Santosh Shrivastava 747 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Santosh Shrivastava 19 Dec 2020 · 1 min read सीखा करोना से मची तबाही दुनियां में जब महामारी बना कोरोना हर तरफ मची अफरा तफरी हुए प्रयास बचाव के मास्क दूरी सफाई बने सहारा इन्सान के अह्सास कराया दूर होने पर भी... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 22 349 Share Santosh Shrivastava 24 Dec 2020 · 1 min read यादें भूल चले है सब आज डाकिये को प्यार अपनेपन सुख दुःख के समाचार का माध्यम थे डाकिये धूप ठ॔ड बारिश कभी पैदल तो कभी साईकिल पहुंचाते थे संदेशा डाकिये चिट्ठी... Hindi · कविता 5 5 352 Share Santosh Shrivastava 30 Nov 2018 · 1 min read नींव पहले मिट्टी के घरों की नींव भी मजबूत होती थी एक घर में दस बारह लोग रहते थे आज पक्के मकानों की नींव ही नही होती दो लोग (पति पत्नी)... Hindi · कविता 4 3 418 Share Santosh Shrivastava 21 Nov 2018 · 1 min read माँ को नही चाहिए सहानुभूति मत करो माँ की पूजा मत ले जाओ माँ को तीर्थ यात्रा पर मत धोओ माँ के पैर मत रखो माँ से सहानुभूति माँ को तो बस अपने साथ रखो... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 28 425 Share Santosh Shrivastava 26 Nov 2018 · 2 min read जीवन की सच्चाई जीवन की सच्चाई जब तक शरीर में आत्मा है यह चलती मशीन है जब हुई मशीन बंद यह नश्वर शरीर है अब चाहे इसे जलाओ गाडो या बहाओ नदी में... Hindi · कविता 3 1 340 Share Santosh Shrivastava 28 Nov 2018 · 1 min read शहीद अपील मै भारतीय सैनिक भगवान सिंह का बेटा हूँ मेरी अपील पडोसी देश से है आप आतंकवाद और सीमा पर फायरिंग बंद करें। आप नहीं जानते जब हमारे पिता शहीद... Hindi · कविता 3 1 520 Share Santosh Shrivastava 28 Nov 2018 · 1 min read दर्पण भावों के मोती दिनांक 28/11/2019 दर्पण मैंने हॄदय मे लगा रखा है दर्पण प्रिय तुम्हारी हर व्यथा हर दर्द का प्रतिबिम्ब है यह दर्पण प्रिय मन की बात चेहरे के... Hindi · कविता 3 1 278 Share Santosh Shrivastava 29 Nov 2018 · 1 min read शांति शांति न हो भ्रान्ति दुश्मन को है चेतावनी भारत चाहता शांति अगर न चाहा उसने सुधारना तो होगी युद्ध क्रान्ति लेखक संतोष श्रीवास्तव बी 33 रिषी नगर ई 8 एक्स... Hindi · कविता 3 1 459 Share Santosh Shrivastava 5 Oct 2019 · 1 min read अजीब सी है जिन्दगी है कुछ हलचल सी जिन्दगी में एक तरफ मौत है तो दूसरी तरफ जीने की आशा थिरकने सी लगती है जिन्दगी जब कोई अपना सा मिल जाता है जिन्दगी में... Hindi · कविता 3 2 206 Share Santosh Shrivastava 28 Jan 2020 · 1 min read मैं माँ काली हूँ देवी महादेवी कह न मेरा मान बढ़ाओ नारी हूँ शक्ति हूँ मैं चंडी ज्वाला हूँ हर जुल्म पर भारी हूँ दरिन्दों के लिए काली हूँ हाँ देवी हूँ मैं घर... Hindi · कविता 3 1 434 Share Santosh Shrivastava 29 Jan 2020 · 1 min read शिक्षा वरदान (पिरामिड विधा) 1 दे शिक्षा संस्कार है जीवन्त तन मन से हो सब साक्षर समाज पहचान 2 दो दुआ साक्षर हो संसार शिक्षित सभी मिटे अंधियारा कदम हो आसान स्वलिखित लेखक संतोष... Hindi · कविता 3 449 Share Santosh Shrivastava 25 Apr 2020 · 1 min read आभार है आभार उन डाक्टर योद्धाओं का जो करोना संकट की घड़ी में दे रहे जीवनदान है नहीं कर रहे परवाहअपनी जिन्दगी की सुबह शाम रात डटे हैं जो मोर्चा पर... Hindi · कविता 3 1 202 Share Santosh Shrivastava 30 Apr 2020 · 1 