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13 Apr 2020 · 1 min read

एक दूसरे को खा जाएं…

जब पेड़ों पे मंजर नहीं, बाझ लगेगा
जब नदियों में घोंघा, सीपी, मछली नहीं नमक का ढेला तैरेगा…
जब समंदर में जीव नहीं रत्न मिलेंगे
जब खेतों के मेडों पे फसल नहीं टिड्डे लहलगायेगा…
जब थाली में खाना नहीं राख हंसेगा…
तब हमें भी पता चलेगा और तुम्हें भी कि तिजोरियों में रखा सोना, चांदी, हीरे, जवाहरात, रुपया – पैसा खाया नहीं जा सकता
खा कर पचाया तो बिल्कुल नहीं जा सकता…
क्यू कि हमने पूरा जुगाड लगाया है
की दुनियां इसी तरह की हो जाए
जीवन तो हो जिंदा रखने के सारे तरीके मर जाएं
खाने को कुछ न बचे कुछ भी नहीं
बस हम बचें, तुम बचो, तुम सब बचो और हम सब बचे रहने के लिए
एक दूसरे को खा जाएं…?
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
505 Views
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