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27 Sep 2020 · 1 min read

नज़राना

एक
तरफ इश्क़
दूसरी तरफ
फ़साना है
फरेब और
बेईमान का
ज़माना है
कब तलक
लडेगी
ये जिन्दगी
गैरों से
अब तो
मौत ही
एक नज़राना है

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
2 Likes · 574 Views
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