो राम ... हम आज ठहाके लगा कर हॅंसते हैं राम नामी चादर भूखों को ओढ़ा कर हम देखते हैं भूख से रोते बिलखते दीन - हीन अर्थ विहीन चिल्काओं... Hindi · कविता 4 2 522 Share Mugdha shiddharth 8 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक खिलौनों से खेलने की थी हसरत, भूख ने दिल को बड़ा बेज़ार किया रोटी के खातिर मैंने बच्पन की हसरतों को बाज़ार के नाम कर दिया ! ...सिद्धार्थ Hindi · मुक्तक 1 488 Share Mugdha shiddharth 20 Jul 2020 · 1 min read मज़ाक मरते भागते लोगों की खबर न ली भूख से बिलखते बच्चों की रुदन न सुनी अपनी अना सहलाने के लिए ताली थाली बजवाई, हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए रोते बिलखते लोग... Hindi · कविता 3 546 Share Page 1 Next