min read रूष्ठ धरा 1 नाराज धरा बेहाल है इन्सान माहौल शांत 2 फ़िजा उजाड़ खौफनाक कोरोना रूष्ठ प्रकृति 3 प्यार जीवों से जीतेगी मानवता रूष्ठे न जग स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · हाइकु 3 280 Share Santosh Shrivastava 10 May 2020 · 1 min read माँ ( मातृ दिवस ) दिनांक 10/5/20 कहा , चाँद ने "क्या निहरते हो तुम ? मुझ में प्रेमिका, मेहबूबा की शक्ल पाओगे हमेशा" कहा मैंने " आज तलाशता हूँ तुझ में बस माँ मेरी... Hindi · कविता 3 2 411 Share Santosh Shrivastava 19 Jul 2020 · 1 min read संबंध करें मजबूत संबंध आपस में है नहीं भरोसा जिन्दगी का न करो बातें टूटने बिखरने की है मौला रखवाला सब का है फकीर समझाने वाला स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · कविता 3 1 354 Share Santosh Shrivastava 14 Aug 2020 · 1 min read तराना छेड़ो तुम कोई तराना मुझे गुनगुनाना है गाओ मंगल गान आज देशभक्ति का है दिन मुझे गुनगुनाना है है माँ को सादर नमन माँ की लोरी आज मुझे गुनगुनाना है... Hindi · कविता 3 385 Share Santosh Shrivastava 17 Aug 2020 · 1 min read फूल गुलाब का काटों भरा है इनका शरीर, सुगंध, मुस्कान से हैं भरपूर है आदर्श ये गुलाब फूल हमारे दुःख में भी मुस्काय मन हमारे स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · मुक्तक 3 1 500 Share Santosh Shrivastava 19 Sep 2020 · 1 min read आवाजें है जन्म से आवाज का संबंध इन्सान का होते ही जन्म आवाज़ करता है रोने की अस्पष्ट आवाज निकालता है वो कुछ समझने समझाने के लिए माता पिता का हाथ... Hindi · कविता 3 476 Share Santosh Shrivastava 23 Nov 2018 · 1 min read नसीब (कविता) नसीब नसीब को मत कोसो दोस्तों घर बैठे नसीब बनता नही हथेलियों पर जब उभरते है छाले तब बनता है नसीब हर ठोकर सबक सिखाती है नसीब बनाने में बार... Hindi · कविता 2 1 617 Share Santosh Shrivastava 29 Nov 2018 · 1 min read अनुशासन अनुशासन आज देश में चाहिए अनुशासन संसद से सड़क तक घर परिवार से पाठशाला तक बच्चों से बुजुर्गों तक सास से बहू तक जब अनुशासित रहेंगे सब घर परिवार समाज... Hindi · कविता 2 335 Share Santosh Shrivastava 30 Nov 2018 · 2 min read संवेदनहीनता हमारे पड़ोस में रामदीन शर्मा रहते हैं। उनके दो बेटे हैं। एक बैंगलोर में है और दूसरा हैदराबाद मे अपने अपने परिवार के साथ हैं । शर्मा जी और उनकी... Hindi · मुक्तक 2 230 Share Santosh Shrivastava 25 Feb 2019 · 1 min read तकदीर दूसरे का हक छीन कर बनाते हो तकदीर अपनी ताकते बाजुओ में लाओ फिर बनाओ तकदीर अपनी मत बैठो भरोसे तकदीर दोस्त मेहनत करो और संवारो तकदीर दोस्त तकदीरे भरोसे... Hindi · कविता 2 489 Share Santosh Shrivastava 25 Feb 2019 · 2 min read लौटा दो बच्चों का बचपन - 60+ को समर्पित सुबह से दोपहर हो गई थी झुरियों से भरे चेहरे वाला मदारी डमरू बजाते हुए घूम रहा था पर उसको शहर में एक जगह भी बच्चों का हुजूम नहीं दिखा... Hindi · कहानी 2 259 Share Santosh Shrivastava 29 Mar 2019 · 1 min read लेखक की आत्महत्या दिनांक 29/3/19 उसने नया नया लिखना शुरू किया था । बहुत उत्साहित थी वो । सम्पादक के रूप में पत्रिका के लिए रचनाएँ अधिक आने पर रचनाओं का चयन करते... Hindi · कहानी 2 349 Share Santosh Shrivastava 9 Aug 2019 · 1 min read स्वागत बरखा 1 बरसा पानी हुई धरती तृप्त है हरियाली 2 घर आंगन फैलती हरियाली स्वागत वर्षा 3 सावन झूले झूमती हरीतिमा मंगल गीत स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · हाइकु 2 278 Share Santosh Shrivastava 21 Sep 2019 · 1 min read खुला बाजार दुकानें हजार खुला है बाजार दुकानें हैं हजार कहीं है मेहनतकश कहीं है बदमाश सजी है दुकान बैठी वो सज-धज के रहना था उसे इज्जत से हो रही यहाँ वो बेइज्जत जमाने... Hindi · कविता 2 1 242 Share Santosh Shrivastava 24 Sep 2019 · 1 min read पितर पक्ष- महत्व लघुलेख जो बच्चे माता पिता के जीते जी भोजन वस्त्र और शरीर से सेवा करते हैं और स्वर्गवास के बाद भी नियमित भोग अर्पण करते है और पितर पक्ष में विधिवत... Hindi · लेख 2 188 Share Santosh Shrivastava 25 Sep 2019 · 1 min read झंकार दिल को जो कर दे बेचैन वह गीत सुनाता हूँ दिल में जो समा जाए वो संगीत बजाता हूँ ताल और सुरों का है खेल मनोरम गीत जब आये लवों... Hindi · मुक्तक 2 1 433 Share Santosh Shrivastava 10 Oct 2019 · 1 min read फरेबी चेहरा टूट कर भी आईना दिखाता है चेहरे अनेक भले ही छिपाये इन्सान फरेबी चेहरे चाह रहा था आईना कहना दास्ताँ घूंघट ने रोक दी ख्वाहिश उसकी है आईना नादान इतना... Hindi · कविता 2 212 Share Santosh Shrivastava 24 Jan 2020 · 1 min read बिटियाँ (चौका लेखन विधा) सब की प्यारी बिटिया है हमारी आयी है घर रोशन हैं खुशियां चले ठुमक बजती पैजनियां हैं देवी तुल्य करें कन्या पूजन करें संघर्ष नहीं कुछ मुश्किल छूती आसमां बेटियों... Hindi · कविता 2 514 Share Santosh Shrivastava 29 Jan 2020 · 1 min read वसंत वसंती माँ सरस्वती की कर वंदना करूँ वसंत का गुणगान शिक्षा दीक्षा की है देवी माँ सरस्वती समर्पित है सादर सुमन गूंजे ढोल मृदंग गीत गाते सुमधुर दिखे वसंती रंग हर... Hindi · कविता 2 416 Share Santosh Shrivastava 30 Jan 2020 · 1 min read मजबूरी होते हैं मजबूर अपने ही गांव से पलायन के लिए अन्नदेवता होती है बर्बाद खेती सूखा, ओला तूफान से रात दिन करते मेहनत गुजारते खेतों में दिन रात हैं हम... Hindi · कविता 2 1 213 Share Santosh Shrivastava 1 Jun 2020 · 3 min read बच्चे और संस्कार मानव जीवन में संस्कारों का बहुत महत्व है। संस्कारविहिन व्यक्ति देश समाज परिवार के लिए बोझ तुल्य होता है । जब बच्चा गर्भ में रहता है तभी से उसमें संस्कार... Hindi · लेख 2 2 1k Share Santosh Shrivastava 23 Jun 2020 · 1 min read दूर करो दवाइयां दिया प्रकृति ने शुद्ध वायु जल वातावरण अपने स्वार्थ इच्छा पूर्ति के लिये किया इन्सान ने इसे प्रदुषित काटे ज॔गल किया झील नदी तालाबों पर अतिक्रमण कांक्रीट के बनाये महल... Hindi · कविता 2 1 202 Share Santosh Shrivastava 26 Jun 2020 · 1 min read शरारत दिल है कमजोर डर जाता है शरारत से करते हैं फूलों से शरारत भौंरे डर जाते है वो नादान लगती है अच्छी शरारत शैतानी बच्चों की टोकते नहीं माँ बाप... Hindi · कविता 2 485 Share Santosh Shrivastava 16 Jul 2020 · 1 min read जीवन-चक्र जमीन में गिरी बूँद फिर बीज को सींचती है , वृक्ष बनता है और बादलो को खींच कर बारिश कराता है फिर एक नयी बूँद जन्म लेती है नयी आशाओं... Hindi · मुक्तक 2 2 379 Share Santosh Shrivastava 23 Jul 2020 · 1 min read क्रान्ति है जरूरत हर युग में आजाद और आजादी की भाती नहीं पराधीनता न मानव न पंछी को झटपटाता है इन्सा आजादी के लिए पर भूल जाता है आजादी और आजाद... Hindi · कविता 2 1 355 Share Santosh Shrivastava 31 Jul 2020 · 1 min read जीवन चक्र जमीन में गिरी बूँद बीज को सींचती है , वृक्ष बनता है और बादलो सा घुमड़ घुमड़ कर बारिश कराता है फिर नयी बूँद जमीं पर गिरती है नया बीज... Hindi · कविता 2 1 221 Share Santosh Shrivastava 2 Aug 2020 · 1 min read अहसास होती नहीं सहन अब उनकी खामोशियां महकी हैं फ़िजा में ख़ुशबू बाबजूद ख़ामोशियों के अहसास हो रहा सांसों का उनकी स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 380 Share Santosh Shrivastava 16 Aug 2020 · 1 min read इन्सानियत स्वतंत्रता दिवस पर झंडा वन्दन के लिए मयंक तैयार हो कर आफिस जा रहा था । वह संचालक था , इसलिए झंडा वन्दन उसे ही करना था । मयंक अभी... Hindi · लघु कथा 2 522 Share Santosh Shrivastava 23 Aug 2020 · 1 min read ईरादे हो जाते दफ़न, हम नफ़रत, इतनी तो की होती होते ईरादे साफ तो मुहब्बत, बदनाम नहीं होती स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · शेर 2 257 Share Santosh Shrivastava 25 Aug 2020 · 1 min read याद याद आया वो बीता ज़माना कभी ठिठोली कभी आँख मिचौली कभी चिचौरी कभी चौरी कभी मस्ती खुशियों की बस्ती थी एक हस्ती ढूँढते हैं लोरी प्यार की डोरी वो अपना... Hindi · कविता 2 1 203 Share Santosh Shrivastava 27 Aug 2020 · 1 min read भटकाव निकला था मंजिल के लिए दोस्त मिले और बिछुड़ते गये आया जब चौराहा भटकाव आया जिन्दगी में बनते थे अपने गायब हो गये किधर है मंजिल नहीं बताया किसी ने... Hindi · कविता 2 466 Share Santosh Shrivastava 6 Sep 2020 · 1 min read मंजिल दुनियाँ इक फ़साना है है भटकाव राहों में एक ही मंजिल तलक पहुँचना है सब को जहाँ से वापस नहीं आना है स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · मुक्तक 2 247 Share Santosh Shrivastava 14 Sep 2020 · 1 min read हिन्दी महान हिन्द हिन्दी है मेरी शान है मुझको तूझ पर अभिमान जन जन की है भाषा हिन्दी बांधे एकता सूत्र में हिन्दी कश्मीर से कन्याकुमारी तक बुलंद है हिन्दी होगा जितना... Hindi · कविता 2 3 467 Share Santosh Shrivastava 27 Sep 2020 · 1 min read नज़राना एक तरफ इश्क़ दूसरी तरफ फ़साना है फरेब और बेईमान का ज़माना है कब तलक लडेगी ये जिन्दगी गैरों से अब तो मौत ही एक नज़राना है स्वलिखित लेखक संतोष... Hindi · कविता 2 547 Share Santosh Shrivastava 27 Sep 2020 · 1 min read सुख की खान - बेटी हमारी (बेटी दिवस की शुभकामनाएं) प्यार की मूरत दुलारी की सूरत हर कदम पर साथ हर मुश्किल में हाथ न कोई चाहत दे सिर्फ राहत संबंधों को दे मज़बूती घर परिवार संभालती संस्कारों की है... Hindi · कविता 2 235 Share Santosh Shrivastava 27 Sep 2020 · 1 min read लाश नहीं छोड़ती किस्मत पीछा मरने के बाद भी किसी को नसीब होते है कंधे चार कोई जलता है लावारिश लाश स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · शेर 2 486 Share Santosh Shrivastava 28 Sep 2020 · 1 min read झोली *रहमतों की कमी नहीं मौला के दरबार में...*.। *बस रखना ध्यान इतना कहीं कोई 'सुराख' न रह जाये अपनी झोली में *.. ।। ? ? स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल Hindi · मुक्तक 2 383 Share Santosh Shrivastava 8 Oct 2020 · 1 min read सतरंगी सपने है खुला गगन उड़ने के लिए नहीं देखते पंछी ऊॅचाईयां अम्बर की लहराये तिरंगा गगन में चाहत हर सैनिक की शहीद होता वह देश की खातिर है तिरंगा मान उनका... Hindi · कविता 2 260 Share Page 1 Next